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MY LORD JAGANNATH! I AM ON THIS WORLD SOLELY BECAUSE OF YUR GRACE AND INFINITE KRIPA. PRABHU ITS MY PAST DEEDS THAT YU HAVE GIVEN ME SO MUCH BLESSINGS.ON MY LAST MOMENTS YU TAKS ME TO YUR AMRITADHAM
कदाचित् कालिन्दी_तटविपिन_सङ्गीतकरवो मुदाभीरीनारी_वदनकमलास्वादमधुपः । रमाशम्भुब्रह्मा मरपतिगणेशार्चितपदो जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥१॥ अर्थ हे प्रभु ! आप कदाचित जब अति आनंदित होते है,तब कालिंदी तट के निकुंजों में मधुर वेणु नाद द्वारा सभी का मन अपनी ओर आकर्षित करने लगते हो, वह सब गोपबाल ओर गोपिकाये ऐसे आपकी ओर मोहित हो जाते है जैसे भंवरा कमल पुष्प के मकरंद पर मोहित रहता है, आपके चरण कमलो को जोकि लक्ष्मी जी, ब्रह्मा,शिव,गणपति ओर देवराज इंद्र द्वारा भी सेवित है ऐसे जगन्नाथ महाप्रभु मेरे पथप्रदर्शक हो,मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करे | भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटे दुकूळं नेत्रान्ते सहचर_कटाख्यं विदधते । सदा श्रीमद्वृन्दावनवसतिलीलापरिचयो जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥२॥ अर्थ आपके बाए हस्त में बांसुरी है और शीश पर मयूर पिच्छ तथा कमर में पीत वस्त्र बंधा हुआ है, आप अपने कटाक्ष नेत्रों से तिरछी निगाहो से अपने प्रेमी भक्तो को निहार कर आनंद प्रदान कर रहे है, और अपनी लीलाओ का जो की वृन्दावन में आपने की उनका स्मरण करवा रहे है और स्वयं भी लीलाओ का आनंद ले रहे है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मेरे पथप्रदर्शक बनकर मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करे | महाम्भोधेस्तीरे कनकरुचिरे नील शिखरे वसनप्रासादान्तः सहजबलभद्रेण बलिना । सुभद्रामध्यस्थः सकल सुरसेवावसरदो जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥३॥ अर्थ हे मधुसूदन ! विशाल सागर के किनारे, सूंदर नीलांचल पर्वत के शिखरों से घिरे अति रमणीय स्वर्णिम आभा वाले श्री पूरी धाम में आप अपने बलशाली भ्राता बलभद्र जी और आप दोनों के मध्य बहन सुभद्रा जी के साथ विध्यमान होकर सभी दिव्य आत्माओ, भक्तो और संतो को अपनी कृपा दृष्टि का रसपान करवा रहे है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मेरे पथपर्दशक हो और मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करे |
कृपापारावारो सजलजलदोश्रेणिरुचिरो रमावाणीरामः स्फुरदमलपद्मेख्यण सुख। सुरेन्द्रैराराध्यः श्रुतिगणशिखागीतचरितो जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥४॥ अर्थ जगन्नाथ स्वामी दया और कृपा के अथाह सागर है, उनका रूप ऐसा है जैसे जलयुक्त काले बादलो की गहन श्रंखला हो, अर्थात अपनी कृपा की वृष्टि करने वाले मेघो के जैसे है, आप श्री लक्ष्मी और सरस्वती को देने वाले भण्डार है, अर्थात आप अपनी कृपा से लक्ष्मी और सरस्वती प्रदान करते है,आपका मुख चंद्र पूर्ण खिले हुए उस कमल पुष्प के समान है जिसमे कोई दाग नहीं है अर्थात पूर्ण आभायुक्त खिले हुए पुण्डरीक के जैसा आपका मुखकमल है, आप देवताओ और साधु संतो द्वारा पूजित है, और उपनिषद भी आपके गुणों का वर्णन करते है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मेरे पथप्रदर्शक हो और मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करे | रथारूढो गच्छन्पथि मिलितभूदेवपटलैः स्तुति प्रादुर्भावं प्रतिपदमुपाकर्ण्य सदयः । दयासिन्धुर्बन्धुः सकल जगतां सिन्धुसुतया जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥५॥ अर्थ हे आनंदस्वरूप ! जब आप रथयात्रा के दौरान रथ में विराजमान होकर जनसाधारण के मध्य उपस्थित होते हे तो अनेको ब्राह्मणो,संतो,साधुओ और भक्तो द्वारा आपकी स्तुति वाचन, मंत्रो द्वारा स्तुति सुनकर प्रसन्नचित भगवान् अपने प्रेमियों को बहुत ही प्रेम से निहारते हे,अर्थात अपना प्रेम वर्षण करते है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी लक्ष्मी जी सहित जोकि सागर मंथन से उत्पन्न सागर पुत्री है मेरे पथप्रदर्शक बने और मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करे | परंब्रह्मापीडः कुवलयदलोत्फुल्लनयनो निवासी नीलाद्रौ निहितचरणोऽनन्तशिरसि । रसानन्दो राधासरसवपुरालिङ्गनसुखो जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥६॥ अर्थ जगन्नाथ स्वामी आप ब्रह्मा के शीश के मुकुटमणि है, और आपके नेत्र कुमुदिनी की पूर्ण खिली हुयी पंखुड़ियों के समान आभा युक्त है, आप नीलांचल पर्वत पर रहने वाले है, आपके चरणकमल अनंत देव अर्थात शेषनाग जी के मस्तक पर विराजमान है, आप मधुर प्रेम रस से सराबोर हो रहे है जैसे ही आप श्रीराधा जी को आलिंगन करते है, जैसे कमल किसी सरोवर में आनंद पता है,ऐसे ही श्री जी का हृदय आपके आनंद को बढ़ाने वाला सरोवर है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मेरे पथप्रदर्शक और शुभ दृष्टि प्रदान करने वाले हो | न वै प्रार्थ्यं राज्यं न च कनकमाणिक्यविभवं न याचेऽहं रम्यां निखिलजनकाम्यां वरवधूम् । सदा काले काले प्रमथपतिना गीतचरितो जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥७॥ अर्थ हे मधुसूदन ! मैं न तो राज्य की कामना करता हूँ, ना ही स्वर्ण,आभूषण,कनक माणिक एवं वैभव की कामना कर रहा हूँ, न ही लक्ष्मी जी के समान सुन्दर पत्नी की अभिलाषा से प्रार्थना कर रहा हूँ, मैं तो केवल यही चाहता हूँ की प्रमथ पति (भगवान् शिव) हर काल में जिन के गुण का कीर्तन श्रवण करते है वही जगन्नाथ स्वामी मेरे पथप्रदर्शक बने एवं शुभ दृष्टि प्रदान करने वाले हो | हर त्वं संसारं द्रुततरमसारं सुरपते हर त्वं पापानां विततिमपरां यादवपते । अहो दीनेऽनाथे निहितचरणो निश्चितमिदं जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥८॥ अर्थ हे देवो के स्वामी, आप अपनी संसार की दुस्तर माया जोकि मुझे भौतिक सुख साधनो और स्वार्थ साधनो की आकांक्षा के लिए अपनी ओर घसीट रहे है, अर्थात अपनी ओर लालायित कर रहे है, उनसे मेरी रक्षा कीजिये, हे यदुपति ! आप मुझे मेरे पाप कर्मो के गहरे ओर विशाल सागर से पार कीजिये जिसका कोई किनारा नहीं नज़र आता है, आप दीं दुखियो के एकमात्र सहारा हो, जिस ने अपने आपको आपके चरण कमलो में समर्पित कर दिया हो, जो इस संसार में भटककर गिर पड़ा हो, जिसे इस संसार सागर में कोई ठिकाना न हो, उसे केवल आप ही अपना सकते है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करने वाले हो |
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Lyrics: 1) kadācit kālindī-taṭa-vipina-saṅgītaka-ravo mudābhīrī-nārī-vadana-kamalāsvāda-madhupaḥ ramā-śambhu-brahmāmara-pati-gaṇeśārcita-pado jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me (2) bhuje savye veṇuṁ śirasi śikhi-piccham kaṭi-taṭe dukūlaṁ netrānte sahacara-kaṭākṣaṁ vidadhate sadā śrīmad-vṛndāvana-vasati-līlā-paricayo jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me (3) mahāmbhodhes tīre kanaka-rucire nīla-śikhare vasan prāsādāntaḥ sahaja-balabhadreṇa balinā subhadrā-madhya-sthaḥ sakala-sura-sevāvasara-do jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me (4) kṛpā-pārāvāraḥ sajala-jalada-śreṇi-ruciro ramā-vāṇī-rāmaḥ sphurad-amala-paṅkeruha-mukhaḥ surendrair ārādhyaḥ śruti-gaṇa-śikhā-gīta-carito jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me (5) rathārūḍho gacchan pathi milita-bhūdeva-paṭalaiḥ stuti-prādurbhāvam prati-padam upākarṇya sadayaḥ dayā-sindhur bandhuḥ sakala jagatāṁ sindhu-sutayā jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me (6) para-brahmāpīḍaḥ kuvalaya-dalotphulla-nayano nivāsī nīlādrau nihita-caraṇo ’nanta-śirasi rasānando rādhā-sarasa-vapur-āliṅgana-sukho jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me (7) na vai yāce rājyaṁ na ca kanaka-māṇikya-vibhavaṁ na yāce ’haṁ ramyāṁ sakala jana-kāmyāṁ vara-vadhūm sadā kāle kāle pramatha-patinā gīta-carito jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me (8) hara tvaṁ saṁsāraṁ druta-taram asāraṁ sura-pate hara tvaṁ pāpānāṁ vitatiṁ aparāṁ yādava-pate aho dīne ’nāthe nihita-caraṇo niścitam idaṁ jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me (9) jagannāthāṣṭakaṁ punyaṁ yaḥ paṭhet prayataḥ śuciḥ sarva-pāpa-viśuddhātmā viṣṇu-lokaṁ sa gacchati TRANSLATION 1) Sometimes in great happiness Lord Jagannatha makes a loud concert with His flute in the groves on the banks of the Yamuna. He is like a bumblebee tasting the beautiful lotus like faces of the cowherd damsels of Vraja, and great personalities such as Laksmi, Siva, Brahma, Indra, and Ganesa worship His lotus feet. May that Jagannatha Svami be the object of my vision. 2) In His left hand Lord Jagannatha holds a flute, on His head He wears peacock feathers, and on His hips He wears fine yellow silken cloth. From the corners of His eyes He bestows sidelong glances upon His loving devotees, and He always reveals Himself through His pastimes in His divine abode of Vrndavana. May that Jagannatha Svami be the object of my vision. 3) On the shore of the great ocean, within a large palace atop the brilliant, golden Nilacala Hill, Lord Jagannatha resides with His powerful brother Balabhadra and His sister Subhadra, who sits between Them. May that Jagannatha Svami, who bestows the opportunity for devotional service upon all godly souls, be the object of my vision. 4) Lord Jagannatha is an ocean of mercy and as beautiful as a row of blackish rain clouds. He is the storehouse of bliss for Laksmi and Sarasvati, and His face resembles a spotless full-blown lotus. The best of demigods and sages worship Him, and the Upanisads sing His glories. May that Jagannatha Svami be the object of my vision. 5) When Lord Jagannatha moves along the road on His Rathayatra car, at every step large assemblies of brahmanas loudly chant prayers and sing songs for His pleasure. Hearing their hymns, Lord Jagannatha becomes very favorably disposed toward them. He is the ocean of mercy and the true friend of all the worlds. May that Jagannatha Svami, along with His consort Laksmi, who was born from the ocean of nectar, be the object of my vision. 6) Lord Jagannatha, whose eyes resemble full-blown lotus petals, is the ornament on Lord Brahma’s head. He resides on Nilacala Hill with His lotus feet placed on the heads of Anantadeva. Overwhelmed by the mellows of love, He joyfully embraces Srimati Radharani’s body, which is like a cool pond. May that Jagannatha Svami be the object of my vision. 7) I do not pray for a kingdom nor do I pray for gold, rubies, or wealth. I do not ask for a beautiful wife as desired by all men. I simply pray that Jagannatha Svami, whose glories Lord Siva always sings, may be the constant object of my vision. 8) O Lord of the demigods, please quickly remove this useless material existence I am undergoing. O Lord of the Yadus, please destroy this vast, shoreless ocean of sins. Alas, this is certain Lord Jagannatha bestows His lotus feet upon those who feel themselves fallen and have no shelter in this world but Him. May that Jagannatha Svami be the object of my vision. 9) The self-retrained, virtuous soul who recites these eight verses glorifying Lord Jagannatha becomes cleansed of all sins and duly proceeds to Lord Visnu’s abode. Courtesy: ua-cam.com/video/S5Kju8cBD8g/v-deo.html
💗💗💗 শ্রীশ্রী জগন্নাথ অষ্টকম 💗💗💗 (আদিগুরু শঙ্করাচার্য্য) “কদাচিৎ কালিন্দীতট বিপিন-সঙ্গীত -তরলোমুদাভিরি-নারীবদন কমলাস্বাদ- মধুপরমা-শম্ভু-ব্রহ্মা-মরপতি গনেশার্চিত-পদো জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (১) “যিনি কখনও কখনও লীলাপূর্ণ হয়ে বৃন্দাবনের যমুনাতীরে বাঁশি বাজিয়ে থাকেন, যিনি ভ্রমরের মতো সৌভাগ্যশালী ব্রজগোপীদের কমলবদন উপভোগ করেন, এবং লক্ষ্মী, শিব, ব্রহ্মা, ইন্দ্র ও গণেশাদি মহান দেবদেবীগণ যাঁর চরণকমল বন্দনা করে থাকেন “”- সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“ “ভুজে-সব্যে বেণুং শিরসি শিখিপিচ্ছং কটিতটে দুকূলং নেত্রান্তে সহচর কটাক্ষং বিদধতে সদা শ্রীমদ-বৃন্দাবন বসতি-লীলা পরিচয়ো জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (২) “যিনি তাঁর বামহস্তে বেণু ধারণ করেন, মস্তকে ময়ূর পালক ও সুন্দর রেশমী পীতবস্ত্র পরিধান করেন। যিনি তাঁর সঙ্গীদের উপর চিত্তাকর্ষক দৃষ্টিপাত করতে ভালবাসেন। এবং যিনি বৃন্দাবনে বাস করে বিস্ময়কর লীলা প্রদর্শন করেন - সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“ মহাম্ভোধে-স্থিরে কনকরুচিরে নীলশিখরে বসন প্রাসাদান্তসহজ বলভদ্রেণ বলিনা সুভদ্রা-মধ্যস্থ সকল-সুর-সেবাবসরদো জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।। (৩) “যিনি মহাসাগরের তীরে নীলাচল পর্বতশিখরের স্বর্ণময় প্রাসাদে পরাক্রমশালী ভাই বলরাম ও বোন সুভদ্রাসহ বসবাস করেন এবং যিনি সকল দেবতাদের তাঁকে সেবা করার সুযোগ প্রদান করেন- সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“ “কৃপা-পারাবারঃ সজল-জলদ-শ্রেণীরুচিরো রমাবাণীসৌম স্ফুরদমলপদ্মোদ্ভবমুখৈ সুরেন্দ্রইরারাধ্যঃ শ্রুতিগণশিখাগীতচরিতো জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।”(৪) “যিনি করুণার সাগর, যাঁর দৈহিক রূপ জলভরা মেঘের রঙের মতোই সুন্দর। যিনি লক্ষ্মীদেবী ও সরস্বতীদেবীর সঙ্গে লীলা করেন। যার মুখমন্ডল নিখুঁতভাবে প্রস্ফুটিত পদ্মফুলের ন্যায়। যিনি সকল দেবদেবীও আরাধ্য এবং সমস্ত ধর্মগ্রন্থে যাঁর অসাধারণ মহিমার গুণগান করা হয়েছে - সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“ “রথারুঢ়গচ্ছন পথি মিলিত-ভূদেবপটলৈ স্তুতিপ্রাদুর্ভাবং প্রতিপদ মুপাকর্ণ সদয় দয়াসিন্দুর্বন্ধুঃ সকল-জগতাম সিন্ধুসুতয় জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (৫) “রথযাত্রায় যখন জগন্নাথদেবের রথের চাকা রাস্তা বরাবর চলে, সমাবেশের প্রতি পদক্ষেপেই ব্রাহ্মণগণ তাঁর গুণকীর্তন করেন। যা শোনার পর দয়ারসিন্ধু এবং জগৎবন্ধু শ্রীজগন্নাথদেব তাদের প্রতি প্রসন্ন হন- সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“ “পরব্রহ্মাপীড়ঃ কুবলয়দলোতফুল্লনয়নো নিবাসী নীলাদ্রৌ নিহিতচরণো অনন্তশিরসি রসানন্দী রাধা-সরস বপুরালঙ্গিনসুখো জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (৬)। “যিনি বিশ্বব্রহ্মান্ডের শিরোমণি, যাঁর চোখের পাঁপড়ি সম্পূর্ণরূপে বিস্তৃত নীলপদ্মের মতো, যিনি নীলাচলে বাস করেন, যাঁর চরণযুগল অনন্তশেষের মাথার উপর রয়েছে, যিনি ভক্তিরসের মধ্যে আশ্চর্যজনকভাবে নিমজ্জিত আছেন, যিনি রাসলীলায় রাধারাণীর সঙ্গে দেহ-আলিঙ্গনে সুখ উপভোগ করেন- সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“ “ন ভৈ যাচে রাজ্যং ন চ কনকমাণিক্যবিভবং ন যাচেহং রম্যাং সকলজনকাম্যাং বরবধুং সদা কালেকালে প্রমথপতিনা গীতচরিতো জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।”(৭) “আমি রাজ্যের কামনা করিনা, স্বর্ণ রত্ন এবং ধনসম্পদও চাইনাI এমনকি সকল পুরুষের আকাঙ্খিত সুন্দরী স্ত্রীও কাম্য নয়। আমার একমাত্র প্রার্থনা হল শ্রীজগন্নাথদেব, দেবাদিদেব শিব যাঁর গৌরবমন্ডিত মহিমার সর্বদা গুণগান করেন - সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।” “হর ত্বং সংসারং দ্রুততরমসারং সুরপতে হর ত্বং পাপানাং বিততিমপরাং যাদবপতে অহো দীননাথং নিহিতচরণং নিশ্চিতম-ইদং জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (৮) “হে সমস্ত দেবদেবীর অধীশ্বর! এই নশ্বর জাগতিক অস্তিত্ব থেকে আমাকে উদ্ধার করো। হে যাদবদের অধিপতি! আমাকে আমার সীমাহীন পাপের পথ থেকে বিমুক্ত করো। হে দীননাথ, আপনি পতিত ও আশ্রয়হীনদের আপনার চরণাশ্রয়ের প্রতিশ্রুতি দিয়েছেন। - হে প্রভু জগন্নাথদেব আপনি আমার নয়ন পথের পথিক হোন।" 🙏🙏🙏 জয় জগন্নাথ 🙏🙏🙏
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Jaisree Radhey Krsna 🌹🌿 JAISREE JAGANNATH BALBHADRA SHUBHADRA maharani ki Jai 🌻🌿
Hare Krishna pravu Ji apki charonme koti koti naman pravu 👏👏👏👏👏👏
JAISREE JAGANNATH SWAMI NAYEN PATH GAMI BHAVTU MEIV.... JOY JAGANNATH Balbhadhra Shubhadra ki JAI JAI JAI JAI...
Hey Jaganntho Swami Nayano Pathgami Bhabatu Mey. 🙏🙏🙏
Hare Krishna pravu Ji very nice apki Voice Me soiym jagrnatha ji he asiliye atini sweet he pravu 💕💕💕💕🌹🌹🌹🌹🌹
Harekrishna
कदाचित् कालिन्दी_तटविपिन_सङ्गीतकरवो
मुदाभीरीनारी_वदनकमलास्वादमधुपः ।
रमाशम्भुब्रह्मा मरपतिगणेशार्चितपदो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥१॥
अर्थ
हे प्रभु ! आप कदाचित जब अति आनंदित होते है,तब कालिंदी तट के निकुंजों में मधुर वेणु नाद द्वारा सभी का मन अपनी ओर आकर्षित करने लगते हो, वह सब गोपबाल ओर गोपिकाये ऐसे आपकी ओर मोहित हो जाते है जैसे भंवरा कमल पुष्प के मकरंद पर मोहित रहता है, आपके चरण कमलो को जोकि लक्ष्मी जी, ब्रह्मा,शिव,गणपति ओर देवराज इंद्र द्वारा भी सेवित है ऐसे जगन्नाथ महाप्रभु मेरे पथप्रदर्शक हो,मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करे |
भुजे सव्ये वेणुं शिरसि शिखिपिच्छं कटितटे
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सदा श्रीमद्वृन्दावनवसतिलीलापरिचयो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥२॥
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आपके बाए हस्त में बांसुरी है और शीश पर मयूर पिच्छ तथा कमर में पीत वस्त्र बंधा हुआ है, आप अपने कटाक्ष नेत्रों से तिरछी निगाहो से अपने प्रेमी भक्तो को निहार कर आनंद प्रदान कर रहे है, और अपनी लीलाओ का जो की वृन्दावन में आपने की उनका स्मरण करवा रहे है और स्वयं भी लीलाओ का आनंद ले रहे है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मेरे पथप्रदर्शक बनकर मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करे |
महाम्भोधेस्तीरे कनकरुचिरे नील शिखरे
वसनप्रासादान्तः सहजबलभद्रेण बलिना ।
सुभद्रामध्यस्थः सकल सुरसेवावसरदो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥३॥
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हे मधुसूदन ! विशाल सागर के किनारे, सूंदर नीलांचल पर्वत के शिखरों से घिरे अति रमणीय स्वर्णिम आभा वाले श्री पूरी धाम में आप अपने बलशाली भ्राता बलभद्र जी और आप दोनों के मध्य बहन सुभद्रा जी के साथ विध्यमान होकर सभी दिव्य आत्माओ, भक्तो और संतो को अपनी कृपा दृष्टि का रसपान करवा रहे है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मेरे पथपर्दशक हो और मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करे |
कृपापारावारो सजलजलदोश्रेणिरुचिरो
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सुरेन्द्रैराराध्यः श्रुतिगणशिखागीतचरितो
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अर्थ
जगन्नाथ स्वामी दया और कृपा के अथाह सागर है, उनका रूप ऐसा है जैसे जलयुक्त काले बादलो की गहन श्रंखला हो, अर्थात अपनी कृपा की वृष्टि करने वाले मेघो के जैसे है, आप श्री लक्ष्मी और सरस्वती को देने वाले भण्डार है, अर्थात आप अपनी कृपा से लक्ष्मी और सरस्वती प्रदान करते है,आपका मुख चंद्र पूर्ण खिले हुए उस कमल पुष्प के समान है जिसमे कोई दाग नहीं है अर्थात पूर्ण आभायुक्त खिले हुए पुण्डरीक के जैसा आपका मुखकमल है, आप देवताओ और साधु संतो द्वारा पूजित है, और उपनिषद भी आपके गुणों का वर्णन करते है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मेरे पथप्रदर्शक हो और मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करे |
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परंब्रह्मापीडः कुवलयदलोत्फुल्लनयनो
निवासी नीलाद्रौ निहितचरणोऽनन्तशिरसि ।
रसानन्दो राधासरसवपुरालिङ्गनसुखो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥६॥
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जगन्नाथ स्वामी आप ब्रह्मा के शीश के मुकुटमणि है, और आपके नेत्र कुमुदिनी की पूर्ण खिली हुयी पंखुड़ियों के समान आभा युक्त है, आप नीलांचल पर्वत पर रहने वाले है, आपके चरणकमल अनंत देव अर्थात शेषनाग जी के मस्तक पर विराजमान है, आप मधुर प्रेम रस से सराबोर हो रहे है जैसे ही आप श्रीराधा जी को आलिंगन करते है, जैसे कमल किसी सरोवर में आनंद पता है,ऐसे ही श्री जी का हृदय आपके आनंद को बढ़ाने वाला सरोवर है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मेरे पथप्रदर्शक और शुभ दृष्टि प्रदान करने वाले हो |
न वै प्रार्थ्यं राज्यं न च कनकमाणिक्यविभवं
न याचेऽहं रम्यां निखिलजनकाम्यां वरवधूम् ।
सदा काले काले प्रमथपतिना गीतचरितो
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥७॥
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हर त्वं संसारं द्रुततरमसारं सुरपते
हर त्वं पापानां विततिमपरां यादवपते ।
अहो दीनेऽनाथे निहितचरणो निश्चितमिदं
जगन्नाथः स्वामी नयनपथगामी भवतु मे ॥८॥
अर्थ
हे देवो के स्वामी, आप अपनी संसार की दुस्तर माया जोकि मुझे भौतिक सुख साधनो और स्वार्थ साधनो की आकांक्षा के लिए अपनी ओर घसीट रहे है, अर्थात अपनी ओर लालायित कर रहे है, उनसे मेरी रक्षा कीजिये, हे यदुपति ! आप मुझे मेरे पाप कर्मो के गहरे ओर विशाल सागर से पार कीजिये जिसका कोई किनारा नहीं नज़र आता है, आप दीं दुखियो के एकमात्र सहारा हो, जिस ने अपने आपको आपके चरण कमलो में समर्पित कर दिया हो, जो इस संसार में भटककर गिर पड़ा हो, जिसे इस संसार सागर में कोई ठिकाना न हो, उसे केवल आप ही अपना सकते है, ऐसे जगन्नाथ स्वामी मुझे शुभ दृष्टि प्रदान करने वाले हो |
@@AMITMISHRA-up6eo thank you prabhu ji
Jai shri jagganaath Hari bolo Hari bolo Hari Hari bolo
Jai Shree Jagannath Swami 👏🌹👏🌹👏🌹👏🌹👏🌹👏
🙏 SitaRam 🙏 SitaRam 🙏 SitaRam 🙏
The great of Jagannath athaka very good tradition music completed tune is touching to soul and superior quality singing by prabhuji maharaj.
Hare Krishna
Jai shri Krishna Jai shri jagganaath Hari bolo Hari bolo Hari Hari bolo
Jai Shree Krishna
Hare Krishna prabhuji
It's great Jagannath asthkam your music composition nice and video suits very well and showing what's bhaki path,
Hare Krishna
Jai Jagannath
Hare krishna.There is some divine magic in Swaroop prabhujis voice.All his bhajans take u to another world....!Jay Jagannath.
Hare Krishna prabhuji
This is great. Jagannath astkam is very very great and touching to Easley soule wonderful music composition and wonderful film photography composition ,
Hare Krishna.
Hare Krishna Prabhuji
Ur all Bhajans take us to another world..... I feel so relaxed after hearing Hari bhajans 😊
Hare krshn, joy gannath
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare 🙏🙏🙏🙏🙏
Hare Krishna dandavat pranma pravu 🙇🙇🙇🙇🙇🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Jagannath Swami Mahaprabhu 🙏🏻🙏🏻🌸🌸💚💚❤️❤️☮️☮️💐💐🕉🕉
JAISREE RADHEY KRSNA JAI JAGANNATH BALBHADHRA aur SHUBHADRA MAHARANI ki JAI JAI JAI JAI...
Tears in eyes and Jagannath swami Infront....love Puri .
Jay jagganath baladev subhadra mayi ki 🙌
🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🕉️🕉️🕉️🕉️ most beautiful Krishna bhajan Jay Jagannath Jay Jagannath Jay Jagannath 🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷
Jay jagrnatha swami ki Jay Ho 👏👏👏👏🌹🌹🌹🌹
জয় জগতনাথ
Hare Krishna 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Hare krishna Goswami maharaje and prabhuje,
You are great your Jagannath asthkam very very nice composed, nice photo suits ,nice video composed, nice event suits very great this Jagannath asthkam this time,
Hare krishna Jai Jagannath Jai prabhupad
जय जगन्नाथ 😥😥🙏
Aaj pahli baar dhyan se video dekha
Jai shri Krishna BalRam Jai dubhadra didi koti shat naman pratah vandan swikaar karain
Aapki kirpa k Bina kaun is bhv sager se paar ho sakta hai dost
Lyrics:
1)
kadācit kālindī-taṭa-vipina-saṅgītaka-ravo
mudābhīrī-nārī-vadana-kamalāsvāda-madhupaḥ
ramā-śambhu-brahmāmara-pati-gaṇeśārcita-pado
jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me
(2)
bhuje savye veṇuṁ śirasi śikhi-piccham kaṭi-taṭe
dukūlaṁ netrānte sahacara-kaṭākṣaṁ vidadhate
sadā śrīmad-vṛndāvana-vasati-līlā-paricayo
jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me
(3)
mahāmbhodhes tīre kanaka-rucire nīla-śikhare
vasan prāsādāntaḥ sahaja-balabhadreṇa balinā
subhadrā-madhya-sthaḥ sakala-sura-sevāvasara-do
jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me
(4)
kṛpā-pārāvāraḥ sajala-jalada-śreṇi-ruciro
ramā-vāṇī-rāmaḥ sphurad-amala-paṅkeruha-mukhaḥ
surendrair ārādhyaḥ śruti-gaṇa-śikhā-gīta-carito
jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me
(5)
rathārūḍho gacchan pathi milita-bhūdeva-paṭalaiḥ
stuti-prādurbhāvam prati-padam upākarṇya sadayaḥ
dayā-sindhur bandhuḥ sakala jagatāṁ sindhu-sutayā
jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me
(6)
para-brahmāpīḍaḥ kuvalaya-dalotphulla-nayano
nivāsī nīlādrau nihita-caraṇo ’nanta-śirasi
rasānando rādhā-sarasa-vapur-āliṅgana-sukho
jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me
(7)
na vai yāce rājyaṁ na ca kanaka-māṇikya-vibhavaṁ
na yāce ’haṁ ramyāṁ sakala jana-kāmyāṁ vara-vadhūm
sadā kāle kāle pramatha-patinā gīta-carito
jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me
(8)
hara tvaṁ saṁsāraṁ druta-taram asāraṁ sura-pate
hara tvaṁ pāpānāṁ vitatiṁ aparāṁ yādava-pate
aho dīne ’nāthe nihita-caraṇo niścitam idaṁ
jagannāthaḥ svāmī nayana-patha-gāmī bhavatu me
(9)
jagannāthāṣṭakaṁ punyaṁ yaḥ paṭhet prayataḥ śuciḥ
sarva-pāpa-viśuddhātmā viṣṇu-lokaṁ sa gacchati
TRANSLATION
1) Sometimes in great happiness Lord Jagannatha makes a loud concert with His flute in the groves on the banks of the Yamuna. He is like a bumblebee tasting the beautiful lotus like faces of the cowherd damsels of Vraja, and great personalities such as Laksmi, Siva, Brahma, Indra, and Ganesa worship His lotus feet. May that Jagannatha Svami be the object of my vision.
2) In His left hand Lord Jagannatha holds a flute, on His head He wears peacock feathers, and on His hips He wears fine yellow silken cloth. From the corners of His eyes He bestows sidelong glances upon His loving devotees, and He always reveals Himself through His pastimes in His divine abode of Vrndavana. May that Jagannatha Svami be the object of my vision.
3) On the shore of the great ocean, within a large palace atop the brilliant, golden Nilacala Hill, Lord Jagannatha resides with His powerful brother Balabhadra and His sister Subhadra, who sits between Them. May that Jagannatha Svami, who bestows the opportunity for devotional service upon all godly souls, be the object of my vision.
4) Lord Jagannatha is an ocean of mercy and as beautiful as a row of blackish rain clouds. He is the storehouse of bliss for Laksmi and Sarasvati, and His face resembles a spotless full-blown lotus. The best of demigods and sages worship Him, and the Upanisads sing His glories. May that Jagannatha Svami be the object of my vision.
5) When Lord Jagannatha moves along the road on His Rathayatra car, at every step large assemblies of brahmanas loudly chant prayers and sing songs for His pleasure. Hearing their hymns, Lord Jagannatha becomes very favorably disposed toward them. He is the ocean of mercy and the true friend of all the worlds. May that Jagannatha Svami, along with His consort Laksmi, who was born from the ocean of nectar, be the object of my vision.
6) Lord Jagannatha, whose eyes resemble full-blown lotus petals, is the ornament on Lord Brahma’s head. He resides on Nilacala Hill with His lotus feet placed on the heads of Anantadeva. Overwhelmed by the mellows of love, He joyfully embraces Srimati Radharani’s body, which is like a cool pond. May that Jagannatha Svami be the object of my vision.
7) I do not pray for a kingdom nor do I pray for gold, rubies, or wealth. I do not ask for a beautiful wife as desired by all men. I simply pray that Jagannatha Svami, whose glories Lord Siva always sings, may be the constant object of my vision.
8) O Lord of the demigods, please quickly remove this useless material existence I am undergoing. O Lord of the Yadus, please destroy this vast, shoreless ocean of sins. Alas, this is certain Lord Jagannatha bestows His lotus feet upon those who feel themselves fallen and have no shelter in this world but Him. May that Jagannatha Svami be the object of my vision.
9) The self-retrained, virtuous soul who recites these eight verses glorifying Lord Jagannatha becomes cleansed of all sins and duly proceeds to Lord Visnu’s abode.
Courtesy: ua-cam.com/video/S5Kju8cBD8g/v-deo.html
So devotional and melodious voice singing Lord for the grace to bestow upon us. 🙏
Thank you for the lyrics🙏
The 1st time I heard him sing,he touched my heart since then.
Hare Krishna🙏 This is so amazing 😊
Jai shri jagganaath
Heart touching and will take u to a different world
So devotional and melodious voice that God will bestow grace on us through the prayer of you 🙏🙏
Qr
Jay tapo bhoomi Bharat namostubhayam jay ho
Hare Krishna pronam
❤ I love jai jagannath
Hare Krishna 🙏🙏💐💐
Jagannatha ya Namaha
Jai Jegannath
Hariiiii boll......
Joi joganath
Jai jai jaganathhhhh
Jai Jai Jagannath Swamy
Namstubhayam
Jay ho
Heart touching song.. Jay jagannatha swami 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🕉️🕉️🕉️🌷🌷🌷🌷🌷 Jay Shri Krishna Govind radhey shyam radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey radhey 🙏🌷🌷🙏🙏🙏
Jay jagannath Maha Prabhu
Hore krishna
Hare Krishna
Jai Jagannath.
Jai jagannath Swamy 🙏
Jay jagannath 🙏🙏🙏
Namstubhayam jaya
Jai jagannath ki jai 🙏🏽🙏🏽
Jai jagannath 🙏
Jaya jagannath swami nayan patha gami bhava tume
This Is nice and the singer also singing very sweet ❤
🔥🔥🔥
Hare Krishna Jai Jagannath 🙏🌺🌷🌹💮🌼🌻💮🍂🍂🍁🌾🌱🍀☘️🌿🌱
Jay tapo bhoomi
Hare krishna 🙏
adbhud sunder
With the nectar-tonic of Hari's names he has revived, the sleeping souls of the turbid kali age.
🙏
JAISREE JAGANNATH BALBHADRA SHUBHADRA MAHARANI ki JAI JAI JAI... HARE KRSNA...💐🌿🌹🌿
PRANAM Prabhuji 🌹🌿💐🌿🌷🌿🌼🌿🏵️🌿🥀🌿🌷🌿
JAY JAGANNATH SWAMI🙏
Super song pura chakha
Jay Shree JAGANNATH Swamy.
Hare Krishna great lader of going to gulook
Jay ho Bharat bhakti m raho
🙏🙏🙏🙏
You are a so nice singer .
God bless you .
Jai jagannath
JAY JAGANNATH❤🙏❤
JAY SHREE JAGANNATH❤🙏❤😭❤🙏❤
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jagannadhaswamy nayanapadhagamy
adbhud hai
Aaj take (5) barash ho gaye sunana nahee bhoolenge
Excellent and soothing voice
Wao beautiful sjringar
Jai Jagannath😍
🎉❤❤❤🥵🙏🙏🙏🌷🌹
shiv charno Mai anupayni bhakti dijiye
Jay jagannath
Beautiful
Dost mujhe bhi Apne Darshan k liye bulaiye
Bhakti main raho an shabhi jan
💗💗💗 শ্রীশ্রী জগন্নাথ অষ্টকম 💗💗💗
(আদিগুরু শঙ্করাচার্য্য)
“কদাচিৎ কালিন্দীতট বিপিন-সঙ্গীত
-তরলোমুদাভিরি-নারীবদন কমলাস্বাদ-
মধুপরমা-শম্ভু-ব্রহ্মা-মরপতি গনেশার্চিত-পদো
জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (১)
“যিনি কখনও কখনও লীলাপূর্ণ হয়ে বৃন্দাবনের যমুনাতীরে বাঁশি বাজিয়ে থাকেন, যিনি ভ্রমরের মতো সৌভাগ্যশালী ব্রজগোপীদের কমলবদন উপভোগ করেন, এবং লক্ষ্মী, শিব, ব্রহ্মা, ইন্দ্র ও গণেশাদি মহান দেবদেবীগণ যাঁর চরণকমল বন্দনা করে থাকেন “”- সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“
“ভুজে-সব্যে বেণুং শিরসি শিখিপিচ্ছং কটিতটে
দুকূলং নেত্রান্তে সহচর কটাক্ষং বিদধতে
সদা শ্রীমদ-বৃন্দাবন বসতি-লীলা পরিচয়ো
জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (২)
“যিনি তাঁর বামহস্তে বেণু ধারণ করেন, মস্তকে ময়ূর পালক ও সুন্দর রেশমী পীতবস্ত্র পরিধান করেন। যিনি তাঁর সঙ্গীদের উপর চিত্তাকর্ষক দৃষ্টিপাত করতে ভালবাসেন। এবং যিনি বৃন্দাবনে বাস করে বিস্ময়কর লীলা প্রদর্শন করেন - সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“
মহাম্ভোধে-স্থিরে কনকরুচিরে নীলশিখরে
বসন প্রাসাদান্তসহজ বলভদ্রেণ বলিনা
সুভদ্রা-মধ্যস্থ সকল-সুর-সেবাবসরদো
জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।। (৩)
“যিনি মহাসাগরের তীরে নীলাচল পর্বতশিখরের স্বর্ণময় প্রাসাদে পরাক্রমশালী ভাই বলরাম ও বোন সুভদ্রাসহ বসবাস করেন এবং যিনি সকল দেবতাদের তাঁকে সেবা করার সুযোগ প্রদান করেন- সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“
“কৃপা-পারাবারঃ সজল-জলদ-শ্রেণীরুচিরো
রমাবাণীসৌম স্ফুরদমলপদ্মোদ্ভবমুখৈ
সুরেন্দ্রইরারাধ্যঃ শ্রুতিগণশিখাগীতচরিতো
জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।”(৪)
“যিনি করুণার সাগর, যাঁর দৈহিক রূপ জলভরা মেঘের রঙের মতোই সুন্দর। যিনি লক্ষ্মীদেবী ও সরস্বতীদেবীর সঙ্গে লীলা করেন। যার মুখমন্ডল নিখুঁতভাবে প্রস্ফুটিত পদ্মফুলের ন্যায়। যিনি সকল দেবদেবীও আরাধ্য এবং সমস্ত ধর্মগ্রন্থে যাঁর অসাধারণ মহিমার গুণগান করা হয়েছে - সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“
“রথারুঢ়গচ্ছন পথি মিলিত-ভূদেবপটলৈ
স্তুতিপ্রাদুর্ভাবং প্রতিপদ মুপাকর্ণ সদয়
দয়াসিন্দুর্বন্ধুঃ সকল-জগতাম সিন্ধুসুতয়
জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (৫)
“রথযাত্রায় যখন জগন্নাথদেবের রথের চাকা রাস্তা বরাবর চলে, সমাবেশের প্রতি পদক্ষেপেই ব্রাহ্মণগণ তাঁর গুণকীর্তন করেন। যা শোনার পর দয়ারসিন্ধু এবং জগৎবন্ধু শ্রীজগন্নাথদেব তাদের প্রতি প্রসন্ন হন- সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“
“পরব্রহ্মাপীড়ঃ কুবলয়দলোতফুল্লনয়নো
নিবাসী নীলাদ্রৌ নিহিতচরণো অনন্তশিরসি
রসানন্দী রাধা-সরস বপুরালঙ্গিনসুখো
জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (৬)।
“যিনি বিশ্বব্রহ্মান্ডের শিরোমণি, যাঁর চোখের পাঁপড়ি সম্পূর্ণরূপে বিস্তৃত নীলপদ্মের মতো, যিনি নীলাচলে বাস করেন, যাঁর চরণযুগল অনন্তশেষের মাথার উপর রয়েছে, যিনি ভক্তিরসের মধ্যে আশ্চর্যজনকভাবে নিমজ্জিত আছেন, যিনি রাসলীলায় রাধারাণীর সঙ্গে দেহ-আলিঙ্গনে সুখ উপভোগ করেন- সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।“
“ন ভৈ যাচে রাজ্যং ন চ কনকমাণিক্যবিভবং
ন যাচেহং রম্যাং সকলজনকাম্যাং বরবধুং
সদা কালেকালে প্রমথপতিনা গীতচরিতো
জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।”(৭)
“আমি রাজ্যের কামনা করিনা, স্বর্ণ রত্ন এবং ধনসম্পদও চাইনাI এমনকি সকল পুরুষের আকাঙ্খিত সুন্দরী স্ত্রীও কাম্য নয়। আমার একমাত্র প্রার্থনা হল শ্রীজগন্নাথদেব, দেবাদিদেব শিব যাঁর গৌরবমন্ডিত মহিমার সর্বদা গুণগান করেন - সেই প্রভু জগন্নাথদেব আমার নয়ন পথের পথিক হোন।”
“হর ত্বং সংসারং দ্রুততরমসারং সুরপতে
হর ত্বং পাপানাং বিততিমপরাং যাদবপতে
অহো দীননাথং নিহিতচরণং নিশ্চিতম-ইদং
জগন্নাথঃ স্বামী নয়নপথগামী ভবতু মে।।” (৮)
“হে সমস্ত দেবদেবীর অধীশ্বর! এই নশ্বর জাগতিক অস্তিত্ব থেকে আমাকে উদ্ধার করো। হে যাদবদের অধিপতি! আমাকে আমার সীমাহীন পাপের পথ থেকে বিমুক্ত করো। হে দীননাথ, আপনি পতিত ও আশ্রয়হীনদের আপনার চরণাশ্রয়ের প্রতিশ্রুতি দিয়েছেন। - হে প্রভু জগন্নাথদেব আপনি আমার নয়ন পথের পথিক হোন।"
🙏🙏🙏 জয় জগন্নাথ 🙏🙏🙏
It’s better to have lyrics along this song 🙏 with
kb aapk pyaar Mai main bhi vyakul hougi
Jai shri jagganaath Hari bolo Hari bolo Hari Hari bolo
Hare krishna 🙏🙏