अर्हन्तो भगवत इन्द्रमहिताः, सिद्धाश्च सिद्धीश्वरा, आचार्याः जिनशासनोन्नतिकराः, पूज्या उपाध्यायकाः श्रीसिद्धान्तसुपाठकाः, मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः, पञ्चैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं, कुर्वन्तु नः मंगलम् अर्थ - इन्द्रों द्वारा जिनकी पूजा की गई, ऐसे अरिहन्त भगवान, सिद्ध पद के स्वामीऐसे सिद्ध भगवान, जिन शासन को प्रकाशित करने वाले ऐसे आचार्य, जैन सिद्धांत कोसुव्यवस्थित पढ़ाने वाले ऐसे उपाध्याय, रत्नत्रय के आराधक ऐसे साधु, ये पाँचोंमरमेष्ठी प्रतिदिन हमारे पापों को नष्ट करें और हमें सुखी करे! श्रीमन्नम्र - सुरासुरेन्द्र - मुकुट - प्रद्योत - रत्नप्रभा- भास्वत्पादनखेन्दवः प्रवचनाम्भोधीन्दवः स्थायिनः ये सर्वे जिन-सिद्ध-सूर्यनुगतास्ते पाठकाः साधवः स्तुत्या योगीजनैश्च पञ्चगुरवः कुर्वन्तु नः मंगलम् अर्थ - शोभायुक्त और नमस्कार करते हुए देवेन्द्रों और असुरेन्द्रो के मुकुटों केचमकदार रत्नों की कान्ति से जिनके श्री चरणों के नखरुपी चन्द्रमा की ज्योति स्फुरायमानहो रही है, और जो प्रवचन रुप सागर की वृद्धि करने के लिए स्थायी चन्द्रमा हैं एवंयोगीजन जिनकी स्तुति करते रहते हैं, ऐसे अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधुये पांचों परमेष्ठी हमारे पापों को क्षय करें और हमें सुखी करें! सम्यग्दर्शन-बोध-व्रत्तममलं, रत्नत्रयं पावनं, मुक्ति श्रीनगराधिनाथ - जिनपत्युक्तोऽपवर्गप्रदः धर्म सूक्तिसुधा च चैत्यमखिलं, चैत्यालयं श्रयालयं, प्रोक्तं च त्रिविधं चतुर्विधममी, कुर्वन्तु नः मंगलम् अर्थ - निर्मल सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र ये पवित्र रत्नत्रय हैंश्रीसम्पन्न मुक्तिनगर के स्वामी भगवान् जिनदेव ने इसे अपवर्ग (मोक्ष) को देनेवाला कहा है इस त्रयी के साथ धर्म सूक्तिसुधा (जिनागम), समस्त जिन-प्रतिमा और लक्ष्मीका आकारभूत जिनालय मिलकर चार प्रकार का धर्म कहा गया है वह हमारे पापों का क्षयकरें और हमें सुखी करे! नाभेयादिजिनाः प्रशस्त-वदनाः ख्याताश्चतुर्विंशतिः, श्रीमन्तो भरतेश्वर-प्रभृतयो ये चक्रिणो द्वादश ये विष्णु-प्रतिविष्णु-लांगलधराः सप्तोत्तराविंशतिः, त्रैकाल्ये प्रथितास्त्रिषष्टि-पुरुषाः कुर्वन्तु नः मंगलम् अर्थ - तीनों लोकों में विख्यात और बाह्य तथा अभ्यन्तर लक्ष्मी सम्पन्न ऋषभनाथभगवान आदि 24 तीर्थंकर, श्रीमान् भरतेश्वर आदि 12 चक्रवर्ती, 9 नारायण, 9 प्रतिनारायणऔर 9 बलभद्र, ये 63 शलाका महापुरुष हमारे पापों का क्षय करें और हमें सुखी करे!
जय जिनेन्द्र बहुत ही प्रभवाल और मधुर आवाज में गया है जो कई वर्षों तक जिन शासन की महिमा को लोगों तक पहुचायेगा और उनके जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा जिनवानी चैनल का उपकार स्मरणीय रहेगा ,
जिनवाणी चैनल को बहुत बहुत साधुवाद जिन्होंने मंगलाष्टक बारह भावना, भावना बत्तीसी, आलोचना पाठ स्वयभूस्रोत आदि की जो प्रस्तुति दी है बहुत ही प्रशंसनीय है इसके लिये वह पुन: साधुवाद के पात्र है जिनवाणी चैनल भविष्य में भी इसी तरह जैन धर्म की पताका फहराते रहेंगें जयजिनेन्द्र सहित 🙏🙏🙏🙏🙏
ये सर्वौषध-ऋद्धयः सुतपसो वृद्धिंगताः पञ्च ये, ये चाष्टाँग-महानिमित्तकुशलाः येऽष्टाविधाश्चारणाः पञ्चज्ञानधरास्त्रयोऽपि बलिनो ये बुद्धिऋद्धिश्वराः, सप्तैते सकलार्चिता मुनिवराः कुर्वन्तु नः मंगलम् अर्थ - सभी औषधि ऋद्धिधारी, उत्तम तप से वृद्धिगत पांच, अष्टांग महानिमित्तज्ञानी,आठ प्रकार की चारण ऋद्धि के धारी, पांच प्रकार की ज्ञान ऋद्धियों के धारी, तीनप्रकार की बल ऋद्धियों के धारी, बुद्धि ऋद्धिधारी ऐसे सातों प्रकारों के जगत पूज्यगणनायक मुनिवर हमारा मंगल करे! ज्योतिर्व्यन्तर-भावनामरग्रहे मेरौ कुलाद्रौ स्थिताः, जम्बूशाल्मलि-चैत्य-शखिषु तथा वक्षार-रुप्याद्रिषु इक्ष्वाकार-गिरौ च कुण्डलादि द्वीपे च नन्दीश्वरे, शैले ये मनुजोत्तरे जिन-ग्रहाः कुर्वन्तु नः मंगलम् अर्थ - ज्योतिषी, व्यंतर, भवनवासी और वैमानिकों केआवासों के, मेरुओं, कुलाचकों,जम्बू वृक्षों औरशाल्मलि वृक्षों, वक्षारों विजयार्धपर्वतों,इक्ष्वाकार पर्वतों,कुण्डलवर (तथा रुचिक वर), नन्दीश्वर द्वीप, और मानुषोत्तर पर्वत के सभी अकृत्रिमजिन चैत्यालय हमारे पापों काक्षयकरेंऔरहमें सुखी बनावें! कैलाशे वृषभस्य निर्व्रतिमही वीरस्य पावापुरे चम्पायां वसुपूज्यसुज्जिनपतेः सम्मेदशैलेऽर्हताम् शेषाणामपि चोर्जयन्तशिखरे नेमीश्वरस्यार्हतः, निर्वाणावनयः प्रसिद्धविभवाः कुर्वन्तु नः मंगलम् अर्थ - भगवान ऋषभदेव की निर्वाणभूमि - कैलाश पर्वत, महावीर स्वामी कीपावापुर, वासुपूज्यस्वामी (राजा वसुपूज्य के पुत्र) की चम्पापुरी, नेमिनाथ स्वामी की ऊर्जयन्त पर्वतशिखर, और शेष बीस तीर्थंकरों की श्री सम्मेदशिखर पर्वत, जिनका अतिशय और वैभव विख्यातहै ऐसी ये सभी निर्वाण भूमियाँ हमें निष्पाप बनावें और हमें सुखी करें! यो गर्भावतरोत्सवो भगवतां जन्माभिषेकोत्सवो, यो जातः परिनिष्क्रमेण विभवो यः केवलज्ञानभाक् यः कैवल्यपुर-प्रवेश-महिमा सम्पदितः स्वर्गिभिः कल्याणानि च तानि पंच सततं कुर्वन्तु नः मंगलम् अर्थ - तीर्थंकरों के गर्भकल्याणक, जन्माभिषेक कल्याणक, दीक्षा कल्याणक, केवलज्ञानकल्याणक और कैवल्यपुर प्रवेश (निर्वाण) कल्याणक के देवों द्वारा सम्पादित महोत्सवहमें सर्वदा मांगलिक रहें! सर्पो हारलता भवत्यसिलता सत्पुष्पदामायते, सम्पद्येत रसायनं विषमपि प्रीतिं विधत्ते रिपुः देवाः यान्ति वशं प्रसन्नमनसः किं वा बहु ब्रूमहे, धर्मादेव नभोऽपि वर्षति नगैः कुर्वन्तु नः मंगलम् अर्थ - धर्म के प्रभाव से सर्प माला बन जाता है, तलवार फूलों के समान कोमल बन जातीहै, विष अमृत बन जाता है, शत्रु प्रेम करने वाला मित्र बन जाता है और देवता प्रसन्नमन से धर्मात्मा के वश में हो जाते हैं अधिक क्या कहें, धर्म से ही आकाश से रत्नोंकी वर्षा होने लगती है वही धर्म हम सबका कल्याणकरे! इत्थं श्रीजिन-मंगलाष्टकमिदं सौभाग्य-सम्पत्करम्, कल्याणेषु महोत्सवेषु सुधियस्तीर्थंकराणामुषः ये श्र्रण्वन्ति पठन्ति तैश्च सुजनैः धर्मार्थ-कामाविन्ताः, लक्ष्मीराश्रयते व्यपाय-रहिता निर्वाण-लक्ष्मीरपि अर्थ - सोभाग्यसम्पत्ति को प्रदान करने वाले इस श्री जिनेन्द्र मंगलाष्टक को जोसुधी तीर्थंकरों के पंच कल्याणक के महोत्सवों के अवसर पर तथा प्रभातकाल में भावपूर्वकसुनते और पढ़ते हैं, वे सज्जन धर्म, अर्थ और काम से समन्वित लक्ष्मी के आश्रय बनतेहैं और पश्चात् अविनश्वर मुक्तिलक्ष्मी को भी प्राप्त करते हैं!
अर्हन्तो भगवत इन्द्रमहिताः, सिद्धाश्च सिद्धीश्वरा,
आचार्याः जिनशासनोन्नतिकराः, पूज्या उपाध्यायकाः
श्रीसिद्धान्तसुपाठकाः, मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः,
पञ्चैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं, कुर्वन्तु नः मंगलम्
अर्थ - इन्द्रों द्वारा जिनकी पूजा की गई, ऐसे अरिहन्त भगवान, सिद्ध पद के स्वामीऐसे सिद्ध भगवान, जिन शासन को प्रकाशित करने वाले ऐसे आचार्य, जैन सिद्धांत कोसुव्यवस्थित पढ़ाने वाले ऐसे उपाध्याय, रत्नत्रय के आराधक ऐसे साधु, ये पाँचोंमरमेष्ठी प्रतिदिन हमारे पापों को नष्ट करें और हमें सुखी करे!
श्रीमन्नम्र - सुरासुरेन्द्र - मुकुट - प्रद्योत - रत्नप्रभा-
भास्वत्पादनखेन्दवः प्रवचनाम्भोधीन्दवः स्थायिनः
ये सर्वे जिन-सिद्ध-सूर्यनुगतास्ते पाठकाः साधवः
स्तुत्या योगीजनैश्च पञ्चगुरवः कुर्वन्तु नः मंगलम्
अर्थ - शोभायुक्त और नमस्कार करते हुए देवेन्द्रों और असुरेन्द्रो के मुकुटों केचमकदार रत्नों की कान्ति से जिनके श्री चरणों के नखरुपी चन्द्रमा की ज्योति स्फुरायमानहो रही है, और जो प्रवचन रुप सागर की वृद्धि करने के लिए स्थायी चन्द्रमा हैं एवंयोगीजन जिनकी स्तुति करते रहते हैं, ऐसे अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधुये पांचों परमेष्ठी हमारे पापों को क्षय करें और हमें सुखी करें!
सम्यग्दर्शन-बोध-व्रत्तममलं, रत्नत्रयं पावनं,
मुक्ति श्रीनगराधिनाथ - जिनपत्युक्तोऽपवर्गप्रदः
धर्म सूक्तिसुधा च चैत्यमखिलं, चैत्यालयं श्रयालयं,
प्रोक्तं च त्रिविधं चतुर्विधममी, कुर्वन्तु नः मंगलम्
अर्थ - निर्मल सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र ये पवित्र रत्नत्रय हैंश्रीसम्पन्न मुक्तिनगर के स्वामी भगवान् जिनदेव ने इसे अपवर्ग (मोक्ष) को देनेवाला कहा है इस त्रयी के साथ धर्म सूक्तिसुधा (जिनागम), समस्त जिन-प्रतिमा और लक्ष्मीका आकारभूत जिनालय मिलकर चार प्रकार का धर्म कहा गया है वह हमारे पापों का क्षयकरें और हमें सुखी करे!
नाभेयादिजिनाः प्रशस्त-वदनाः ख्याताश्चतुर्विंशतिः,
श्रीमन्तो भरतेश्वर-प्रभृतयो ये चक्रिणो द्वादश
ये विष्णु-प्रतिविष्णु-लांगलधराः सप्तोत्तराविंशतिः,
त्रैकाल्ये प्रथितास्त्रिषष्टि-पुरुषाः कुर्वन्तु नः मंगलम्
अर्थ - तीनों लोकों में विख्यात और बाह्य तथा अभ्यन्तर लक्ष्मी सम्पन्न ऋषभनाथभगवान आदि 24 तीर्थंकर, श्रीमान् भरतेश्वर आदि 12 चक्रवर्ती, 9 नारायण, 9 प्रतिनारायणऔर 9 बलभद्र, ये 63 शलाका महापुरुष हमारे पापों का क्षय करें और हमें सुखी करे!
Thankyou for meaning❤
Meaning
Bahut hi sundar madhur dhavni ke sath
Jai Jinendra 🙏
नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु🙏🙏🙏
Jay.jinendra
Namostu.gurudev. Namostu.gurudev 🙏🙏
Ji jinendra
Namoshtu Bhagwan🙏🙏🙏🙏🙏
Ye hr roj sunte hai bhahut santi Malta hai ji
24 THIRTHANKERO ke jai ho
NAMOSTU.GURUDEV. NAMOSTU.GURUDEV
Nice. Jay.jinendra. 🙏🙏💐💐
बहुत ही स्पष्ट आवाज में सुनना अच्छा लगता हैं 🙏🙏
I like it jinvani channel 👌👌👌
नमोस्तु भगवन नमोस्तु 🙏🙏
Namostu shashan
Jay.seta.raam
Shanti nath bhagwan ki jai 🙏🙏..24 trithankaro ki Jai 🙏🙏.. namastu aacharya ko 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏........ sabhi Muni or aarkiyon ki Jai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Namostu.bhagwann
🙏 जय जिनेंद्र
Nirmala jain thane kasely🙏🙏🙏 namostu namostu namostu mumbai
Namostoo bagvan
Jay.adinath.bhagvan. jay.ho.24. Jay.ho
Bha 🙏🙏🙏bhaut santi wani koti koti pranam🙏🙏
Nice namostu.gurudev namostu.bhagwann 🙏🙏🌷🌷
Jain Dharm ke Jai Ho Jai jinendra
Awesome
णमो णमो 🌹🌹🙏🏻🙏🏻
Jay.adinath..jay..ho.jay.ho🙏🙏⚘⚘
नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु भगवान 👏👏👏
NamoStu bhagwan ji
Jai Ho 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai ho
Ati sundar jai Jinendra 👏👏👏
JayAdinath🙏🏻🙏🏻namo jinanam
Great
जय जिनेन्द्र बहुत ही प्रभवाल और मधुर आवाज में गया है जो कई वर्षों तक जिन शासन की महिमा को लोगों तक पहुचायेगा और उनके जीवन कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा
जिनवानी चैनल का उपकार स्मरणीय रहेगा
,
Namostu Gurudev 🙏🙏🙏
Jain dharm ki jai ho 🙏🙏
Namostu.bhagwann 🙏🙏⚘⚘
नमोस्तु भगवान जी श्री 1008 पारस नाथ भगवान जी के पावन चरणों में अनंतानंत नमोस्तु नमोस्तु भगवन् 🙏🙏
Oo oo
Namostu namostu bhagwan 🙏🙏
its super
Jai jitendra
JAIHO JAI Ho BHAGWAN 🙏🙏🙏
Very exclent song of gurudev
जिनवाणी चैनल को बहुत बहुत साधुवाद जिन्होंने मंगलाष्टक बारह भावना, भावना बत्तीसी, आलोचना पाठ स्वयभूस्रोत आदि की जो प्रस्तुति दी है बहुत ही प्रशंसनीय है इसके लिये वह पुन: साधुवाद के पात्र है जिनवाणी चैनल भविष्य में भी इसी तरह जैन धर्म की पताका फहराते रहेंगें जयजिनेन्द्र सहित 🙏🙏🙏🙏🙏
1ः
11:18 j ,.@@MaheshChaudhari-gh1hh
11:18
JAIJINANDRA JI 🙏🙏
❤❤❤❤
Jinavani channel is the super best he
नमस्तु नमस्तु नमस्तु 🙏🙏🙏
बहुत ही सुन्दर, स्पष्ट उच्चारण मधुर आवाज़ के साथ... सुनकर मन को शान्ति मिलती है... 🙏🙏🙏🙏
Man
WiHe
😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
Namatu Namastu Bhagwan
Tttt556rt,karne and a few ufu6uu unusual unusual u😢in 65 😅😮u8t88.ii4iiii😮i😮i😮iiiiiiu98i😮😮you u 🕓 ki😅😅😮😮😮8😮😅😅😮😅99990 3:24 😅 3:24 99 3:24 9 3:25 3:25 3:24 3:24
3:28 3:28 3:28 3:28 😮😅 3:30 3:33 3:33
BAHUT BAHUT BAHUT SUNDAR
Om namah sidhybhy 🙏 Jaijinendra
ये सर्वौषध-ऋद्धयः सुतपसो वृद्धिंगताः पञ्च ये,
ये चाष्टाँग-महानिमित्तकुशलाः येऽष्टाविधाश्चारणाः
पञ्चज्ञानधरास्त्रयोऽपि बलिनो ये बुद्धिऋद्धिश्वराः,
सप्तैते सकलार्चिता मुनिवराः कुर्वन्तु नः मंगलम्
अर्थ - सभी औषधि ऋद्धिधारी, उत्तम तप से वृद्धिगत पांच, अष्टांग महानिमित्तज्ञानी,आठ प्रकार की चारण ऋद्धि के धारी, पांच प्रकार की ज्ञान ऋद्धियों के धारी, तीनप्रकार की बल ऋद्धियों के धारी, बुद्धि ऋद्धिधारी ऐसे सातों प्रकारों के जगत पूज्यगणनायक मुनिवर हमारा मंगल करे!
ज्योतिर्व्यन्तर-भावनामरग्रहे मेरौ कुलाद्रौ स्थिताः,
जम्बूशाल्मलि-चैत्य-शखिषु तथा वक्षार-रुप्याद्रिषु
इक्ष्वाकार-गिरौ च कुण्डलादि द्वीपे च नन्दीश्वरे,
शैले ये मनुजोत्तरे जिन-ग्रहाः कुर्वन्तु नः मंगलम्
अर्थ - ज्योतिषी, व्यंतर, भवनवासी और वैमानिकों केआवासों के, मेरुओं, कुलाचकों,जम्बू वृक्षों औरशाल्मलि वृक्षों, वक्षारों विजयार्धपर्वतों,इक्ष्वाकार पर्वतों,कुण्डलवर (तथा रुचिक वर), नन्दीश्वर द्वीप, और मानुषोत्तर पर्वत के सभी अकृत्रिमजिन चैत्यालय हमारे पापों काक्षयकरेंऔरहमें सुखी बनावें!
कैलाशे वृषभस्य निर्व्रतिमही वीरस्य पावापुरे
चम्पायां वसुपूज्यसुज्जिनपतेः सम्मेदशैलेऽर्हताम्
शेषाणामपि चोर्जयन्तशिखरे नेमीश्वरस्यार्हतः,
निर्वाणावनयः प्रसिद्धविभवाः कुर्वन्तु नः मंगलम्
अर्थ - भगवान ऋषभदेव की निर्वाणभूमि - कैलाश पर्वत, महावीर स्वामी कीपावापुर, वासुपूज्यस्वामी (राजा वसुपूज्य के पुत्र) की चम्पापुरी, नेमिनाथ स्वामी की ऊर्जयन्त पर्वतशिखर, और शेष बीस तीर्थंकरों की श्री सम्मेदशिखर पर्वत, जिनका अतिशय और वैभव विख्यातहै ऐसी ये सभी निर्वाण भूमियाँ हमें निष्पाप बनावें और हमें सुखी करें!
यो गर्भावतरोत्सवो भगवतां जन्माभिषेकोत्सवो,
यो जातः परिनिष्क्रमेण विभवो यः केवलज्ञानभाक्
यः कैवल्यपुर-प्रवेश-महिमा सम्पदितः स्वर्गिभिः
कल्याणानि च तानि पंच सततं कुर्वन्तु नः मंगलम्
अर्थ - तीर्थंकरों के गर्भकल्याणक, जन्माभिषेक कल्याणक, दीक्षा कल्याणक, केवलज्ञानकल्याणक और कैवल्यपुर प्रवेश (निर्वाण) कल्याणक के देवों द्वारा सम्पादित महोत्सवहमें सर्वदा मांगलिक रहें!
सर्पो हारलता भवत्यसिलता सत्पुष्पदामायते,
सम्पद्येत रसायनं विषमपि प्रीतिं विधत्ते रिपुः
देवाः यान्ति वशं प्रसन्नमनसः किं वा बहु ब्रूमहे,
धर्मादेव नभोऽपि वर्षति नगैः कुर्वन्तु नः मंगलम्
अर्थ - धर्म के प्रभाव से सर्प माला बन जाता है, तलवार फूलों के समान कोमल बन जातीहै, विष अमृत बन जाता है, शत्रु प्रेम करने वाला मित्र बन जाता है और देवता प्रसन्नमन से धर्मात्मा के वश में हो जाते हैं अधिक क्या कहें, धर्म से ही आकाश से रत्नोंकी वर्षा होने लगती है वही धर्म हम सबका कल्याणकरे!
इत्थं श्रीजिन-मंगलाष्टकमिदं सौभाग्य-सम्पत्करम्,
कल्याणेषु महोत्सवेषु सुधियस्तीर्थंकराणामुषः
ये श्र्रण्वन्ति पठन्ति तैश्च सुजनैः धर्मार्थ-कामाविन्ताः,
लक्ष्मीराश्रयते व्यपाय-रहिता निर्वाण-लक्ष्मीरपि
अर्थ - सोभाग्यसम्पत्ति को प्रदान करने वाले इस श्री जिनेन्द्र मंगलाष्टक को जोसुधी तीर्थंकरों के पंच कल्याणक के महोत्सवों के अवसर पर तथा प्रभातकाल में भावपूर्वकसुनते और पढ़ते हैं, वे सज्जन धर्म, अर्थ और काम से समन्वित लक्ष्मी के आश्रय बनतेहैं और पश्चात् अविनश्वर मुक्तिलक्ष्मी को भी प्राप्त करते हैं!
Meaning 😊
Meaning
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ÑMOSTU BHAGWAN JAI Ho 🙏🙏🙏🙏🙏
Nirmal Jain
Jai ho .Jain dhram ki
Manglam kuru sada
JAI JINENDRA🙏🙏
Jay jay gurudev
Good 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
Jai jinendre ji
बहुत ही सुन्दर, प्रस्तुति मधुर आवाज के साथ सुनकर मन को शांति मिलती है
अति मधुर सुरीली ताल सहित मनोहारी आवाज में हृदय को शांति पहुची।।
Jai ho ati sundar🙏🙏🙏❤️
Namostu bhagwan aadinath.
Jay.adinath. nom.nom
jainam jayati shashanam
😊❤❤
Anumodna ji
Manglashtak, making my everyday mangalmaya
Namostu Bhagwan . 🙏🙏🙏
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Jv,
Heart touching voice
Jay.adinath. nom.nom🙏⚘⚘
🙏
🙏🙏 जय जिनेंद्र देव की 🙏🙏🙏
Jinvani channel super 🔋📴📱👊🐼VS👹
Mangal Mangal hoye jagat me sb Mangalmaye ho.
नमोऽस्तु भगवान🙏🙏🙏
नमोस्तु भगवन -🙏🙏🙏🙏🙏
Jain dharam ki Jay ho
🙏🙏🙏
Jai jinendra.
Jainam Jayati Shasanam.
NAMOSTU Gurudev
बहुत ही सुंदर स्पष्ट उच्चारण मधुर आवाज के साथ सुनकर पूरा दिन मंगलमय रहता है🙏🙏🙏
Namostu Bhagwan ji namostu gurudev
Jai jinendre
Jai ho Gurudev aap ko Vandana charankamal Naman karthi ho
Namaste🙏🙏🙏
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Namaste namaste namaste 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌷🌷🌷
Jai ho bhagwan ji 🙏🙏🙏
Nmostu nmostu nmostu 🙏🙏🙏
बहुत सुंदर। जय जिनेन्द्र 🙏
NAMOSTU BAGWANJI 🙏🙏🙏
Namostu bhagwan 🙏👏
Namaste namaste namaste
Nice voice 🙏🙏 jainam jayti shasnam
Super
Every morning....u must listen..jai jinendra
👌👌🙏🙏🙏
ÑMOSTU ÑMOSTU ÑMOSTU BHAGWAN ĢÙŔUĎEV JAI Ho 🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत मधुर आवाज इसे सुनकर पढ़ना सीख लिया है