Aisa damru bajaya Bholenath ne Saara Kailash parvat magan ho gaya | ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने सारा |

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  • Опубліковано 7 кві 2024
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    Aisa Damru Bajaya Bholenath Ne - Lyrics
    Hansraj Raghuwanshi
    ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने - शिव भजन
    मैं हिमाचल की बेटी
    मेरा भोला बसे काशी
    सारी उमर तेरी सेवा करुँगी
    सारी उमर तेरी सेवा करुँगी
    बनकर तेरी दासी
    शंभु
    शिव शिव शिव शिव शंभु
    शिव शिव शिव शिव शंभु
    ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    बम-बम, बम-बम
    ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    बम-बम, बम-बम
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए
    कान्हा जी आए संग राधा भी आए
    बम-बम, बम-बम
    डमरू को सुनकर जी कान्हा जी आए
    कान्हा जी आए संग राधा भी आए
    बम-बम, बम-बम
    वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    डमरू को सुनकर जी गणपति चले हैं
    डमरू को सुनकर जी गणपति चले
    गणपति चले संग कार्तिक चले
    गणपति चले संग कार्तिक चले
    महा अम्बे का मन भी मगन हो गया
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    डमरू को सुनकर जी रामा जी आए
    बम-बम, बम-बम
    डमरू को सुनकर जी रामा जी आए
    रामा जी आए संग लक्ष्मण जी आए
    मैया सिता का मन भी मगन हो गया
    ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    ऐंसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले
    यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले
    डमरू को सुनकर के ब्रम्हा चले
    यहाँ ब्रम्हा चले वहाँ विष्णु चले
    मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
    डमरू को सुनकर जी गंगा चले
    गंगा चले वहाँ यमुना चले
    बम-बम, बम-बम
    डमरू को सुनकर जी गंगा चल
    गंगा चले वहाँ यमुना चले
    वहाँ सरयू का मन भी मगन हो गया
    ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    डमरू को सुनकर जी सूरज चले
    सूरज चले वहाँ चंदा चले
    बम-बम, बम-बम
    डमरू को सुनकर जी सूरज चले
    सूरज चले वहाँ चंदा चले
    सारे तारों का मन भी मगन हो गया
    ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने
    सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया
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