आपका शरीर बदलता रहा शीशु हुआ किशोर हुआ युवा हुआ प्रौढ़ हुआ वृद्ध हुआ क्या आपमें कोई बदलाव आया सोच में बदलाव समझ में बदलाव नैसर्गिक गुण में बदलाव ? कोई बदलाव नहीं हुआ। आपने अपने शरीर शरीर की इंद्रियां अंतःकरण से तादात्म्य बना लिया है इसलिए अपना स्वरुप शरीर इंद्रियां अंतःकरण समझते हैं शरीर में इंद्रियां में अंतःकरण में परिवर्तन को स्वयं का परिवर्तन समझ रहे हैं जबकि आप कभी भी नहीं बदलने वाला अजर-अमर अविनाशी निराकार निर्विकार निर्गुण सत् चित् आनंद आत्मा हैं और शरीर इंद्रियां अंतःकरण विनाशी है। शरीर नाशवान है तो आप स्वयं को नाशवान समझते हैं। अज्ञान रहने तक चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करने वाला आप जीवात्मा हैं अज्ञान दूर होने पर आप आत्मा हैं।
प्रणाम सद्गुरु जी ⚘️⚘️⚘️🙏🙏🙏
प्रणाम श्रीगुरुदेव!🙏🏻
सादर चरणवन्दन प्रभूजी❤️❤️🙏🙏🌹🌹
Sadguru dev Ji ke charno me koti koti koti naman parnaam 🌹🌹🌹🌹🌹
guru charno me anant koti pranam ❤❤❤❤❤
Prem pranam gurudev ❤❤❤❤❤you hamesha
PRANAM SWAMI JI ❤❤❤
KOTI KOTI NAMAN JI
PREM PRANAM
🙏❤️निशब्द नमन स्वामी जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम वंदन अभिनंदन करता हूँ आपका आशीर्वाद सदैव ऐसे ही प्राप्त होता रहें ❤️🙏
प्रणाम गुरुदेव 🙏
Hari om 🙏🙏🙏🙏🙏
Prem.pranam.swamiji
Jai gurudev 🙏 ❤
आपका शरीर बदलता रहा शीशु हुआ किशोर हुआ युवा हुआ प्रौढ़ हुआ वृद्ध हुआ क्या आपमें कोई बदलाव आया सोच में बदलाव समझ में बदलाव नैसर्गिक गुण में बदलाव ? कोई बदलाव नहीं हुआ। आपने अपने शरीर शरीर की इंद्रियां अंतःकरण से तादात्म्य बना लिया है इसलिए अपना स्वरुप शरीर इंद्रियां अंतःकरण समझते हैं शरीर में इंद्रियां में अंतःकरण में परिवर्तन को स्वयं का परिवर्तन समझ रहे हैं जबकि आप कभी भी नहीं बदलने वाला अजर-अमर अविनाशी निराकार निर्विकार निर्गुण सत् चित् आनंद आत्मा हैं और शरीर इंद्रियां अंतःकरण विनाशी है। शरीर नाशवान है तो आप स्वयं को नाशवान समझते हैं। अज्ञान रहने तक चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करने वाला आप जीवात्मा हैं अज्ञान दूर होने पर आप आत्मा हैं।
कलका व्हिडीओ नही मिला। कृपया भेजिये।