|| पदावली भजन न.२७ || बरसाती || अपनी भगतिया सतगुरु साहब मोहि कृपा करि देहु हो |

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  • Опубліковано 12 жов 2024
  • भजन न. २७ || बरसाती ||
    अपनी भगतिया सतगुरु साहब मोहि कृपा करि देहु हो |
    जुगन जुगन भब भटकत बीते, अब भव बाहर लेहु हो || १||
    पशु पक्षी कृमि आदिक यनिन, में भरमउ बहु बार हो |
    नरतन अबहिं कृपा करि दिन्न्हों, अब प्रभु करो उबार हो || २ ||
    हरहु भव दुख देहु अमर सुख, सर्व दाता समरत्थ हो |
    जो तुम चाहिहु होइहिं सोई, सब कुछ तुम्हरे हत्थ हो || ३ ||
    करहु अनुग्रह प्रीतम साहब, तुम अंशक मैं अंश हो |
    तुम सूरज मैं किरण तुम्हारी, तुम बंशक मैं बंश हो || ४ ||
    मोही तोही इतनेहि भेद हो साहब, यहि भेद भव दुख मूल हो |
    करो कृपा नासो यहि भेदहिं, होउ अति ही अनुकूल हो || ५ ||
    आस त्रास भय भाव सकल ही, मम मन कर जत जाल हो |
    सकल सिमिटि तुम्हरो पद लागे, मेँहीँ के यहि अर्ज हाल हो || ६ ||
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