भगवान शिव द्वारा श्रीराम के ब्रह्म-स्वरुप का निरुपण
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- Опубліковано 27 вер 2024
- अस निज हृदयँ बिचारि तजु संसय भजु राम पद।
सुनु गिरिराज कुमारि भ्रम तम रबि कर बचन मम॥115॥
भावार्थ:-अपने हृदय में ऐसा विचार कर संदेह छोड़ दो और श्री रामचन्द्रजी के चरणों को भजो। हे पार्वती! भ्रम रूपी अंधकार के नाश करने के लिए सूर्य की किरणों के समान मेरे वचनों को सुनो!॥115॥
सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा। गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा॥
अगुन अरूप अलख अज जोई। भगत प्रेम बस सगुन सो होई॥1॥
भावार्थ:-सगुण और निर्गुण में कुछ भी भेद नहीं है- मुनि, पुराण, पण्डित और वेद सभी ऐसा कहते हैं। जो निर्गुण, अरूप (निराकार), अलख (अव्यक्त) और अजन्मा है, वही भक्तों के प्रेमवश सगुण हो जाता है॥1॥
* जो गुन रहित सगुन सोइ कैसें। जलु हिम उपल बिलग नहिं जैसें॥
जासु नाम भ्रम तिमिर पतंगा। तेहि किमि कहिअ बिमोह प्रसंगा॥2॥
भावार्थ:-जो निर्गुण है वही सगुण कैसे है? जैसे जल और ओले में भेद नहीं। (दोनों जल ही हैं, ऐसे ही निर्गुण और सगुण एक ही हैं।) जिसका नाम भ्रम रूपी अंधकार के मिटाने के लिए सूर्य है, उसके लिए मोह का प्रसंग भी कैसे कहा जा सकता है?॥2॥
* राम सच्चिदानंद दिनेसा। नहिं तहँ मोह निसा लवलेसा॥
सहज प्रकासरूप भगवाना। नहिं तहँ पुनि बिग्यान बिहाना॥3॥
भावार्थ:-श्री रामचन्द्रजी सच्चिदानन्दस्वरूप सूर्य हैं। वहाँ मोह रूपी रात्रि का लवलेश भी नहीं है। वे स्वभाव से ही प्रकाश रूप और (षडैश्वर्ययुक्त) भगवान है, वहाँ तो विज्ञान रूपी प्रातःकाल भी नहीं होता (अज्ञान रूपी रात्रि हो तब तो विज्ञान रूपी प्रातःकाल हो, भगवान तो नित्य ज्ञान स्वरूप हैं।)॥3॥
* हरष बिषाद ग्यान अग्याना। जीव धर्म अहमिति अभिमाना॥
राम ब्रह्म ब्यापक जग जाना। परमानंद परेस पुराना॥4॥
भावार्थ:-हर्ष, शोक, ज्ञान, अज्ञान, अहंता और अभिमान- ये सब जीव के धर्म हैं। श्री रामचन्द्रजी तो व्यापक ब्रह्म, परमानन्दस्वरूप, परात्पर प्रभु और पुराण पुरुष हैं। इस बात को सारा जगत जानता है॥4॥
दोहा :
* पुरुष प्रसिद्ध प्रकाश निधि प्रगट परावर नाथ।
रघुकुलमनि मम स्वामि सोइ कहि सिवँ नायउ माथ॥116॥
भावार्थ:-जो (पुराण) पुरुष प्रसिद्ध हैं, प्रकाश के भंडार हैं, सब रूपों में प्रकट हैं, जीव, माया और जगत सबके स्वामी हैं, वे ही रघुकुल मणि श्री रामचन्द्रजी मेरे स्वामी हैं- ऐसा कहकर शिवजी ने उनको मस्तक नवाया॥116॥
चौपाई :
* निज भ्रम नहिं समुझहिं अग्यानी। प्रभु पर मोह धरहिं जड़ प्रानी॥
जथा गगन घन पटल निहारी। झाँपेउ भानु कहहिं कुबिचारी॥1॥
भावार्थ:-अज्ञानी मनुष्य अपने भ्रम को तो समझते नहीं और वे मूर्ख प्रभु श्री रामचन्द्रजी पर उसका आरोप करते हैं, जैसे आकाश में बादलों का परदा देखकर कुविचारी (अज्ञानी) लोग कहते हैं कि बादलों ने सूर्य को ढँक लिया॥1॥
* चितव जो लोचन अंगुलि लाएँ। प्रगट जुगल ससि तेहि के भाएँ॥
उमा राम बिषइक अस मोहा। नभ तम धूम धूरि जिमि सोहा॥2॥
भावार्थ:-जो मनुष्य आँख में अँगुली लगाकर देखता है, उसके लिए तो दो चन्द्रमा प्रकट (प्रत्यक्ष) हैं। हे पार्वती! श्री रामचन्द्रजी के विषय में इस प्रकार मोह की कल्पना करना वैसा ही है, जैसा आकाश में अंधकार, धुएँ और धूल का सोहना (दिखना)। (आकाश जैसे निर्मल और निर्लेप है, उसको कोई मलिन या स्पर्श नहीं कर सकता, इसी प्रकार भगवान श्री रामचन्द्रजी नित्य निर्मल और निर्लेप हैं।) ॥2॥
* बिषय करन सुर जीव समेता। सकल एक तें एक सचेता॥
सब कर परम प्रकासक जोई। राम अनादि अवधपति सोई॥3॥
भावार्थ:-विषय, इन्द्रियाँ, इन्द्रियों के देवता और जीवात्मा- ये सब एक की सहायता से एक चेतन होते हैं। (अर्थात विषयों का प्रकाश इन्द्रियों से, इन्द्रियों का इन्द्रियों के देवताओं से और इन्द्रिय देवताओं का चेतन जीवात्मा से प्रकाश होता है।) इन सबका जो परम प्रकाशक है (अर्थात जिससे इन सबका प्रकाश होता है), वही अनादि ब्रह्म अयोध्या नरेश श्री रामचन्द्रजी हैं॥3॥
* जगत प्रकास्य प्रकासक रामू। मायाधीस ग्यान गुन धामू॥
जासु सत्यता तें जड़ माया। भास सत्य इव मोह सहाया॥4॥
भावार्थ:-यह जगत प्रकाश्य है और श्री रामचन्द्रजी इसके प्रकाशक हैं। वे माया के स्वामी और ज्ञान तथा गुणों के धाम हैं। जिनकी सत्ता से, मोह की सहायता पाकर जड़ माया भी सत्य सी भासित होती है॥4॥
दोहा :
*रजत सीप महुँ भास जिमि जथा भानु कर बारि।
जदपि मृषा तिहुँ काल सोइ भ्रम न सकइ कोउ टारि॥117॥
भावार्थ:-जैसे सीप में चाँदी की और सूर्य की किरणों में पानी की (बिना हुए भी) प्रतीति होती है। यद्यपि यह प्रतीति तीनों कालों में झूठ है, तथापि इस भ्रम को कोई हटा नहीं सकता॥117॥
एहि बिधि जग हरि आश्रित रहई। जदपि असत्य देत दुख अहई॥
जौं सपनें सिर काटै कोई। बिनु जागें न दूरि दुख होई॥1॥
भावार्थ:-इसी तरह यह संसार भगवान के आश्रित रहता है। यद्यपि यह असत्य है, तो भी दुःख तो देता ही है, जिस तरह स्वप्न में कोई सिर काट ले तो बिना जागे वह दुःख दूर नहीं होता॥1॥
* जासु कृपाँ अस भ्रम मिटि जाई। गिरिजा सोइ कृपाल रघुराई॥
आदि अंत कोउ जासु न पावा। मति अनुमानि निगम अस गावा॥2॥
भावार्थ:-हे पार्वती! जिनकी कृपा से इस प्रकार का भ्रम मिट जाता है, वही कृपालु श्री रघुनाथजी हैं। जिनका आदि और अंत किसी ने नहीं (जान) पाया। वेदों ने अपनी बुद्धि से अनुमान करके इस प्रकार (नीचे लिखे अनुसार) गाया है-॥2॥
* बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥
आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥3॥
भावार्थ:-वह (ब्रह्म) बिना ही पैर के चलता है, बिना ही कान के सुनता है, बिना ही हाथ के नाना प्रकार के काम करता है, बिना मुँह (जिव्हा) के ही सारे (छहों) रसों का आनंद लेता है और बिना ही वाणी के बहुत योग्य वक्ता है॥3॥
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रामचरितमानस चौपाई मानस गान अति सुंदर पावन कार्यक्रम है जिससे श्री रामचरितमानस की शिक्षा जनसामान्य तक पहुंचे यहां महाकाव्य हमारी भारत भूमि की शान है यहां हमारी सनातन संस्कृति की पूंजी है । जितना इसके बारे में कहे उतना ही कम है ।
जय श्री गणेश जी जय माता दी ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमः शिवाय ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय हर हर महादेव भगवान शिव माता पार्वती जी को सादर प्रणाम करता हूँ सादर नमस्कार करता हूँ हर हर महादेव हर हर महादेव हर हर महादेव उमापते नमः स्वाहा उमापते नमः स्वाहा उमापते नमः स्वाहा देवाधिदेव महादेव नमः शिवाय
हर हर महादेव
जय सियाराम अति सुंदर
Jai Sita Ram
।।जय श्री राम।।
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अतिसुंदर मानस गान🕉️🧘❤️🔱😌😘😘
Jai Shree Ram
जय श्री गणेश जी जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री सीताराम जय श्री माता पार्वती हर हर महादेव
Jai shree sita ram ji maharaj ki jai ho
तुलसी तुलसी सब कहे तुलसी बन की घास हो गई किरपा राम की बन गये तुलसीदास 🙏🙏
जय श्री राम जी
जय श्रीराम।
जय जय श्री सीताराम ।।
Jai Siyaram
Log isi jhagde me lage rahte the ki bhagwan sagun hai ya nirgun hote hai tulsi das ji ne bahut kirpa ki ramcharitmanas likhkar jay tulsi das ji ki
साधु साधु
Jai siyaram..jai shiv shakti
Jai SiyaRam Jiki
Jay Shri Ram
जयश्रीराम जयसियारामजी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹
He ravhunandan he sharanagatbatsal kripa karo mere raghav
Jai Jai ....
Jay shree Ram ji ki Jay shree Ram ji ki Jay shree Ram ji ki.
JAI SHIVPARVATIJI JAI KARTIKEYAJI JAI GANESHJIDEVA JAI ASHOKSUNDARIJI JAI KAILASHMANSAROVARJI JAI HIMALAYAJI JAI MAINAVATIJI JAI SIYARAMJI JAI SHRI HANUMANJI JAI LAKSHMANJI JAI TULSIJIDASJI JAI RAMCHARITRAMANASJI JAI VALMIKIJI JAI RAMAYANJI JAI BHRAMADEVJI JAI SAVITRIDEVIJI JA SARASWATIJI JAI GAYATRIDEVIJI JAI NARADJI JAI RADHESHYAMJI JAI LAKSHMINARAYANJI JAI VAIKUNTHDHAMJI JAI GOLAKVRINDAVANJI JAI KANAKVRINDAVANJI JAI GURUDEVJI VASHISTJI JAI GURUDEVJI VISHVAMITRAJI JAI GURUDEVJI AGASTYARISHIJI JAI GURUDEVJI SHATANANDJI JAI GURUDEVJI VEDVYASJI JAI KAPILMUNIJI JAI GURUDEVJI BHARDWAJRISHIJI JAI GURUDEVJI SHRINGIRISHIJI JAI HARE KRISHNA HARE RAM JAI SURYADEVJI JAI CHANDRADEVJI JAI BHRIHASPATIDEVJI JAI TULSIJIMAHARANIJI JAI GANGAMATAJI 😊VERY WELL SUNG THANKS A LOT ❤
जय श्री राधेकृष्ण जी❤❤❤🚩🚩🚩🙏🙏❤❤
Jai Shri Sitaram 🙏❤️
अद्भत अलौकिक
अदभुत प्रसंग
सगुण ब्रह्म और निर्गुण ब्रह्म का....
जय श्री हरि
जय श्री राम 👏👏
Jay Siya Ram 🙏🌹🌹🌹🙏🌹
Jai shree sitaram
Jai shree Swami ji maharaj
जय जय श्री राम 👏👏
Jai shree sitaram
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र कि जय🙏
He tripurari
जय जय श्री राम♥♥ जय सीता 🙏🙏राम ram
जय श्री राम
🙏🙏🙏🙏 ram ram ram🙏🙏🙏🙏
Pranam
कोटिशः धन्यवाद।
भवानी शंकरौ वन्दे।
जय श्री राम।
Jai jai siya ram
🙏🙏जय श्री सीताराम
मानस गान अत्यंत लोकप्रिय कार्यक्रम है इसे सुनते ही आनन्द और स्फूर्ति तन मन और प्राण में भर जाती है तथा अनजाने ही संस्कार सुदृढ़ होने लगते हैं ।
यही तो है आप भले तो जग भला
विश्व मंगल हो
जय श्री राम
जय जय श्री राम
जय जय सियाराम
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Jai Shri Ram !
JAI SHREE RAM🙏❤️
Jai shree ram 🙏
जय सिया राम
Master ❤ Bless to remove Poison of Anger Daaji
🚩प्रभु श्री राम मेरे राम 🚩
मैं प्रभु श्री राम की व्याख्या कैसे करूं ।
मेरे शब्दों में इतना जोर नहीं
सारे संसार में जाकर ढूंढ लेना मेरे प्रभु श्री राम जैसा कोई और नहीं
हृदय से सुमिरन किया तो प्रार्थना गुरुवर श्री हनुमान जी तक जाएगी
गुरुवर श्री हनुमान जी ने सुन ली तो
हमारी सब विपदा मिट जाएगी
🚩श्री राम मेरे राम 🚩
बोलो श्री राम भक्त भक्त शिरोमणि भक्तों में श्रेष्ठ मेरे गुरुवर श्री हनुमान जी महाराज की जय हो 🚩
Ati sunder
बहुत ही सुंदर प्रसंग महादेव जी का माता पार्वती जी का जिसमे सगुण और निर्गुण दोनों ही भक्ति को भी समान बताया गया है बहुत ही सुंदर उदाहरण हिम व जल का दिया गया है ।
Thanks jay shri ram🙏
Jai Sri Ram bahut sunder voice. Pls subscribe shree Bhajnamrit and OM DHUN for Bhajans.
Jai SiyaRam Jiki
Jai shree sitaram
जय श्री राधेकृष्ण जी❤❤❤🚩🚩🚩🙏🙏❤❤
जय श्री राम
Satyam Pandey
Jai SiyaRam Jiki
Very very thankyou dear
Jay shri Ram
जय श्री राम
जय श्री राधेकृष्ण जी❤❤❤🚩🚩🚩🙏🙏❤❤
थोड़ी सी पंक्तियों मे श्री तुलसीदास महाराज ने वेदांत सार की व्याख्या कर दी। अद्भुत। जय श्री राम।
ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram Ram 💐🙏🙏🎠👏👏👌🚩🚩🎉🎉🙋🙋🎊🎊
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जय श्री राम
Jai Shri ram
जय श्री राधेकृष्ण जी❤❤❤🚩🚩🚩🙏🙏❤❤
Jay Jay Ram.jay Jay Ram.jay Jay Ram._3
जय श्री हरि हर
Aap Mam se kahiye ki jyadatar episode wo hi upload karen.
अती सुंदर कोटी कोटी धन्यवाद
Om Jay Jay Shri sitaram bhagvan ji Maharaja Prabhu kripa Karo 🌺🌼🌹🌹👨👩👦👦
आपका कोटि कोटि धन्यवाद राम रूपी अमृत रस प्रदान करने के लिए 🙏🙏🙏🙏🙏
Siyaram priy hon 🙏 🌹 🙏
🌹🌹💅👋अति सुन्दर ,हॄदयस्पसी॔👋💅🌹🌹कोटिशः प्रणाम |
Jay shree ram 🙏🙏🙏🙏
जय श्री राम
Jai bhole naath 🙏
pranam 🙏 🕉
Awesome content from this channel - keep up the great work. Jaya Shree Rama
Thank you, I will
@@RamcharitManas राम राम प्रभु जी, आपकी बहुत कृपा है, यह शुभ कार्य करते रहने की कृपा करें🙏🙏
Jay shree ram 🙏🙏🌹🙏🙏🙏
Jai Shri Ram 🙏🙏🙏
Jai Mahesh bhavanee
जय श्री राम
हर हर महादेव
प्रसन्ग क्या है? कौन से कान्ड का है ये चौपाई
Baalkanda
Jaishri ram jai shri hanumanty namahjai shri sitaramjai shri sitaramjai shri sitaram
Jai Siya RAM
Jai shree ram
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