एक अौर भगवान खडा हो गया " महाश्रवण " भगवान ! " भगवान " शब्दका प्रयाेग इतना अनर्थ हुवा हे कि वास्तविक भगवान न जाने सर्मके मारे कहाँ छुप गए दिखाइ नहि दिए हे। भावना मंगलका ताे हे, मंगलका कामना करना उनकाे जाे वास्तविक भगवानकाे हाथ देना ताे हे पर भावना रखनेसे नहि कर्म भि भावना सा हि होना अनिवार्य हे तब हि भगवान ताे नहि भगवान सा हे भगवान हि नहि, इसके लिए भि बहुत पापड बेलनेसे हि बने हे। ऐसे हि जाे काेहि भगवान कहलाए ताे भगवान का अस्तित्व कहाँ, यहि हे तामसि व तमसताका कर्म। जाे अज्ञानता वश हि होता हे। वास्तव मे महावीर ने जिसका ध्यान या जिसके तपस्या किया करते थे उसकाे पहचान उनसे याेग लगाए कर्म करना था परन्तु महावीर का भि नहि अाज जाे सामने हे, जिसे चर्मचक्षु से दिखे उनकाे भगवान कहना व कहलवाना महा तमस क्याें नहि। महाश्रमण महाशय ! भि सुने क्या यह सत्य हो रहा हे ? चिन्तन करें, यह भि चिन्तन हि हे कमेन्ट नहि हे, धन्यवाद !!!
Jai Jinendra, Jab hum ek pathar ko bhagwan samajh kar puja kar sakte he to hamare acharya jo hamare adarsh murti he, unko hum bhagwan kyon nahi man sakte..Aur vaise hi hum unko nahi unke guno ko, acharan ko , unke vyaktitava ko bhagwan shabd se sambhodit kar rahe he..Aisa karna hame bhi aise guno ko prapt karne ki koshish he..Aur vaise bhi yeh to vairagi mahapurush, hamare sambhodan se unhe kinchit bhi pramad nahi hota..
@@rakeshkothari3249 महाशय ! अापके अाश्था से या किसि पंथके अाश्था से कोहि किसिको भगवान माने या ईश्वर अल्लाह गड जाे भि माने उसपर अापत्ति कोइ नहि, अापका अाश्था का सवाल नहि हे। पंक्तिको ध्यान से पढे ! ठिक हे ! महाश्रवण महाशय काे हम सभि ने भगवान हि माना ताे उपलब्धि क्या रहा ? महावीरको मानते अाए ! कुछ बना ? क्या जगतमे सुख शान्ति स्थापित हो सका ? मात्र माननेसे कुछ उपलब्धि बनने वाले नहि हे, उपलब्धि तब होगे जब महावीरका दिखाया सत्यमार्ग को जीवन मे उतार सकेंगे ताे ! क्या अाजतक किसिने उतारा ? जैसे अभिवादन करते " जय जिनेन्द्र " जाे बोला करते हे क्या काेहि जिनेन्द्र बना ? जब जिनेन्द्र बनेगे तब हि जय बनेगे ! जिनेन्द्र बने विगर जय किसिका होने वाला नहि हे, महावीर ने दिए वास्तविक सत्यमार्गका अनुकरण न ताे तरुणसागर से बना न हि महाश्रवण से न अन्य कोहि सागर से। " जय जिनेन्द्र " का अर्थ हे हरेक प्राणी विषेशतः मानव मे रहे इन्द्रियों पाँच कर्मेन्द्रिया अौर पाँच ज्ञानेन्द्रिया कुल दस इन्द्रियोंपर विजयी बनके जीवनचलाना हि " जय जिनेन्द्र " होना हे , बिना उन इन्द्रियों पर विजयी न बन कोहि किसिका किन्हि मायने मे जय होने वाला नहि हे। विजयी भि यह शरीर से नहि इस शरीरको हाँकने वाला रथी काे विजयी बनना होगा। शरीर रुपि रथको हाँकने वाला रथी जिनेन्द्र बने बिना जय शरीर का या किसिका हो न सके। वहि रथी विहिन होना या मृत्यु होना हि अर्थि या अ-रथी बनते हे। पहले उस रथी जाे शरीर काे हाँकते हे उसे पहचान उसपर टिक जिनेन्द्र बनते हि हरप्राणी का जय बनते हे। लक्ष या उदेश्य हमे जय जिनेन्द्र हि बनना हे। न बन चाहे महावीरका स्वयम् उपस्थिति इससंसार मे रहे ताे भि कुछ होने वाला नहि हे। इसपर प्रयत्न किसि " महाश्रवण " सा महाशयाें से अवतक हुवा नहि मात्र अन्यर्थ दौडमे व्यस्त या अादर्श वाणी वाचन मात्र कनरस हे परिवर्तितिय मार्ग नहि हे जिसका समझतक किसिकाे नहि बना। माना एक बार महावीरका हि उपस्थिति कुछ समयके लिए हुवा ! क्या हे लक्ष क्या उदेश्य हे जाे उनके अानेसे ? हम ताे उनका मुर्ति पर अभिषेक करते ,अारति करते या अन्य तरिके से उनको पुजा हि करते अाए अब प्रत्यक्ष अगर हो ताे क्या उनके शरीर के साथ भि वहि प्रकृया ? या कुछ करनेको कहेगे क्या सम्भव हे महाशय ! किसिका काेइ शाश्वत लक्ष नहि। न तेरापंथिवालेका न वाइसपंथिका न हि दिगम्बरि या स्वेताम्वरि का ! सब अपनि अपनि संस्कार से महावीर पर उतरेगे यहि न ! क्या काेइ अापसे बने ? महाशय ! यहि दिखाने का प्रयत्न इसपंक्तिकार का रहा। चिन्तन हे यह कमेन्ट किसिसे भि नहि हे। धन्यवाद !!!
❤JAI JAI JYOTI CHARAN❤
❤JAI JAI MAHASHRAMAN❤
एक अौर भगवान खडा हो गया " महाश्रवण " भगवान ! " भगवान " शब्दका प्रयाेग इतना अनर्थ हुवा हे कि वास्तविक भगवान न जाने सर्मके मारे कहाँ छुप गए दिखाइ नहि दिए हे। भावना मंगलका ताे हे, मंगलका कामना करना उनकाे जाे वास्तविक भगवानकाे हाथ देना ताे हे पर भावना रखनेसे नहि कर्म भि भावना सा हि होना अनिवार्य हे तब हि भगवान ताे नहि भगवान सा हे भगवान हि नहि, इसके लिए भि बहुत पापड बेलनेसे हि बने हे। ऐसे हि जाे काेहि भगवान कहलाए ताे भगवान का अस्तित्व कहाँ, यहि हे तामसि व तमसताका कर्म। जाे अज्ञानता वश हि होता हे। वास्तव मे महावीर ने जिसका ध्यान या जिसके तपस्या किया करते थे उसकाे पहचान उनसे याेग लगाए कर्म करना था परन्तु महावीर का भि नहि अाज जाे सामने हे, जिसे चर्मचक्षु से दिखे उनकाे भगवान कहना व कहलवाना महा तमस क्याें नहि। महाश्रमण महाशय ! भि सुने क्या यह सत्य हो रहा हे ? चिन्तन करें, यह भि चिन्तन हि हे कमेन्ट नहि हे, धन्यवाद !!!
Tumne aise kaha
Jai Jinendra, Jab hum ek pathar ko bhagwan samajh kar puja kar sakte he to hamare acharya jo hamare adarsh murti he, unko hum bhagwan kyon nahi man sakte..Aur vaise hi hum unko nahi unke guno ko, acharan ko , unke vyaktitava ko bhagwan shabd se sambhodit kar rahe he..Aisa karna hame bhi aise guno ko prapt karne ki koshish he..Aur vaise bhi yeh to vairagi mahapurush, hamare sambhodan se unhe kinchit bhi pramad nahi hota..
@@rakeshkothari3249 महाशय ! अापके अाश्था से या किसि पंथके अाश्था से कोहि किसिको भगवान माने या ईश्वर अल्लाह गड जाे भि माने उसपर अापत्ति कोइ नहि, अापका अाश्था का सवाल नहि हे। पंक्तिको ध्यान से पढे ! ठिक हे ! महाश्रवण महाशय काे हम सभि ने भगवान हि माना ताे उपलब्धि क्या रहा ? महावीरको मानते अाए ! कुछ बना ? क्या जगतमे सुख शान्ति स्थापित हो सका ? मात्र माननेसे कुछ उपलब्धि बनने वाले नहि हे, उपलब्धि तब होगे जब महावीरका दिखाया सत्यमार्ग को जीवन मे उतार सकेंगे ताे ! क्या अाजतक किसिने उतारा ? जैसे अभिवादन करते " जय जिनेन्द्र " जाे बोला करते हे क्या काेहि जिनेन्द्र बना ? जब जिनेन्द्र बनेगे तब हि जय बनेगे ! जिनेन्द्र बने विगर जय किसिका होने वाला नहि हे, महावीर ने दिए वास्तविक सत्यमार्गका अनुकरण न ताे तरुणसागर से बना न हि महाश्रवण से न अन्य कोहि सागर से। " जय जिनेन्द्र " का अर्थ हे हरेक प्राणी विषेशतः मानव मे रहे इन्द्रियों पाँच कर्मेन्द्रिया अौर पाँच ज्ञानेन्द्रिया कुल दस इन्द्रियोंपर विजयी बनके जीवनचलाना हि " जय जिनेन्द्र " होना हे , बिना उन इन्द्रियों पर विजयी न बन कोहि किसिका किन्हि मायने मे जय होने वाला नहि हे। विजयी भि यह शरीर से नहि इस शरीरको हाँकने वाला रथी काे विजयी बनना होगा। शरीर रुपि रथको हाँकने वाला रथी जिनेन्द्र बने बिना जय शरीर का या किसिका हो न सके। वहि रथी विहिन होना या मृत्यु होना हि अर्थि या अ-रथी बनते हे। पहले उस रथी जाे शरीर काे हाँकते हे उसे पहचान उसपर टिक जिनेन्द्र बनते हि हरप्राणी का जय बनते हे। लक्ष या उदेश्य हमे जय जिनेन्द्र हि बनना हे। न बन चाहे महावीरका स्वयम् उपस्थिति इससंसार मे रहे ताे भि कुछ होने वाला नहि हे। इसपर प्रयत्न किसि " महाश्रवण " सा महाशयाें से अवतक हुवा नहि मात्र अन्यर्थ दौडमे व्यस्त या अादर्श वाणी वाचन मात्र कनरस हे परिवर्तितिय मार्ग नहि हे जिसका समझतक किसिकाे नहि बना। माना एक बार महावीरका हि उपस्थिति कुछ समयके लिए हुवा ! क्या हे लक्ष क्या उदेश्य हे जाे उनके अानेसे ? हम ताे उनका मुर्ति पर अभिषेक करते ,अारति करते या अन्य तरिके से उनको पुजा हि करते अाए अब प्रत्यक्ष अगर हो ताे क्या उनके शरीर के साथ भि वहि प्रकृया ? या कुछ करनेको कहेगे क्या सम्भव हे महाशय ! किसिका काेइ शाश्वत लक्ष नहि। न तेरापंथिवालेका न वाइसपंथिका न हि दिगम्बरि या स्वेताम्वरि का ! सब अपनि अपनि संस्कार से महावीर पर उतरेगे यहि न ! क्या काेइ अापसे बने ? महाशय ! यहि दिखाने का प्रयत्न इसपंक्तिकार का रहा। चिन्तन हे यह कमेन्ट किसिसे भि नहि हे। धन्यवाद !!!
😊😊😊😊
यह भगवान यह भगवान महावीर तपस्या कर भगवान ही होते हैं
Acharya guruvar aapke charno mein sat sat vandan
Jai Jinendr
Jai gurudev
jai jai jyoti charan jai jai maha shman
megha goya
Jai jai Jyoti charan jai jai mahasraman bhagwan
Jain is always best
Mera mahasharam bhagwan
jai jai jyoticharan
jai jai mahashrman
vande gurudev 🙏🙏🙏🙏
Ya bhajan sunne se atma mai shanti milta ha ha guruwar🙏🙏
Vande guruvaram🙏🏻🙏🏻
Outstanding.....Bhav vIbhor
Hiiii
Jai Jay Mahashraman Bhagwan , Kripa karo,
Vande Gurvaram Om Arham.
सत सत वंदना
वंदे गुरुवरम ।
Jai jai.. jyoti...
shri mahashraman gurvey namah
Bahut accha hai song 🎶
Jai jai jyoti charan jai jai maha sharwan🙏🙏
Om Arham 🙏🙏
Vande Guruvaram 🙏🙏
jai jai jyoticharan
Ayush Jain
mere mahashrman bagwan
vandea guruvaram
Vande guruvaram notation daga
mere mahasharman bhagwan
Vidhi Jain njn???nnnnnnbnbnnbbn-n-n-nnnnnbm
Jai Jai JYOTI CHARAN Jai Jai Mahasarman Bhagwan
Jai jai jyoticharan jai jai mahasharman
jai mamosa maharaj mahasharmang ki
Good
Vande guruvarm
Jai jai mahasraman bhagwan
jay jay mahashraman
jai mahasharman bhagan
mahashraman hain vighnaharan
बोहत अछा
रमेश राजपुत
Jai Bhikshu Swami Jai Terapanth Jai Mahasharman
Motilal.s.nadrecha.semad...
ॐ अर्हम
🙏🙏🙏🙏
Jai gurudev
vande guruvaram
buy by
Pratik jai
om arham
Ap sardar shar se ho?
Must song 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
koti koti vandan
वंदे guruvaram
Mathey Vandami
Jay jay Jyoti Charan jay jay mahasaman
jai jai mahashrman
Mahasharvan bhahwan
jay mahsharman
🙏🙏🙏
upload more songs plss
Mere mahasraman bhagwan
Super song
Me. R. K. Sen.
NICE & SILENT SONG
mere bhagwan
jai jai jyoti charn
Peaceful... Will listen everyday...
Ser
Guru namaha
dil ko chune wala gaana😃
🙏
vids rathod
very fine
Arham
Jay
Wow
Navkamal
Om Arham
Super
Om Araham HNL t rfvgjjdb
very nicw
अच्छा गीत गया लाइक सब्सक्राइब कमेंट सब कुछ कर दिया आप मेरा भी चैनल खोल कर देखें नैतिक घरेलू उपचार स्वास्थ्य के लिए बनाया गया घरेलू चीजें हैं
Himmat,jain
Rajesh
Rajesh 8610156393
पपं
An acharya is never Bhagwan,our monks should not encourage it
jai ho
Jai mahashraman
Jai Jai Jyoti Charan jai Jai mahasharman
jai jai Jyothi charan jaijai mahasharaman
jai jai juoti charan jai jai mahashraman
mere mahashraman bhagwan
🙏🏻🙏🏻
Jai jai mhasarmn
Mare mahasharman
Vande guruvaram
Jai jai jyoti charn
vande guruvaram
🙏
Jai jai jyoticharan jai jai mahashraman
🙏🙏🙏🙏🙏
om arham
Sushil Jain and I will
@@nehanahar523 what
Vande guruvarm
jai jai Jyothi charan jaijai mahasharaman
Jai jai Jyoti Charan Jai jai mahashraman
vande guruvaram
Om Arham
om arham
mere mahashraman bhagwan
mere Mahashraman Bhagwan
vande guruvarm
Vande guruvaram
Vande guruvaram
Om arham
vande guruvaram
mere mahashraman bhagwan
Vande guruvaram
Om arham
Om arham