Srvottam Stotra 1999 Part 3

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  • Опубліковано 22 жов 2024

КОМЕНТАРІ • 5

  • @chandraprabhasharma73
    @chandraprabhasharma73 3 місяці тому

    Bhut sunder je je

  • @krunalparikh8535
    @krunalparikh8535 6 місяців тому

    What a wonderful way to relate precautionary maintenance (stretching) to the ‘किंचित् समाचरेत” aagya of SriMahaprabhuji. Who else can have such deep close insights into Mahaprabhuji’s Vaani.
    कोटि प्रणाम 🙏🏼🙏🏼🙇🏽🙇🏽

  • @vrukshshakha1579
    @vrukshshakha1579 6 місяців тому

    Khub sundar... પરબ્રહ્મ પરમાત્માના ભગવાન શ્રી કૃષ્ણ ઔર ઘર કો ઠાકુર... Jai Jai super explanation thx......

  • @chandraprabhasharma73
    @chandraprabhasharma73 2 місяці тому

    अति सुन्दर जेजे

  • @sureshthakkar4391
    @sureshthakkar4391 6 років тому +1

    ua-cam.com/video/Z92zdZvzOlY/v-deo.html
    👣🐾🍁💐🎹🌷🎺🎷
    दैवोद्धारप्रयत्नात्मने नमः (५)
    "दैवोद्धारप्रयत्नात्मा" कों न आधी निमिष बिसराऊं ।
    चित में चिंतन करौं अहर्निसि उर आनंद उपजाऊं ।।१।।
    और द्वन्द जिय जानि छांडि दै श्रीवल्लभ गुन गाऊं ।
    मेरो सर्वस सुभग मूरति बिनु कहूं न सीस नवाऊं ।२।
    🐾वचनामृत सुबोधिनी सुनिकें श्रीवल्लभ उर लाऊं ।
    गोद पसारि मांगत 'गोविंद' जन 👣चरणकमल रज पाऊं ।३।👣🐾🎷🎹💐🍁
    🐾👣पूज्य जे जे ने सर्वोत्तम स्तोत्र के वचनामृत में गोविंददास के पद से अद्भुत संगति बताई है 🐾 स्मृतिमात्रार्तिनाशन सुमरे बढ़त आनन्द ।
    आनि उपाय उपाधि जानी जिय तजि चित्त भज श्रीवल्लभ मुखचंद्र ।। १।।
    रसना रटत नेक नहीं छांडत ,फूली रहे निज जन अरविन्द ।
    हसत परस्पर करत कुतूहल , सबहि परे प्रेमके फंद ।।२।।
    भूतल फिरत महारस भीने निजजन अतिमदमत्त गयंद।
    श्रीविठ्ठल पदरजप्रतापबल निर्भय फिरत सदा "गोविंद" ।।३।।🐾🍁🎺💐🎷🎹🎤