निर्माल्य का अर्थ क्या है-निर्माल्य विसर्जन करने का सही तरीका

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  • Опубліковано 19 жов 2024
  • निर्माल्य संस्कृत शब्द है। निर् (अव्यय)उपसर्ग पूर्वक मल्ल धारणे धातु से ण्यत् प्रत्यय लगाकर, निर्माल्य शब्द बनता है।देवता को चढ़ाये गये, देवता को धारण कराये गये पुष्प, पुष्पमाला,नैवेद्य इत्यादि को देवता के विसर्जन, पूजा समाप्ति के उपरान्त उतारे जाने पर वे निर्माल्य कहलाते हैं एवं मनुष्यों, देवता के गणों एवं देवपूजकों एवं भक्तों के द्वारा ग्राह्य( ग्रहण करने योग्य) होते हैं।
    किसी भी देव के अर्चाविग्रह पर अर्पित किए जाने के उपरान्त उतारे गए पुष्पों व मालाओं को 'निर्माल्य' कहते हैं। शास्त्रों में यह 'निर्माल्य' बड़ा ही पवित्र माना गया है। इस निर्माल्य को अपवित्र स्थानों में विसर्जित नहीं किया जाना चाहिए और ना ही इसका पैर से स्पर्श होना चाहिए।

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