मरते तो सब हैं भगवन किंतु बस बार बार लौट आने को ही। सच्ची मृत्यु तो सिर्फ उसी की कहेंगे जो एक बार मरा तो फिर नहीं लौटा। और ऐसी मरने की कला तो सिवाय सदगुरु के और कोई नहीं सीखा सकता। इसलिए हे मानवों, सदगुरु की शरण चलो! सदगुरु की शरण चलो! सत् सत् नमन गुरुदेव 🙏🏻🌺
यदि प्यास ओर समझ गहरी हो तो बिना सुनें भी समझ आ सकती... लेकिन उसके लिये जनक जैसी प्रज्ञा चाहिए.... दरअसल मामला तो बहुत ही आसान है लेकिन हम कठिन हो गए हैं.... क्या जीवन जी को स्वयं जीवन के बारे मेँ जानना कठिन है..तो जो तुम हो उसे जानने से ज्यादा सरल और कया हो सकता .@@Jeevandarshan6
मामला तो बहुत आसान है,इतना आसान है कि बिना सुने भी बात समझ आ सकती है,परंतु हम इतने कठिन हो गए हैं कि हमें अपनी सरलता का हमें अपने स्वभाव का हमें अपने होने का आभास कराने के लिए गुरु की वाणी ज्ञान पुंज बनकर अपनी अनुभूति कराती है, यदि समझ गहरी हो और प्यास प्रमाणिक हो तो जनक की तरह सुनकर भी बात समझी आ सकती है पर उसके लिए जनक जैसी प्रज्ञा चाहिए,,,,,आप जीवन है क्या जीवन को जीवन जानने के लिए किसी की जरूरत है@@Jeevandarshan6
मरते तो सब हैं भगवन किंतु बस बार बार लौट आने को ही। सच्ची मृत्यु तो सिर्फ उसी की कहेंगे जो एक बार मरा तो फिर नहीं लौटा। और ऐसी मरने की कला तो सिवाय सदगुरु के और कोई नहीं सीखा सकता।
इसलिए हे मानवों, सदगुरु की शरण चलो! सदगुरु की शरण चलो! सत् सत् नमन गुरुदेव 🙏🏻🌺
Guru dev ke charanon mein Sadar pranam
Wah sir , pure atam darshan
कोटिश: नमन आपके श्रीचरणों में। 🙏🏻
हे गुरुदेव आपके चरणों में कोटि कोटि नमन 🙏जीव को जीवात्मा से मिलने की इस यात्रा में मैं हमेशा के लिए मिट जाती है।
अद्भुत गुरुदेव! आपकी शरण में आ जाने मात्र से हमारा मैं गलने लगता है।🙏🙏🙏
इतना आसान मामला नही है की किसी की सुनने से में ग़ल जाये।
यदि प्यास ओर समझ गहरी हो तो बिना सुनें भी समझ आ सकती...
लेकिन उसके लिये जनक जैसी प्रज्ञा चाहिए....
दरअसल मामला तो बहुत ही आसान है लेकिन हम कठिन हो गए हैं....
क्या जीवन जी को स्वयं जीवन के बारे मेँ जानना कठिन है..तो जो तुम हो उसे जानने से ज्यादा सरल और कया हो सकता .@@Jeevandarshan6
मामला तो बहुत आसान है,इतना आसान है कि बिना सुने भी बात समझ आ सकती है,परंतु हम इतने कठिन हो गए हैं कि हमें अपनी सरलता का हमें अपने स्वभाव का हमें अपने होने का आभास कराने के लिए गुरु की वाणी ज्ञान पुंज बनकर अपनी अनुभूति कराती है, यदि समझ गहरी हो और प्यास प्रमाणिक हो तो जनक की तरह सुनकर भी बात समझी आ सकती है पर उसके लिए जनक जैसी प्रज्ञा चाहिए,,,,,आप जीवन है क्या जीवन को जीवन जानने के लिए किसी की जरूरत है@@Jeevandarshan6
Aapako mera koti koti naman
🙏 मंगलमूर्ती मोरया 🙏
Tora man darpan kehlaye bhale bure sare karmo ko dekhe or dikhaye..man hi ishwar man hi devta man se bada na koi .🙏💐🕉️pranam bhai..🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जय गुरुदेव
"मरो हे जोगी मरो, मरो मरण है मीठा
उस मरनी मरो जिस मरनी मरे गोरख दीठा"
🙏🙏🙏🙏🙏 God bless you 🙏🙏🙏