जीवन का ध्येय : दुर्लभ कानपुर नगर

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  • Опубліковано 5 жов 2024
  • कानपुर नगर प्रवचन ध्येय का स्वरूप और मानव जीवन
    एक यक्ष था। जब पाण्डवों को बनवास हुआ था तब युधिष्ठिर वगैरह को प्यास लगी। बड़े भाई थे युधिष्ठिर , उन्होंने भीमसेन से कहा कि ऐ भीम! देख जरा आस-पास कहीं पानी हो तो ले आ बहुत प्यास लगी है। भीमसेन दौड़ते हुए गये, उनमें दस हजार हाथी का बल। पास में एक तालाब था, तो वहाँ पानी लेने पहुंचे कमंडल में। उसमें एक यक्ष बैठा था। तो उसने कहा- “ऐ मोटा आदमी! खबरदार! पानी लिया तो, मेरे साठ सवाल हैं उनका जवाब दे दे पहले।" भीमसेन ने कहा-" कौन है रे! जरा बाहर तो आ। "अरे, दस हजार हाथी का बल वो किसी की सुने, अकड़ गए भीमसेन।
    इसलिए में वो यक्ष बाहर आया निकल कर और पकड़ा पैर और ले गया पानी के अंदर।और चले गए भीमसेन। यक्ष की ताकत, स्वर्ग लोक का। बड़ी देर हो गयी युधिष्ठिर ने कहा कि ये लौटा नहीं भीम। अर्जुन! तुम जाओ। अर्जुन ने भी वही गलती की। "मैं गाण्डीव धारी तू क्या बक बक करता है" उनको भी खींच लिया। नकुल को भेजा, सहदेव को भेजा, सब गये चारों। युधिष्ठिर ने कहा, ये मामला क्या है? मैं देखता हूं। इनसे कहा," देखो जी बड़े भैया! तुम्हारे चारों भाई हमारे अंदर हैं और अगर तुम भी वही गलती की तो पाँचवा भी अंदर हो जाएगा।" तो उन्होंने कहा, क्या बात है? उसने कहा साठ सवाल हैं उनका जवाब दो। उन्होंने कहा अरे इकसठ सवाल कर साठ क्या होता है। अरे !जवाब तो पाँचों भाई दे सकते थे, महापुरुष थे लेकिन अकड़ में चले गये बेचारे और युधिष्ठिर गंभीर थे जो हैं वो। तो उन्होंने कहा बोलो क्या क्वेश्चन है? तो पहला क्वेश्चन किया 'किमाश्चर्यम्' दुनियाँ में सबसे बड़ा ताज्जुब क्या है? आश्चर्य। तो उन्होंने कहा-
    अहन्यहनी भूतानि गच्छन्तीह यमालयम्।
    शेषाः स्थिरत्वमिच्छन्ति किमाश्चर्यमतः परम्।।
    (महाभारत)
    डेली, प्रतिक्षण, आदमी मर रहे हैं और लोग देख रहे हैं। सुन नहीं रहे हैं, देख रहे हैं। उनको शमशान घाट ले जाकर जला रहे हैं। सुनी हुई खबर तो गलत हो सकती है न। आँखों देखी अपने ही घर में बीस आदमी हैं, आज एक मरा कल एक मरा परसों एक मरा। हाँ तो? तो बाकी जो बचे हैं जो श्मशान घाट ले जा रहे हैं वे नहीं सोचते कल हम भी इसी रास्ते से जा सकते हैं। नही नहीं,हम तो सोच रहे हैं अगले साल ये करेंगे; दस साल बाद फिर ये हो जायेगा, फिर बीस साल बाद ये हो जाएगा फिर चालीस साल बाद मेरा बेटा ऐसा हो जाएगा, प्लानिंग हो रही है। बड़ी लंबी। इससे बड़ा कोई आश्चर्य नहीं। ये मूर्खता की अन्तिम सीमा मनुष्यों की । जो तुरंत सावधान नहीं होते। इसलिए अच्छे बुरे का त्याग करके हरि गुरु में मन लगाना ही एक मात्र तत्त्वज्ञान है और यही साधना है, यही बुद्धिमत्ता है।
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