poetry || छत्तीसगढ़ी गीत || छत्तीसगढ़ी गीत रचना || अतेक सोचत सोचत कतेक सोचबे वों जवानी में तो बुढ़ा
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- Опубліковано 26 чер 2024
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poetry
केरवट ला बदलत सारी रात पहागें वो
अतेक सोचत सोचत कतेक सोचबे वों
कतेक दुख ल गोठियावव मैं हा
पतली कमर करधनियां हो
गली गली चौरा चौरा बाजत हे नंगारा
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