इरावन की जन्मकथा | Mahabharat Stories | B. R. Chopra | EP - 129 | Pen Bhakti
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- Опубліковано 16 жов 2024
- इरावन की जन्मकथा | Mahabharat Stories | B. R. Chopra | EP - 129 | Pen Bhakti
Mahabharat is an Indian television series based on the Hindu epic.
Watch only on PEN Bhakti Channel and Don't forget to share & subscribe.
Produced & Directed By - B.R. Chopra
Music Composer - Raj Kamal
Script - Rahi Masoom Raza
Presented By - PEN Studios
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जब कोई श्री कृष्ण को याद करता है तो वह स्वयं वहां प्रकट हो जाते हैं that's is amazing 🙏🙏🙏
Hn jao shree krishna 🙏😍
Bhai, hum 25k baar yaad kiye honge, tab to prakat nhi huye. Shayad aap kar chuke hain😂😂
राधे राधे
सारा बिस्व का सबसे बड़ा और सर्बप्रथम ग्रन्थ 2 है
1 ) रामायण , 2 ) महाभारत
इन दिनों ग्रन्थ को सनातन सभ्यता का कोटि कोटि प्रणाम ।। 🙏 🇮🇳 🙏
Jeete raho beta
अर्जुन में बहुत ही अच्छा किरदार निभाया है
जय श्री कृष्णा
#भोलेनाथ_की_कृपा
सिंहकेतु पांचाल देश का एक राजा था। राजा बहुत बड़ा शिवभक्त था। शिव आराधना और शिकार उसके दो चीजें प्यारी थीं। वह शिकार खेलने रोज जंगल जाता था।
एक दिन घने जंगल में सिंहकेतु को एक ध्वस्त मंदिर दिखा। राजा शिकार की धुन में आगे बढ गया पर सेवक भील ने ध्यान से देखा तो वह शिव मंदिर था जिसके भीतर लता, पत्रों में एक शिवलिंग था।
भील का नाम चंड था। सिंहकेतु के सानिध्य और उसके राज्य में रहने से वह भी धार्मिक प्रवृत्ति का हो गया था. चबूतरे पर स्थापित शिवलिंग जो कि अपनी जलहरी से लगभग अलग ही हो गया था वह उसे उखाड़ लाया।
चंड ने राजा से कहा- महाराज यह निर्जन में पड़ा था। आप आज्ञा दें तो इसे मैं रख लूं, पर कृपा कर पूजन विधि भी बता दें ताकि मैं रोज इसकी पूजा कर पुण्य कमा सकूं।
राजा ने कहा कि चंड भील इसे रोज नहला कर इसकी फूल-बेल पत्तियों से सजाना, अक्षत, फल मीठा चढाना। जय भोले शंकर बोल कर पूजा करना और उसके बाद इसे धूप-दीप दिखाना।
राजा ने कुछ मजाक में कहा कि इस शिवलिंग को चिता भस्म जरूर चढ़ाना और वो भस्म ताजी चिता राख की ही हो। फिर भोग लगाकर बाजा बजाकर खूब नाच-गाना किया करना।
शिकार से राजा तो लौट गया पर भील जो उसी जंगल में रहता था, उसने अपने घर जाकर अपनी बुद्धि के मुताबिक एक साफ सुथरे स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की और रोज ही पूजा करने का अटूट नियम बनाया।
भीलनी के लिए यह नयी बात थी। उसने कभी पूजा-पाठ न देखी थी। भील के रोज पूजा करने से ऐसे संस्कार जगे की कुछ दिन बाद वह खुद तो पूजा न करती पर भील की सहायता करने लगी।
कुछ दिन और बीते तो भीलनी पूजा में पर्याप्त रुचि लेने लगी. एक दिन भील पूजा पर बैठा तो देखा कि सारी पूजन सामग्री तो मौजूद है पर लगता है वह चिता भस्म लाना तो भूल ही गया।
वह भागता हुआ जंगल के बाहर स्थित श्मशान गया. आश्चर्य आज तो कोई चिता जल ही नहीं रही थी. पिछली रात जली चिता का भी कोई नामो निशान न था जबकि उसे लगता था कि रात को मैं यहां से भस्म ले गया हूं।
भील भागता हुआ उलटे पांव घर पहुंचा। भस्म की डिबिया उलटायी पलटाई पर चिता भस्म तनिक भी न थी। चिंता और निराशा में उसने अपनी भीलनी को पुकारा जिसने सारी तैयारी की थी।
पत्नी ने कहा- आज बिना भस्म के ही पूजा कर लें, शेष तो सब तैयार है। पर भील ने कहा नहीं राजा ने कहा था कि चिता भस्म बहुत ज़रूरी है। वह मिली नहीं. क्या करूं ! भील चिंतित हो बैठ गया।
भील ने भीलनी से कहा- प्रिये यदि मैं आज पूजा न कर पाया तो मैं जिंदा न रहूंगा, मेरा मन बड़ा दुःखी है और चिन्तित है। भीलनी ने भील को इस तरह चिंतित देख एक उपाय सुझाया।
भीलनी बोली, यह घर पुराना हो चुका है। मैं इसमें आग लगाकर इसमें घुस जाती हूं। आपकी पूजा के लिए मेरे जल जाने के बाद बहुत सारी भस्म बन जायेगी। मेरी भस्म का पूजा में इस्तेमाल कर लें।
भील न माना बहुत विवाद हुआ। भीलनी ने कहा मैं अपने पतिदेव और देवों के देव महादेव के काम आने के इस अवसर को न छोड़ूंगी।
भीलनी ने स्नान किया। घर में आग लगायी। घर की तीन बार परिक्रमा की। भगवान का ध्यान किया और भोलेनाथ का नाम लेकर जलते घर में घुस गयी। ज्यादा समय न बीता कि शिव भक्ति में लीन वह भीलनी जलकर भस्म हो गई।
भील ने भस्म उठाई। भली भांति भगवान भूतनाथ का पूजन किया। शिवभक्ति में घर सहित घरवाली खो देने का कोई दुःख तो भील के मन में तो था नहीं सो पूजा के बाद बड़े उत्साह से उसने भीलनी को प्रसाद लेने के लिये आवाज दी।
क्षण के भीतर ही उसकी पत्नी समीप बने घर से आती दिखी। जब वह पास आयी तो भील को उसको और अपने घर के जलने का ख्याल आया। उसने पूछा यह कैसे हुआ। तुम कैसे आयीं ? यह घर कैसे वापस बन गया ?
भीलनी ने सारी कथा कह सुनायी। जब धधकती आग में घुसी तो लगा जल में घुसती जा रही हूं और मुझे नींद आ रही है। जगने पर देखा कि मैं घर में ही हूं और आप प्रसाद के लिए आवाज लगा रहे हैं।
वे यह सब बातें कर ही रहे थे कि अचानक आकाश से एक विमान वहां उतरा, उसमें भगवान के चार गण थे। उन्होंने अपने हाथों से उठा कर उन्हें विमान में बैठा लिया।
गणों का हाथ लगते ही दोनों के शरीर दिव्य हो गए। दोनों ने शिव-महिमा का गुणगान किया और फिर वे अत्यंत श्रद्धायुक्त भगवान की आराधना का फल भोगने शिव लोक चले गये।
जय जय भोलेनाथ
जय महाकाल
🔷बहुत प्रेरणास्पद कथा🔷
✔अवश्य पढ़ें✔
एक बार श्री कृष्ण और अर्जुन भ्रमण पर निकले तो उन्होंने मार्ग में एक निर्धन ब्राहमण को भिक्षा मागते देखा....
अर्जुन को उस पर दया आ गयी और उन्होंने उस ब्राहमण को स्वर्ण मुद्राओ से भरी एक पोटली दे दी।
जिसे पाकर ब्राहमण प्रसन्नता पूर्वक अपने सुखद भविष्य के सुन्दर स्वप्न देखता हुआ घर लौट चला।
किन्तु उसका दुर्भाग्य उसके साथ चल रहा था, राह में एक लुटेरे ने उससे वो पोटली छीन ली।
ब्राहमण दुखी होकर फिर से भिक्षावृत्ति में लग गया।अगले दिन फिर अर्जुन की दृष्टि जब उस ब्राहमण पर पड़ी तो उन्होंने उससे इसका कारण पूछा।
ब्राहमण ने सारा विवरण अर्जुन को बता दिया, ब्राहमण की व्यथा सुनकर अर्जुन को फिर से उस पर दया आ गयी अर्जुन ने विचार किया और इस बार उन्होंने ब्राहमण को मूल्यवान एक माणिक दिया।
ब्राहमण उसे लेकर घर पंहुचा उसके घर में एक पुराना घड़ा था जो बहुत समय से प्रयोग नहीं किया गया था,ब्राह्मण ने चोरी होने के भय से माणिक उस घड़े में छुपा दिया।
किन्तु उसका दुर्भाग्य, दिन भर का थका मांदा होने के कारण उसे नींद आ गयी... इस बीच
ब्राहमण की स्त्री नदी में जल लेने चली गयी किन्तु मार्ग में
ही उसका घड़ा टूट गया, उसने सोंचा, घर में जो पुराना घड़ा पड़ा है उसे ले आती हूँ, ऐसा विचार कर वह घर लौटी और उस पुराने घड़े को ले कर
चली गई और जैसे ही उसने घड़े
को नदी में डुबोया वह माणिक भी जल की धारा के साथ बह गया।
ब्राहमण को जब यह बात पता चली तो अपने भाग्य को कोसता हुआ वह फिर भिक्षावृत्ति में लग गया।
अर्जुन और श्री कृष्ण ने जब फिर उसे इस दरिद्र अवस्था में देखा तो जाकर उसका कारण पूंछा।
सारा वृतांत सुनकर अर्जुन को बड़ी हताशा हुई और मन ही मन सोचने लगे इस अभागे ब्राहमण के जीवन में कभी सुख नहीं आ सकता।
अब यहाँ से प्रभु की लीला प्रारंभ हुई।उन्होंने उस ब्राहमण को दो पैसे दान में दिए।
तब अर्जुन ने उनसे पुछा “प्रभु
मेरी दी मुद्राए और माणिक
भी इस अभागे की दरिद्रता नहीं मिटा सके तो इन दो पैसो से
इसका क्या होगा” ?
यह सुनकर प्रभु बस मुस्कुरा भर दिए और अर्जुन से उस
ब्राहमण के पीछे जाने को कहा।
रास्ते में ब्राहमण सोचता हुआ जा रहा था कि "दो पैसो से तो एक व्यक्ति के लिए भी भोजन नहीं आएगा प्रभु ने उसे इतना तुच्छ दान क्यों दिया ? प्रभु की यह कैसी लीला है "?
ऐसा विचार करता हुआ वह
चला जा रहा था उसकी दृष्टि एक मछुवारे पर पड़ी, उसने देखा कि मछुवारे के जाल में एक
मछली फँसी है, और वह छूटने के लिए तड़प रही है ।
ब्राहमण को उस मछली पर दया आ गयी। उसने सोचा"इन दो पैसो से पेट की आग तो बुझेगी नहीं।क्यों? न इस मछली के प्राण ही बचा लिए जाये"।
यह सोचकर उसने दो पैसो में उस मछली का सौदा कर लिया और मछली को अपने कमंडल में डाल लिया। कमंडल में जल भरा और मछली को नदी में छोड़ने चल पड़ा।
तभी मछली के मुख से कुछ निकला।उस निर्धन ब्राह्मण ने देखा ,वह वही माणिक था जो उसने घड़े में छुपाया था।
ब्राहमण प्रसन्नता के मारे चिल्लाने लगा “मिल गया, मिल गया ”..!!!
तभी भाग्यवश वह लुटेरा भी वहाँ से गुजर रहा था जिसने ब्राहमण की मुद्राये लूटी थी।
उसने ब्राह्मण को चिल्लाते हुए सुना “ मिल गया मिल गया ” लुटेरा भयभीत हो गया। उसने सोंचा कि ब्राहमण उसे पहचान गया है और इसीलिए चिल्ला रहा है, अब जाकर राजदरबार में उसकी शिकायत करेगा।
इससे डरकर वह ब्राहमण से रोते हुए क्षमा मांगने लगा। और उससे लूटी हुई सारी मुद्राये भी उसे वापस कर दी।
यह देख अर्जुन प्रभु के आगे नतमस्तक हुए बिना नहीं रह सके।
अर्जुन बोले,प्रभु यह कैसी लीला है? जो कार्य थैली भर स्वर्ण मुद्राएँ और मूल्यवान माणिक नहीं कर सका वह आपके दो पैसो ने कर दिखाया।
श्री कृष्णा ने कहा “अर्जुन यह अपनी सोंच का अंतर है, जब तुमने उस निर्धन को थैली भर स्वर्ण मुद्राएँ और मूल्यवान माणिक दिया तब उसने मात्र अपने सुख के विषय में सोचा। किन्तु जब मैनें उसको दो पैसे दिए। तब उसने दूसरे के दुःख के विषय में सोचा। इसलिए हे अर्जुन-सत्य तो यह है कि, जब आप दूसरो के दुःख के विषय में सोंचते है, जब आप दूसरे का भला कर रहे होते हैं, तब आप ईश्वर का कार्य कर रहे होते हैं, और तब ईश्वर आपके साथ होते हैं।
Sunder Story
Nice👏👏
श्री मद भागवत के कोंन से अध्याय में है यह बर्ण न
Bhut sundar
Jay shree krishn radhe radhe 🙏🙏
ॐ श्री गणेशाय नमः ❤️🔱🍀🙏
बी अार चोपडा को भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिए जो भारत की संस्कृति को बचाए है बेस्ट महाभारत बी आर चोपडा का ही है जो realy like
Mbvc
Absolutely Right
Inki Mahabharata dekhne ke bad koi aur Mahabharata phiki Lagti hai. Inhone Kam episode me Sara Kuch dikha Diya. Unnecessary lamba episode Nahi Kiya, Jo ki khtm hi Nahi ho rah.
💞😻 👍
You are right 👍
धन्य आहे अर्जुन आणि धन्य आहे श्री कृष्ण आपल्या सारखे तत्काळ करिती नाही काळ वेळ तया लागी गुरु हो तो श्री कृष्ण आणि सिस्या हो तो अर्जुन .
चित्रागदा की सुन्दरता भी अर्जुन को उसके मार्ग से न भटका सकी
Sab arjun nhi ban sakta .. arjun to arjun ... Mere prabhu ka sakha hai arjun
ॐ सनातन संस्कृति और सभ्यता की
युगों युगों तक जय जय हो !!
🇮🇳 जय माँ भारती 🇮🇳
.
Jms
❤🙌
जितना शुद्ध, हमारी मात्रा भाषा हिंदी का प्रयोग किया गया है, ये हमारे धर्म ग्रंथ बताते हैं कि हमारी जो भाषा है वो दुनिया का कोई भी भाषा इसके समान नहीं है। कितना सुंदर सुंदर शब्द का प्रयोग किया गया है।
🙏🙏
धन्य हैं हमलोग की सनातन धर्म में जन्म मिला ❤
Ha bhai ye baat aapne bilkul saty kahi hai ❤
@@jaisreemahadevaaa2648 huu
महान भारत की बहुत ही सुंदर जिता जागता इतिहास📜📜
जो लोग यह सोचते हैं कि हमारे परिवार वाले अच्छे नहीं है वह एक बार महाभारत जरूर देखें
जय श्री कृष्णा 🙏🙏🙏
वीर अर्जुन ने कितनी शादियां की थी जय श्री कृष्णाय नमः
bhot sari ki ti saddiya🤣
Only 4
4
Dropdi
Subhadra
Ulupi
Chitrangda
4
Arjun kahi muslaman to nahi tha..🤣🤣🤣🤣
राजा दशरथ के मुकुट का एक अनोखा राज, पहले कभी नही सुनी होगी यह कथा आपने !!!!!!!!!!
अयोध्या के राजा दशरथ एक बार भ्रमण करते हुए वन की ओर निकले वहां उनका समाना बाली से हो गया। राजा दशरथ की किसी बात से नाराज हो बाली ने उन्हें युद्ध के लिए चुनोती दी। राजा दशरथ की तीनो रानियों में से कैकयी अश्त्र शस्त्र एवं रथ चालन में पारंगत थी।
अतः अक्सर राजा दशरथ जब कभी कही भ्रमण के लिए जाते तो कैकयी को भी अपने साथ ले जाते थे इसलिए कई बार वह युद्ध में राजा दशरथ के साथ होती थी। जब बाली एवं राजा दशरथ के मध्य भयंकर युद्ध चल रहा था उस समय संयोग वश रानी कैकयी भी उनके साथ थी।
युद्ध में बाली राजा दशरथ पर भारी पड़ने लगा वह इसलिए क्योकि बाली को यह वरदान प्राप्त था की उसकी दृष्टि यदि किसी पर भी पद जाए तो उसकी आधी शक्ति बाली को प्राप्त हो जाती थी। अतः यह तो निश्चित था की उन दोनों के युद्ध में हर राजा दशरथ की ही होगी।
राजा दशरथ के युद्ध हारने पर बाली ने उनके सामने एक शर्त रखी की या तो वे अपनी पत्नी कैकयी को वहां छोड़ जाए या रघुकुल की शान अपना मुकुट यहां पर छोड़ जाए। तब राजा दशरथ को अपना मुकुट वहां छोड़ रानी कैकेयी के साथ वापस अयोध्या लौटना पड़ा।
रानी कैकयी को यह बात बहुत दुखी, आखिर एक स्त्री अपने पति के अपमान को अपने सामने कैसे सह सकती थी। यह बात उन्हें हर पल काटे की तरह चुभने लगी की उनके कारण राजा दशरथ को अपना मुकुट छोड़ना पड़ा।
वह राज मुकुट की वापसी की चिंता में रहतीं थीं। जब श्री रामजी के राजतिलक का समय आया तब दशरथ जी व कैकयी को मुकुट को लेकर चर्चा हुई। यह बात तो केवल यही दोनों जानते थे।
कैकेयी ने रघुकुल की आन को वापस लाने के लिए श्री राम के वनवास का कलंक अपने ऊपर ले लिया और श्री राम को वन भिजवाया। उन्होंने श्री राम से कहा भी था कि बाली से मुकुट वापस लेकर आना है।
श्री राम जी ने जब बाली को मारकर गिरा दिया। उसके बाद उनका बाली के साथ संवाद होने लगा।
प्रभु ने अपना परिचय देकर बाली से अपने कुल के शान मुकुट के बारे में पूछा था। तब बाली ने बताया- रावण को मैंने बंदी बनाया था। जब वह भागा तो साथ में छल से वह मुकुट भी लेकर भाग गया। प्रभु मेरे पुत्र को सेवा में ले लें। वह अपने प्राणों की बाजी लगाकर आपका मुकुट लेकर आएगा।
जब अंगद श्री राम जी के दूत बनकर रावण की सभा में गए। वहां उन्होंने सभा में अपने पैर जमा दिए और उपस्थित वीरों को अपना पैर हिलाकर दिखाने की चुनौती दे दी। रावण के महल के सभी योद्धा ने अपनी पूरी ताकत अंगद के पैर को हिलाने में लगाई परन्तु कोई भी योद्धा सफल नहीं हो पाया।
जब रावण के सभा के सारे योद्धा अंगद के पैर को हिला न पाए तो स्वयं रावण अंगद के पास पहुचा और उसके पैर को हिलाने के लिए जैसे ही झुका उसके सर से वह मुकुट गिर गया। अंगद वह मुकुट लेकर वापस श्री राम के पास चले आये।
यह महिमा थी रघुकुल के राज मुकुट की।
राजा दशरथ के पास गया तो उन्हें पीड़ा झेलनी पड़ी। बाली से जब रावण वह मुकुट लेकर गया तो तो बाली को अपने प्राणों को आहूत देनी पड़ी। इसके बाद जब अंगद रावण से वह मुकुट लेकर गया तो रावण के भी प्राण गए।
तथा कैकयी के कारण ही रघुकुल के लाज बच सकी यदि कैकयी श्री राम को वनवास नही भेजती तो रघुकुल सम्मान वापस नही लोट पाता। कैकयी ने कुल के सम्मान के लिए सभी कलंक एवं अपयश अपने ऊपर ले लिए अतः श्री राम अपनी माताओ सबसे ज्यादा प्रेम कैकयी को करते थे।
Agar 139 episode hi bnane the to Uloopi aur Chitrangada ki story ko itna nhi khinchna chahiye tha balki Pandvon ke swargarohan ki Katha dikhani chahiye thi.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
जय श्री राधे राधेकृष्णा ❤️🙏🪈
जय श्री राधे राधे जय श्री राम जय श्री राधाकृष्ण की जय श्री खाटूश्यामजी की
जय श्री कृष्ण राधे-राधे राधे-राधे जय श्री कृष्ण राधे-राधे जय श्री कृष्ण राधे-राधे जय श्री कृष्ण राधे-राधे जय श्री कृष्ण
केशव ने अच्छी मैत्री यात्रा पर भेजा हैं- अर्जुन😀
😁😁😀
😁😁😀
@@kirtiyadav9980 😃
Keshav ne yehi toh kaha tha. Agar koi aswikar kare toh aesa sambhand banalo jisse aswikar kar he napaye😁😁
@@kirtiyadav9980 hiy
मुझे समझ नहीं आ रहा कि अर्जुन मित्रता करने निकला है या प्रेम करने 😅
Bhai yha ek bhi nhi mil rhi h or Arjun ek ek sundar nari ke shat Prem kr rha hai
सही बात है भाई❤❤❤❤
Ye bat apane pita ji se puchhana mere bhai
@@NareshKumarBanjara😆
Ye vi bhat sahi hai bhai😅😅
द्रोपदी, सुभद्रा, उलुपी, चित्रांगदा अभी तो चार ही हुई हैं
Pahale urpi chiragana dropti subhadra
Pahle draupadi., ulupi, chitrangada, shubhadra
पहले द्रोपती फिर सुभद्रा फिर नागकन्या उलुपी और फिर मणिपुर चित्रांगदा अरे बस कर मेरे भाई 😂😂😂😂😂😂
Ha bhai
Are bhai Ye uchit hi tha.
Jo samajh na aye usme comment nahi karo
@@biswajitdey1981 कस्दे💌💜🙃💜💌
Sahi bola bhai aapne
जय श्री कृष्ण✨🖤♥️
हर हर महादेव✨♥️🖤
जय श्री राम✨💕💙
महाभारत✨💙
जय भगवान✨🖤♥️
जय भागवत गीता🖤💕♥️
जय भगवान🤜🖤💕♥️🤛
Chitrangada ki dasi sujata bhut Romantic or Rasili, prem ki gyani thi mano prem k saree vedh puran pde ho
भगवत गीता हीँ हर मानब जीबन को
उचित औऱ उर्णत्त मार्ग दर्षाता है ।।
🌻 🌻 🌻 🌱 🌳 🌻 🌻 🌻
_"ईश्वर: परम: कृष्ण: सच्चिदानन्द: विग्रह:,_ _अनादिरादि गोविन्द: सर्व कारण कारणम:|"_ (ब्रह्म संहिता ५.१) __भगवान तो कृष्ण है, जो सच्चिदानन्द (शास्वत,ज्ञान तथा आनन्द के) स्वरुप है | उनका कोई आदि नहीं है , क्योकि वे प्रत्येक वस्तु के आदि है | वे समस्त कारणों के कारण है | ब्रह्मा जी कहते है: जो वेणु बजाने में दक्ष है, खिले कमल की पंखुड़ियों जैसे जिनके नेत्र है, जिनका मस्तिक मोर पंख से आभूषित है, जिनके अंग नीले बादलों जैसे सुन्दर है, जिनकी विशेष शोभा करोड़ों काम देवों को भी लुभाती है, उन आदिपुरुष गोविन्द का मैं भजन करता हूँ । *(ब्रह्म संहिता ५.३०)
Thanks🌹🌹🌹🌹🌹
केशव मेरी सहायता कीजिए केशव अच्छा मित्रता की यात्रा भेजा है अपने मुझे was a epic line
JOY SHREE KRISHNA ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤
Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram Jai Jai sri Ram
🌻ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः❤🙏
देख लो भाइयों जो लोग अर्जुन को कामी और वासना का पुजारी बता रहे थे, वास्तव में उसे धर्म का ज्ञान था । यदि अधिक शादियां करने से राष्ट्र एक सूत्र में बनता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है यही चाणक्य नीति है कूटनीति है
Satya vachan Bhai
Saty
Sahi h
Wrong
ji corect5
Miss u nitish Bhardwaj 😘😘unaka sthan koi nhi le skta
Ha bhai me v unko bohot miss kar Raha unka bate bohot accha lagta he🙏🙏🙏
@@romangamingytrg801 m bhai nhi bahan hu 😂
Really
To upka nmbr do mujhe upse frnd ship karunga
Tik tok frnd he FB frnd v he is bar pehla bar you tube se frnd ship karunga
मुझे इस महाभारत के सारे पार्ट्स देखने हैं
अर्जुन धन्य हे वाप रे बाप
अर्जुन एक महान योद्धा है था और रहेगा ये एक अटल सत्य है
अर्जुन को योद्ध बनाना है। तो अकलभ्य को मारना ही पड़ता है।
@@amanyadavnaginayadav9060 arjun me mahi uska angutha kata tha🤣🤣
@@amanyadavnaginayadav9060 11
@@amanyadavnaginayadav9060
@@amanyadavnaginayadav9060 karan sa bda nahi tha
Jai shree krishna
Jai scree ram Jai scree Krishna ❤❤❤❤❤
Bichara Arjun how sweet and cute 🥰
Teke for contact number
Jai shri Krishna Radha radha Har Har Mahadev Radha radha 😘💙😘🌷🍑😘🍒⚘️🌻🍇🌻🌼🍎🪷🌸💘🍏🪷🍏🪷💖💐🕉💝🥥💝🥥
🎉🎉🎉 Jai shree krishana govind hare murari he nath Narayan vasodavay 🎉🎉🎉🎉
Ha sahi bat Devi ji ki prem tadpne our tadpne ka nam he 😊😊
भगवत गीता हीँ हर मानब जीबन को
उचित औऱ उर्णत्त मार्ग दर्षाता है ।।
🌻 🌻 🌻 🌱 🌳 🌻 🌻 🌻
Aap sahi kahti ho
Sahi baat h ji
@kumar sangam yes
Mahabharata serial Ka nirmata b.r chopra ji ko like Karo.......
.
।। ଜୟ ଶ୍ରୀ ରାମ ।।
।। ଜୟ ଜଗନ୍ନାଥ ସ୍ୱାମୀ ।।
Iss episode se hame sikhne ko milta hain "definition of love".....one of my favourite episode of all time
M
@@mayaramnagar4819 F
Why 🤔?
महान पुरूष और महान लव स्टोरी
अर्जुन का प्यार तो सराहनीय है द्रोपदी, उलूपी, चित्रागंदा और सुभद्रा 😂😂
हमको लगता है कि अर्जुन विवाह यात्रा पर निकल पड़े हैं
Thanks PEN BHAKTI Family for "MAHABHARATA "🙏🙏🙏📚🎖♥️🎁
I like arjun very nice 👌👌 bahot aacha laga nekst episode please
Hi
Jai Shri Krishna B.R chopara ko Koti koti parnam
जय श्री श्रीकृष्ण भगवान 🌹🙏💐🙏🌷🙏🥀🙏🌺🙏🏵️🙏🌺
जय श्री कृष्णा 🚩🚩
हरे कृष्णा 🕉️🌺🙏
Ye naye krisn bhi bahot acche lagne lage he...
Ha sahi kaha😘😘😘😘
Aise show koi nhi bana sakta aj ke date me😍❤️💞
बिलकुल ठीक
Jay shree radhe Krishna
अर्जुन तो जगह-जगह पर मजे ले रहा है बहुत मजे से प्यार बनता है
राधे राधे राधे राधे राधे राधे
Hamen Garv hai ki Chitrangada Jaisi Nari Hamare Bharat Ki Dharti per hi Janm Leti Hai Bharat Mata Ki Jai
जय श्री कृष्णा,,🙏🙏🙏
S
जयश्रीराधा।
Ulubi bhut sunder thi uska prem ATI sunder hi 🙏🙏
I am cried 😢
क्यूँ नहीँ remove करते हो इस शाहरुख खान को??? क्या योगदान है इसका हमारी महाभारत कथा में?????
Bhut h chamche
I agree with you my sister
Thik kahahe aapne
Aapki dp mast h
Sahi me nikalo add ko
जय श्री कृष्ण
हे भगवान अर्जुन ने चार शादियां किए हैं। सुभद्रा,द्रौपदी, नागकान्य, और चित्रांगदा🤭💪
4 ke naam pta h baki or bhi shadi ki hogi
@@uniqueindiancinemaare murkh tu ved vyas ji se zyada janta h Mahabharata me unhone saf saf likha h Arjun ki 4 hi wife thi
आखिर मित्र किसके है कान्हा के❤❤❤
चित्रागंदा बहुत संस्कारी और विवेकशिल
धड़ाधड़ धड़ाधड़ विवाह अर्जुन द्वारा😘
जय हिन्द जय भारत 🇮🇳🇮🇳❤❤
केशव थोड़ा हम पर ही ध्यान रखो, राधे कृष्णा 💕💞💖
Yahi main bhi chahta hu bhai 😁😁😂
@@SanataniPiyush- भगवान कृष्णा का ध्यान हम सब पर हैं भाई जल्दी ही आपका मनोकामना पूरा होगा
@@opkpasi धन्यवाद भाई जी 🙏🙏
Very Very much thank u Sir BR Chopra for giving such a master piece of the Greatest epic of the world "Srimahabharat"
6:11 😊
Jay Shree Krishna 🙏🙏
अर्जुन❤द्रौपदी अर्जुन❤सुभद्रा अर्जुन ❤ उलुपि अर्जुन❤चित्रागंदा स्वागत करते है दिल से 🙏🙏🌺
Hi prmila ji
Janm ma bap detahai leki bhagrekha bagvanne.
Jai Radhe jai Radhe jai shree Krishn bolo jai Radhe
When someone remembers Krishna, he appears. This is amazing 🙏🙏
🙏😀
🙏🙏🙏
@@Moviez.k look
Arjun sansar me eklota veer he ,
Jo hunar se sath sath Sundar rup or Sundar mn ka dhani he ..
जय राधे राधे🚩🙏🚩राधे राधे🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏हरे राम हरे क्रृष्ण🚩🚩🚩🕉🙏🕉🚩🚩🚩
एक बार एकनाथ महाराज विट्ठलनाथजी के मंदिर में दर्शन करने गए। एकनाथजी को सुयोग्य पत्नी मिली थी इसलिए वे श्रीभगवान का उपकार मानते थे।
वे कहते थे कि मुझे स्त्री का संग नहीं सत्संग मिला है।
थोड़ी देर बाद उस मंदिर में तुकारामजी दर्शन करने के लिए आये। तुकाराम की पत्नी कर्कशा थी। कर्कशा पत्नी के लिए भी तुकाराम भगवान का उपकार मानते थे।
वे कहते थे की हे भगवान, यदि तुमने अच्छी पत्नी दी होती तो मै सारा दिन उसी के पीछे लगा रहता और तुमको भूल जाता। अतः मेरा तो कर्कशा पत्नी के मिलने से ही भला हुआ है।
एकनाथजी को प्रतिकूल पत्नी मिली उसमे आनंद है और तुकाराम को कर्कशा मिली तो भी आनंद है। दोनों को अपनी परिस्थिति में संतोष है। और भगवान का उपकार मानते है। अपनी पत्नी की मृत्यु हुई तो नरसिंह मेहता ने आनंद ही माना और कहा - "भलु थयु भागी जंजाल। सूखे भजिशु श्री गोपाल। "अर्थात अच्छा हुआ कि परिवार का झंझट छूट गया। अब तो मै सुख और निश्चिन्त मन से श्रीगोपाल का भजन कर सकूंगा।
एक संत की पत्नी अनुकूल थी,दूसरे की प्रतिकूल थी और तीसरे की संसार को छोडकर चली गई,फिर भी ये तीनों महात्मा अपनी-अपनी परिस्थिति से संतुष्ट थे।
सच्चा वैष्णव वही है जो किसी भी परिस्थिति में परमात्मा की कृपा का अनुभव करता है और
मन को शांत और संतुष्ट रखता है। मन को शांत रखना भी बड़ा पुण्य है। माता और पिता को अपने पुत्र की बहुत चिंता रहती है। परन्तु पुत्रेष्णा के साथ -साथ अनेक वासनाएँ भी आती है। उसके पीछे वित्तेषणा और लोकेषणा जागती है। आत्मदेव ने उस महात्मा को कहा कि मुझे पुत्र दो,क्योकि पुत्र ही पिता को सद्गति देता है।
अपुत्रस्य गतिर्नास्ति।
महात्मा आत्मदेव को समझाते है की श्रुति भगवती एक स्थान पर कहती है की पुत्र से मुक्ति नहीं मिलती। वंश के रक्षण के लिए सत्कर्म करो।
यदि पुत्र ही सद्गति दे सकता हो तो संसार में प्रायः सभी के पुत्र होते है,अतः उन सभी को सद्गति मिलनी चाहिए। पिता को कभी ऐसी आशा रखनी नहीं चाहिए की मेरा पुत्र श्राध्द करेगा।तो मुझे सद्गति मिलेगी।
श्राध्द करने से वह जीव अच्छी योनि में जाता है,परन्तु ऐसा मत समझो कि वह जन्म-मृत्यु के फेर से छूट जायगा।
श्राध्द और पिंडदान मुक्ति नहीं दिला सकते। श्राध्द-कर्म -धर्म है।
श्राध्द करने से नरक से छुटकारा मिलता है,परन्तु मुक्ति मिलती नहीं है। श्राध्द करने से पितृगण प्रसन्न होते है और आशीर्वाद देते है। पिंडदान का सही अर्थ कोई समझता नहीं है। इस शरीर को पिंड कहते है। इसे परमात्मा को अर्पण करना ही पिंडदान है।यह निष्चय करना है कि मुझे अपना जीवन ईश्वर को अर्पण करना है ,उसी का जीवन सार्थक है और उसी का पिंडदान सच्चा है। अन्यथा यदि आटे के पिंडदान से मुक्ति मिल जाती तो ऋषि,मुनि,ध्यान योग,,तप आदि साधनों का निर्देश करते ही क्यों?
जय जय श्री राधे🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
।। कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्ने ।।
।। प्रणत क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः ।।
ଅତି ସୁନ୍ଦର
।। ଜୟ ଜଗନ୍ନାଥ ସ୍ୱାମୀ ନୟନ ପଥଗାମୀ ଭବତୁ ।।
22:35 Savage Ulupi...☺️
Arjun ji ko sadar naman....
श्री सीता राम
Parth ke liy hare krisna hare Krishna
जब जब श्लोक बोला जाता है तब तक मेरा रोंगटे खड़े हो जाते हैं
Jay Ho sanatan dharm ki
Jai shree Krishna 🌹🚩🙏 jai Arjun ❤❤❤❤
Har Har Mahadev
Hare Krishna Radhe Radhe
Jai shri Krishna radhe radhe 🙏🙏🙏🙏🙏
ਕਿਸਮਤ ਆ ਅਰਜੁਨ ਦੀ
🙏🙏🙏💟Jai Kalki jai jagatpate padmapati jai ramapate 💟🙏🙏🙏
Arjun ka kirdaar fer kbhi aisa koi aur actor nhi nibha saka jaisa firoj khan sir ne nibhaya salute sir bahut hi manmohak kirdaar nibhaya aapne
Jai sri 🙏🙏🙏Ram
Thank you pen. Bhakti fimel far mahabharat
Jai shree radhe Krishna 🙏🚩🌹❤