एक रो रहा है - एक हँस रहे है | Shrimad Bhagavad Gita 23 | Mahamahopadhyay Bhadreshdas Swami
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- Опубліковано 17 лис 2024
- अध्याय 2 श्लोक 8 - 10 : एक ही रथ में: एक रो रहा है और एक हँस रहे हैं। संसार रथ में भी वैसा ही होता है, एक सामान परिस्थिति में कोई रोता है तो कोई हँसता है। युद्ध के क्षेत्र में जितने स्वजन अर्जुन के थे उतने ही स्वजन श्रीकृष्ण के भी थे। परन्तु अर्जुन विषाद ग्रस्त हो गया और भगवान स्थिर है।
श्रीमद् भगवद् गीता : उच्चतम आदर्शों और जीवन की कटु वास्तविकता के बिच का एक महान सेतु है। महामहोपाध्याय पूज्य भद्रेशदास स्वामीजी न केवल पारम्पारिक भाष्यकार आचार्य है परन्तु उन्होंने इन आदर्शों का ब्रह्मस्वरूप प्रमुखस्वामीजी महाराज एवं प्रकट ब्रह्मस्वरूप महंतस्वामीजी महाराज जैसे महापुरुषों के जीवन में चरितार्थ दर्शन किया है और चिंतन किया है।
स्वामिनारायण अक्षरधाम के सर्जक ब्रह्मस्वरूप प्रमुखस्वामीजी महाराज के शताब्दी महोत्सव के उपक्रम में श्रीमद् भगवद् गीता व्याख्यान माला का आयोजन किया गया है।
His Holiness Pramukhswamiji Maharaj
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Pujya Bhadreshdas swamiji:
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