परम पूज्यनीय बाबाजी प्रणाम प्रभु परमात्मा स्वरूप कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏 बाबाजी अभी तक मिला नहीं वो परम सत्य वो उतरा नहीं अभी और विरह की आग जलाये जाती हैं प्राण प्यासे है I जैसा की आपने कहा कंही भी जाने की जरूरत नहीं है I गुरु भीतर ही अंतस मैं है बस पूर्ण समर्पण से साधना करो फिर स्वतः ही प्रेरणा मिलने लगेगी अनहद नाद अचानक 2 बर्ष पहले शुरु हो गया था और साधना होतीं रही अब यही स्थिति है कि पागल ही नही महा पागल हूँ इक अलग ही आनंदित अवस्था में रहता हूँ I संसार में हूं पर संसार भीतर नही है I फिर भीं एक अजीब प्यास बाकी हैं I हर पल प्राण प्यासे रह्ते हैं I मैं तो फ़कीर हूँI बाबाजी कोई भी समस्या नही है I परम भाग्यशाली हूँ I कुछ भी नहीं चाहिये भौतिक या अभौतिक I कुछ भी नही ना ही कोई देवी देवता के दर्शन या वरदान या ना ही कुछ परमात्मा से I बस मात्र एक ही उद्देश्य है जीव सेवा और कल्याण I अभी तक यही अनुभव को उपलब्ध हुआ कि माया के प्रभाव में इस तरह उलझे है ये लोग (मन) और उसको ही परम सत्य मान कर बेश कीमती अमूल्य जीवन की धारा को बेहोशी मैं बर्बाद कर रहे हैं I इस भ्रम को तोड़ना बहुत कठिन है I हर कोई ज्ञानी है और फिर भी सुख दुख की नैया मैं गोते खा रहे हैं I यहा दूसरा कोई है ही नहीं सिवाय भ्रम (माया) के और माया भी माया पति की ही है वह भी एक ही अस्तित्व है दो नहीं है I हर पल सब घटित हो रहा है I ध्यान मैं ही है सब बस अभी ये राग द्वेष मोह छल कपट ईर्ष्या वैमनस्य मैं घटित हो रहा है I और सब ध्यान करने के लिए भटक रहे हैं कि ध्यान कैसे करे I अरे ध्यान करने की कोई क्रिया नहीं है I पता इसलिए नहीं पडता क्यूं की सब स्व सम्मोहित है अपनी-अपनी रचित माया के जाल में और जीव जंजाल मैं दुखी हैं I फिर क्या उपाय है I ये दुनिया संसार मुर्ख मन है ये कभी ना समझा है चाहे कितने बुद्ध पुरुष आए और प्रेम करुणा वस ज्ञान बांटा पर ये मुर्ख मन हमेशा माया मैं ही भ्रमित ही रहेगा उनको माया ही सत्य दिखाई पड़ती हैं माया पति नहीं I फिर भी बुद्ध करुणा वस अपना प्रेम बांटते है समग्र अस्तित्व इकत्व बटवाता है I एक परम अज्ञानी जिसने यही जाना कि कुछ भी नहीं जाना जा सकता है सिर्फ और सिर्फ लीन और विलीन हुआ जा सकता है I अस्तित्व यही है यही योग है I यही समग्रतः एक ही है I
परम पूज्यनीय बाबाजी
प्रणाम प्रभु परमात्मा स्वरूप कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏
बाबाजी अभी तक मिला नहीं वो परम सत्य वो उतरा नहीं अभी और विरह की आग जलाये जाती हैं प्राण प्यासे है I
जैसा की आपने कहा कंही भी जाने की जरूरत नहीं है I गुरु भीतर ही अंतस मैं है बस पूर्ण समर्पण से साधना करो फिर स्वतः ही प्रेरणा मिलने लगेगी
अनहद नाद अचानक 2 बर्ष पहले शुरु हो गया था और साधना होतीं रही अब यही स्थिति है कि पागल ही नही महा पागल हूँ इक अलग ही आनंदित अवस्था में रहता हूँ I संसार में हूं पर संसार भीतर नही है I फिर भीं एक अजीब प्यास बाकी हैं I हर पल प्राण प्यासे रह्ते हैं I
मैं तो फ़कीर हूँI बाबाजी कोई भी समस्या नही है I परम भाग्यशाली हूँ I कुछ भी नहीं चाहिये भौतिक या अभौतिक I कुछ भी नही ना ही कोई देवी देवता के दर्शन या वरदान या ना ही कुछ परमात्मा से I बस मात्र एक ही उद्देश्य है जीव सेवा और कल्याण I
अभी तक यही अनुभव को उपलब्ध हुआ कि माया के प्रभाव में इस तरह उलझे है ये लोग (मन) और उसको ही परम सत्य मान कर बेश कीमती अमूल्य जीवन की धारा को बेहोशी मैं बर्बाद कर रहे हैं I इस भ्रम को तोड़ना बहुत कठिन है I हर कोई ज्ञानी है और फिर भी सुख दुख की नैया मैं गोते खा रहे हैं I यहा दूसरा कोई है ही नहीं सिवाय भ्रम (माया) के और माया भी माया पति की ही है वह भी एक ही अस्तित्व है दो नहीं है I हर पल सब घटित हो रहा है I ध्यान मैं ही है सब बस अभी ये राग द्वेष मोह छल कपट ईर्ष्या वैमनस्य मैं घटित हो रहा है I और सब ध्यान करने के लिए भटक रहे हैं कि ध्यान कैसे करे I अरे ध्यान करने की कोई क्रिया नहीं है I पता इसलिए नहीं पडता क्यूं की सब स्व सम्मोहित है अपनी-अपनी रचित माया के जाल में और जीव जंजाल मैं दुखी हैं I फिर क्या उपाय है I
ये दुनिया संसार मुर्ख मन है ये कभी ना समझा है चाहे कितने बुद्ध पुरुष आए और प्रेम करुणा वस ज्ञान बांटा पर ये मुर्ख मन हमेशा माया मैं ही भ्रमित ही रहेगा उनको माया ही सत्य दिखाई पड़ती हैं माया पति नहीं I फिर भी बुद्ध करुणा वस अपना प्रेम बांटते है समग्र अस्तित्व इकत्व बटवाता है I
एक परम अज्ञानी
जिसने यही जाना कि कुछ भी नहीं जाना जा सकता है सिर्फ और सिर्फ लीन और विलीन हुआ जा सकता है I अस्तित्व यही है यही योग है I यही समग्रतः एक ही है I
नमन प्यारे बाबा 🙏🌹🌹🙏
❤ Pranam babaji ❤
Pranam babaji
Love ❤❤❤❤❤
❤❤❤❤❤❤
धनय धनय धनयवाद बाबाको❤
Kyun babbajee ye sab kya ho Raha hai Prabhu Prem naman
❤