मन के गुबार को ऐसे निकालें | जीवन जीने की कला | Episode 6 | 27 May 2024 | Muni Veersagar ji Maharaj
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- Опубліковано 25 тра 2024
- जीने की कला सीखने के लिए जरूरी है गलती का प्रायश्चित करना ● निर्यापक श्रमण मुनि श्री 108 वीरसागर जी महाराज
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🔆 मनुष्य गलतियों का पुतला है। कोई भी ऐसा नहीं है जिसका जीवन काली, लाल, पीली या नीली स्याही से नहीं लिखा गया हो, गलतियां होना स्वाभाविक है। सिर्फ तीर्थंकर भगवान ही उस अवस्था में है जिनका जीवन सफेद स्याही से लिखा गया है यानी निर्दोष है।
🔆यदि गलतियां होना मानव स्वभाव का हिस्सा है तो हम इन्हें मन में दबाए क्यों बैठे रहते हैं ? हम गलतियों को स्वीकार करके उनका प्रायश्चित क्यों नहीं करते? गलतियों का यह बोझ हमारे जीवन को दूभर बना देता है और हम खुलकर जी ही नहीं पाते।
🔆 प्रश्न यह उठता है कि जीवन के किसी भी मोड़ पर हुई किसी गलती से उपजे तनाव,भय, डिप्रेशन और निराशा को हम कैसे दूर करें? इसका सबसे अच्छा तरीका है किसी ऐसे विश्वसनीय व्यक्ति से इसे साझा करें जो आपकी बात को अपने तक रखे और आपका सही और सटीक मार्गदर्शन कर सके। ऐसा मार्गदर्शक कोई भी हो सकता है जिस पर आप पूरा विश्वास रखते हैं। वे माता-पिता हो सकते हैं, भाई बहन हो सकते हैं, मित्र हो सकता है या गुरु हो सकते हैं।
🔆 यदि अपनी गलती को स्वीकार करके प्रायश्चित करके हम जीवन पथ पर आगे बढ़ेंगे तो मन पर कोई बोझ नहीं रहेगा, आत्महत्या जैसे बुरे ख्याल मन में नहीं आएंगे और हम खुशी से जीवन जी पाएंगे।
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GURU VAR NAMOSTU NAMOSTU GURU DEV KOTI KOTI NAMAN JAI JAI JAI GURU DEV
Namostu gurday jee
Namostu gurudev 🙏🙏🙏
Namostu Guruvar
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🙏🙏 परमपूज्य निर्यापकश्रमण मुनि pungav श्री108 सुधासागरजी महाराज कि ಜೈ ಹೋ. परमपूज्य निर्यापकश्रमण मुनिश्री 108 प्रसादसागरजी. वीरसागरजी महाराज कि ಜೈ ಹೋ. परमपूज्य मुनिश्री108 शीतलसागरजी. ಪದ್ಮ सागरजी महाराज कि ಜೈ ಹೋ. ಸಮಸ್ತ छूलक महाराज जी को Echami गुरूदेव. Bhaiyaji को ವಂದನಾ
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namostu guruvwer
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पुज्य श्री वीर सागर जी महाराज कहा विराजमान है ?
Damoh
नमोस्तु महाराज
Damoh