गुरुदेव आप को शत-शत नमन बहुतगुरुदेव आप को शत-शत नमन बहुत-बहुत शुक्रिया आपकागुरुदेव आप को शत-शत नमन बहुत-बहुत शुक्रिया आपकोआपको एक अद्भुत बात बताने जा रहा हूंअनोप मंडल एक ऐसा राष्ट्रीय संगठन हैअनोप मंडल एक ऐसा राष्ट्रीय संगठन हैं जो प्राणी मात्र को बचाना चाहता हैउस संगठन के पास में जगत हितकारिणी पुस्तक है जगत हितकारिणी पुस्तक हैं जो भारत सरकार द्वारारजिस्टर्ड हैउसमें जमीन माता को जिंदा ही बताया है प्राणीप्राणी मात्र की माता बताइए
महाराज ! अध्यात्मका अ भि अापसे सुननेकाे नहि मिले अौर अाज तत्वके साथ, जितना भि सेवाए अौर कृयाए अापसे प्रक्षेप हुए हे सभि बिल्कुल देहाध्यका हि हे अध्यात्मिक एक अंश भि नहि हाँ तमसभक्तिका एठेष्ट किय हे , तमस भक्ति कभि अध्यात्मिक नहि, जब ज्ञानयुक्त भक्ति जब बनेगे तब हि अध्यात्म कहलाएगे। चाहे वैदिकरितिसे हुए हाे ताे भि असत अौर तमस हि हे, हर शास्त्रपुराण कथा ग्रन्थ सभिमे बाहिरि दिखावा अौर अन्दरुनी ज्ञानमे अासमान जमिनका अन्तर हे ,बहार सभि देहभानका हाेता हे ,अन्दर देहिभानसे जुडे हाेते हे। महाशय, जब तक ज्ञानचक्षु वाहक वनेगे नहि तबतक अध्यात्मसे हजाराें काेश दुर हि हाेते हे। महाेदय कृपया पहले अपना वास्तविक स्वरुपकाे जाने तब हि अात्मरति बन अध्यात्मिक बनेगे अौर सेवा भि पुरुषार्थका बने साथमे परमार्थसेवासे जुट सके। तब तत्व क्या हे उनतक पहुँच पाएगें । धन्यवाद !!!
ऐ मेरे सद्गुरु प्रणाम बार बार
Swami ji ko pranam
स्वामी जी के पावन चरणों में नमन🙏
Om baba
Swamijipranam
Hume chhoti chhoti batho ka shudh jyan karane ke liye dhanybad
गुरुदेव आप को शत-शत नमन बहुतगुरुदेव आप को शत-शत नमन बहुत-बहुत शुक्रिया आपकागुरुदेव आप को शत-शत नमन बहुत-बहुत शुक्रिया आपकोआपको एक अद्भुत बात बताने जा रहा हूंअनोप मंडल एक ऐसा राष्ट्रीय संगठन हैअनोप मंडल एक ऐसा राष्ट्रीय संगठन हैं जो प्राणी मात्र को बचाना चाहता हैउस संगठन के पास में जगत हितकारिणी पुस्तक है जगत हितकारिणी पुस्तक हैं जो भारत सरकार द्वारारजिस्टर्ड हैउसमें जमीन माता को जिंदा ही बताया है प्राणीप्राणी मात्र की माता बताइए
So so chuhe khakar billi Haj ko chali
महाराज ! अध्यात्मका अ भि अापसे सुननेकाे नहि मिले अौर अाज तत्वके साथ, जितना भि सेवाए अौर कृयाए अापसे प्रक्षेप हुए हे सभि बिल्कुल देहाध्यका हि हे अध्यात्मिक एक अंश भि नहि हाँ तमसभक्तिका एठेष्ट किय हे , तमस भक्ति कभि अध्यात्मिक नहि, जब ज्ञानयुक्त भक्ति जब बनेगे तब हि अध्यात्म कहलाएगे। चाहे वैदिकरितिसे हुए हाे ताे भि असत अौर तमस हि हे, हर शास्त्रपुराण कथा ग्रन्थ सभिमे बाहिरि दिखावा अौर अन्दरुनी ज्ञानमे अासमान जमिनका अन्तर हे ,बहार सभि देहभानका हाेता हे ,अन्दर देहिभानसे जुडे हाेते हे। महाशय, जब तक ज्ञानचक्षु वाहक वनेगे नहि तबतक अध्यात्मसे हजाराें काेश दुर हि हाेते हे। महाेदय कृपया पहले अपना वास्तविक स्वरुपकाे जाने तब हि अात्मरति बन अध्यात्मिक बनेगे अौर सेवा भि पुरुषार्थका बने साथमे परमार्थसेवासे जुट सके। तब तत्व क्या हे उनतक पहुँच पाएगें । धन्यवाद !!!
Om Swami G
Om
Om beta