महर्षि पतंजलि, योग सूत्र (हिंदी) कैवल्य पाद, सूत्र नं- 4.2, PYS 4.2, "कौशल योग", आचार्य कौशल कुमार

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  • Опубліковано 29 жов 2024

КОМЕНТАРІ • 7

  • @raj25236
    @raj25236 4 роки тому

    🙏🙏 thank you guru ji 🙏🙏

  • @kausalyaiyengar1992
    @kausalyaiyengar1992 4 місяці тому

    Second time sunrahi hun.🙏🙏

    • @kaushalyog5929
      @kaushalyog5929  4 місяці тому

      Good. Our scriptures are so deep that we can’t comprehend it in one or two times study. As many times as you study you will get new insights

  • @virsinghchauhan5490
    @virsinghchauhan5490 4 роки тому

    यहां मेरा मतभेद है कि हम अपने संकल्प के द्वारा अपने शरीर में दूसरे का शरीर का परिवर्तन कर सकते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से यह असत्य है। हम सिर्फ अपने अन्दर दूसरे के शरीर को अनुभव कर सकते हैं, लेकिन प्रतक्ष्य रुप से नहीं ला सकते।इस बात को आपने अंत में बताया भी है कि वैज्ञानिक रूप से हम इस बात को सिद्ध नहीं कर सकते।

    • @kaushalyog5929
      @kaushalyog5929  4 роки тому

      वीर सिंह जी मैं आपके मतभेद का सम्मान करता हूं। लेकिन कोई भी व्यक्ति चाहे जितना भी बड़ा योगी हो, किसी दूसरे के शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता है। योग के किसी भी प्रामाणिक ग्रंथ में भी इसकी चर्चा नहीं है दूसरा अवैज्ञानिक तो है ही।

  • @virsinghchauhan5490
    @virsinghchauhan5490 2 роки тому

    मेरा मानना है कि पतंजलि यहाँ पर जाति परिवर्तन से यह समझाने का प्रयास कर रहे है कि हमारे शरीर, इन्द्रियों व चित्त में परिवर्तन होता है यानि विलक्षण शक्तियां प्राप्त होती है न कि हम कोई भी शरीर का आकार प्राप्त कर लें.

    • @kaushalyog5929
      @kaushalyog5929  2 роки тому

      वीर भाई हम किसी भी शब्द का अर्थ अपने मन को जो अच्छा लगे उस हिसाब से नहीं कर सकते हैं । हर शब्द के अर्थ के लिए शब्द कोश बनाए गए हैं । जमाते व्याकरण के पंडितों ने हर एक शब्दों के अर्थ निश्चित किए हैं । हमें उन्हीं अर्थों को लेने की छूट है । अपने अनुसार शब्दों के अर्थ करने की छूट मिल जाएगी तो अनर्थ हो जाएगा