शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन स्कंद माता की कथा | मां स्कंदमाता | maa skandamata devi

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  • Опубліковано 12 жов 2024
  • शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन स्कंद माता की कथा | मां स्कंदमाता | maa skandamata
    Mata Skandamata devi
    नवरात्र के पांचवें दिन माँ दुर्गा के पांचवें स्वरूप 'स्कन्दमाता' की पूजा होती है।
    पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है। इन्हें स्कन्द कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाना जाता है। यह प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार शौर शक्तिधर बताकर इनका वर्णन किया गया है। इनका वाहन मयूर है अतः इन्हें मयूरवाहन के नाम से भी जाना जाता है।
    इन्हीं भगवान स्कन्द की माता होने के कारण दुर्गा के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता कहा जाता है।
    इनकी पूजा नवरात्रि में पांचवें दिन की जाती है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में होता है। इनके विग्रह में स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे हैं। स्कन्द मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजायें हैं, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कन्द को गोद में पकड़े हैं और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को उठी है, उसमें कमल पकड़ा हुआ है।
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    Background Music Credit :
    Music by Akash Kumar from Pixabay

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