यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप निम्न विवरण पर अपनी इच्छानुसार धनराशि का भुगतान कर सकते हैं। If you want to provide any financial support for the videos of this channel, you may pay the desired amount at these details. Shri Bhagavatananda Guru Bank of Baroda Ratu Chatti Branch 54240100000958 IFSC - BARB0RATUCH (कोड का पांचवां वर्ण शून्य है | Fifth letter of code is Zero) UPI - nagshakti.vishvarakshak@okaxis
प्रणाम गुरुदेव 🙏🏻 मैं आपका बहुत प्रारंभ का और नियमित दर्शक हूं अनुकरण करता हूं 🙏🏻 गुरुदेव illuminatii Freemasonn मलिच्छ राज्य पर जो श्रृंखला लाने वाले थे , उसका बहुत ही उत्सुकता , उल्लास से प्रतीक्षा कर रहे हैं हम सभी सच्चे शुद्ध सनातनी । आपसे निवेदन है कि यथाशीघ्र उस श्रृंखला का श्री गणेश करें 🙏🏻😊 और उस दूसरे चैनल एवं वीडियो का link इत्यादि साझा करने का कष्ट करें 🙏🏻 हर हर महादेव 🚩 जय श्री राम 🚩 पूज्य श्री अनंत विभूति हरिहरानंद अभिनव शंकर धर्मसम्राट स्वामी करपात्रीजी महाराज 🚩 पूज्य श्री भागवतानंद स्वामी निग्रहाचार्य जी महाराज 🚩 पूज्य श्री पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज 🚩 प्रेषक आयुष पासी प्रयागराज
Sriman Narayan Hare krishna Swami nigrahacharya ji aapki saari baatein exact iskcon wale bhi bolte haii... Guru sisyaparampara Vaishnav acharan Shrota acharan Guru kaun Yeh sab iskcon wale bhi focus karte haii.... Bas kuch chize bas aapse alag haii... Management part aur kuch chizo me bas matbhed haii... Aap plz iskcon mayapur jaaye plzz
श्रीमन्नारायण। श्री गुरुदेव आपके प्रबोधन से हृदय गदगद और मन असत से सत की ओर भले ही कुछ ही समय के लिए ही सही सोचने और चलने का संकल्प लेने को बाध्य होता है। हमें आप आशीर्वाद दें कि मेरा मन सरल और निर्मल हो जाये बुद्धि की कम और सत के विवेक की ज्यादा माने । श्री गुरुदेव श्री भागवतानंद गुरु चरणेभ्य पुनः पुनश्च नमो नमः नमो नमः नमो नमः।
स्वामी निग्रहाचारय जैसे धर्माचार्य और संन्यासियों की आवश्यकता है जो सनातन धर्म का सही ढंग से प्रचार-प्रसार कर सकें और धर्म की सही जानकारी दे सकें और आम सनातनियों मे अपने धर्म के शत्रुओं की सही पहचान भी हो तभी भारत और सनातन धर्म की रक्षा कर पायेंगे यह एक वास्तविक सच्चाई है
हर हर महादेव 🙏 श्रीमन् महामहिम विद्यामार्तंड स्वामी निग्रहाचार्य श्री श्रीभागवतानंद गुरु जी महाराज के चरणों में मेरा कोटिश: प्रणाम🙏 निग्रहाचार्य धर्माज्ञा लोके लोके प्रवर्धताम्🚩
बहुत सुंदर 🙏 आपने जो ये इतनी सुन्दर सुन्दर शास्त्र बातें बताई उसके लिए आपका स्नेहपूर्ण धन्यवाद 🙏 गुरु महाराज जी इन बातों का मेरे जीवन में प्रवाह हो आपका आशीर्वाद हो 🙏 जय स्वामी श्री निग्रहाचार्य जी गुरु भगवान् 🙏
ब्रह्म = ज्ञान अध्यापन ब्रह्मण = अध्यापक गुरूजन ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षण विभाग। ब्रह्महत्या = ज्ञान का नुकसान करना। चार वर्ण विभाग = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन राजसेवक कर्म करते हैं। सतयुग दक्षराज दसमुख वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् । ॐ ।
कोटी कोटी प्रणाम...🚩 महाराज जी आपके वाणी से निकला एक एक शब्द शास्त्रीय होता हे, हमने सब शास्त्र तो पढा नही पर पर आपके वाक्य प्रामाणिक मानके हम वैसा आचरण करते हे, आपके द्वारा भविष्य मे ऐसा ग्रंथ प्रकाशित हो जिसमे सुबह से लेकरं रात सोने तक सभी आचरन करणे सरिसे वाक्य हो... कृपा करे 👏👏👏👏 जय श्रीमन नारायण 🚩🚩
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार। स्वाहा धर्माय स्वाह धर्म: पित्रे ।। यजुर्वेद संहिता। सनातन दक्ष धर्म संस्कार प्रसार के लिए और पूर्वजो के लिए आहूतियां समर्पित हैं ।
ब्रह्मण का मतलब अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन होता है। मुख से ज्ञान शिक्षण अध्यापन होता है इसलिए मुख समान ब्रह्मण माना गया है। ब्राह्म धर्म में शिक्षण प्रशिक्षण प्रदान करना आता है। इसलिए ब्राह्म धर्म को शिक्षण प्रशिक्षण वर्ग कहना चाहिए। जब एक मानव जन है तो वह मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य है। लेकिन जब पांचजन हैं तो एक अध्यापक ब्राह्मण है, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय है, तीसरा उत्पादक शूद्राण है और चौथा वितरक वैश्य है तथा पांचवा चारवर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय। चार वर्ण = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। जब एक मानव जन है तो वह मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य है। हरएक महिला स्त्री मुख समान ब्रह्माणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैश्याणी हैं। लेकिन जब पांचजन हैं तो एक अध्यापक ब्राह्मण/ब्राह्मणी है, दूसरे सुरक्षक चौकीदार क्षत्रिय/क्षत्राणी है, तीसरे उत्पादक निर्माता शूद्राण/ शूद्राणी है और चौथे वितरक वैश्य/ वैश्याणी हैं तथा पांचवे जन चारवर्णो कर्मो विभागो में वेतनमान पर कार्यरत दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन हैं। यही पंचजन्य चतुरवर्णिय व्यवस्था जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय है।
Maharaj Ji hamara samgotri vivah ho gya tha, par sapinda vivah nhi pita se 7 pidhi aur maa se 5 pidhi chodke ke tha, vivah ke pashyat hum poorntah shastra ke aadesho se bhrahm muhurat dono pati patni poojan, aur maa pita ki seva sab kar rhe, maine vivah ke baad ye padha tha ki angi puran adhayay 154 aur manusmriti mein samgotra vivah ke baad.. Lekin ab shapath ke saath poornatah shastra ko aagya manunga aur santaan ko poorntah paaschyat sanskriti se door rakhunga. Kya main ye kar skta hu ki abb main poorntah patit go chuka hu....kya gayatri mein pratidin ki jaise baal awastha se pratidinn kar raha woh karta rhu ki abb manas gayatri karu?
हमारे पास ये सब का समाधान नहीं है। समाधान अपने मन से नहीं होते, शास्त्र से होते हैं। शाकद्वीपीयों में पुरभेदाश्रित विवाह की विप्रतिपत्ति का अपवाद है किंतु अन्य में वह भी नहीं।
Pranam. Aapke parichit Sandeep Deo Ji bhi Valmiki Ramayan parr bol rahe hai. Bahut hei 'prakchit' annso ko dekha rahe hai. Ravan bhi brahman nahi tha , iss batt ko prastut keya hai. Maine aapka Sabri Mata aur Raavan wala video ka link daal deya tha. Kuch uttar na aaya.
*ब्रह्म के नाम पर मूर्ख बनाने वाले मिथ्याचारियों की कमी नहीं है* *हम ब्रह्म को उतना ही जानते हैं जितना हमारे शरीर के बैक्टीरिया हमको जानते हैं और दुध दही के बैक्टीरिया दुध दही को जानते हैं* *ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह ब्रह्माण्ड पीठाधीश्वर*
@selfhelp3783 मान्यवर आप विशेष जानकारी के लिए उनसे संपर्क करें जिन्होंने सूर्य चंद्र ग्रह नक्षत्र तारों को पैदा किया है, पहाड़ झरने नदियों झीलों समुद्रों को पैदा किया है, दो महिलाओं से एक बच्चे का आधा आधा शरीर पैदा कर जोड़कर जरासंध बनाया है, महिलाओं से अंडा पैदा कर एक के अंडे से सर्प और दुसरे के अंडे से गरुड़ पैदा किया है, गाय से गोकर्ण हिरण से श्रृंगी ऋषि पैदा किया है
जय श्री राम महाराज जी , महाराज जी पूरी शंकराचार्य जी कहते हैं की वेदव्यास जी ने महाभारत १००० मन्वंतरों का समाधि अवस्था में दर्शन करके लिखा था , पर महाभारत ग्रंथ में यह कहा वर्णित हैं ?? कृपया बताए प्रभु शंका का समाधान होता तो बहुत कृपा होती आपकी 🙏 ।
Yehi chal rha pahle prakshipt baad ka natak aur abhi humare devi devta jaise shiv,ganpati, kali ko avedic bata rahe.. Matalb jus sastra se devi devta ka tattva, swaroopbhut lakshan, murti banaya jata hai identification hota usko sanatn dharm se kat kat alag kiya jaa rha hau.. Iska ek hi laksh hai. Sanatan dharm kat kat kar khokla kar dena.. Hindu ko thod thod kar alag karna..
मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं । जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं? यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए। वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए। चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।
महाराज जी isckon वाले शिव जी को कामी मानते हैं और माता दुर्गा ब्रम्हा जी शिव जी ये भी मुक्ति नहीं दे सकते लिखा हैं उनकी गीता में तात्पर्य 2.2 और 7.14 में
कलयुग में केवल भजन कीर्तन ही सबसे उत्तम मार्ग हैं। भगवान को पाने का इसलिए समाज को ज्यादा भ्रम में ना डालें और समाज में वो बात करों जो सहज रूप से सबको समझ आए, तुम जैसे कथावाचक केवल अपना कल्याण करेंगे, समाज का कोई भी भला नहीं कर सकते हैं।
मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं । जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं? यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए। वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए। चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।
यदि आप इस प्रवाह पर उपलब्ध वक्तव्यों के बदले किसी प्रकार की आर्थिक सेवा निवेदित करना चाहते हैं तो आप निम्न विवरण पर अपनी इच्छानुसार धनराशि का भुगतान कर सकते हैं।
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Shri Bhagavatananda Guru
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Ratu Chatti Branch
54240100000958
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(कोड का पांचवां वर्ण शून्य है | Fifth letter of code is Zero)
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प्रणाम गुरुदेव 🙏🏻
मैं आपका बहुत प्रारंभ का और नियमित दर्शक हूं अनुकरण करता हूं 🙏🏻
गुरुदेव illuminatii Freemasonn मलिच्छ राज्य पर जो श्रृंखला लाने वाले थे , उसका बहुत ही उत्सुकता , उल्लास से प्रतीक्षा कर रहे हैं हम सभी सच्चे शुद्ध सनातनी ।
आपसे निवेदन है कि यथाशीघ्र उस श्रृंखला का श्री गणेश करें 🙏🏻😊
और उस दूसरे चैनल एवं वीडियो का link इत्यादि साझा करने का कष्ट करें 🙏🏻
हर हर महादेव 🚩
जय श्री राम 🚩
पूज्य श्री अनंत विभूति हरिहरानंद अभिनव शंकर धर्मसम्राट स्वामी करपात्रीजी महाराज 🚩
पूज्य श्री भागवतानंद स्वामी निग्रहाचार्य जी महाराज 🚩
पूज्य श्री पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज 🚩
प्रेषक
आयुष पासी प्रयागराज
Sriman Narayan
Hare krishna
Swami nigrahacharya ji aapki saari baatein exact iskcon wale bhi bolte haii...
Guru sisyaparampara
Vaishnav acharan
Shrota acharan
Guru kaun
Yeh sab iskcon wale bhi focus karte haii....
Bas kuch chize bas aapse alag haii...
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Aap plz iskcon mayapur jaaye plzz
श्रीमन्नारायण। श्री गुरुदेव आपके प्रबोधन से हृदय गदगद और मन असत से सत की ओर भले ही कुछ ही समय के लिए ही सही सोचने और चलने का संकल्प लेने को बाध्य होता है। हमें आप आशीर्वाद दें कि मेरा मन सरल और निर्मल हो जाये बुद्धि की कम और सत के विवेक की ज्यादा माने । श्री गुरुदेव श्री भागवतानंद गुरु चरणेभ्य पुनः पुनश्च नमो नमः नमो नमः नमो नमः।
जय श्रीमन्नारायण
स्वामी निग्रहाचारय जैसे धर्माचार्य और संन्यासियों की आवश्यकता है जो सनातन धर्म का सही ढंग से प्रचार-प्रसार कर सकें और धर्म की सही जानकारी दे सकें और आम सनातनियों मे अपने धर्म के शत्रुओं की सही पहचान भी हो तभी भारत और सनातन धर्म की रक्षा कर पायेंगे यह एक वास्तविक सच्चाई है
Right 👍
आप जैसे संत विरले है🙏🙏
सत्य वचन श्रीमान ❤🎉😊 ।
Right 👍
सच्चे ज्ञानी संत को हमारा प्रणाम
हर हर महादेव 🙏
श्रीमन् महामहिम विद्यामार्तंड स्वामी निग्रहाचार्य श्री श्रीभागवतानंद गुरु जी महाराज के चरणों में मेरा कोटिश: प्रणाम🙏
निग्रहाचार्य धर्माज्ञा लोके लोके प्रवर्धताम्🚩
श्रीमन्नारायण। श्री गुरुदेव श्री भागवतानंद गुरु चरणेभ्य नमः। हर हर महादेव नमः चण्डिकाये।
बहुत सुंदर 🙏 आपने जो ये इतनी सुन्दर सुन्दर शास्त्र बातें बताई उसके लिए आपका स्नेहपूर्ण धन्यवाद 🙏 गुरु महाराज जी इन बातों का मेरे जीवन में प्रवाह हो आपका आशीर्वाद हो 🙏 जय स्वामी श्री निग्रहाचार्य जी गुरु भगवान् 🙏
Mitra kya haal chal ba
ब्रह्म = ज्ञान अध्यापन
ब्रह्मण = अध्यापक गुरूजन
ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षण विभाग।
ब्रह्महत्या = ज्ञान का नुकसान करना।
चार वर्ण विभाग = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन राजसेवक कर्म करते हैं।
सतयुग दक्षराज दसमुख वर्णाश्रम संस्कार। जय विश्व राष्ट्र प्राजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् । ॐ ।
कोटी कोटी प्रणाम...🚩
महाराज जी
आपके वाणी से निकला एक एक शब्द शास्त्रीय होता हे,
हमने सब शास्त्र तो पढा नही पर
पर आपके वाक्य प्रामाणिक मानके हम वैसा आचरण करते हे,
आपके द्वारा भविष्य मे ऐसा ग्रंथ प्रकाशित हो
जिसमे सुबह से लेकरं रात सोने तक सभी आचरन करणे सरिसे वाक्य हो...
कृपा करे 👏👏👏👏
जय श्रीमन नारायण 🚩🚩
आपके सब वक्तव्य अद्भुत होते हैं🙏🙏🙏
जय मॉं भगवती जय हो सत्य सनातन धर्म की जय हो श्री निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु महाराज जी की जय हो 🙏🌹🪷🌷🌹🌺🪷🌷🌹🌺🏵️🌻🌼🙏🌻🙏🙏🪷🙏🌼🪷🌷
जय श्री हरि
maharaj ji aap ki katha bhout achchi hoti hai 🙏🙏
श्रीमन लक्ष्मी नारायण शास्त्रज्ञ स्वामी श्री निग्रहाचार्य श्री भागवतानंद गुरुदेव जी । ❤🎉😊
Maharaj ke charanome pranam
प्रणाम
आपके चरणों मेरा कोटि कोटि प्रणाम
राधा कृष्ण
जय हो प्रभु
Jitna hi shashtriyata shravan karne ka avsar milta hai, utna hi anand aata hai....prakshiptwadi dur hi rhe ye sunkar man prasann ho gya
Jay Sri-man Narayan !!
Mharaj ji
सतयुग दक्षराज वर्णाश्रम संस्कार।
स्वाहा धर्माय स्वाह धर्म: पित्रे ।। यजुर्वेद संहिता।
सनातन दक्ष धर्म संस्कार प्रसार के लिए और पूर्वजो के लिए आहूतियां समर्पित हैं ।
श्री मन नारायण 🙏🏻🙏🏻
श्री मन नरायण महाराज जी
Mahraj ji parnam
pranam gurudev
Jai Shree ManNarayan
Nigraha charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🥀🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏
जय सीताराम ❤
Jai Shree ManNarayan
Nigraha charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏
Sreeman Narayan guruji
Jai Shree ManNarayan
Nigraha charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🥀🥀🥀🥀🌹🌹🙏🙏🌹🙏
चारकर्म = शिक्षण + शासन + उद्योग + व्यापार
चार वर्ण = ब्रह्म + क्षत्रम + शूद्रम + वैशम।
ब्रह्म वर्ण = ज्ञानी वर्ग।
क्षत्रम वर्ण = ध्यानी वर्ग।
शूद्रम वर्ण = तपसी वर्ग।
वैशम वर्ण = तमसी वर्ग।
1- अध्यापक चिकित्सक = ब्रह्मन
2- सुरक्षक चौकीदार = क्षत्रिय
3- उत्पादक निर्माता = शूद्रन
4- वितरक वणिक = वैश्य
पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत = दासजन सेवकजन राजसेवक ।
JAY GURUDEV
jaaiho gurudev
Jai gurudev har har shankar 🙏🌺🙏🌺
❤
Narayan💙💝
जय हो भागवत भगवान की जय हो प्रभु
jai ho
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ISKCON-19:10
🙏🙏
जय श्रीराधेगोविंद
डायनासोर,दानवासुर-डायनअसुर
आप दिव्य है
🌺🌺🌺🙏🙏🙏
Pranam guru ji, Yagyaval rachit saraswati strotra ke path ka kya niyam hai, iska path kese kre. Dhanyawad
आप शतायु रहे।
नमस्कार
श्रीविष्णु श्रीविष्णु श्रीविष्णु 😊
गिरधर चाचा कुछ भी बोलते हैं निग्रह आचार्य जी महाराज 😃🧘🧘🧘🧘😃😃
ब्रह्मण का मतलब अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन होता है। मुख से ज्ञान शिक्षण अध्यापन होता है इसलिए मुख समान ब्रह्मण माना गया है।
ब्राह्म धर्म में शिक्षण प्रशिक्षण प्रदान करना आता है।
इसलिए ब्राह्म धर्म को शिक्षण प्रशिक्षण वर्ग कहना चाहिए।
जब एक मानव जन है तो वह मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य है।
लेकिन जब पांचजन हैं तो एक अध्यापक ब्राह्मण है, दूसरा सुरक्षक क्षत्रिय है, तीसरा उत्पादक शूद्राण है और चौथा वितरक वैश्य है तथा पांचवा चारवर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन है।
maharaj ji aap bring shrota hain
चार वर्ण कर्म विभाग जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय।
चार वर्ण = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम।
जब एक मानव जन है तो वह मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य है। हरएक महिला स्त्री मुख समान ब्रह्माणी, बांह समान क्षत्राणी, पेट समान शूद्राणी और चरण समान वैश्याणी हैं।
लेकिन जब पांचजन हैं तो एक अध्यापक ब्राह्मण/ब्राह्मणी है, दूसरे सुरक्षक चौकीदार क्षत्रिय/क्षत्राणी है, तीसरे उत्पादक निर्माता शूद्राण/ शूद्राणी है और चौथे वितरक वैश्य/ वैश्याणी हैं तथा पांचवे जन चारवर्णो कर्मो विभागो में वेतनमान पर कार्यरत दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन हैं। यही पंचजन्य चतुरवर्णिय व्यवस्था जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय है।
वेदों,शतपथादि ब्राह्मण ग्रंथों ,उपवेदों से आपका कोई सम्बन्ध नहीं केवल पुराणपंथी में ही लगे रहते हैं आपलोग।
Maharaj Ji hamara samgotri vivah ho gya tha, par sapinda vivah nhi pita se 7 pidhi aur maa se 5 pidhi chodke ke tha, vivah ke pashyat hum poorntah shastra ke aadesho se bhrahm muhurat dono pati patni poojan, aur maa pita ki seva sab kar rhe, maine vivah ke baad ye padha tha ki angi puran adhayay 154 aur manusmriti mein samgotra vivah ke baad.. Lekin ab shapath ke saath poornatah shastra ko aagya manunga aur santaan ko poorntah paaschyat sanskriti se door rakhunga. Kya main ye kar skta hu ki abb main poorntah patit go chuka hu....kya gayatri mein pratidin ki jaise baal awastha se pratidinn kar raha woh karta rhu ki abb manas gayatri karu?
हमारे पास ये सब का समाधान नहीं है। समाधान अपने मन से नहीं होते, शास्त्र से होते हैं। शाकद्वीपीयों में पुरभेदाश्रित विवाह की विप्रतिपत्ति का अपवाद है किंतु अन्य में वह भी नहीं।
@SwamiNigrahacharya kya abb hamare kuch bhi nhi bacha hum sanatani bache ya nhi, kuch bhi nhi? Varna shankar ke liye nirdesh ya kuch bhi nhi hota? 😔
@@xgxhxhchdhcyc125 bhai har galti ko sudhara nhi jaa sakta...
Dinosaur🦕 10:20
वक्ताओं की विशेषताएं स्पष्ट नहीं हुई
Pranam. Aapke parichit Sandeep Deo Ji bhi Valmiki Ramayan parr bol rahe hai. Bahut hei 'prakchit' annso ko dekha rahe hai. Ravan bhi brahman nahi tha , iss batt ko prastut keya hai. Maine aapka Sabri Mata aur Raavan wala video ka link daal deya tha. Kuch uttar na aaya.
संदीप देव ओशो का चेला है। उससे और क्या आशा करते हैं आप ? हमने पहले ही प्रक्षिप्तवाद का विरोध करके सारे प्रमाण बता दिए हैं।
Asal me yeh log khud ko sastra se bade mante hai..
Inko jo baat inke accha nhi lagega usko milavat bata denge
बाइबल में भी नहीं मिलता.... कुरान में भी नहीं मिलता..... 🤣🤣🤣🤣🤣
क्रोध में आंखे लाल होती हैं जीभ अंदर होती है इसलिए चेहरे में जीभ अंदर रखकर मूर्ती चित्र बनाकर सुधार करना चाहिए।
0:10
भगवन, क्या "भृंग न्याय* यही है ?
नहीं, वह भिन्न है। उसमें भृंगी कीड़ा तद्रूप होता है
*ब्रह्म के नाम पर मूर्ख बनाने वाले मिथ्याचारियों की कमी नहीं है*
*हम ब्रह्म को उतना ही जानते हैं जितना हमारे शरीर के बैक्टीरिया हमको जानते हैं और दुध दही के बैक्टीरिया दुध दही को जानते हैं*
*ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह ब्रह्माण्ड पीठाधीश्वर*
Kya aap jante ho ki dudh dahi ke bacteriya usko kitana jaante hain?
तुम ब्रह्माण्ड गुरु नहीं कुकुर गुरु अवश्य हैं
@selfhelp3783 मान्यवर
आप विशेष जानकारी के लिए उनसे संपर्क करें जिन्होंने सूर्य चंद्र ग्रह नक्षत्र तारों को पैदा किया है, पहाड़ झरने नदियों झीलों समुद्रों को पैदा किया है, दो महिलाओं से एक बच्चे का आधा आधा शरीर पैदा कर जोड़कर जरासंध बनाया है, महिलाओं से अंडा पैदा कर एक के अंडे से सर्प और दुसरे के अंडे से गरुड़ पैदा किया है, गाय से गोकर्ण हिरण से श्रृंगी ऋषि पैदा किया है
आपने जिस भुरूंड़ अथवा भेरूंड़ का उल्लेख किया उसकोही आज ड्रैगन कहा जाता है और जो चीन का राष्ट्रीय पक्षी/प्राणी है।
आप अपना मत रखें दूसरे का नाम लेना जरूरी नहीं।
दूसरे का नाम लेना एकदम जरूरी है ताकि लोग उसके ढोंग को पहचानें
जय श्री राम महाराज जी , महाराज जी पूरी शंकराचार्य जी कहते हैं की वेदव्यास जी ने महाभारत १००० मन्वंतरों का समाधि अवस्था में दर्शन करके लिखा था , पर महाभारत ग्रंथ में यह कहा वर्णित हैं ?? कृपया बताए प्रभु शंका का समाधान होता तो बहुत कृपा होती आपकी 🙏 ।
Uss Shankaracharya ko mat suno
@@suyashdubey2423 kyu nahi sune ap kaun hote hai
@@suyashdubey2423 तू भाग जा यहां से अगर श्री निग्रहाचार्य जी के कमेंट में श्री पूरी शंकाराचार्य जी की निंदा करनी है तो
@@suyashdubey2423kyo nhi sune unke jaisa aaj kl aise dekhne ko nhi milege
@@anujkumarsingh1172 abey ek no ka pakhandi ponga hai tera shankaracharya
Bus apna pet paal rha h
Yehi chal rha pahle prakshipt baad ka natak aur abhi humare devi devta jaise shiv,ganpati, kali ko avedic bata rahe..
Matalb jus sastra se devi devta ka tattva, swaroopbhut lakshan, murti banaya jata hai identification hota usko sanatn dharm se kat kat alag kiya jaa rha hau..
Iska ek hi laksh hai. Sanatan dharm kat kat kar khokla kar dena..
Hindu ko thod thod kar alag karna..
मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं ।
जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं?
यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए।
वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए।
चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा
पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।
महाराज जी isckon वाले शिव जी को कामी मानते हैं
और माता दुर्गा ब्रम्हा जी शिव जी ये भी मुक्ति नहीं दे सकते लिखा हैं उनकी गीता में तात्पर्य 2.2 और 7.14 में
इस्कोन वाले लतखोर हैं।
@@SwamiNigrahacharya
श्रीमन नारायण सही बात निग्रह आचार्य जी महाराज 🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏
कलयुग में केवल भजन कीर्तन ही सबसे उत्तम मार्ग हैं। भगवान को पाने का इसलिए समाज को ज्यादा भ्रम में ना डालें और समाज में वो बात करों जो सहज रूप से सबको समझ आए, तुम जैसे कथावाचक केवल अपना कल्याण करेंगे, समाज का कोई भी भला नहीं कर सकते हैं।
Jai Shree ManNarayan
Nigraha charya Ji Maharaj 🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🌹🥀🥀🌹🌹🙏🙏🌹🙏🙏🙏
Jai Shree ManNarayan
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मित्रो! प्रिंट सुधार करवाएं ।
जब ब्रह्म शब्द में ण जोड़कर ब्रह्मण लिख कर प्रिंट करते हैं तो शूद्र शब्द मे ण जोड़कर शूद्रण लिखकर प्रिंट क्यों नहीं करते हैं?
यजुर्वेद अनुसार शूद्रं शब्द में बङे श पर बङे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की मात्रा बिंदी लगती है जिसके कारण शूद्रन शूद्रण शूद्रम लिख प्रिंट कर बोल सकते हैं। अत: ब्रह्म में जोड़कर ब्रह्मण लिखा करते हैं तो फिर शूद्र में भी ण जोड़कर शूद्रण लिखना प्रिंट करना चाहिए और शूद्रण ही बोलना चाहिए । अर्थात शूद्रण को उत्पादक निर्माता तपस्वी उद्योगण ही बोलना चाहिए।
वैदिक शब्द शूद्रण, क्षुद्र, अशूद्र तीनो शब्दो का मतलब अलग अलग समझना चाहिए।
चार वर्ण कर्म विभाग मे कार्यरत मानव जन ब्रह्मण-अध्यापक, क्षत्रिय-सुरक्षक, शूद्रण-उत्पादक और वैश्य-वितरक होते हैं तथा
पांचवेजन इन्ही चतुरवर्ण में वेतनभोगी होकर कार्यरत जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन होते हैं।