कबीर जी का प्रकट दिवस क्यों मनाया जाता है? | Real Life Stories of Kabir |Sant Rampal Ji LIVE Satsang
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- Опубліковано 28 вер 2024
- कबीर जी का प्रकट दिवस क्यों मनाया जाता है? | Real Life Stories of Kabir |Sant Rampal Ji LIVE Satsang
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Saint Rampal ji is the true social reformer
Kabir saheb ki Jay ho
Sat saheb ki jya ho
Sat sahib ji aisa gyan visab mai kisi ke pass nahi hai jai ho bandi chhore santguru rampal ji maharajiki
🙏Sat sahib ji 🙏 Bandi chhode satguru Rampal Ji bhagwan ji ki jai ho 🙏🙏
Bandhi chhod sat guru rampal ji maharaj ki JAY ho 🙇🏻♂️❤🌸🙏
Bandi Chhod sat guru rampal je mahraj ke jai 🙏🌺🌹💐🌷🌷🥀🥀🌻🌼🌼🌺🌹💐🌷😭😭😭😭😭😭🥀🌻🌼🌼🌼🌼🌺💐💐🌷🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Pure amrit gyan h ji
Outstanding suprb satsang moksh ki dhara koi samjhe ram ka pyara satsang
माला का आपका साथ मै रहना दया करना मलिक सत साहेब बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय हो भगवान जी की जय हो❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Bandhi chhod tatvadarshi sant rampal maharaj ji ke charnon main koti koti parnam🙏🙏🙏
बंदी छोड़ कबीर परमेश्वर जी महाराज जी की जय हो 🙏🙏🙏🙏
Satguru Dev Ji ki Jay Ho
कबीर, मन मनोरथ छोड़ दे, तेरा किया न होय।
पानी में से घी निकले, रूखा खाई न कोय।।
Purn Guru Sant Shiromani Jagatguru Tavtdarshi Sant Rampal Ji Bhagavan Ji Ki Jay Ho 🙏🙏
सत साहेब जय बंदी छोड की कृपा से जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग में अनमोल ज्ञान है
अद्भूत ज्ञान
जगत् गुरु तत्वदरशी संत रामपाल जी महाराज ही विश्व में एक मात्र सच्चे संत हैं
❤ sat sahib ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙇 Kabir is God 🙏🙏🙏
सत साहेब जी ❤❤❤❤
Great ghaan h, jo world me kisi k pass nhi h, jai ho bandi chhod satguru dev ji ki 🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏🙏👍😃🌍🌎
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Sant rampal ji maharaj ji ki jai ho
सत्संग की आधी घड़ी, तप के वर्ष हजार
तो भी बराबर है नहीं, कहे कबीर विचार।
प्रमाण सहित सत्संग संत रामपाल जी महाराज द्वारा किया गया ।
सुनो सत भक्ति को जानो और अपना जीवन को सुखी बनाओ
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय
Bandi chhod satguru Dev Ji ke charanon mein koti koti download pranam
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇳🇵🇳🇵🇳🇵 मलिक ने हम लोगों पर बहुत दया किए हैं
सभी शास्त्रों के अनुसार ज्ञान बताते हैं संत रामपाल
Supreme God is kabir
🙏🌹🏳️param Sant Rampal Ji Maharaj ji ke pawan Charano 🐾 me Koti koti dadotam Parnam 🙇🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Sat saheb
Kabir is good
अनमोल_ज्ञान 🙏🙏
कबीर परमात्मा के दर्शन गरुड़ जी को हुए थे, कबीर सागर में 11वां अध्याय ‘‘गरूड़ बोध‘‘ पृष्ठ 65 (625) पर प्रमाण है कि परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी को बताया कि मैंने विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई।
परमेश्वर कबीर जी ने गरुड़ जी को भी सत्य ज्ञान का उपदेश देकर शरण में लिया था।
🍂गुरु से लगन कठिन है भाई!!🤍🙏
Anmol vachan ❤❤
❤😂 sat shaheb ji jey bandhi chodki satguru Bhagwan ki Jay
Anmol gyan
सत् साहेब
Very nice satsang 🙏🙏🙏🙏🙏
20, 21th and 22nd ko jrur aaye Satlok Aashram Dhanana Dham
Amazing satsang
कबीर परमेश्वर जी आज से लगभग 625 वर्ष पहले सशरीर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर प्रकट हुए और सशरीर मगहर से सतलोक चले गए। आज भी इसके प्रमाण के तौर पर मगहर में उनकी यादगारें 100-100 फुट के अंतराल में बनी हुई हैं। मगहर में आज भी हिंदू व मुस्लिम बहुत ही प्यार से रहते हैं। धर्म के नाम पर आज तक कभी कोई झगड़ा नहीं करते।
Amazing video.
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NICE SATSANG
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Whu is God Kabir is God
कबीर आवत गाली एक है उल्टत हो अनेक कहे कबीर ना उल्टीयो हो रहे एक की एक
💞🙇🏼💞
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में एक गुम्बज में रहता है।
यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25
यजुर्वेद में स्पष्ट प्रमाण है कि कबीर परमेश्वर अपने तत्वज्ञान के प्रचार के लिए पृथ्वी पर स्वयं अवतरित होते हैं। वेदों में परमेश्वर कबीर का नाम कविर्देव वर्णित है।
Kabir Prakat Diwas 20-22 June 2024🙇🏼♀️
Lord Kabir made water flow in the dried out "Aami River", that flows through Maghar, which was
कबीर परमात्मा ने कहा कि दोनों धर्म, दया भाव रखो। मेरा वचन मानो कि सूअर तथा गाय में एक ही बोलनहार है यानि एक ही जीव है। न गाय खाओ, न सूअर खाओ।
दोनूं दीन दया करौ, मानौं बचन हमार। गरीबदास गऊ सूर में, एकै बोलन हार।।
जीव हनै हिंसा करे, प्रकट पाप सिर होय।
निगम पुनि ऐसे पाप ते, भिस्त गया ना कोय।
परमात्मा कबीर जी कहते हैं कि जीव हिंसा करने से पाप ही लगता है। ऐसा महापाप करके भिस्त (स्वर्ग) कोई नहीं गया। तो फिर हे भोले मानव फिर ऐसा महापाप क्यों करता है।
कबीर-अलख इलाही एक है, नाम धराया दोय।
कहै कबीर दो नाम सुनि, भरम परो मति कोय।।
🍁कबीर-राम रहीमा एक है, नाम धराया दोय।
कहै कबीर दो नाम सुनि, भरम परो मति कोय।।
🍁कबीर-कृष्ण करीमा एक है, नाम धराया दोय।
कहै कबीर दो नाम सुनि, भरम परो मति कोय।।
कबीर-काशी काबा एक है, एकै राम रहीम।
मैदा एक पकवान बहु, बैठि कबीरा जीम।।
🍁कबीर-राम कबीरा एक है, दूजा कबहू ना होय।
अंतर टाटी कपट की, तातै दीखे दोय।।
कबीर-राम कबीर एक है, कहन सुनन को दोय।
दो करि सोई जानई, सतगुरु मिला न होय।।
🍁कबीर-हिन्दू के दया नहीं, मिहर तुरकके नाहिं।
कहै कबीर दोनूं गया, लख चैरासी माहिं।।
कबीर-मुसलमान मारै करदसो, हिंदू मारे तरवार।
कहै कबीर दोनूं मिलि, जैहैं यमके द्वार।।
🍁कबीर, दुबर्ल को ना सताईये, जाकि मोटी हाय।
बिना जीव की श्वांस से, लोह भस्म हो जाए।।
कहीं भी ठिकाना नहीं है उनकी बुद्धि पर पत्थर गिरे हैं।
🍁कबीर, सतगुरु (पूर्ण गुरु) के उपदेश का, लाया एक विचार।
जै सतगुरु मिलता नहीं, तो जाते यम द्वार।।
कबीर, यम द्वार में दूत सब, करते खैंचातान।
उनसे कबहु ना छूटता, फिरता चारों खान।।
कबीर, चार खान में भ्रमता, कबहु न लगता पार।
सो फेरा (चक्र) सब मिट गया, मेरे सतगुरु के उपकार।।
🍁कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झख मार।
सतगुरू ऐसा सुलझा दे, उलझै ना दूजी बार।।
🍁कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान।।
🍁कबीर, सब जग निर्धना, धनवंता ना कोय।
धनवंता सो जानिये, जा पै राम नाम धन होय।।
धनवंता अर्थात् साहूकार तो वह है जिसके पास राम नाम की भक्ति का धन है।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
🍁कंकड़ पत्थर जोड़कर मस्जिद ली बनाये।
ता चढ़ मुल्ला बंग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।।
🍁 कबीर, ये तन विष की बेलड़ी, गुरु अमृत की खान।
शीश दिए जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।
यह मानव शरीर विषय-विकारों रुपी विष का घर है। गुरु तत्वज्ञान रुपी अमृत की खान है। ऐसा गुरु शीश दान करने से मिल जाए तो सस्ता जानें। शीश दान अर्थात गुरु दीक्षा किसी भी मूल्य में मिल जाए।
🍁कबीर जी ने कहा है कि :-
जो जाकि शरणा बसै, ताको ताकी लाज। जल सौंही मछली चढ़ै, बह जाते गजराज।।
जो साधक जिस राम (देव-प्रभु) की भक्ति पूरी श्रद्धा से करता है तो वह राम उस साधक की इज्जत रखता है।
🍁कबीर, मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारं-बार।
तरवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर ना लागे डार।।
कबीर परमात्मा जी ने समझाया है कि हे मानव शरीरधारी प्राणी! यह मानव जन्म बार-बार नहीं मिलता। इस शरीर के रहते-रहते शुभ कर्म तथा परमात्मा की भक्ति कर, अन्यथा यह शरीर समाप्त हो गया तो आप पुनः मानव शरीर को प्राप्त नहीं कर पाओगे।
🍁कबीर, काया तेरी है नहीं, माया कहाँ से होय।
भक्ति कर दिल पाक से, जीवन है दिन दोय।।
🍁कबीर जी ने कहा है कि:-
क्या मांगुँ कुछ थिर ना रहाई। देखत नैन चला जग जाई।।
एक लख पूत सवा लख नाती। उस रावण कै दीवा न बाती।।
🍁कबीर, मानुष जन्म पाय कर, नहीं रटैं हरि नाम।
जैसे कुंआ जल बिना, बनवाया क्या काम।।
मानव जीवन में यदि भक्ति नहीं करता तो वह जीवन ऐसा है जैसे सुंदर कुंआ बना रखा है। यदि उसमें जल नहीं है या जल है तो खारा है, उसका भी नाम भले ही कुंआ है, परंतु गुण कुंए वाले नहीं हैं।
🍁कुष्टी होये संत बंदगी कीजिए।
जे हो वैश्या को प्रभु विश्वास, चरण चित दीजिए।।
यदि किसी भक्त को कुष्ट रोग है और वह भक्ति करने लगा है तो उससे घृणा न करे। उसको प्रणाम करे। उसका हौंसला बढ़ाना चाहिए। भक्ति करने से उसका जीवन सफल होगा, रोग भी ठीक हो जाएगा। इसी प्रकार किसी वैश्या बेटी-बहन को प्रेरणा बनी है भक्ति करने की, सत्संग में आने की तो उसको परमात्मा पर विश्वास हुआ है। वह सत्संग विचार सुनेगी तो बुराई भी छूट जाएगी।
🍁कबीर, सुख के माथे पत्थर पड़ो, नाम हृदय से जावै।
बलिहारी वा दुख के, जो पल-पल नाम रटावै।।
कबीर, मां मूडूं उस सन्त की, जिससे संशय न जाय।
काल खावें थोड़े संशय सबहन कूं खाय।।
🍁गुरुकी शरणा लीजै भाई। जाते जीव नरक नहीं जाई।।
गुरु कृपा कटे यम फांसी। विलम्ब ने होय मिले अविनाशी।।
🍁गुरु ते अधिक न कोई ठहरायी। मोक्षपंथ नहिं गुरु बिनु पाई।।
राम कृष्ण बड़ तिहुँपुर राजा। तिन गुरु बंदि कीन्ह निज काजा।।
🍁कबीर, गुरु मानुष करि जानते, ते नर कहिये अंध।
होय दुखी संसार में, आगे यमका फंद।।
जो साधक गुरुजी को सामान्य मनुष्य मानते हैं, वे व्यक्ति अन्धे(तत्वज्ञान नेत्रहीन) हैं। उनको भक्ति का कोई लाभ नहीं मिलता। जिस कारण से इस संसार में भी दुःखी रहेंगे तथा फिर यम (यमराज) के नरक का कष्ट भी बना रहेगा।
🍁कबीर, सुमिरण से सुख होत है, सुमिरण से दुःख जाए।
कहैं कबीर सुमिरण किए, सांई माहिं समाय।।
🍁कबीर, हरि के नाम बिना, नारि कुतिया होय।
गली-गली भौकत फिरै, टूक ना डालै कोय।।
🍁सूक्ष्मवेद में भी परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि:-
कबीर, माई मसानी सेढ़ शीतला भैरव भूत हनुमंत।
परमात्मा से न्यारा रहै, जो इनको पूजंत।।
राम भजै तो राम मिलै, देव भजै सो देव। भूत भजै सो भूत भवै, सुनो सकल सुर भेव।।
🍁जो तोकूं काँटा बोवै, ताको बो तू फूल।
तोहे फूल के फूल है, वाको है त्रिशूल।।
यदि कोई आपको कष्ट देता है तो आप उसका उपकार करने की धारण बनाए, उसका भला करें। आपको तो सुख रूपी फूल प्राप्त होंगे और जो आपको कष्ट रूपी काँटे दे रहा था, उसको तीन गुणा कष्ट रूपी काँटे प्राप्त होंगे।
🍁परमेश्वर कबीर जी ने कहा:-
मूर्ख के समझावतें, ज्ञान गाँठि का जाय।
कोयला होत न उजला, भावें सौ मन साबुन लाय।।
🍁परमेश्वर कबीर जी ने कहा:-
करनी तज कथनी कथैं, अज्ञानी दिन रात ।
कुकर ज्यों भौंकत फिरें सुनी सुनाई बात ।।
🍁कबीर, राम रटत कोढ़ी भलो, चू-चू पड़े जो चाम।
सुंदर देहि किस काम की, जा मुख नाहीं नाम।।
कबीर, नहीं भरोसा देहि का, विनश जाए छिन माहीं।
श्वांस-उश्वांस में नाम जपो, और यत्न कुछ नाहीं।।
कबीर, श्वांस-उश्वांस में नाम जपो, व्यर्था श्वांस मत खोओ।
ना जाने इस श्वांस का, आवन हो के ना होय।।
🍁नाम सुमरले सुकर्म करले, कौन जाने कल की,
खबर नहीं पल की।।
परमात्मा कबीर जी ने बताया है कि हे भोले मानव (स्त्राी/पुरूष)! परमात्मा का नाम जाप कर तथा शुभ कर्म कर। पता नहीं कल यानि भविष्य में क्या दुर्घटना हो जाएगी। एक पल का भी ज्ञान नहीं है।
🍁कबीर, हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना।
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना ।।
परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि हिन्दू राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है। इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया।
🍁कबीर, पिछले पाप से, हरि चर्चा न सुहावै।
कै ऊंघै कै उठ चलै, कै औरे बात चलावै।।
🍁कबीर, जिव्हा तो वोहे भली, जो रटै हरिनाम।
ना तो काट के फैंक दियो, मुख में भलो ना चाम।।
जैसे जीभ शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। यदि परमात्मा का गुणगान तथा नाम-जाप के लिए प्रयोग नहीं किया जाता है तो व्यर्थ है क्योंकि इस जुबान से कोई किसी को कुवचन बोलकर पाप करता है।
🍁कबीर, राम नाम से खिज मरैं, कुष्टि हो गल जाय।
शुकर होकर जन्म ले, नाक डूबता खाय।।
कबीर जी ने कहा है कि अभिमानी व्यक्ति राम नाम की चर्चा से खिज जाता है। फिर कोढ़ लगकर गलकर मर जाता है। अगला जन्म सूअर का प्राप्त करके गंद खाता है।
🍁
कबीर-कृष्ण करीमा एक है, नाम धराया दोय।
कहै कबीर दो नाम सुनि, भरम परो मति कोय।।
कबीर-काशी काबा एक है, एकै राम रहीम।
मैदा एक पकवान बहु, बैठि कबीरा जीम।।
🍁कबीर-राम कबीरा एक है, दूजा कबहू ना होय।
अंतर टाटी कपट की, तातै दीखे दोय।।
कबीर-राम कबीर एक है, कहन सुनन को दोय।
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कहै कबीर दोनूं गया, लख चैरासी माहिं।।
कबीर-मुसलमान मारै करदसो, हिंदू मारे तरवार।
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🍁कबीर, दुबर्ल को ना सताईये, जाकि मोटी हाय।
बिना जीव की श्वांस से, लोह भस्म हो जाए।।
🍁कहै कबीर पुकार के, दोय बात लख लेय।
एक साहेब की बंदगी, व भूखों को कुछ देय।।
हे मानव! मैं आवाज लगाकर ऊँचे स्वर से कह रहा हूँ कि मानव शरीर प्राप्त करके दो बातों पर ध्यान दें। एक तो परमात्मा की भक्ति कर दूसरी बात है कि भूखों को भोजन अवश्य कराना चाहिए। यह मानव का परम धर्म है।
🍁कबीर, ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए।
औरन को शीतल करे, आप भी शीतल होय।।
🍁कबीर, आवत गारी एक है, उलटत होए अनेक।
कहैं कबीर न उलटियो, रह एक की एक।।
कबीर, गाली ही से उपजैं, कलह, कष्ट और मीच।
हार चलैं सो साधु है, लागि मरै सो नीच।।
कबीर, हरिजन तो हारा भला, जीतन दे संसार।
हारा तो हर से मिलै, जीता जम की लार।।
कबीर, जेता घट तेता मता, घट-घट और स्वभाव।
जा घट हार न जीत है, ता घट ब्रह्म समावै।।
🍁कबीर, जान बुझ साची तजै, करै झूठे से नेह।
जाकी संगत हे प्रभु, स्वपन में भी ना देह।
Sat Saheb 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏 🙇 🙏
जय हो बंदी छोड सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय 🙏🙏
सतगुरु देव जी के पावन चरणों में दासी का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
Bandi Chhod Satguru Rampal Ji Maharaj ki Jay Ho
Jay bandi chhod Maharaj ki Jay Ho 🙏♥️
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय
कबीर, एक साधे सब सध, सब साधे सब जाव।।
माली सिंच मूल को, फल फूल अघाय।।
Prampita kabir bhagwan ki jai ho
Anmol Satsang
गरीब इस मौले के मुल्क में, दोनों दीन हमार।
एक बामे एक दाहिनै, बीच बसै करतार।।
Anmol gyan
ATI Sundar hai ji
Sat sahib ji 🤲🙇🌼💐🌹📿🙏
Bahut achcha Gyan hai
Sat saheb ji
मालिक की दया
Nice satsang 🤗🤗🤗🤗🤗🤗
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Bandichord Sat Guru Sant Rampal Ji Maharaj Ji Ki Jai Ho 🙏 🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏🙇🙏
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी भगवान जी की जय🎉😂😢😮❤😂🎉
Sant rampal ji ki Jay ho 🙏
Sat sahib ji ❤
Sat sahib ji sat sahib ji
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