कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ सहित | Kabir ke dohe arth sahit
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- Опубліковано 11 лис 2024
- कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ सहित | Kabir ke dohe arth sahit
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय॥
यह दोहा कबीर दास की रचना है. इस दोहे में माटी कुम्हार से कहती है कि तुम मुझे क्यों रौंद रहे हो? एक दिन ऐसा आएगा जब मैं तुम्हें रौंद दूंगी.
इस दोहे का अर्थ है कि शक्तिशाली व्यक्ति को सदैव विनम्रता से रहना चाहिए. उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि वह भी एक दिन मृत्यु को प्राप्त होगा. शक्तिशाली व्यक्ति को अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. उसे दूसरों का सम्मान करना चाहिए.
यदि शक्तिशाली व्यक्ति विनम्रता से नहीं रहेगा तो एक दिन वह अपने ही शक्तियों से दब जाएगा. दूसरों के द्वारा उसे रौंद दिया जाएगा.
इस दोहे से हमें यह भी सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी के प्रति अहंकार नहीं करना चाहिए. हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि हम सभी एक ही हैं. हम सभी इंसान हैं. हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए.
यदि हम सभी एक-दूसरे का सम्मान करेंगे तो दुनिया एक बेहतर जगह बन जाएगी.
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