According the Veda, Upnishad and Poorana.. below are the places where Rudra Prefer to Live हिंदू पौराणिक कथाओं में रुद्र, जो अक्सर भगवान शिव के उग्र रूप से जुड़े हैं, विभिन्न पवित्र स्थानों और लोकों में वास करते हैं। रुद्र के निवास के मुख्य स्थानों में शामिल हैं: कैलाश पर्वत: हिमालय का यह पवित्र पर्वत भगवान शिव का दिव्य निवास स्थान माना जाता है। कई ग्रंथों और परंपराओं में रुद्र को यहाँ अपनी पत्नी पार्वती के साथ निवास करते हुए बताया गया है। श्मशान भूमि: रुद्र को संहार और परिवर्तन के देवता के रूप में जाना जाता है, इसलिए उन्हें कभी-कभी श्मशान भूमि में वास करते हुए दर्शाया जाता है। यह उनके जीवन-मृत्यु और परिवर्तन के चक्र से जुड़े होने का प्रतीक है। भक्तों के हृदय में: शिव पुराण जैसे शास्त्रों में कहा गया है कि रुद्र अपने भक्तों के हृदय में निवास करते हैं, जो उनके प्रति समर्पित होते हैं। यह उनके भक्तों की अंतरात्मा और आध्यात्मिकता में उनकी उपस्थिति को दर्शाता है। वन और जंगल: रुद्र को जंगली और प्राकृतिक स्थलों से भी जोड़ा गया है। उन्हें अक्सर उन स्थानों से संबंधित बताया गया है जो मानव बस्तियों से दूर हैं, जैसे घने वन और निर्जन स्थान, जो उनके तपस्वी और प्राचीन स्वरूप का प्रतीक हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान रुद्र के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक है-उनकी अलौकिकता, परिवर्तनकारी शक्ति, और सर्वव्यापकता।
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where do rudra live?
According the Veda, Upnishad and Poorana.. below are the places where Rudra Prefer to Live
हिंदू पौराणिक कथाओं में रुद्र, जो अक्सर भगवान शिव के उग्र रूप से जुड़े हैं, विभिन्न पवित्र स्थानों और लोकों में वास करते हैं। रुद्र के निवास के मुख्य स्थानों में शामिल हैं:
कैलाश पर्वत: हिमालय का यह पवित्र पर्वत भगवान शिव का दिव्य निवास स्थान माना जाता है। कई ग्रंथों और परंपराओं में रुद्र को यहाँ अपनी पत्नी पार्वती के साथ निवास करते हुए बताया गया है।
श्मशान भूमि: रुद्र को संहार और परिवर्तन के देवता के रूप में जाना जाता है, इसलिए उन्हें कभी-कभी श्मशान भूमि में वास करते हुए दर्शाया जाता है। यह उनके जीवन-मृत्यु और परिवर्तन के चक्र से जुड़े होने का प्रतीक है।
भक्तों के हृदय में: शिव पुराण जैसे शास्त्रों में कहा गया है कि रुद्र अपने भक्तों के हृदय में निवास करते हैं, जो उनके प्रति समर्पित होते हैं। यह उनके भक्तों की अंतरात्मा और आध्यात्मिकता में उनकी उपस्थिति को दर्शाता है।
वन और जंगल: रुद्र को जंगली और प्राकृतिक स्थलों से भी जोड़ा गया है। उन्हें अक्सर उन स्थानों से संबंधित बताया गया है जो मानव बस्तियों से दूर हैं, जैसे घने वन और निर्जन स्थान, जो उनके तपस्वी और प्राचीन स्वरूप का प्रतीक हैं।
इनमें से प्रत्येक स्थान रुद्र के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक है-उनकी अलौकिकता, परिवर्तनकारी शक्ति, और सर्वव्यापकता।