देखिये आखिर क्यों महादेव ने अपनी तीसरी आँख से कामदेव को भस्म किया
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- Опубліковано 13 вер 2020
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हिंदू धर्म में भगवान शिव को त्रिदेवों में गिना जाता है। भगवान शिव को कोई रुद्र, कोई भोलेनाथ के नाम से पुकारता है। माना जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों की भक्ति मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं,और अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देते है। शिव को उनके शिवलिंग और सरल स्वभाव के कारण ही भोलेनाथ कहा जाता है। वहीं अपने सरल स्वभाव से परे भगवान शिव अपने 'रौद्र रूप' और 'क्रोध' के लिए भी जाने जाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को जब भी क्रोध आता है तो उनका तीसरा नेत्र खुल जाता है जिससे संपूर्ण पृथ्वी अस्त-व्यस्त हो जाती है। ऐसा ही एक प्रसंग है भगवान शिव और कामदेव से जुड़ा हुआ, जब कामदेव को महादेव ने भस्म कर दिया था।
कथा के अनुसार जब दक्ष प्रजापति ने 'भगवान शिव और अपने पुत्री 'सती' को छोड़कर सारे देवी देवताओं को अपने यज्ञ में आमंत्रित किया तो देवी सती अपने पति महादेव का यह तिरस्कार सहन नहीं कर पाती है। और यज्ञवेदी में कूदकर आत्मदाह(भस्म) कर लेती हैं। जब यह बात भगवान शिव को पता चलती है तो वह अपने तांडव से पूरी सृष्टि में हाहाकार मचा देते हैं। इससे व्याकुल सारे देवता भगवान शिव को समझाने कैलाश पहुंचते हैं। भगवान शिव देवताओं के समझाने पर शांत तो हो जाते हैं, लेकिन भगवान् शिव परम शांति के लिए गंगा-तमसा के पवित्र संगम पर आकर समाधि में लीन हो जाते हैं।
मां सती के मृत्यु के बाद भगवान शिव समस्त संसार को त्याग देते हैं। उनके बैरागी होने से संसार सही से नहीं चल पाता है। दूसरी तरफ पार्वती के रूप में सती का पुनर्जन्म होता है। इस बार भी पार्वती भगवान शिव से विवाह करने की इच्छा जताती हैं, लेकिन शिव के मन में प्रेम और काम भाव नहीं था, वह पूर्ण रुप से बैरागी हो चुके थे। इस वजह से भगवान विष्णु और उनके साथ सभी देवता संसार के कल्याण के लिए कामदेव से सहायता लेते हैं।
इसके बाद अपने पत्नी रति के साथ कामदेव भगवान शिव के भीतर छुपा हुआ 'काम भाव' जगाने के लिए जुट जाते हैं। कामदेव अपने अनेक प्रयत्नों के द्वारा महादेव को ध्यान से जगाने का प्रयास करते हैं। जिसमें अप्सराओं आदि के नित्य शामिल होते हैं। पर महादेव भोलेनाथ के आगे यह सब प्रयास विफल हो जाते हैं। अंत में कामदेव स्वयं भोलेनाथ को जगाने के लिए खुद को आम के पेड़ के पीछे छिपा कर शिव जी पर उस पुष्प-वान चलाते हैं। पुष्पबान सीधे जाकर महादेव के हृदय में लगता है और उनकी समाधि टूट जाती है। अपनी समाधि टूट जाने से भगवान शिव बहुत ही ज्यादा क्रोधित होते हैं, और आम के पेड़ के पीछे छुपे कामदेव को अपनी त्रिनेत्र से जलाकर भस्म कर देते हैं। अपने पति की राख को रति अपने शरीर पर मलकर विलाप करने लगती है। और भगवान शिव से न्याय की मांग भी करती है।
जब भगवान शिव को यह ज्ञात हुआ कि संसार के कल्याण के लिए देवताओं के द्वारा बनाई गई यह योजना थी तो, शिवजी ने रति को वचन देते है की कि उनका पति यदुकुल में भगवान श्री कृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेगा।
बाद में कामदेव ने कृष्ण के पुत्र के प्रद्युम्न के रूप में पैदा होते हैं, और देवी रति से पुनः उनका मिलन भी हो जाता है। - Розваги
Har har Mahadev
Shivji is a best
ॐ नम सिबाय
Om Namah Shiva Shiva Shiva 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
JAI SHREEMAN NARAYAN JI 😍🙏🙏🙏🙏🙏💞🔥🔥🔥💞💞
JAI SHREE mahakal ji ki 🥰🙏💞💞💞🔥🔥💞🙏😍🙏
Om Namah Shivay
🙏om namah shivay 🙏 har har Mahadev
Ye hi kaam dev aage chal Kar shiv ji ka role karta hai 🙏
Pata hai
Jai baba bhole nath har har Mahadev 🙏
Jay ho
🙏Om Namash Shivay🙏
Om namah shivaya 🙏🙏
ARSHDEEP
🙏Om Namah Shivay 🙏
Om Namah Shivay
Om namah shivay 🙏
Jai mahakal
Jai shree Mahadev
🙏🙏🙏🕉️🔱🕉️ shiv ji ji a 🙏🌹
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Шива не любит Трали вали с ним надо быть осторожным !!💔🔥🌜⭐✨
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Yashodhan kamdev me itne acche nhi lge jitne mahadev me
कुंडली भाग्य पागल है
Mere bap ko kuch nhi hona chye
Murkh kaamdev