रामायण - EP 34 - कबन्ध उद्धार। शबरी के बेर। सुग्रीव का पता मिलना।

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  • Опубліковано 8 жов 2024
  • Ramayana - Episode 34 - Bond salvation. Shabri's plum. Finding Sugriva's address.
    सीता की खोज में राम और लक्ष्मण को एक स्थान पर सीता द्वारा फेंके गये आभूषण मिलते हैं। इससे उन्हें ज्ञात होता है कि वे सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। तभी वन में उनका सामना कबन्ध राक्षस से होता है। कबन्ध एक विशालकाय डरावना राक्षस है जिसकी एक आँख है, गर्दन नहीं है। उसका शरीर मोटे मास के पिण्ड जैसा है। वह अपनी एक योजन लम्बी भुजाएं बढ़ाकर राम लक्ष्मण को घेर लेता है। लक्ष्मण तलवार से दोनों भुजाएं काट देते हैं। कबन्ध राम और लक्ष्मण को अपना वास्तविक परिचय देकर बताता है कि ऋषि स्थूलशिरा के श्राप के कारण वह गन्धर्व से राक्षस बन गया है। कबन्ध को ब्रह्मा का वरदान है कि उसे किसी शस्त्र से नहीं मारा जा सकता। इसलिये कबन्ध राम लक्ष्मण से कहता है कि वे उसके शरीर को गड्ढे में डालकर जला दें, इससे वह शापमुक्त हो जायेगा और गन्धर्व रूप में वापस आकर सीता का पता बताने में उनकी मदद करेगा। राम कबन्ध की चिता जलाते हैं। शापमुक्त गन्धर्व दनु प्रकट होता है और राम को रावण के कुल के बारे में बताता है और परामर्श देता है कि दक्षिण की ओर जाने पर उन्हें ऋष्यमूक पर्वत पर वानरराज सुग्रीव मिलेंगे। उनसे मित्रता करके वे सीता की खोज कर सकेंगे और अन्त में रावण पर विजय पायेंगे। गन्धर्व यह भी कहता है कि सुग्रीव तक जाने का सम्पूर्ण मार्ग उन्हें भीलनी शबरी दिखायेगी जो मतंग ऋषि की शिष्या है और वो वर्षों से प्रभु राम के आने की प्रतीक्षा कर रही है। शबरी हर रोज वन से पुष्प चुनकर अपनी कुटिया के मार्ग पर बिछाती है। उसे विश्वास है कि एक न एक दिन उसके प्रभु राम के चरण उसकी कुटिया में पड़ेंगे। आखिरकार वो घड़ी आती है। राम लक्ष्मण शबरी की कुटिया में प्रवेश करते हैं। शबरी उन्हें खाने के लिये बेर देती है। हर बेर मीठा हो, यह सुनिश्चित करने के लिये शबरी ने उन्हें चखा हुआ है। राम उसकी भक्ति पर अभिभूत हैं। वे चाव से बेर खाते हैं। लक्ष्मण राम को शबरी के जूठे बेर खाता देकर मुँह बनाते हैं लेकिन बड़े भाई की आज्ञा पर उन्हें भी शबरी के जूठे बेर खाने पड़ते हैं। शबरी उन्हें बताती है कि उनके गुरु के तपोबल के कारण मतंग वन के हिंसक पशु भी हिंसा छोड़ चुके हैं। वनस्पति सदैव हरी भरी रहती है। शबरी यह भी कहती है कि ऋषि मतंग उसे सीता की खोज में निकले राम को सुग्रीव का पता बताने की आज्ञा देकर परलोक सिधार गये थे। शबरी बताती है कि यहाँ से आगे जाने पर उन्हें पम्पापुर सरोवर मिलेगा। उसके निकट दो पर्वत श्रेणियों पर उन्हें सुग्रीव और हनुमान मिलेंगे। इसके बाद राम शबरी के साथ ऋषि मतंग के दिव्य साधना स्थल के दर्शन करने जाते हैं। राम शबरी की प्रार्थना पर उसे भक्ति ज्ञान देते हैं। शबरी राम की आज्ञा लेकर यहाँ से परम धाम की ओर प्रस्थान करती है। इस प्रसंग के साथ रामायण के अरण्य काण्ड का समापन होता है। अन्त में रामानन्द सागर शबरी प्रसंग का उल्लेख करते हुए सीख देते हैं कि यदि यह देश रामायण को मानता है तो यहाँ ऊँच नीच और जात पात की बात नहीं की जानी चाहिये।
    निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
    सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
    कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
    मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
    पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
    संगीत - रविंद्र जैन
    शीर्षक गीत - जयदेव
    अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
    संपादक - सुभाष सहगल
    कैमरामैन - अजीत नाइक
    प्रकाश - राम मडिक्कर
    साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
    वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार
    Ramayan is an Indian television series based on ancient Indian Sanskrit epic of the same name. The show was originally aired between 1987 and 1988 on DD National. It was created, written, and directed by Ramanand Sagar. The show is primarily based on Valmiki's 'Ramayan' and Tulsidas' 'Ramcharitmanas'. The series had a viewership of 82 per cent, a record high for any Indian television series. The series was re-aired during the 2020 Coronavirus lockdown and broke several viewership records globally which includes setting the record for one of the most watched TV shows ever in the world, with 77 million viewers on 16 April 2020.
    In association with Divo - our UA-cam Partner
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