Omkareshwar - Mamleshwar Jyotirling | Narmada River, Khandwa, Madhya Pradesh

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 5 лют 2025
  • भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में चौथा ओंकारेश्वर है. यह मध्य प्रदेश के खंडवा में, इंदौर से ७७ किमी की दुरी पर नर्मदा नदी के बीच मन्धाता पर्वत व शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है. यहां पर मन्धाता नामक राजा ने शिव की घोर तपस्या करके प्रसन्न किया था और जनकल्याण हेतु यहां पर ज्योर्तिलिंग के रूप में विराजित होने का आग्रह किया था. इन्हीं के नाम पर इसका नाम मन्धाता पर्वत रखा गया है. ओमकार का उच्चारण सर्वप्रथम स्रष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से हुआ था. उसी ओमकार स्वरुप ज्योतिर्लिंग श्री ओंकारेश्वर है, यहाँ भगवान शिव ओमकार स्वरुप में प्रकट हुए हैं. स्कन्द पुराण, शिवपुराण व वायुपुराण में ओंकारेश्वर क्षेत्र की महिमा उल्लेख है. यहाँ कुल ६८ तीर्थ है, ३३ कोटि देवता विराजमान है. दिव्य रूप में यहाँ पर १०८ प्रभावशाली शिवलिंग है. भगवान शिव प्रतिदिन तीनो लोकों में भ्रमण के पश्चात यहाँ आकर विश्राम करते हैं. प्रतिदिन भगवान शिव की विशेष शयन आरती की जाती है.
    ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की एक सबसे अनोखी बात यह है कि यह दो अलग-अलग ज्योतिर्लिंगों में स्थापित है इसलिए इनके मंदिर भी अलग-अलग हैं. इनके नाम हैं ओमकारेश्वर और ममलेश्वर. ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग का सही नाम अमरेश्वर मंदिर है. यह मंदिर पञ्च मंजिला मंदिर है, हर मंजिल पर शिवालय है. मंदिर अब पुरातत्व के अधीन है. देवी अहिल्या बाई के समय से यहाँ शिव पार्थिव पूजन होता रहा है. इन दोनों मंदिरों में दर्शन करने पर ही एक ज्योतिर्लिंग की यात्रा पूरी मानी जाती है. इसमें से एक श्री ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा के उत्तरी तट के टापू पर है जबकि श्री ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर नर्मदा के दक्षिणी तट पर टापू से बाहर स्थित है.
    #omkareshwar #mamleshwar #jyotirling #shiv

КОМЕНТАРІ •