उत्तराखंड में जीतू बगडवाल नृत्य , चमोली , गाडी

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  • Опубліковано 27 сер 2024
  • पहाड़ों में बगडवाल नृत्य उत्तराखंड गांव (गाडी ) की सांस्कृतिक परंपरा का विशेष महत्व है। यहां पर समय-समय पर पांडव नृत्य आदि का आयोजन होता रहता हैपौराणिक मान्यताओं के अनुसार गढ़वाल रियासत की गमरी पट्टी के बगोड़ी गांव पर जीतू का आधिपत्य था। अपनी तांबे की खानों के साथ उसका कारोबार तिब्बत तक फैला हुआ था। एक बार जीतू अपनी बहिन सोबनी को लेने उसके ससुराल रैथल पहुंचता है। हालांकि जीतू मन ही मन अपनी प्रेयसी भरणा से मिलना चाहता था। कहा जाता है कि भरणा अलौकिक सौंदर्य की मालकिन थी। भरणा सोबनी की ननद थी।
    जीतू और भरणा के बीच एक अटूट प्रेम संबंध था या यूं कहें कि दोनों एक दूसरे के लिए ही बने थे। जीतू बांसुरी भी बहुत सुंदर बजाता थे किवदंती है कि जब धान की रोपाई के लिए जीतू बगड्वाल अपनी साली सोबनी को बुलाने जा रहा था तो उसकी मां उसे बताती है कि नीचे के रास्ते में जाते वक्त बांसुरी मत बजाना,
    लेकिन इसके बावजूद जीतू ने बांसुरी बजानी शुरू की तो, वहां वन देवियां प्रकट हो गई। वे जीतू को मूर्छित करने लगी तो उसने उन्हें 9 गते अषाड़ को अपनी रोपाई के दिन आने का न्योता दिया।इसी दिन खेतों में रोपाई कर रहे जीतू को बैलों की जोड़ी सहित वन देवी अपने साथ ले जाती हैं,

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