भए प्रगट कृपाला || ram katha @swamiamritprakashji

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  • Опубліковано 2 січ 2025
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    भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी। हर्षित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप विचारी।।
    लोचन अभिरामा तनु घनश्यामा निज आयुध भुज चारी।
    भूषन वनमाला नयन विशाला शोभासिंधु खरारी।।
    कह दुई कर जोरी अस्तुति तोरी केहि विधि करौ अनंता।
    माया गुण ज्ञानातीत अमाना वेद पुराण भनंता
    ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति वेद कहे।
    मम उर सो वासी यह उपहासी सुनत धीर‌ मति थिर ना रहे।।
    उपजा जब ज्ञाना प्रभु मुस्काना चरित बहुत विधि कीन्ह चहै ।
    कहि कथा सुहाई मात बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लेहे।।
    माता पुनि बोली सो मति डोली तजहउ तात यह रूपा।
    कीजै शिशु लीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा।।
    सुनी वचन सूजाना रोदन ठाना होई बालक सूरभूपा ।
    यह चरित्र जे गावहिं हरि पद पावहिं ते‌ न परई भव कूपा।।
    ।।
    करुणा सुख सागर सब गुण आगर जेहि गावही श्रुति संता।
    सो मम हित लागी जन अनुरागी भयऊ प्रगट श्रीकंता।।

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