I am a Hindu , I also follow Jainism . I completed my 1st Updhan Tap on 29th May 2022 under the Support & Guidance of Gachadipati Acharya Shree Udayprabhsurishvarji Maharaj . My Family also supported me during the Auspicious Tap.
bhut bhur dhnayawaad aapko es adbhut story k liy ... m bhi y sankalp leti hu ki ..mere jivan m bhi sirf ek hi insan hoga ..uske alava sbhi bhai or pitaa honge..m mata sita ji ki ek baat s bhut prabhavit hu ...."m raghunandan shee raam k alava kisi anya purush ko nhi janti ..mene shree Ram k alava kisi ka chintan matr bhi nhi kiya ..ydi mera kahna stya ho to hey dhrti maa mujhe apni god m sthan de "..m bhi mahaa satiyo k jesi bnnana chahti hu ...mehul bhai plzz esi Brahmacharya pr or bhi videos lay ..mehul bhai aap 16 maha satito ki series start kro na plzzzz bhaiiiii..m maharaj sa k pass bhi gaii thi 16 maha satiyo ki book lene bt vo 64 maha satiyo ki book thi or bhut bhari bhi thi esliy n la ski..bt next time m jroor leker aaungii...jay mahaveer jay jinsasan
Sach me bhaiya hame our hamare bachho ko ane wali pidhi ko ye bate pata nai hoti par aap har time kuch naya leke ate ho our hamara pyar Gyan badhate ho apko tahe dil se dhanyawad
जैनम् जयति शासनम् । जिनशासन मे विराजमान साधु-संत व साध्वीजी महाराज अखंड ब्रह्मचर्य परिपालन हेतु नव वाड का यथार्थ पालन करते है । ठीक ! इसी प्रकार विजय शेठ व विजया शेठाणी भी नव वाड का यथाविधि परिपालन करते थे । तथैव गुरु महाराज को साक्ष्य रखे थे । अतः नीति नियम के अनुसार नव वाड का पक्षपात व परिपालन मे पूज्य गुरुदेव की साक्षी भी अनिवार्य है । धन्यवाद जैनम् जयति शासनम् अद्भुत अद्वितीय जिनशासन का जय हो ! विजय हो ! 5 - 7 -2022
जय जिनेंद्र! जय भगवान महावीर! जय भगवान रामकृष्ण! यह विजय सेठ और विजया सेठानी के संयम और त्याग की विलक्षण कथा है।आधुनिक युग के अवतार भगवान श्री रामकृष्ण परमहंस के साथ भी ऐंसा ही हुआ था।वे भी जब विवाह के बाद अपनी धर्मपत्नी माँ शारदा से एकांत में मिले।तो उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा।मैं तो अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहता हूँ।परंतु अब मैंने तुम से विवाह किया है।तो तुम्हें पूरा अधिकार है कि कुछ भोग विलास के लिये मुझसे मेरा ब्रह्मचर्य भंग करवा दो। तुम क्या चाहती हो?मैं थोड़ा भोग विलास भी करूँ या अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करता रहूँ? माँ शारदा भी देवी का ही अवतार थी।उसने कहा कि स्वामी!यदि आप अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते हैं ।तो यह तो मेरा परम सौभाग्य है। मैं आपको विषय वासना के कीचड़ मैं नहीं घसीटूँगी।इतना सुनते ही भगवान श्रीरामकृष्ण को वहीं पर समाधि लग गयी।इसके बाद उन दोनों पति पत्नी ने जीवन भर सगे भाई बहन की तरह रहकर अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया।बाद में माँ शारदा को भी भगवान रामकृष्ण की ही तरह समाधि लगने लग गयी थी। स्वामी विवेकनंद ने तो अविवाहित रहकर आखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया था। पर उनके गुरु भगवान रामकृष्ण ने तो विवाहित होकर भी जीवन भर अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया था।यही नहीं भगवान रामकृष्ण के एक सन्यासी शिष्य स्वामी शिवानंदजी सन्यास लेने से पहले जब गृहस्थ थे।तो उन्होंने भी अपनी पत्नी के साथ रहते हुये भी इसी प्रकार अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया था।जब स्वामी विवेकानंदजी को यह बात पता चली तो उन्हें ने कहा कि फिर तो आप महापुरुष हैं।यह तो महापुरुषों के लक्षण है।उस दिन से स्वामी शिवानंदजी का नाम भी महापुरुष महाराज पड़ गया।बाद में सब उन्हें महापुरुष महाराज कहकर बुलाते थे।स्वामी शिवानंदजी महाराज भी अक्सर शरीर की बाह्य चेतना को भूलकर समाधि अवस्था में चले जाते थे।इनका भी इन जैन कथाओं से कितना गहरा साम्य है।इसीलिये तो मुझे भगवान महावीर और भगवान रामकृष्ण दोनो बहुत ही अच्छे लगते हैं। 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
भगवान पार्श्वनाथ तक चार महाव्रत थे लेकिन भगवान महावीर ने अपने समय में पांचवा महाव्रत के रुप में ब्रह्मचर्य को जुडा। इसका अर्थ यह था कि व्यक्ति किसी व्याभिचार में न फंसे बल्कि अपने जीवनसाथी से ही वफादार रहे। उनका यही तात्पर्य था। लेकिन आज ब्रह्मचर्य की कुछ अलग ही व्याख्या बन रही है। इस कुदरती और स्वभाविक क्रिया को महा पाप बताकर भ्रमित किया जाता है। विज्ञान और मनोचिकित्सक भी इसका महत्व बता रहे हैं। वैसे ब्रह्मचर्य का अर्थ ये भी है ब्रह्म यानि आत्मा और चर्य यानि स्थिरता। आत्मा में स्थिर रहना।
ब्रम्ह चर्य का अर्थ है ब्रम्ह जैसी चर्या अर्थात अशरीरी विशुद्ध आत्मा। आकाश के समान पुर्ण दिगंबर आत्मा की अवस्था। कोही शरीर नही रुप नही गंध स्पर्ष निर्गुण विशुद्ध आत्मा। ब्रम्ह का अर्थ विशुद्ध आत्मा चर्या का अर्थ गती ।अर्थात विशुद्ध आत्मगती। दिगंबर का अर्थ है अनंत लोकआकाश जिसका कोही अंत नही है।
यह कथा मैंने अपनी मां से सुनी थी और मेरे जीवन का प्रेरणा स्त्रोत्र बन गया
I am a Hindu , I also follow Jainism . I completed my 1st Updhan Tap on 29th May 2022 under the Support & Guidance of Gachadipati Acharya Shree Udayprabhsurishvarji Maharaj . My Family also supported me during the Auspicious Tap.
बहुत बहुत अनुमोदना
Khub khub anumodana 🙏🙏
Wow u are great 👍
Awesome !!
बहुत बहुत अनुमोदना
bhut bhur dhnayawaad aapko es adbhut story k liy ... m bhi y sankalp leti hu ki ..mere jivan m bhi sirf ek hi insan hoga ..uske alava sbhi bhai or pitaa honge..m mata sita ji ki ek baat s bhut prabhavit hu ...."m raghunandan shee raam k alava kisi anya purush ko nhi janti ..mene shree Ram k alava kisi ka chintan matr bhi nhi kiya ..ydi mera kahna stya ho to hey dhrti maa mujhe apni god m sthan de "..m bhi mahaa satiyo k jesi bnnana chahti hu ...mehul bhai plzz esi Brahmacharya pr or bhi videos lay ..mehul bhai aap 16 maha satito ki series start kro na plzzzz bhaiiiii..m maharaj sa k pass bhi gaii thi 16 maha satiyo ki book lene bt vo 64 maha satiyo ki book thi or bhut bhari bhi thi esliy n la ski..bt next time m jroor leker aaungii...jay mahaveer jay jinsasan
Sach me bhaiya hame our hamare bachho ko ane wali pidhi ko ye bate pata nai hoti par aap har time kuch naya leke ate ho our hamara pyar Gyan badhate ho apko tahe dil se dhanyawad
"धन धन विजय सेठ ,विजया सेठाणी ।पाल्यों शीयल महान् ""
यह सज्जाय अपने प्रतिक्रमण में भी आती है ना ? उसमें शीयल के ही तो गुण गाते है हम ।🙏
જય હો વિજય શેઠ અને વિજય શેઠાણી. ખૂબ ખૂબ અનુમોદના🙏.
जय गो माताजी जय भारती जय हो सत्य धर्म की
Bhut bhut anumodna
आज के युग में जो लोग इस प्रकार का अविग्रह या व्रत लेते हैं लोग उनकी निंदा और आलोचना करते हैं
जैनम् जयति शासनम् ।
जिनशासन मे विराजमान
साधु-संत व साध्वीजी महाराज
अखंड ब्रह्मचर्य परिपालन हेतु
नव वाड का यथार्थ पालन करते है ।
ठीक ! इसी प्रकार
विजय शेठ व विजया शेठाणी भी
नव वाड का यथाविधि
परिपालन करते थे ।
तथैव गुरु महाराज को
साक्ष्य रखे थे ।
अतः नीति नियम के अनुसार
नव वाड का पक्षपात व
परिपालन मे
पूज्य गुरुदेव की
साक्षी भी अनिवार्य है ।
धन्यवाद
जैनम् जयति शासनम्
अद्भुत अद्वितीय
जिनशासन का
जय हो ! विजय हो !
5 - 7 -2022
अनुमोदना विजय सेठ ओर विजया सेठानी को😍🙌🙌🙏🙏
Jay Ho Pujyashree Ho Ho Gurudev pranam khub khub Anumodana pranam and koti koti vandami Gurudev pranam 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
Khub khub anumodana anumodana anumodana anumodana anumodana anumodana anumodana anumodana anumodana anumodana anumodana anumodana
🙏🙏🙏🙏🙏
Om
Best
मे दिल से सलाम करता हु ऐसी सच्ची निष्ठा व भक्ति को
🙏🙏 जय जिन शासन,,, जय महावीर !!
Jai jinendra🙏🙏🙏🙏🙏
Dhanya he Vijaya Seth, Sethani. An inspiration 🙏
Anumodna anumodna anumodna 🙏🙏🙏🙏
Love always to listen about them
Anumodana barambar
Jai jinendra from Kenya kisumu. Thankyu mehulbhai on such detail explaination on vijay Seth n sethani n sil dharm. Very imp. Thankyu
Make a video on Jainism and Indus Valley civilisation, so that people will know the oldness of Jainism.
विजय सेठ एवं विजया सेठानी धन्य हैं
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Bhai aap ko mera nameskar 🙏
जय जिनेंद्र!
जय भगवान महावीर!
जय भगवान रामकृष्ण!
यह विजय सेठ और विजया सेठानी के संयम और त्याग की विलक्षण कथा है।आधुनिक युग के अवतार भगवान श्री रामकृष्ण परमहंस के साथ भी ऐंसा ही हुआ था।वे भी जब विवाह के बाद अपनी धर्मपत्नी माँ शारदा से एकांत में मिले।तो उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा।मैं तो अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहता हूँ।परंतु अब मैंने तुम से विवाह किया है।तो तुम्हें पूरा अधिकार है कि कुछ भोग विलास के लिये मुझसे मेरा ब्रह्मचर्य भंग करवा दो। तुम क्या चाहती हो?मैं थोड़ा भोग विलास भी करूँ या अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करता रहूँ? माँ शारदा भी देवी का ही अवतार थी।उसने कहा कि स्वामी!यदि आप अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते हैं ।तो यह तो मेरा परम सौभाग्य है। मैं आपको विषय वासना के कीचड़ मैं नहीं घसीटूँगी।इतना सुनते ही भगवान श्रीरामकृष्ण को वहीं पर समाधि लग गयी।इसके बाद उन दोनों पति पत्नी ने जीवन भर सगे भाई बहन की तरह रहकर अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया।बाद में माँ शारदा को भी भगवान रामकृष्ण की ही तरह समाधि लगने लग गयी थी।
स्वामी विवेकनंद ने तो अविवाहित रहकर आखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया था। पर उनके गुरु भगवान रामकृष्ण ने तो विवाहित होकर भी जीवन भर अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया था।यही नहीं भगवान रामकृष्ण के एक सन्यासी शिष्य स्वामी शिवानंदजी सन्यास लेने से पहले जब गृहस्थ थे।तो उन्होंने भी अपनी पत्नी के साथ रहते हुये भी इसी प्रकार अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया था।जब स्वामी विवेकानंदजी को यह बात पता चली तो उन्हें ने कहा कि फिर तो आप महापुरुष हैं।यह तो महापुरुषों के लक्षण है।उस दिन से स्वामी शिवानंदजी का नाम भी महापुरुष महाराज पड़ गया।बाद में सब उन्हें महापुरुष महाराज कहकर बुलाते थे।स्वामी शिवानंदजी महाराज भी अक्सर शरीर की बाह्य चेतना को भूलकर समाधि अवस्था में चले जाते थे।इनका भी इन जैन कथाओं से कितना गहरा साम्य है।इसीलिये तो मुझे भगवान महावीर और भगवान रामकृष्ण दोनो बहुत ही अच्छे लगते हैं।
🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
भगवान रामकृष्ण ki khub khub anumodna!
Jai ho.....
BOHOT BEUTIFUL TEACHINGS HAI JAINISM KE ISLIYE KOYI JAIN KABHI GARIB NAHI MILEGA PROSPERITY ITNI HAI KYU KI JEEVAN PADHATTI ITNI ACCHI HAI WOW
Anumodna
💕
🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Donon pati patni dhanya hai is jamane mein bhi aisa brahmcharya bahut kathin kam hai
🙏
Wow.. Lovin d videos..keep posting more such videos..Jain hoke hame ye sab nahi pata
जय जिनेन्द्र।।
जय महावीर।।
Sob lok brahmacharya palan koraga to Human life cycle , aktime k bad tham jayga!!
Jai jinendra
Khub khub Anumodana 🙏🙏
Mind blowing !!
Jai Mahaveer Prabhu 🙏
🙏 namoo jinanm sasanam 🙏
Brahmcharaya hi jivan hai
Jay brahmcharya
Jai jinshashan
Kote kote pranam
This is best video i came across on this channel .
🙏
आपकी खूब खूब अनुमोदना 🙏
Keep Supporting 🙏
@@JainMedia thank you
Jai jinendra 🙏
💐💐🙏🙏
Is pr to movie bn skti hai bhai🙏
🙏🙏🙏
👌👌👌
भाई गोमाता के बारे में भी सम्यक ज्ञान को बताओजी
संपूर्ण अहिंसा ही संपूर्ण ब्रह्मचर्य है
Amazing i salute you from my soul ❣️❣️
भगवान पार्श्वनाथ तक चार महाव्रत थे लेकिन भगवान महावीर ने अपने समय में पांचवा महाव्रत के रुप में ब्रह्मचर्य को जुडा। इसका अर्थ यह था कि व्यक्ति किसी व्याभिचार में न फंसे बल्कि अपने जीवनसाथी से ही वफादार रहे। उनका यही तात्पर्य था। लेकिन आज ब्रह्मचर्य की कुछ अलग ही व्याख्या बन रही है। इस कुदरती और स्वभाविक क्रिया को महा पाप बताकर भ्रमित किया जाता है। विज्ञान और मनोचिकित्सक भी इसका महत्व बता रहे हैं। वैसे ब्रह्मचर्य का अर्थ ये भी है ब्रह्म यानि आत्मा और चर्य यानि स्थिरता।
आत्मा में स्थिर रहना।
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shatavdhani kaise bana ja sakta hai bataye
ब्रम्ह चर्य का अर्थ है ब्रम्ह जैसी चर्या अर्थात अशरीरी विशुद्ध आत्मा। आकाश के समान पुर्ण दिगंबर आत्मा की अवस्था। कोही शरीर नही रुप नही गंध स्पर्ष निर्गुण विशुद्ध आत्मा। ब्रम्ह का अर्थ विशुद्ध आत्मा चर्या का अर्थ गती ।अर्थात विशुद्ध आत्मगती। दिगंबर का अर्थ है अनंत लोकआकाश जिसका कोही अंत नही है।
Boycott Like Bollywood Roll Model
Kabada kr diya desh Ka Bollywood ne Actor ko hero Bolna sbsse badi durbhagya ki baat
2023 May 11 Thu 19:50 OnW
Prayshit Lena se papkarm tute ha guru Bhagavan ke pas jakar
🙏🙏 Jai jinendra 🙏🙏
💕🙏🏻 जय महावीर 🙏🏻💕
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