हम को ऐश्वर्य महालक्ष्मी साधना में लीन कर देना चाहिए जब महालक्ष्मी में लीन हो गए तो हरी विष्णु स्वयं देख लेंगे 😊 धन धान्य को भोगते हुए परमात्मा में ही रहना है मृत्यु उपरांत धन की कोई आवश्यकता नहीं होती है 😊 परमात्मा खुद को खुद से बाहर निकालने का प्रयत्न करें तो क्या यह हो सकता है?
सच कहूं तो सभी भयभीत हैं,जिसने भी यह दुःख का संसार बनाया है जिसमे दुख ही दुख है उसने किया तो गाली खाने का काम ही है,ओर उसका कोई कुछ बिगाड भी नहीं सकता है, ईश्वर को न खोजकर केवल मन क्या है यह कैसे बनता है कैसे इसका न बनना हो,यह समझ आने पर ईश्वर रुपी भूल-भुलैया खत्म, बस मन को चुनौती नही दी जा सकती है न हराया जा सकता है न इसको बंधक बनाया जा सकता हैं,मन केवल आपका ही बनाया हुआ है,यह मात्र एक ख्याल है ओर कुछ नही सभी इसी ख्याल को मोटा ओर सर्जन कर रहे हैं जो कर्म बनकर हमी पर काल रुप मे टूट रहा है,
क्या आपके कोई प्रश्न है, क्या आप यहां पूछना चाहेंगी, आपके प्रश्नों से मुझे ये ज्ञान प्राप्त हो सकता है के मैंने किन बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया 🙏 अपना प्रश्न जरूर लिखें
To rape, murder, burgalry ye sab manushya nahi karta...to fir chinta aur pashchataaap bhi nahi hoga.. murder hua..ishwar ne kia, rape hua ishwar ne kia, ???
कर्म से बंधन नहीं होता उसके फल में आसक्ति होने से बंधन होता है। कर्म फल की इच्छा न रख़ उसे ईस्वर पर छोड़ने को कहा गया है। ईस्वर हमारे कर्मो का कर्ता तभी बनता है जब जीव 100% शरण ग्रहण करे मन बुद्धि से एक नव जात शिशु जैसे अपनी माता को समर्पित रहता है और माता उसका सब कार्य करती है उसके बिना कुछ कहे। और क्या इस अवस्था का कोई जीव गलत कार्य कर सकता है चोरी डकैती रेप इत्यादि तो बहुत दूर की बात है। पूर्ण शरनागति के बाद जीव् की स्थिति एक नवजात शिशु की होती है। ॐ ॐ ॐ
जो भी हो रहा है वह तुम नहीं कर रहे हो, यह सब कुछ पूर्व निर्धारित है और हो चुका है, अब तो तुम केवल अनुभव कर रहे हो, और यह अनुभव भी बहुत कम समय के लिए ही होता है, असल में बलात्कार के समय जो बलात्कारी और पीड़िता है वो बलात्कार के बाद वहां नहीं है उसी तरह सजा भी किसी और को ही मिलती है। गीता "फल तो तुम्हारे हाथ में है ही नही पार्थ, तुम्हारे हाथ में केवल कर्म है " अध्याय 3 यदि आप ध्यान दे तो कर्म भी हमारे हाथ में नही है लेकिन माया की रचना इतनी प्रभावी है की कर्म से अलग होना असम्भव जान पड़ता है इसलिए कृष्ण ने कहां है करोड़ों में कोई एक ऐसा योगी होता है जो कर्मों से भी मुक्त होता है।
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
*हरि ૐ तत्सत सद्गुरु श्री रमणमहर्षि साहेबजी नमः*🙏 *जय श्री परब्रह्म परमात्मा*🙏 *ओम ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप*🌹
Maharishi koti koti naman
8:45 दुनिया कैसे चलेगी, क्या दुनिया को हम चलाते है? यदि नहीं तो फिर यह हमें चिंतन करने की आवश्यकता क्यों है के दुनिया कैसे चलेगी। ☺️
ईश्वर हमारे अंदर है हम ईश्वर नहीं है।
गलत लेख
હૂં અને ઈષ્વર બે નથી.
हम को ऐश्वर्य महालक्ष्मी साधना में लीन कर देना चाहिए जब महालक्ष्मी में लीन हो गए तो हरी विष्णु स्वयं देख लेंगे 😊
धन धान्य को भोगते हुए परमात्मा में ही रहना है मृत्यु उपरांत धन की कोई आवश्यकता नहीं होती है 😊
परमात्मा खुद को खुद से बाहर निकालने का प्रयत्न करें तो क्या यह हो सकता है?
गुरु शरणम्🙏🌺 🌷
हम लोगों को सीखने के लिए ही आप जैसे महापुरुषों को निमित्त बनाया जाता है
❤❤❤
Ep😊
Bahut hi badhiya prawachan hai. Is ke Baad main kabhi bhai Sanam Teri kasam nahi dekhunga . Main unka shishya ban kar ke nach ke rahunga
महर्षि आपको कोटि कोटि नमन।
Arth spasht karne ka thanks maharaj ji 💐🌹🌹🌺
Jay prbhu ji 🙏 ❤
JAI BABAJI 🌸🌹🌷🌺💐🦚🪷🙏JAI MAA 🌸🌹🌷🌺💐🦚🪷🙏
Thanks!
धन्यवाद💗
Jay Jay Hari ♥️
Very nice guru ji
❤❤❤🙏🙏🙏
Parnam guru ji🙏🙏🙏
सारे विश्व को जय प्रभु🙏🙏
Jay gurudev
🙏
धन्यवाद भाई जी..जय श्री राम
आपके सत्संग में मजा आ गया
Thank you very much sir keep posted
Guruji.aap.ke.charno.me.koti.koti.pranaam
सच कहूं तो सभी भयभीत हैं,जिसने भी यह दुःख का संसार बनाया है जिसमे दुख ही दुख है उसने किया तो गाली खाने का काम ही है,ओर उसका कोई कुछ बिगाड भी नहीं सकता है, ईश्वर को न खोजकर केवल मन क्या है यह कैसे बनता है कैसे इसका न बनना हो,यह समझ आने पर ईश्वर रुपी भूल-भुलैया खत्म, बस मन को चुनौती नही दी जा सकती है न हराया जा सकता है न इसको बंधक बनाया जा सकता हैं,मन केवल आपका ही बनाया हुआ है,यह मात्र एक ख्याल है ओर कुछ नही सभी इसी ख्याल को मोटा ओर सर्जन कर रहे हैं जो कर्म बनकर हमी पर काल रुप मे टूट रहा है,
Bekar he ye duniya
नाथ सकल सम्पदा तुम्हारी। मैं सेवक समेत सुत नारी।
❤आत्म निवेदन भगवन 🙏🕉🙏
Doodh nath bhakti me lin.jai shri krishnay nmh.❤
Jai Ho Prabhu ji ki❤🙏🏻
Bsr 💞🙏🌷
बहुत बड़ा ज्ञान और प्रभावी आवाज
Very nice.
Prem Naman.
Arunachal shiva 🙏⚘️
Bahut bahut dhanyawad 🙏❤️🤗
प्रणाम ❤❤
Haei Om hati
इस प्रवचन से मुझे अच्छी तरह संतुष्टि मिल रही है इसके लिए कोटि-कोटि धन्यवाद 7:36
❤❤❤
🙏👏🌹🥰
Gazab❤
Thanks vvvvvvvvv much for all imp other videos also
अमृत वाणी ❤
Waheguru ji
Beautiful 🙏
Your voice is so powerful, seems God is talking. All the best to you!
🙏🏻
🙏🌼🙏
🙏🙏🙏🌺🌺
🙏🙏🙏🙏
❤
इस प्रवचन से अनेक प्रश्नोके उत्तर मिले.पराभक्ती थोडी समझ आयी .अभी और समझना चाहती हूं.कृपया मार्गदर्शन करे.
क्या आपके कोई प्रश्न है, क्या आप यहां पूछना चाहेंगी, आपके प्रश्नों से मुझे ये ज्ञान प्राप्त हो सकता है के मैंने किन बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया 🙏 अपना प्रश्न जरूर लिखें
🙏🏼♥️
☺️☺️☺️🙏🙏🙏❤️❤️
Perfect
Sir ji aapki aawaj me ek Jadu hai
Verrenic
Nice
भगवान श्री कृष्ण गीता में कह चुके हैं के अर्जुन अगर कुछ भी समझ में नहीं आए सब धर्म को छोड़कर मेरी शरण में आ जाओ
जय श्री कृष्णा
जय महाराज जी की 🌺🌷🙏🙏
नमस्कार जी
साहब यदि आप अपने वीडियो को एडिट करवाना चाहते है तो आप मुझसे संपर्क कर सकते है।
योग क्षेम वहाम्याम प्रभु करने मे समर्थ है
To rape, murder, burgalry ye sab manushya nahi karta...to fir chinta aur pashchataaap bhi nahi hoga.. murder hua..ishwar ne kia, rape hua ishwar ne kia, ???
कर्म से बंधन नहीं होता उसके फल में आसक्ति होने से बंधन होता है। कर्म फल की इच्छा न रख़ उसे ईस्वर पर छोड़ने को कहा गया है। ईस्वर हमारे कर्मो का कर्ता तभी बनता है जब जीव 100% शरण ग्रहण करे मन बुद्धि से एक नव जात शिशु जैसे अपनी माता को समर्पित रहता है और माता उसका सब कार्य करती है उसके बिना कुछ कहे। और क्या इस अवस्था का कोई जीव गलत कार्य कर सकता है चोरी डकैती रेप इत्यादि तो बहुत दूर की बात है। पूर्ण शरनागति के बाद जीव् की स्थिति एक नवजात शिशु की होती है। ॐ ॐ ॐ
Chinta usi ko hogi jo sach mai apne andar iswar ko dekha hoga, murder etc ignorance ke karan hote hai
जो भी हो रहा है वह तुम नहीं कर रहे हो, यह सब कुछ पूर्व निर्धारित है और हो चुका है, अब तो तुम केवल अनुभव कर रहे हो, और यह अनुभव भी बहुत कम समय के लिए ही होता है, असल में बलात्कार के समय जो बलात्कारी और पीड़िता है वो बलात्कार के बाद वहां नहीं है उसी तरह सजा भी किसी और को ही मिलती है।
गीता "फल तो तुम्हारे हाथ में है ही नही पार्थ, तुम्हारे हाथ में केवल कर्म है "
अध्याय 3 यदि आप ध्यान दे तो कर्म भी हमारे हाथ में नही है
लेकिन माया की रचना इतनी प्रभावी है की कर्म से अलग होना असम्भव जान पड़ता है इसलिए कृष्ण ने कहां है करोड़ों में कोई एक ऐसा योगी होता है जो कर्मों से भी मुक्त होता है।
Jab tum ishwar se jude hoge to ye sab hoga hi ni
🙏🙏
🙏🙏🙏🎉🎉🎉❤❤❤
🙏
🙏