विद्यापति कवि परिचय खंड ०२

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  • Опубліковано 20 вер 2024
  • विद्यापति कवि परिचय खंड ०२।
    मैथिल कोकिल विद्यापति।
    #मैथिल कोकिल विद्यापति।
    विद्यापति साहित्य की प्रवृत्तियां
    / @hindikipathshala01
    विडियो में विशेष
    विद्यापति का परिचय- मूल नाम- विद्यापति ठाकुर,
    उपनामः इटली के दांते या अंग्रेजी के चौसर, हिंदी साहित्य में मैथिल कोकिल
    #अभिनव जयदेव
    #शिवसिंह एवं लखिमा देवीद्ध, राजपंडित, नवकबि शेखर, कविवर, कवि रंजन, कविराज, कवि महाराज, कवि कंठहार, सुकवि कंठहार, दश अवधान या दशविधान, राज पंडित, नगर याचक, नगर याचक नचनिया; केशव मिश्र
    धाम : जन्मः कुल-ब्राह्मण मधुबनी (दरभंगा) 1350/80 मृत्यु 1439 में।
    #ग्राम- बिसपी नहीं बिसफी मधुबनी जिला, कमतौल स्टेशन
    पिता का नाम गणपति ठाकुर। गणपति ठाकुर संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान् थे। इनकी रचना है-’गंगा-भक्ति-तरङ्गिनी’ है
    माता का नाम- हासिनी देवी
    दो पत्नियां - एक का नाम चम्पति देवी उर्फ चंदल देवी है, दूसरी के नाम का उल्लेख नहीं मिलता है।
    तीन पुत्र वाचस्पति ठाकुर, हरपति ठाकुर एवं नरपति ठाकुर पुत्री-दुल्लहि देवी।
    गुरु- हरि मिश्र
    संरक्षक- गणेश्वर सिंह, कीर्ति सिंह एवं शिवसिंह।
    संस्कृतः- शैव सर्वस्व सार, गंगा वाक्यावली, भू-परिक्रमा, पुरुष परीक्षा, गया पतलक, वर्ष कृत्य, दुर्गा भक्ति तरंगिनी, दान वाक्यावली, विभाग सार, लिखनावली ।
    #अवहट्टः कीर्तिलता, कीर्ति पताका।
    ₹मैथिली- देसिल बअना देशी भाषा-
    देसिल बअना सब जन मीठा। तें तैंसन जंपओ अवहट्ठा।।
    इनके पद इनके लोकप्रिय हुए कि बंगालियों में विद्यापति को बांग्ला भाषी एवं वासी सिद्ध करने की होड़ मच गई। #पदावली 945 पद नरेन्द्र नाथ संपादित पदावली में
    गति तुअ पाया ।।
    बासर-रैनि सबासन सोभित चरन चंद्रमनि चूड़ा।
    कतओक दैत्य मारि मुँह मेलल, कतेक उगिलि करु कूड़ा ॥
    कट कट बिकट ओठ पुट पाडरि, लिधुर फेन उठ फोका।।
    सामर बरन, नयन अनुरंजित, जलद जोग फुल कोका ॥
    घन घन घनन घुघुर कत बाजए, हन हन कर तुअ काता।
    विद्यापति कवि तुअ पद सेवक, पुत्र बिसरु जनि माता ॥
    आदिकालीन साहित्य एवं प्रवृत्तियां
    / @hindikipaathshaalaa
    #विद्यापति।
    पृथ्वीराज रासो।
    विसलदेव रासो।
    खुमान रासो।
    परमाल रासो।
    खुमान रासो।
    खुमान रासो।
    मिश्रबंधु ।
    आरंभिक काल।
    पूर्वारंभिक काल।
    उत्तरारंभिक काल।
    आदिकाल हिंदी साहित्य का प्रारम्भिक चरण।
    हिंदी साहित्य का काल-विभाजन और नामकरण।
    आदिकाल का नामकरण।
    आदिकाल का काल विभाजन और नामकरण।
    आदिकाल का नामकरण और विशेषताएं।
    आदिकाल के अन्य नाम।
    आदिकाल का उपनाम।
    आदिकाल से पहले कवि।
    आदिकाल के विभिन्न नाम ।
    हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास।
    आदिकाल की काव्य भाषा।
    डिंगल-पिंगल।
    वीर रस की प्रधानता।
    युद्धों का सजीव चित्रण।
    ऐतिहासिक घटनाओं का चित्रण।
    श्रृंगार एवं अन्य रसों का समावेश।
    आश्रयदाताओं की प्रशंसा।
    आदिकाल का नामकरण।
    आदिकाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि।
    आदिकाल का दूसरा नाम।
    आदिकाल की शुरुआत कब।
    आदिकाल की कविता का मुख्य विषय।
    आदिकाल की पृष्ठभूमि एवं प्रमुख प्रवृत्ति।
    आदिकाल की सामाजिक पृष्ठभूमि।
    आदिकाल की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि।
    आदिकाल के नामकरण की समस्या।
    संदेशरासक।
    अब्दुल रेहमान।
    पउमचरिउ।
    नामकरण की समस्या।
    आदिकाल का नामकरण कैसे हुआ?।
    आदिकाल के अंतिम कवि।
    आदिकाल से आप क्या समझते हैं?।
    आदिकाल को वीरगाथा काल क्यों।
    वीरगाथा काल की प्रमुख विशेषताएं।
    वीरगाथा काल के कवि।
    वीरगाथा काल के श्रेष्ठ महाकाव्य।
    वीरगाथाकाल की विशेषता।
    #विद्यापति की पदावली।
    #कीर्तिलता।
    ₹कीर्तिपताका।
    संदेशरासक।
    अब्दुल रेहमान।
    पउमचरिउ।
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    आदिकाल का नामकरण कैसे हुआ?।
    आदिकाल के अंतिम कवि।
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