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Bhut sunder je je
What a wonderful way to relate precautionary maintenance (stretching) to the ‘किंचित् समाचरेत” aagya of SriMahaprabhuji. Who else can have such deep close insights into Mahaprabhuji’s Vaani. कोटि प्रणाम 🙏🏼🙏🏼🙇🏽🙇🏽
Khub sundar... પરબ્રહ્મ પરમાત્માના ભગવાન શ્રી કૃષ્ણ ઔર ઘર કો ઠાકુર... Jai Jai super explanation thx......
अति सुन्दर जेजे
ua-cam.com/video/Z92zdZvzOlY/v-deo.html👣🐾🍁💐🎹🌷🎺🎷दैवोद्धारप्रयत्नात्मने नमः (५) "दैवोद्धारप्रयत्नात्मा" कों न आधी निमिष बिसराऊं । चित में चिंतन करौं अहर्निसि उर आनंद उपजाऊं ।।१।।और द्वन्द जिय जानि छांडि दै श्रीवल्लभ गुन गाऊं ।मेरो सर्वस सुभग मूरति बिनु कहूं न सीस नवाऊं ।२।🐾वचनामृत सुबोधिनी सुनिकें श्रीवल्लभ उर लाऊं ।गोद पसारि मांगत 'गोविंद' जन 👣चरणकमल रज पाऊं ।३।👣🐾🎷🎹💐🍁🐾👣पूज्य जे जे ने सर्वोत्तम स्तोत्र के वचनामृत में गोविंददास के पद से अद्भुत संगति बताई है 🐾 स्मृतिमात्रार्तिनाशन सुमरे बढ़त आनन्द ।आनि उपाय उपाधि जानी जिय तजि चित्त भज श्रीवल्लभ मुखचंद्र ।। १।।रसना रटत नेक नहीं छांडत ,फूली रहे निज जन अरविन्द ।हसत परस्पर करत कुतूहल , सबहि परे प्रेमके फंद ।।२।।भूतल फिरत महारस भीने निजजन अतिमदमत्त गयंद।श्रीविठ्ठल पदरजप्रतापबल निर्भय फिरत सदा "गोविंद" ।।३।।🐾🍁🎺💐🎷🎹🎤
Bhut sunder je je
What a wonderful way to relate precautionary maintenance (stretching) to the ‘किंचित् समाचरेत” aagya of SriMahaprabhuji. Who else can have such deep close insights into Mahaprabhuji’s Vaani.
कोटि प्रणाम 🙏🏼🙏🏼🙇🏽🙇🏽
Khub sundar... પરબ્રહ્મ પરમાત્માના ભગવાન શ્રી કૃષ્ણ ઔર ઘર કો ઠાકુર... Jai Jai super explanation thx......
अति सुन्दर जेजे
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👣🐾🍁💐🎹🌷🎺🎷
दैवोद्धारप्रयत्नात्मने नमः (५)
"दैवोद्धारप्रयत्नात्मा" कों न आधी निमिष बिसराऊं ।
चित में चिंतन करौं अहर्निसि उर आनंद उपजाऊं ।।१।।
और द्वन्द जिय जानि छांडि दै श्रीवल्लभ गुन गाऊं ।
मेरो सर्वस सुभग मूरति बिनु कहूं न सीस नवाऊं ।२।
🐾वचनामृत सुबोधिनी सुनिकें श्रीवल्लभ उर लाऊं ।
गोद पसारि मांगत 'गोविंद' जन 👣चरणकमल रज पाऊं ।३।👣🐾🎷🎹💐🍁
🐾👣पूज्य जे जे ने सर्वोत्तम स्तोत्र के वचनामृत में गोविंददास के पद से अद्भुत संगति बताई है 🐾 स्मृतिमात्रार्तिनाशन सुमरे बढ़त आनन्द ।
आनि उपाय उपाधि जानी जिय तजि चित्त भज श्रीवल्लभ मुखचंद्र ।। १।।
रसना रटत नेक नहीं छांडत ,फूली रहे निज जन अरविन्द ।
हसत परस्पर करत कुतूहल , सबहि परे प्रेमके फंद ।।२।।
भूतल फिरत महारस भीने निजजन अतिमदमत्त गयंद।
श्रीविठ्ठल पदरजप्रतापबल निर्भय फिरत सदा "गोविंद" ।।३।।🐾🍁🎺💐🎷🎹🎤