एक व्यक्ति ने जैन मुनि से पूछा हम पद्मावती माता का अभिषेक कर सकते है

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  • Опубліковано 8 лют 2025
  • एक व्यक्ति ने जैन मुनि से पूछा हम पद्मावती माता का अभिषेक कर सकते है

КОМЕНТАРІ • 14

  • @sapnajain1661
    @sapnajain1661 8 днів тому

    Bhot shi kha h mhraj g

  • @RajuJain-tz7em
    @RajuJain-tz7em 11 днів тому

    Namostu guruvar

  • @prashantjain2099
    @prashantjain2099 12 днів тому

    Bilkul sahi bat namostu gurudev

  • @ankitjain2113
    @ankitjain2113 10 днів тому

    Bohot hi satik aur uttam samadhan dia hai guru dev ne🙏

  • @MohanBafna
    @MohanBafna 10 днів тому

    जितने भी शासन देवी देवता है सभी चौथे गुण स्थान में है और हम पांचवे गुण स्थान में हैव,जितने भी शासन देवी देवता है उन्हें अभिषेक की उपमा मत दो ओ भी हमारे स्वधर्मी भाई बहन है उनको सम्मान दो ,हम aashadhana नहीं करना ,उनका सम्मान करने में कोई बाधा नहीं ,उनकी पूजा अर्चना करोगे तो मिथ्या दृष्टि बन जाओगे

  • @Jinagamjindeshnamandir
    @Jinagamjindeshnamandir 13 днів тому +4

    महाराज श्री सम्यक दृष्टि तो ग्रहस्थ पुरुष एवं महिला भी हो सकती है। ऐसे में तो देवी देवताओं के साथ फिर उनको भी अर्ध चढ़ाया जाएगा? तो फिर ग्रहस्थ देवी के वस्त्र उतार कर जल आदि से शुद्धि कैसे सकता है? सम्यक दृष्टि महिला की?

  • @ritajoharapurkar3745
    @ritajoharapurkar3745 13 днів тому

    ये सब भरे पेट की बाते होती है इसे ज्यादा और भी बहुत जरुरी काम समाज मे देश मे है

    • @prashantjain4429
      @prashantjain4429 10 днів тому

      एक काम हमें कर दिया है कि गिरनारजी के महेश गिरी को आज कुम्भ के दौरान सभी पदों से अलग कर दिया है अब आप गिरनारजी में जैन समाज के श्रद्धांलु जन को दर्शन पूजन प्राप्त हो उस काम में लग जाएं 🙏🙏

    • @prashantjain4429
      @prashantjain4429 10 днів тому

      हमने

    • @sahilchaudhary5392
      @sahilchaudhary5392 3 дні тому

      Ha bhai tum pehle woh nipta lo..

  • @Savejainism
    @Savejainism 13 днів тому +4

    लोग पता नही पूजा शब्द के नाम पर भ्रमित क्यो है.
    पूजा के कई अर्थ होते है.
    जैन धर्म मे पूजा का मूल अर्थ अष्ट द्रव्य से पूजा लिया है
    लेकिन लौकिक भाषा
    मे पूजा के कई मतलब है
    गुणगान करना भी पूजा
    एक फूल चढ़ा देना भी पूजा
    और किसी को सम्मान देने कुछ भेट करना ये भी पूजा.
    हम बोलते है पेट पूजा
    मतलब पेट की जो जरूरत है उसे पूरा करना मतलब भोजन देना.
    तो मूल आगम मे शासन देवी देवता की पूजा करने का कोई उल्लेख नही
    लेकिन बाद के आचार्यो ने मात्र जनता को यहाँ वहाँ भटकने से बचने के लिए इनकी पूजा मतलब सम्मान करने बोला.
    Lekin कब जब ये सामने. ऐसा नही कि इनकी मूर्ति बना कर पूजा करो
    और तीर्थंकर की pratimao के साथ जो इन देवी देवताओ की मूर्ति होती थी वो उनका वैभव दिखाने होती थी न कि इनको पूजने के लिए.
    आकृत्रिम जिनालय मे भी एक देव और एक देवी की प्रतिमाओं का उल्लेख है लेकिन मात्र उनके vaibhav को दिखाने जैसे अष्ट प्रतिहार्य वैसे ही.

  • @स्वाध्यायपरमंतप

    सम्यग्दर्शन सहित स्त्री पर्याय में नही जाते।

    • @nirmaljain3625
      @nirmaljain3625 11 днів тому

      samyak darshan ke stah janm stri paryay ka nhi hota h lekin janm ke bad samyak darshan stri pryay me hota h usi prakar swarg me janm huye devi ka uske bad samyak darshan huya isliye shahan devi samyak drushty h