Two honest and efficient officers; One who is willing to break the system to serve justice. Another who supports the former's cause, but is pressurized by the system.
Aap jaise log bs entertainment k liye hi kuchh bhi dekhte hain kya khud really Janne ki koshish nahi karte ye wo officer hai jisne shakal badal di mujjafar Nagar ki.
0:10 रामसखी कृत पद्य -७४- किया न किया जिन सदगुर चरणों से मेल किया, तिन और से मेल किया न किया;। जिन सदगुर स्वरूप से ध्यान किया, तिन और का ध्यान किया न किया॥१॥ सतगुर सत-बोध को धार लिया, अरु बोध विचार अखंड लखा । तब पिंड- ब्रह्माण्ड में एक रहा; तिन और विचार किया न किया॥२॥ ध्रुव निश्चय ये जब अटल हुआ, अनन्य रहा, तब अन्य कहाँ ?। सदगुर को शीश उतार दिया : । फिर भाल त्रिपुंड दिया न दिया॥३॥ निज वर्ण कर्म पहिचान लिया;। तब सुवर्ण कर्म आरूढ़ हुआ,। गौ, हाथी, घोड़ा दान दिया;। तिन सोना चाँदी दिया न दिया॥४॥ सत की सेवा में लीन हुआ, सदगुर स्वरूप सर्वत्र रहा,। ‘रामसखी’ सतलोक बसे,। फिर और उपाय किया न किया॥५॥ संक्षिप्त व्याख्या- इस पद्य में यह बताया है कि विश्वरूप परमात्मा का प्रत्यक्ष व यथार्थ दर्शन कर अनन्यभक्ति (विश्व सेवा) करने पर कुछ और करें या न करें कोई फर्क नहीं पड़ता। जिस मनुष्य ने तत्वदर्शी सदगुरु के चरणों (साकार और निराकार पद) से मेल कर लिया ( जान लिया ) उसे फिर किसी और से मेल करने (जानने) की जरूरत नहीं होती क्योंकि सदगुरु साकार और निराकार पद का पुरुषोत्तम पद में लय कर अभेद अनुभव लखा देते हैं (गी॰७-२)। जिसने सद्गुरू का स्वरूप विश्व ( विश्वरूप परमात्मा) का ध्यान कर लिया( यह विश्व ही सदगुरु का स्वरूप है , यह बुद्धि में दृढ़ निश्चय होकर सदैव अनन्य भक्ति रूप आचरण में आने लगा) तो फिर अन्य किसी के ध्यान की आवश्यकता नहीं रहती।॥१॥ जब सद्गुरु द्वारा दिये गये सत-बोध (विश्वरूप परमात्मा का प्रत्यक्ष व यथार्थ दर्शन) को धारण (बुद्धि में दृढ़ निश्चय ) कर लिया और इस बोध को मनन, अभ्यास कर अखंड अनवरत लख लिया तब पिंड-ब्रह्माण्ड की एकता का विचार ( अपनी अलग सत्ता की मानिंदी खतम होकर विश्व से अपनी अनन्यता का विचार ) ही रहने लगता है फिर कुछ भी अन्य विचार (मत, पंथाई आदि ) का कोई अर्थ ही नहीं रहता।॥२॥ ध्रुव के समान बुद्धि में जब यह अटल निश्चय कि आप सहित सब परमात्मा ही है अन्य कुछ है ही नहीं (गी॰ ७-७) ‘सर्वम् खल्विदं ब्रह्म’ है तब अनन्यता हो जाती है; अन्य कुछ रहता ही नहीं। इस प्रकार जब सदगुरु को अपना शीश ( व्यष्टि अहं रूप शीश) समर्पित कर दिया ( समष्टि स्वरूप सदगुरु में व्यष्टि अहं शीश लय हो गया) तो फिर माथे पर त्रिपुंड लगाये या न लगाये; कोई अर्थ नहीं रखता।॥३॥ फिर जब अपना स्वभावज वर्ण कर्म पहिचान में आ गया तब स्वकर्म में आरूढ़ हो जाता है (अपना प्रकृति दत्त वर्णधर्म कर्म दृढ़ता से करने लगता है)। ऐसा स्वकर्मी ने गौ यानी गाय (इंद्रियाँ ), हाथी (अहं शीश), घोड़ा (मन की विषय-भोगों में चंचलता) दान दे दिया ( इंद्रिय , मन, बुद्धि आदि में से तृष्णा क्षय हो गई ) उसे फिर सोना , चाँदी , धन-दौलत देने का कोई अर्थ दिखाई नहीं देता; देना व नहीं देना एक सा ही है अर्थात यदि किसी जरूरतमंद को देता है तो देने नहीं देने दोनों भावों से अतीत होकर देता है।॥४॥ उपर्युक्त वर्णित सत-सेवा में लीन ( अनन्यभक्ति करता) मनुष्य को सर्वत्र सदगुरु ही दिखाई देता है क्योंकि उसकी बुद्धि में अटल निश्चय आप सहित सब सदगुरु (परमात्मा) ही है; रहता है। रामसखी कहती है कि वह इसतरह सतलोक ( आस्तिक्य पद स्थिति ) में बसता (रहता) है, फिर उसे अपने कल्याण के लिये किसी और उपाय की जरूरत नहीं होती।॥५॥😊❤ 0:120:130:130:130:130:130:14
What else can an administrator do ? Being an administrator you cannot change the system.. You have to work within the system. To change the system one need to be a politician not an administrator.
Upsc interview: is police corrupt?
Candidate: sir that's a perception
Really: damn, it is.
Candidate should may be to a percent.
Two honest and efficient officers;
One who is willing to break the system to serve justice.
Another who supports the former's cause, but is pressurized by the system.
Handsome Mohit Raina sir 💓
Dig in bhaukal....and DGP in ...khaakhe the bihar chapter.... promotion is good
If the whole film would be translated, it would be worth it so that we can watch it in English. Thanks for this episode.
Did u understand Hindi ..
Da Bratishka...
Read the subtitles.
There are subtitles
@@bre701 Where to find subtitles
Modi vs mannmohan singh😉
We have aged since mahadev. And gained weight. Mahadev is proof of that.
Navneet Sikera is currently ADG Crime (Crime branch head) of U.P. govt☝ System has accepted him well under Yogi raj😊
MOHIT RAINA ka look aur Voice DHONI se match ho raha hai
Hence proved police force me bhot ache log hain and govt was also in ventre was good at that time..😅😢
Devon ka Dev Mahadev episode UA-cam upload kariye Na
I am confussed, is anywhere anything comes like Savage...!!!
Mahadev
Mahadev se uchi awaz se bat mat karo
Bhagat aadmi k liye wo ab Bhagwan ka roop ho gya
Koi kharab bat nai h
Real ips hona chahiye aisa
He was
@@anachronistic22 ab Mujjafarnagar me aisa hi hoga
Story is based on Real IPS Naveneet Sikera now he is ADG UP Police
Aap jaise log bs entertainment k liye hi kuchh bhi dekhte hain kya khud really Janne ki koshish nahi karte ye wo officer hai jisne shakal badal di mujjafar Nagar ki.
@@jyotibisen450 kya aap mujjafarnagar se h
He looks like ms dhoni.
Anil Kumble 2.0 to me.
If he hadn't gained that much wait...it would've been amazing
Ye kya chutiya soch h be, wo ek efficient police wale ka role kar raha ha aur tujhe uske 6-pack dekhna hai.JA JAKE MAHADEV DEK LE
Weight
But he is looking amazing, why are you talking like this
Mohit rain is best singer
Mahadev DKDM🥰🥰
Full movie kub tuk kisa milega ji
mx player name webseries bhaukaal
Kk
0:10 रामसखी कृत पद्य
-७४-
किया न किया
जिन सदगुर चरणों से मेल किया,
तिन और से मेल किया न किया;।
जिन सदगुर स्वरूप से ध्यान किया,
तिन और का ध्यान किया न किया॥१॥
सतगुर सत-बोध को धार लिया,
अरु बोध विचार अखंड लखा ।
तब पिंड- ब्रह्माण्ड में एक रहा;
तिन और विचार किया न किया॥२॥
ध्रुव निश्चय ये जब अटल हुआ,
अनन्य रहा, तब अन्य कहाँ ?।
सदगुर को शीश उतार दिया : ।
फिर भाल त्रिपुंड दिया न दिया॥३॥
निज वर्ण कर्म पहिचान लिया;।
तब सुवर्ण कर्म आरूढ़ हुआ,।
गौ, हाथी, घोड़ा दान दिया;।
तिन सोना चाँदी दिया न दिया॥४॥
सत की सेवा में लीन हुआ,
सदगुर स्वरूप सर्वत्र रहा,।
‘रामसखी’ सतलोक बसे,।
फिर और उपाय किया न किया॥५॥
संक्षिप्त व्याख्या-
इस पद्य में यह बताया है कि विश्वरूप परमात्मा का प्रत्यक्ष व यथार्थ दर्शन कर अनन्यभक्ति (विश्व सेवा) करने पर कुछ और करें या न करें कोई फर्क नहीं पड़ता।
जिस मनुष्य ने तत्वदर्शी सदगुरु के चरणों (साकार और निराकार पद) से मेल कर लिया ( जान लिया ) उसे फिर किसी और से मेल करने (जानने) की जरूरत नहीं होती क्योंकि सदगुरु साकार और निराकार पद का पुरुषोत्तम पद में लय कर अभेद अनुभव लखा देते हैं (गी॰७-२)। जिसने सद्गुरू का स्वरूप विश्व ( विश्वरूप परमात्मा) का ध्यान कर लिया( यह विश्व ही सदगुरु का स्वरूप है , यह बुद्धि में दृढ़ निश्चय होकर सदैव अनन्य भक्ति रूप आचरण में आने लगा) तो फिर अन्य किसी के ध्यान की आवश्यकता नहीं रहती।॥१॥
जब सद्गुरु द्वारा दिये गये सत-बोध (विश्वरूप परमात्मा का प्रत्यक्ष व यथार्थ दर्शन) को धारण (बुद्धि में दृढ़ निश्चय ) कर लिया और इस बोध को मनन, अभ्यास कर अखंड अनवरत लख लिया तब पिंड-ब्रह्माण्ड की एकता का विचार ( अपनी अलग सत्ता की मानिंदी खतम होकर विश्व से अपनी अनन्यता का विचार ) ही रहने लगता है फिर कुछ भी अन्य विचार (मत, पंथाई आदि ) का कोई अर्थ ही नहीं रहता।॥२॥
ध्रुव के समान बुद्धि में जब यह अटल निश्चय कि आप सहित सब परमात्मा ही है अन्य कुछ है ही नहीं (गी॰ ७-७) ‘सर्वम् खल्विदं ब्रह्म’ है तब अनन्यता हो जाती है; अन्य कुछ रहता ही नहीं। इस प्रकार जब सदगुरु को अपना शीश ( व्यष्टि अहं रूप शीश) समर्पित कर दिया ( समष्टि स्वरूप सदगुरु में व्यष्टि अहं शीश लय हो गया) तो फिर माथे पर त्रिपुंड लगाये या न लगाये; कोई अर्थ नहीं रखता।॥३॥
फिर जब अपना स्वभावज वर्ण कर्म पहिचान में आ गया तब स्वकर्म में आरूढ़ हो जाता है (अपना प्रकृति दत्त वर्णधर्म कर्म दृढ़ता से करने लगता है)। ऐसा स्वकर्मी ने गौ यानी गाय (इंद्रियाँ ), हाथी (अहं शीश), घोड़ा (मन की विषय-भोगों में चंचलता) दान दे दिया ( इंद्रिय , मन, बुद्धि आदि में से तृष्णा क्षय हो गई ) उसे फिर सोना , चाँदी , धन-दौलत देने का कोई अर्थ दिखाई नहीं देता; देना व नहीं देना एक सा ही है अर्थात यदि किसी जरूरतमंद को देता है तो देने नहीं देने दोनों भावों से अतीत होकर देता है।॥४॥
उपर्युक्त वर्णित सत-सेवा में लीन ( अनन्यभक्ति करता) मनुष्य को सर्वत्र सदगुरु ही दिखाई देता है क्योंकि उसकी बुद्धि में अटल निश्चय आप सहित सब सदगुरु (परमात्मा) ही है; रहता है। रामसखी कहती है कि वह इसतरह सतलोक ( आस्तिक्य पद स्थिति ) में बसता (रहता) है, फिर उसे अपने कल्याण के लिये किसी और उपाय की जरूरत नहीं होती।॥५॥😊❤ 0:12 0:13 0:13 0:13 0:13 0:13 0:14
Hi
Full web series kha milegi
MX Player
Jab English bolta hai toh lgta hai dhoni bol rha hai
M.S.DHONI😜😁
Aao system system kelege ❤❤❤2024
Mohit Raina has put on weight
System m rehkar system ko sudhara ja sakta h...
Fucking chutiyapa line
What else can an administrator do ? Being an administrator you cannot change the system.. You have to work within the system. To change the system one need to be a politician not an administrator.
it's easy but not as easy, it's depends on the people of india, if they want it will hardly take 10-20 years.
Mohit Raina acting ❤
😂 corruption less policemen is just a myth 😆