गर्भाधान संस्कार, उत्तम संतान चाहने वाले जरूर सुनें, सोलह संस्कार -भाग 1, MISSION ARYAVART, ईश पथ

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  • Опубліковано 10 вер 2024
  • #वैदिक_धर्म विश्व का प्रथम और प्राचीनतम धर्म माना जाता है। इस धर्म में #16_संस्कारों को प्रमुखता दी गई है। महर्षि दयानंद के अनुसार, मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार किए जाते हैं जिसका महत्व वैदिक धर्म में सर्वोपरि है। ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के लिए यह सोलह संस्कार बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इनमें पहला संस्कार #गर्भाधान है। जब मनुष्य गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है तो उसके प्रथम क‌र्त्तव्य के रूप में इस संस्कार को मान्यता दी गई है। अगर आप इस संस्कार से अवगत नहीं हैं तो हम आपको यहां इस संस्कार के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
    जैसा कि हमने आपको बताया कि गर्भाधान 16 संस्कारों में से प्रथम है। महर्षि चरक के अनुसार, इस संस्कार के लिए मनुष्य के मन का प्रसन्न होना और पुष्ट रहना बेहद आवश्यक है। अगर माता-पिता उत्तम संतान की इच्छा रखते हैं तो उन्हें गर्भाधान से पहले मन और तन की पवित्रता के साथ यह संस्कार करना अहम होता है। वैदिक काल में इस संस्कार को काफी अहम माना जाता था। गर्भाधान-संस्कार स्त्री और पुरुष के शारीरिक मिलन को ही कहा जाता है। प्राकृतिक दोषों से बचने के लिए यह संस्कार किया जाता है जिससे गर्भ सुरक्षित रहता है। इससे माता-पिता को अच्छी और सुयोग्य संतान प्राप्त होती है।
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