उच्च कोटि का मनुष्य वह ही है जो खुद को आईना जैसा इस्तेमाल करता है , न वह किसी चीज को पकड़ता है ,और न किसी चीज का इन्कार करता है , वह ग्रहण करता है , पर रखता नहीं , उससे चिपकता नहीं , जब पंछी पानी के ऊपर से उड़ते हैं , तो पंछीओं की छवि पानी में बनानी नहीं होती है , मगर पानी के पास अस्वीकार करने के लिए अपना कोई दिमाग़ नहीं होता है , पानी उन्हें वैसे ही दिखाता है , जैसे वे हैं , एक आईने की तरह , इस दुनियाँ में कोई भी कार्य ऐसे करो जैसे कि *कोई है ही नहीं*,feelingless condition में कार्य करों ! Lautzu teaching .
Thanks 👍
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J. Krishnamurti my inspiration
उच्च कोटि का मनुष्य वह ही है जो खुद को आईना जैसा इस्तेमाल करता है ,
न वह किसी चीज को पकड़ता है ,और
न किसी चीज का इन्कार करता है ,
वह ग्रहण करता है ,
पर रखता नहीं ,
उससे चिपकता नहीं ,
जब पंछी पानी के ऊपर से उड़ते हैं ,
तो पंछीओं की छवि पानी में बनानी नहीं होती है ,
मगर पानी के पास अस्वीकार करने के लिए अपना कोई दिमाग़ नहीं होता है ,
पानी उन्हें वैसे ही दिखाता है ,
जैसे वे हैं ,
एक आईने की तरह ,
इस दुनियाँ में कोई भी कार्य ऐसे करो जैसे कि
*कोई है ही नहीं*,feelingless condition में कार्य करों !
Lautzu teaching .
Namaste sir ji 🙏🙏
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It's jkrishanmurti