शरीर में आत्मा कहां रहता है | How Soul dwells in the Body ? कठोपनिषद

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  • Опубліковано 2 лют 2025

КОМЕНТАРІ • 15

  • @kautikbhangare9129
    @kautikbhangare9129 День тому

    बहुत बहुत धनयवाद माताजी 🙏🙏🙏

  • @sunderlalverma1825
    @sunderlalverma1825 10 днів тому +2

    परमपूज्यनीय गुरु माता शत शत प्रणाम 🍁🍁🍁हरि ॐ

  • @diahusaab
    @diahusaab 5 днів тому

    हरिओम। सादर प्रणाम जी।

  • @PraveenSharma-wi5ip
    @PraveenSharma-wi5ip 15 днів тому

    Radhay Radhay guru ji🙏

  • @mahalaxmitiwari55
    @mahalaxmitiwari55 6 днів тому

    Radhe Radhe MAA ❤

  • @vijaytiwari5982
    @vijaytiwari5982 10 днів тому

    प्रणाम गुरु देव

  • @swamisanjayanand7418
    @swamisanjayanand7418 8 днів тому

    Didi guru maa ko charan sparsh

  • @sushmadhakal8019
    @sushmadhakal8019 10 днів тому +1

    ❤❤❤🙏नमस्कार जि !!!

  • @DhrubaYT
    @DhrubaYT 10 днів тому

    Pravesh to shukra me hi ho jata Hai.

  • @abhi.anant1985
    @abhi.anant1985 10 днів тому +1

    गुरु माता को प्रणाम, माता जी एक दूसरे वीडियो में भी प्रश्न उठा था मन में कि आत्मा और हृदय का क्या संबंध है l कृपया कर के समाधान करें l प्रणाम 🙏

    • @jayghoshgita
      @jayghoshgita  9 днів тому

      बताएंगे

    • @abhi.anant1985
      @abhi.anant1985 9 днів тому

      @jayghoshgita माता जी को दण्डवत l बड़ी कृपा होगी 🙏l कृपया निम्नलिखित श्लोकों के सन्दर्भ में समझाएं माता जी l क्या ध्यान करते समय हृदय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने से आत्मा को जाना जा सकता है l कृपया मार्गदर्शन दें माता जी l प्रणाम 🙏l
      गीता जी-
      अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थितः ।
      अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ॥ १०-२०॥
      कठोपनिषद् -
      अङ्गुष्ठमात्रः पुरुषोऽन्तरात्मा सदा जनानां हृदये सन्निविष्टः ।
      तं स्वाच्छरीरात् प्रवृहेन्मुञ्जादिवेषीकां धैर्येण ॥ तं विद्याच्छुक्रममृतं तं विद्याच्छुक्रममृतमिति ॥ १७ ॥

  • @jayeshbhai7967
    @jayeshbhai7967 8 днів тому

    नमस्कार बाईजी जिसको आप आत्मा कह रही हे .वो हमारा परम चैतन्य शरीर है वो हमारा मुल हे.आतमा जो अव्यक्त हे निरलेप अजन्मा अविनाशी है और निर्छूत हे परम चेतना की कोई भी तत्त्व व्यवस्था छुनही शकती हे वो निर्बंध हे वो स्वतंत्र हे विकारों मै हमारी परम चेतना फंसी पडी हे आत्मा के गुणों से हिसाब से कही नही फंसती हे आत्मा. सारा रोग परम चेतना पर लगा हे

  • @shivendrabahadursingh6911
    @shivendrabahadursingh6911 7 днів тому

    गुरु माता जी को कोटिशः प्रणाम।माता जी फिर से समझाइये,2 आँख 2कान 2नाक 1मुख 1उपस्थ 1गुदा सब मिलकर इस शरीर रूपी पूरी में कुल 9 द्वार ही होते है। 2और कौन से है जिसे मिलाकर 11 होते है।

  • @RajYadav-z6g
    @RajYadav-z6g 7 днів тому

    माताजी शास्त्रों में तो 13 दरबाजों.का भी वर्णन किया है