गुरु - ब्रह्मा, विष्णु, महेश की अद्भुत व्याख्या | श्री पुण्डरीक l Sri Pundrik. Importance of Guru
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- Опубліковано 10 лют 2025
- Every one of us has heard and recited this verse innumerous time. This verse is the most revered shalok used to glorify the embodiment of Guru Tattav. Our teachers, elders, friends and even our Gurus have quoted it many a times. I can say this is the most famous verse used in context of a Guru. One of the reasons for its rampant use is, this verse is quite self explanatory and other is that it can be pronounced easily as compared to others Sanskrit verses. You may have heard or read meaning of this verse but this guru poornima we got to know the most accurate and precise meaning. Sri Pundik Goswami ji Maharaj who leaves his listeners spellbound with his divine explanations on glorious Hari Lila and is miraculous in rendering lengthy phrases flawlessly, expounded this verse in most unequivocal and definite way.
Guru Brahma - Brahma ji is associated with creation and he has four heads pointed to four cardinal directions. Guru takes responsibility of creating your spiritual world and just like Brahma ji Guru provides or creates four major things in one’s life - Mantra(prayer), Granth( scripture), Isht(Supreme personality of God head), Dham (place where Lord resides) .
Guru Vishnu - Vishnu ji protects and maintains the universe with his four hands similarly a true Guru maintains our spiritual world with four efforts - Ashirwaad (Blessings), Hari katha (Words of wisdom), Bhajan (way of showing gratitude towards supreme) and by imparting Prasad (love and happiness)
Guru Maheswra- Shiva ji is known to be the destroyer and when he assumes this form he has five heads. Guru also brings five destructions or changes to make our advancement in spiritual life- Vikaaro ka destruction (changes of our disorders), changes in our Aakar (mind set), annihilation of our bad character, changes in our behavior and extinction of our material responsibilities.
Guru Pram Brahm - Guru is Parm brahm as he is Omni present though he may not be available physically but he is always there in prayers, scriptures, and blessings, in gratitude, in love, in changes and in the supreme personality of God.
गुरोर् विष्णु-
चार हाथ। हाथ से विष्णु संरक्षण करते हैं,गुरु भी चार चीजों से आध्यात्मिक जगत का संरक्षण करते हैं।
पहला हाथ आशीर्वाद-
कोई माने न माने, दम उसमें भी होता है। और हम किसी संत के पास लेने क्या जाते हैं?आशीर्वाद। और एक बात कहूँ,आशीर्वाद पूजा से नहीं मिलता, आशीर्वाद सेवा से मिलता है। पूजा करके कोई आशीर्वाद नहीं दे सकता। भगवान भी नहीं देगा। पूजा से वरदान मिल सकता है,सेवा से आशीर्वाद मिल सकता है। वरदान विफल हो,सकता है। हिरण्यकश्यपु से लेकर रावण तक का हुआ है पर आशीर्वाद सुफल हो सकता है। सबसे पहले गुरु आशीर्वाद देता है।
जिसके पास आशीर्वाद देने की सामर्थ्य है। देगा वही, जिसको मिला हो। जो कमाया ही नहीं,वो देगा क्या? सेवा करने की वो मेवा आशीर्वाद ही है।मेवा इकट्ठी होगी तभी तो बटेगी। एक हाथ आशीर्वाद है।
दूसरा हाथ वचन है-
आशीर्वाद अप्रत्यक्ष हो सकता है,प्रवचन अप्रत्यक्ष नहीं हो है। आशीर्वाद अप्रत्यक्ष भी हो सकता है। गुरु महाराज अपने धाम में विराजकर भी आशीर्वाद दे सकते हैं। पूर्वज पितर अपने लोक में बैठकर भी अपना आशीर्वाद दे सकते हैं। आशीर्वाद अप्रत्यक्ष भी हो सकता है पर वचन तो अप्रत्यक्ष भी होगा।
उपदेश,आदेश,मंगलानुशासन,वचन, प्रवचन और ये सबको एक साथ बोलना हो तो हरिकथा। गुरु आशीर्वाद देता है,गुरु वचन देता है। वचन से मतलब उपदेश देता है,शबद देता है। गुरु सबसे पहले आशीर्वाद से संरक्षण करता है संरक्षण मतलब maintenance.
maintenance पहले आशीर्वाद से होता है,कुछ न बने तो सद्गुरु का आशीर्वाद बन जाता है। कई बार गुरु का वचन बन जाता है।
तीसरी चीज संरक्षण-
गुरु संरक्षण करता है,भजन से। जिसका भजन प्रबल है वो आपका maintenance,आपके आध्यात्मिक जगत का संरक्षण कर सकता है। आशीर्वाद,वचन और भजन ये तीनों अलग चीजें अलग हैं।
जो प्राप्त न हो, उसे प्राप्त होने की ताकत देना,उसे प्राप्त करने की ताकत देना आशीर्वाद है। बड़ी बड़ी जगह भागवत जी में इसका वर्णन है। कई कई जगह,लक्ष्मीवान भव, कई कई है पुत्रवान भव और वो तो कोईकोई है जो कृष्णदास भव॥ उपनिषद ने आशीर्वाद दिया- अभ्युदयवान भव, निश्रेयशवान भव ये उपनिषद के आशीर्वाद हैं। अयोग्यता को योग्य बनाने की प्रार्थना ही आशीर्वाद है। जो नहीं है उसे पाने की प्रार्थना करना आशीर्वाद है।
उस पाने का मार्ग दर्शन करना,कथा है। पाया कैसे जाएगा?उसका रास्ता दिखाना कथा है। और और उसे पाने की ताकत देना भजन है। आशीर्वाद, प्रवचन,भजन और अंतिम चीज,गुरु क्या देता है?
प्रसाद-
अंतिम चीज,गुरु प्रसाद देता है। ये चार ही चीज मिलेंगी गुरु के पास। प्रसाद मिल जाएगा। ले कुलिया ले जा। कुलिया का मतलब,महाप्रभु को ले जा। ऊपर से गेरुआ और भीतर से सफेदा। सन्यासी के वेश में गौरांगी श्रीराधिका और श्यामसुन्दर विराजमान हैं। कुलिया ले जा। प्रसाद ले जा।
प्रसाद का मतलब प्रसन्नता ले जा। प्रसादस्तु प्रसन्नता॥
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आचार्य श्रद्धा पुंडरीक जी महाराज पर माता सरस्वती की विशेष कृपा है उनके व्याख्यान संसार की ज्वाला से दग्ध व्यक्ति पर शांति की वर्षा करते हैं ओम शांति
गुरुर ब्रह्मा, गुरुर विष्णु, गुरुर देवों महेश्वर यह श्लोक प्रायः हम सभी को 56:04 बचपन से एक तोते की तरह रटाया गया है, लेकिन इस श्लोक का वास्तविक अर्थ , मर्म आज इस श्लोक का निरूपण आपके श्रीमुख से श्रवण करने के बाद ज्ञात हुआ है। आपके श्री चरणों में कोटि कोटि नमन।
Jai Ho radha Raman ji
गुरु देव भगवान के श्री मुख से गुरु महिमा सुन कर मन प्रसन्न हो उठा गुरु देव भगवान के श्री कमलवत चरणों में यह दास का प्रणाम स्वीकार हो जय राधा माधव जय गोपाल 🙏🙏📿🌻🌻
श्री राघै
🌹🌹सादर गुरु देव को प्रणाम 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🌹🌹🙏🙏🙏
Radha raman hari bol Radha raman hari bol
हरी ॐ नमः शिवाय श्री गुरुदेव दत्त 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Atisundar👌👌👍👍verynice🥰🥰💕💕radheradhe🙏🙏❤❤
स्वधर्म निध्नम ही श्रेयस है हरि हरि बोल 🙏🏻
Iai ho shree gurudev ji maharaj, sadar nmn parnaam. 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹💐💐🌷🌷
Hare ka Sahara gour Hari hamara jay jay 🙏🏻🌹🙏🏻
Imandari rakh ke kehna hoga aap apka parivar ke liye tan bhi sundar man bhi sundar vichar bhi👌🤲🙏💐esa kam hota Sab ek jagah
HariHariBol🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙌🏿🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
।।जय सियाराम।।जय जय हनुमान।।संकट मोचन कृपानिधान।।
Hari bol
Jay shree ram Goswami ji bahut accha katha suna rahe ho dhanyawad bhaiya ji 🙏🙏
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare
Wah beautiful
Dhanyawad is sunder aashirwad k liye
Jai Jai Shree Radha Raman lal ji ki
Jai Jai Shree RADHEEEEEEE
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Ram Hare Ram Ram Ram Hare Hare, Jai Shree Krishnkirpa murti AC Bhagtivedant Swami Srila Prabhupada Guru Dev Maharaj Ji ki jai
Pranam gurudev 🙏 Radhe Krishna 🙏
Dandvhat pranam gurdev g.
Shri Radhe Shri Radhe Shri Radhe Shri Radhe
❤❤mata bharti ki kirpa hamesha rhe dandvat pranam shree Radheradhe
Jai shree radharaman lal ji ki jai 🙏 Jai shree kunjbihari ji 🙏 Jai shree bakebihari lal ki jai 🙏 Jai shree haridas ji 🙏 Radhe radhe 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Radhe Radhe Hare Krishna Hare Ram 🙏 Jai Ho 🙏 jai Jai shree Radhe Jai Gaur nitai Gaur Hari bol 🙏🙏 charansparsh prabhuji charansparsh 🙏🙏🙏🪔🪔🪔🌺🪔🌺🪔🌺🌺🪔🪔🪔🙏🙏🙏
महाराज जी एक अमूल्य रत्न हैं हमारे भारत के
Hare Krishan 🙏 🙏
श्री राधे गोविन्द
🙏🙏 श्री गुरुदेव जय हो श्री चरणौ में कोटी कोटी प्रणाम मन्मे ईतना सान्ती मिली जितनी बार देखा जाय मनकी एकाग्रता सांन्तहोगी हमेशा ऐसा ही भजन शुन्नेकी र्किपा बनाई राखिऐगा 🙏🙏
Sadar charan naman vandan Daya Karen koti koti charan naman
अद्भुत व्याख्या, एक एक शब्द में तत्व है , रस है , शक्ति है ,सम्पन्दन है ... बलिहार श्री गुरु देव पर अपनी गुरू परम्परा पर
Pranam guruji
जय श्री राधे
जय श्री कृष्णा
Jai shree Radhe Krishna
Gurudev g radhey Radhey
Sab।dukh door huye jab guru dev mile aapke pravchan se bahut Shanti milti hai bahut se sansay yuhi mit jate hai dhanyawad prabhu ji 🌹🌹
Mai aur।mere ki निवृत्ति करते हैं गुरु देव ऐसे गुरु देव की जय जयकार हो 🙏🏻🙏🏻
❤ राधे-राधे ❤🚩🪔🌹🔔मां🐄
Radhe krishna❤
हरे कृष्ण प्रभू जी सादर प्रणाम 🙏🏻🌹🌺🌹🙏🏻
जयजय श्री राधे.
Shri Guru Charan Vando jayati 🙏🌹
Radhe Radhe
जय हो
सादर प्रणाम 👏👏अद्भुत ब्याख्या 👏👏
❤🙏🌹 जय जय श्री गुरु देव , जय हो, जय हो॥ ❤🙏🌹
Sadar pranam
जयजय श्री राधे🙏
श्री गुरुदेव भगवान को शत-शत प्रणाम
Gurudev k charno mein koti koti prenam 🙏💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
🌺🙏💐 koti koti pranam 🙏🌷💐 RADHE RADHE
🐦*17/7*🌹जय श्रीमन्नारायणचरणौ शरणं प्रपद्ये।। जय श्री कृष्ण जय श्री राम ॐ नमः शिवाय🌹🌹(इचलकरंजी महाराष्ट्र)🌹🌹2022🌹 BHARAT - INDIA 🌹🐦
NAMSTUBHYAM.KANTILAL.
🙏🌹🙏🌹🙏
RADHE RADHE MAHARAJ JI
गुरुदेव महाराज के चरणों में शत शत प्रणाम जय वृंदावन धाम
जय श्री कृष्ण राधे राधे
गजब की गुरु व्याख्या ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Rabha 🙏🙏💌🙏
RADHA RAMAN LAL KI JAI
राधा रमन लाल की जय ##जय जय गुरुदेव🙏🙏🌿🌿⭐
Dharm Arth kam or mox charo sharan me aane walo ke siddh kar par kar dete he, do hath se palan poshan do se aashish prem adhaydan.gyan bhakti vairag swadharm.
🙏🏻🙇♀️🙇♀️🙇♀️🌸
অপূর্ব সুন্দর কথা শুনে ধন্য হলাম।
दंडवत प्रनाम।
अद्भुत अद्भुत अद्भुत क्या कहा शब्द नहिहे----
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❤️❤️❤️❤️❤️😍😍
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प्रणाम गुरु जी
Aachar vichar vyvhar vani vartan swabhav bhav bhavna prem sabhi shudh jiska wo kamal hi hoga tan bhi sundar Man bhi sundar putr parivar patni bhi sundar itni sundarta ek jagah ekatrit wo bhi is kalikal me?
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यह श्लोक स्कंद पुराण के अंतर्गत गुरु गीता से लिया गया है जी।
हर हर महादेव 🙏
श्री सद गुरुदेव भगवान के चरणों में दास का कोटि कोटि नमन श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण
श्री सद गुरुदेव भगवान के चरणों में दास का कोटि कोटि नमन श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री राधे कृष्ण श्री रा
🌺🌺🌺🌺JAI
S H R E E
🌺 🌺 K R I S H N A 🌺🌺
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[24/4/2021, 8:03 PM] Lalit Kishor Jajoo: ,ua-cam.com/video/OkY6wKTu17Q/v-deo.html
[24/4/2021, 8:11 PM] Lalit Kishor Jajoo: अपने बच्चों को बचाओ ,
उन्हें पाश्चात्य संस्कृति का अनुगामी बनने से बचाओ , अपने स्व धर्म में निष्ठित होने का विज्ञान प्रदान करो । अधर्मियों को देखिये कितने समर्पण से बच्चों को धार्मिक शिक्षा बचपन से देते हैं लेकिन हम श्री पिताजी को "डेड " कहना सिखाते हैं और श्रीमाताजी को "मोम " ! दीपक जलाने की जगह मोमबत्ती बुझाना, प्रसादी आयोजन की जगह होटल एवं बोटल पार्टी सिखाते हैं । तामसी भोजन से दूरी की जगहं पिज्जा बर्गर ब्रेड खाना सिखाते हैं । ये वृद्धाश्रम कहां से घुस आये हमारी सनातन संस्कृति में ? ? ? गो माता घर की जगह गौशालाओं में कैसे पहुंच गई ?
हिन्दू संस्कृति में तलाक कहां से आ गई ? बच्चे मां बाप के सामने कैसे बोलने लगे ? घरों में बंटवारे के सवाल कहां से आगये ? कन्याएं -महिलाएं ,गृह लक्ष्मी - गृह स्वामिनी से नौकर कैसे बन गई, जिसकी वर्ष मे 2बार नो दिनों तक पूजा होती थी वो पूज्या समानता के नाम पर बराबर बेठा दी गई ! जो सेवा गुण संपन्न वर्ण है , और आर्थिक रुप से सबसे समृद्ध था उसे दलित बताकर बहकाया गया और सनातन में फूट डाली गई ! उनके सभी आरक्षित व्यापार एवं सेवाओं पर फूट डालने वालों ने कब्जा कर लिया और उनको नोकरी मेंआरक्षण का झुनझुना पकड़ा कर अपने सगे अन्य वर्णों से लड़ने बैठा दिया और स्वयं तमाशा देखने लगे और उनके सारे सेवा प्रकल्प हड़प कर लिए ! सभी सनातनी लोग जन्म से ही जीवन यापन की व्यवस्था लेकर पैदा हुए उन्हें नोकरी का लक्ष्य देकर बेरोजगार बना दिया गया ! स्वयं निष्किंचन रहकर सभी को ज्ञान देने वाले साधु -संत -विप्र समाज को तिरस्कृत - अपमानित प्रताडित करके उनकी व्यवस्था को छिन्न भिन्न कर दिया गया ! बाहुबली - समर्थ - रक्षक क्षत्रिय वर्ण को इसी मेकाले शिक्षा द्वारा भ्रमित करके धर्मरक्षा की जगह द्वार पाल बना दिया गया । वैश्य ने जोभी कमाया उसे धर्म वृद्धि के स्थान पर विकृति बढ़ाने वाले पश्चात्य एज्युकेशन की बडी-बडी संस्थाएं खोलने को किसने प्रेरित किया ???
सारी की सारी समस्याओं की जड़ है हमारा अपनी सनातनी विद्या से दूर हो जाना और "परधर्मो भयावह : " को अपना लेना !
अभी भी समय है !आज और अभी निर्णय करना है कि हमें अब उस विदेशी शिक्षा -संस्कृति से अपनी नई पीढ़ी को बचाना है , और सनातनी गुरुकुल विद्या देनी है🙏🙏🙏 आगे आपकी इच्छा🙏🙏 अधिक समझने हेतु 54 मिनिट दीजिये और जीवन एवं मृत्यु में से किसका वरण करना है ये जानिये🙏
Dehatit dwandatit mayatit gunatit tin Deh,tin avastha, tin traP tin gun se moh aasakti ahanta manta agyan se mukt kar manmaya ke changul se mukt kar dete he Gurudev. Hena krishna wo bhi sahajme premse
यह श्लोक गर्ग संहिता में हैं
Prasad =pratyx saxat darshan. Guru dhar var prahar talvar ki nikal gyan khadag Prem ke dhanush ban de jivan yudh jita dete he
प्रभुजी, एक सवाल गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णु ये शोल्क कोनसे ग्रथ से आया है। और page no और किसने लिखा है ?
स्कंद पुराण के गुरु गीता से लिया गया श्लोक है
Radheradhe
Vyas ka hi uchisth he to kisi Vyasnarayan ne hi likha hoga,
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