नमन! नमन! नमन! प्रथम नमन मेरे प्रभु को जिनके स्वरूप में मैंने साक्षात परमात्मा के ही दर्शन किए। दूसरा नमन मेरी माता जगदंबा को जिनके शब्द अमृत के घूंट की तरह मेरे श्रवणों में घुलकर मेरे प्राणों का पोषण करते हैं और तीसरा नमन स्वयं मेरे जीवन को जो इस अमिट, शाश्वत कथा का साक्षी हो रहा है। कितना धन्य हूं मैं जो इस अमृतवाणी को आपके सम्मुख बैठकर सुनने का सौभाग्य पाया! नमन मेरे सरकार, तुम्हें नमन है। 🙏🏻🙏🏻🌺
ये कमेंट नहीं.....इस कमेंट से आपकी चेतना की उच्चतम अवस्था को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है इस कमेंट से...हम अनुभूति कर पा रहे हैं कि कैसे गुरुदेव का आशीर्वाद आपके ऊपर सुगंध बनाकर बरस रहा है🌹
सामान्य शब्द भी आपकी व्याख्या में आकर दिव्य अर्थ ग्रहण कर लेते हैं। फिर यह तो देवी अक्षरा की कविता है। अवश्य ही वे आपके चरणों को हृदय में धारण करके अपने शब्दों को कागज पर उकेरती होंगी तभी उनमें ऐसी दिव्य सुगंध समा जाती है। ऐसा सुंदर प्रवचन सिर्फ भाग्यवानो को ही सुनने को मिलता है। प्रणाम!🙏🙏🙏🙏
आज पता चला काव्य कितना गंभीर विषय है। गुरुदेव की अमृत वाणी हर शब्द के मर्म को उजागर कर देती है। धन्य हैं अक्षरा और धन्य है उनकी कविताएं। गुरुदेव को बारंबार प्रणाम! 🙏🏻🙏🏻
आपका सघन मौन मुखरित होकर अस्तित्व मेँ अमृत बनकर बरस रहा है ..... मौन कि चासनी मेँ पगे हुए गुरुदेव के स्वर हृदय कि अनंत गहराइयों को स्पर्श कर रहें हैं... हे मौन क्रांति के उद्घोषक किन शब्दों मेँ आभार व्यक्त करूँ 🌹🌹
माँ, बड़भागी तो हम हैं और आपके आभारी भी, जो आपकी रचनाएं श्री गुरुदेव भगवान की वाणी में श्रवण कर रहे हैं। आपका यह रचित काव्य बहुत ही भावपूर्ण है व जीवन रस से भरा है। गुरुदेव के मुख से इसके एक-एक शब्द ऐसे उद्धरित हो रहे हैं मानो आपका स्वरूप गढ़ा जा रहा हो, और पूर्ण होते ही आपके विमल स्वरूप की प्रतीति हो रही है, जो अलौकिक है। माँ, आपका पूरा स्वरूप समाहित है इस काव्य में। नमन माते! नमन गुरुदेव!! 🙏🏻🌹🌹
प्रणाम गुरुजी! यह प्रवचन मेरे हृदय को छू गया। ऐसा लगा जैसे स्वयं भगवान शिव मीराबाई के गीतों को गा रहे हों। ऐसा अद्भुत गीत और उसकी ऐसी अनुपम व्याख्या मैंने पहले कभी न सुनी। मेरा हृदय आनंद की पुलक से भर गया है। देवी अक्षरा को मेरे बहुत बहुत प्रणाम! और परम पावन गुरुदेव के श्रीचरणों में पुनः पुनः नमन!
यह मेरा सौभाग्य ही है कि मैं गुरुदेव के पावन सत्संग में बैठने के लिए चुना गया हूं। अनगिनत बार आपके समक्ष बैठकर आपके श्रीमुख से जीवन के अमिट सत्य की चर्चा सुनी है किंतु हर बार ऐसा लगता है जैसे पहली बार ही सुन रहा हूं। मैं कैसे आपका आभार करूं! बस इतना ही कहूंगा आपका कोटि कोटि वंदन!🙏🙏🙏
मन प्राण आत्मा सब अमृत की बरसा में भीग गए। शब्दों के माध्यम से अनहद नाद की कैसी झड़ी लगा दी मेरे सरकार ने! अहा! जी चाहता है बस सुनते जाएं, सुनते जाएं..बस सुनते ही चले जाएं। आज मैं कृतकृत्य हूं। 🙏🏻🙏🏻
अनमोल शब्द, अनमोल वाणी, अनमोल अक्षरा! कितने सौभाग्यशाली हैं वो लोग जो आपके पावन चरणों में बैठकर जीवन का अमृतांश चखते हैं। हमपर भी कृपा करें, हमें भी अपनी शरण बुला लें! हमें भी उस पार ले चलें!
सम्भावना सदा खुली है बस एक कदम बढ़ाने कि हिम्मत तो करो.... आओ आत्मदार्शन कि कार्यशाला तुम्हें रूपआतंरित करने के लिये तुम्हें आवाज़ दे रही है... 🙏🙏 क्या सुन पा रहे उस मौन पुकार को... अब न सुन सकें तो फिर कब सुनोगे अभी न जगे तो फिर कब जागोगे... चलो रे मन लौट चले निज ओर.....
मां अक्षरा के गीतों का मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। किंतु जब उनके गीतों के शब्द गुरुदेव के श्रीमुख से निकलते हैं तब उनकी शोभा और गरिमा में चार ही नहीं बल्कि चार हजार चांद लग जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे सोना सुगंधित हो उठा हो। हे परम पावन, आपके चरणों में बारंबार नमन!
मेरी कवितायों मेँ कोई सामर्थ्य नहीं...गुरुदेव के मुख से निकलकर कविता का मोल बढ़ जाता है 🙏🙏 मेरी कविताएं तो बांसुरी कि तरह पोली हैं...गुरुदेव के होंठो से लगते स्वरलहरियां फूट पडती हैं 🙏🙏 आभार 🙏🙏
नमन! नमन! नमन! प्रथम नमन मेरे प्रभु को जिनके स्वरूप में मैंने साक्षात परमात्मा के ही दर्शन किए। दूसरा नमन मेरी माता जगदंबा को जिनके शब्द अमृत के घूंट की तरह मेरे श्रवणों में घुलकर मेरे प्राणों का पोषण करते हैं और तीसरा नमन स्वयं मेरे जीवन को जो इस अमिट, शाश्वत कथा का साक्षी हो रहा है। कितना धन्य हूं मैं जो इस अमृतवाणी को आपके सम्मुख बैठकर सुनने का सौभाग्य पाया! नमन मेरे सरकार, तुम्हें नमन है। 🙏🏻🙏🏻🌺
ये कमेंट नहीं.....इस कमेंट से आपकी चेतना की उच्चतम अवस्था को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है इस कमेंट से...हम अनुभूति कर पा रहे हैं कि कैसे गुरुदेव का आशीर्वाद आपके ऊपर सुगंध बनाकर बरस रहा है🌹
सामान्य शब्द भी आपकी व्याख्या में आकर दिव्य अर्थ ग्रहण कर लेते हैं। फिर यह तो देवी अक्षरा की कविता है। अवश्य ही वे आपके चरणों को हृदय में धारण करके अपने शब्दों को कागज पर उकेरती होंगी तभी उनमें ऐसी दिव्य सुगंध समा जाती है। ऐसा सुंदर प्रवचन सिर्फ भाग्यवानो को ही सुनने को मिलता है। प्रणाम!🙏🙏🙏🙏
सत्य वचन....गुरुदेव के चरणों को हृदय मेँ धारण करके ही ऐसी कविताएं आकार पाती हैं 🙏
@@gagarmesagar2296🙏🙏🙏🙏
आज पता चला काव्य कितना गंभीर विषय है। गुरुदेव की अमृत वाणी हर शब्द के मर्म को उजागर कर देती है। धन्य हैं अक्षरा और धन्य है उनकी कविताएं। गुरुदेव को बारंबार प्रणाम! 🙏🏻🙏🏻
नाम अक्षरा का है लिखबाना बाला तो कोई और है ......
स्रोत मेँ स्थित गुरुतत्व का दिव्य प्रभाव कविता बनकर कागज पर पर बिखर जाता है....
🙏🙏
Vani mein jaise Amrit chhalakta ho dhanya ho gurudev aap ki jay ho hari om tatsat
आपका सघन मौन मुखरित होकर अस्तित्व मेँ अमृत बनकर बरस रहा है .....
मौन कि चासनी मेँ पगे हुए गुरुदेव के स्वर हृदय कि अनंत गहराइयों को स्पर्श कर रहें हैं...
हे मौन क्रांति के उद्घोषक किन शब्दों मेँ आभार व्यक्त करूँ 🌹🌹
माँ, बड़भागी तो हम हैं और आपके आभारी भी, जो आपकी रचनाएं श्री गुरुदेव भगवान की वाणी में श्रवण कर रहे हैं। आपका यह रचित काव्य बहुत ही भावपूर्ण है व जीवन रस से भरा है। गुरुदेव के मुख से इसके एक-एक शब्द ऐसे उद्धरित हो रहे हैं मानो आपका स्वरूप गढ़ा जा रहा हो, और पूर्ण होते ही आपके विमल स्वरूप की प्रतीति हो रही है, जो अलौकिक है। माँ, आपका पूरा स्वरूप समाहित है इस काव्य में। नमन माते! नमन गुरुदेव!! 🙏🏻🌹🌹
प्रणाम गुरुजी! यह प्रवचन मेरे हृदय को छू गया। ऐसा लगा जैसे स्वयं भगवान शिव मीराबाई के गीतों को गा रहे हों। ऐसा अद्भुत गीत और उसकी ऐसी अनुपम व्याख्या मैंने पहले कभी न सुनी। मेरा हृदय आनंद की पुलक से भर गया है। देवी अक्षरा को मेरे बहुत बहुत प्रणाम! और परम पावन गुरुदेव के श्रीचरणों में पुनः पुनः नमन!
पार्वती से होकर साक्षात् शिव बरस रहें हैं
🙏🙏🙏
धन्य ह भारत कि भूमि जहाँ आचार्यजी जैसे संत अवतरित हुए
🌹
Nice
यह मेरा सौभाग्य ही है कि मैं गुरुदेव के पावन सत्संग में बैठने के लिए चुना गया हूं। अनगिनत बार आपके समक्ष बैठकर आपके श्रीमुख से जीवन के अमिट सत्य की चर्चा सुनी है किंतु हर बार ऐसा लगता है जैसे पहली बार ही सुन रहा हूं। मैं कैसे आपका आभार करूं! बस इतना ही कहूंगा आपका कोटि कोटि वंदन!🙏🙏🙏
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मन प्राण आत्मा सब अमृत की बरसा में भीग गए। शब्दों के माध्यम से अनहद नाद की कैसी झड़ी लगा दी मेरे सरकार ने! अहा! जी चाहता है बस सुनते जाएं, सुनते जाएं..बस सुनते ही चले जाएं। आज मैं कृतकृत्य हूं। 🙏🏻🙏🏻
ज्ञान और भक्ति का अदभुत संगम ह आपकी ओज वाणी में इसलिए आपको बारम्बार प्रणाम करता हूं
अप्रतिम 👌🙏
अनमोल शब्द, अनमोल वाणी, अनमोल अक्षरा! कितने सौभाग्यशाली हैं वो लोग जो आपके पावन चरणों में बैठकर जीवन का अमृतांश चखते हैं। हमपर भी कृपा करें, हमें भी अपनी शरण बुला लें! हमें भी उस पार ले चलें!
सम्भावना सदा खुली है बस एक कदम बढ़ाने कि हिम्मत तो करो....
आओ आत्मदार्शन कि कार्यशाला तुम्हें रूपआतंरित करने के लिये तुम्हें आवाज़ दे रही है...
🙏🙏
क्या सुन पा रहे उस मौन पुकार को...
अब न सुन सकें तो फिर कब सुनोगे अभी न जगे तो फिर कब जागोगे...
चलो रे मन लौट चले निज ओर.....
अक्षरा को चरणों मेँ स्थान देकर उसके हर अक्षर को सार्थक कर दिया
आपके चरणों मेँ अनंत अक्षरांजलि
🙏🙏
मां अक्षरा के गीतों का मैं बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। किंतु जब उनके गीतों के शब्द गुरुदेव के श्रीमुख से निकलते हैं तब उनकी शोभा और गरिमा में चार ही नहीं बल्कि चार हजार चांद लग जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे सोना सुगंधित हो उठा हो। हे परम पावन, आपके चरणों में बारंबार नमन!
मेरी कवितायों मेँ कोई सामर्थ्य नहीं...गुरुदेव के मुख से निकलकर कविता का मोल बढ़ जाता है
🙏🙏
मेरी कविताएं तो बांसुरी कि तरह पोली हैं...गुरुदेव के होंठो से लगते स्वरलहरियां फूट पडती हैं
🙏🙏
आभार 🙏🙏
@@gagarmesagar2296 Dhanya Hain Aap 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
गुरुदेव तो पारस कि तरह हैं...जिसको भाव से भरकर स्पर्श कर दें बही महक उठे....
गुरुदेव तो चन्दन हैं 🙏🙏🙏
@@gagarmesagar2296 jee Bilkul Satya Kaha Aapne 🙏🏻🙏🏻 saubhagya Hai
अद्भभुत अभिव्यक्ति है मौन व प्रेम की 🌷🙏
नमन गुरुदेव 💐🙏
Mere Bhagavaan jee aap sabako khush rakhe.🙏🙏🙏
Atti sunder guru jee
Koti koti pranam 🙇♀️ ❤🌹🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
❤Super❤
जय हो 🙏🙏🙏🙏🙏
कृपया माइक की गुणवत्ता सुधारे
अमूल्य प्रवचन सुनने में इको प्रोब्लम आती है
Jee jarur aage se Dhyan Rakha Jayega 🙏🏻🙏🏻 dhanyawad
❤❤❤