Pavan K Varma के लिए धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का अर्थ, Political Life से Kama Sutra तक बेबाक Interview
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- Опубліковано 15 гру 2024
- उर्दू और हिंदी में ज़्यादा फर्क नहीं कर सकते!
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने मैंने तीन शर्तें रखी थीं!
गुलज़ार साहब से ऐसे हुई मेरी मुलाकात?
गुलज़ार साहब ने जो किया उससे मैं बहुत ज़्यादा भौचक्का रह गया था!
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का संतुलन होना बहुत ज़रूरी!
Kama Sutra लोग सिर्फ चित्र देखने लिए लेते हैं, पढ़ने के लिए नहीं!
राजनीति का स्तर अब बहुत गिर चुका है!
ये और ऐसी कई बातें तब सामने आईं, जब लेखक, चिंतक, विचारक पवन के वर्मा साहित्य तक स्टूडियो के हमारे खास कार्यक्रम 'बातें-मुलाकातें' में उपस्थित हुए .
कितने दिनों के प्यासे होंगे यारों सोचो तो
शबनम का कतरा भी जिनको दरिया लगता है... पवन के. वर्मा को यह शायरी बहुत पसंद है. उनका खुद का जीवन बौद्धिक चिंतन, विमर्श, कूटनीति, राजनीति, संस्कृति और कला के साथ बीता है. वे जानेमाने लेखक, पूर्व कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ हैं और कुछ समय पूर्व तक वे राज्य सभा के सदस्य भी रह चुके हैं. कैबिनेट मंत्री के पद के साथ आप बिहार के मुख्यमंत्री के सलाहकार भी रह चुके हैं. विभिन्न देशों में भारत के राजदूत रहे वर्मा लंदन में नेहरू सेंटर के अध्यक्ष, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता और भारत के राष्ट्रपति के प्रेस सचिव भी रहे. करीब दर्जनभर बेहतरीन किताबों के लेखक पवन के. वर्मा को कूटनीति, साहित्य, संस्कृति और सौंदर्यशास्त्र के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2005 में यूनीवर्सिटी ऑफ इंडियानापॉलिस की ओर से मानद डॉक्टरेट की डिग्री भी प्राप्त हुई थी. आपको 2012 में भूटान के सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार 'द्रक थक्सेय' से भी सम्मानित किया गया. तो साहित्य तक के 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में सुनिए पवन के वर्मा संग वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की यह बतकही.
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