ऐसे ही अपने को सनातनी मत समझो इसमें ऐसा कुछ है के हम वहां तक सोच भी नही सकते।इसे प्रेक्टीकल रूप में जानने की चेष्टा करो।मिहनत तो होगी पर अंतर की आंख खुलने से तुम्हारा नजरिया ही बदल जाएगा।
यह शाश्वत ब्रह्म ज्ञान है जिसे हरेक साधक अपने शरीर मे से जागृत कर सकता है।नाद बिंदु से नाद सुनना, प्रकाश प्रस्फुटित होना,अमृत बिंदु से अमृत झरना,और नाम का गुंजायमान होना।परमानन्द की वोह स्थिति है जिसे शब्दो मे वर्णित करना असंभ्व है।और यही 4 पदार्थों पर ही हिंदु के 4 वेद रचित है।वैसे इन वेदों को हिंदू का कहना भी उचित नही है।क्योंकि यह शाश्वत सर्वोच्च ब्रह्मज्ञान है जो शब्दों में ब्रह्मगुप्त है।इन चार पदार्थों का ज्ञानी ही सनातनी कहलवा सकता है।और ईश्वर की किर्पया से सिख परिवार में जन्म लेकर भी ईश्चर ने मेरे जैसे तुच्छ जीव को इनका ज्ञान करवा कर निवाजा है।सनातन को जानो और सनातनी बनो।हिंदू भाईचारे में भी सिर्फ एक परसेन्ट का एक चौथाई लोग ही इस सनातन ज्ञान को जानते है।और वही सनातनी कहलाने योगय है।और यह भी सत्य है के ऐसा शाश्वत ज्ञान विश्व मे कहीं भी किसी भी और सभ्यता के पास नही है।और हमारे पास होते हुए भी हम इसे तवज्जो नही दे रहे जो बदकिस्मती ही कही जाएगी।और यही सनातन ज्ञान विश्व शांति ला सकता है।
Bam bam Mahadev
भक्ति से सब प्राप्त हो भक्ति सभी योगों की और सुखों की खान है भक्ति से सब कुछ प्राप्त होता परमेश्वर का साक्षात्कार भी हो जाता है
Very useful shashtra knowledge
Koti Koti Dhanyawad gyani g
Har Har Har Mahadav
Bahut achha , thank you aur daliye Shiv Samhita , Thank you aapko , aapka kalyan ho
तुलसी पूजन दिवस की हार्दिक बधाई ।।🙏🙏🚩🚩
Jay Shree Krishna. 🙏🙏🙏
Aum namaha shivaya ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Hamare grantho me kitna gyan bhara pada hai. Kabhi khojne ka try hi nahi kiya 😊 Love hearing to shiv samhita ❤
🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🕉🕉🕉🕉🕉👏👏 Om Namah Shivay Har Har Mahadev
ऐसे ही अपने को सनातनी मत समझो इसमें ऐसा कुछ है के हम वहां तक सोच भी नही सकते।इसे प्रेक्टीकल रूप में जानने की चेष्टा करो।मिहनत तो होगी पर अंतर की आंख खुलने से तुम्हारा नजरिया ही बदल जाएगा।
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यह शाश्वत ब्रह्म ज्ञान है जिसे हरेक साधक अपने शरीर मे से जागृत कर सकता है।नाद बिंदु से नाद सुनना, प्रकाश प्रस्फुटित होना,अमृत बिंदु से अमृत झरना,और नाम का गुंजायमान होना।परमानन्द की वोह स्थिति है जिसे शब्दो मे वर्णित करना असंभ्व है।और यही 4 पदार्थों पर ही हिंदु के 4 वेद रचित है।वैसे इन वेदों को हिंदू का कहना भी उचित नही है।क्योंकि यह शाश्वत सर्वोच्च ब्रह्मज्ञान है जो शब्दों में ब्रह्मगुप्त है।इन चार पदार्थों का ज्ञानी ही सनातनी कहलवा सकता है।और ईश्वर की किर्पया से सिख परिवार में जन्म लेकर भी ईश्चर ने मेरे जैसे तुच्छ जीव को इनका ज्ञान करवा कर निवाजा है।सनातन को जानो और सनातनी बनो।हिंदू भाईचारे में भी सिर्फ एक परसेन्ट का एक चौथाई लोग ही इस सनातन ज्ञान को जानते है।और वही सनातनी कहलाने योगय है।और यह भी सत्य है के ऐसा शाश्वत ज्ञान विश्व मे कहीं भी किसी भी और सभ्यता के पास नही है।और हमारे पास होते हुए भी हम इसे तवज्जो नही दे रहे जो बदकिस्मती ही कही जाएगी।और यही सनातन ज्ञान विश्व शांति ला सकता है।
Great job 👍❤
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Shareer me sthit chakron ko kaise jagrat karen...... 👌👌👌