जय भीम, नमो बुध्दाय एक बहुरुपिए को अच्छा सबक सिखाया सर आपने,, इन बहुरूपियों के कारण ही आज देश शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, अर्थव्यवस्था में पिछड़ गया है,,
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ? @ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा। जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में। एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए। फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया। फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी। सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है। और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ। *बौद्ध = हिन्दू* *राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है। कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
एकतरफा तथ्य उजागर कर रहे हैं, @ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा। जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में। एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए। फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया। फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी। सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है। और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ। बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है। कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ? @ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा। जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में। एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए। फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया। फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी। सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है। और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ। *बौद्ध = हिन्दू* *राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है। कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
एसजे रिसर्चर जी आप सभी लोग वास्तविकता, तथ्य के बारे में सभी लोगों को जागरूक करने का उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। बधाई, शुभकामनाएँ। टुन्नी लोगों ने अपने सभी संस्कृत ग्रंथ नहीं पढ़े हैं, जवाब नहीं दे पाते सिर्फ जुमलेबाजी, जलेबी, मुंह से बोला हो गया सबूत,वाकई शर्मनाक है। सुनो, खुद का विश्लेषण करो, किसी के अंधे अनुयायी मत बनो। जय भीम 🙏🙏💐💐
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ? @ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा। जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में। एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए। फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया। फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी। सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है। और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ। *बौद्ध = हिन्दू* *राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है। कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
हमारी लड़ाई सिर्फ इतनी-सी है कि जर जंगल जमीन धन सम्पत्ति शिक्षा नौकरी सब पर बराबर का हक़ अधिकार और बटवारा चाहिए बस sc st. OBC को आप अपने वेद पुराण सारे ग्रन्थ और देवी देवता तुम रख लो ब्राह्मणों जय भीम जय भारत जय संविधान जय मुलनिवासी नमो बुध्दाय
नहीं भाई अब बात इतनी सी नहीं रही अब बात इससे कई गुना आगे बढ़ चुकी है और इसे समाज में आगे बढ़ाने वाले आप लोग हैं यदि बात इतनी सी होती तो उसे पहले से ही सुलझाने के बहुत सारे उपाय थे जिन्हें करना किसी ने उपयुक्त नहीं समझा हां धार्मिक विषय पर गाली देना उचित समझा क्योंकि उन पर किसी एक समाज का ठेका था उसमे तुम्हारा कोई हिस्सा था नहीं तो यह बात भी नहीं कहते अब समय को देखते हुए लगभग तय ही हो चुकी है अब इतनी गालियां देने के बाद और इतने प्रश्न चिन्ह उठाने के बाद वह भी ईश्वर के चरित्र पर हां यदि किसी व्यक्ति विशेष के ऊपर गालियां दे देते या उसके चरित्र पर प्रश्न उठाते तो एक बार बर्दाश्त भी किया जा सकता था उसे समझा भी जा सकता था कि हां इसने गलत किया परंतु अब उस ईश्वर पर तुम्हारा या तुम्हारे समाज से किसी का भाई कोई हिस्सा है ही नहीं ठेका है ही नहीं जो गालियां खा सकता है तो ठेका भी उसी का जिस हक के लिए तुम बात कर रहे हो ना न जाने कितने ऐसे लोग होंगे आपके समाज के जिनके मित्र उच्च वर्ग के समाज से आते हैं और जो कभी उनके साथ भेदभाव नहीं करते किसी भी प्रकार साथ बैठकर खाना पीना रहना तक करते हैं घूमते फिरते हैं परंतु आप लोगों ने अपना एजेंडा सेट करने के लिए जिस हद तक नीचे गिरे फिलहाल कोई बात नहीं उस विषय पर बात भी की जा सकती थी जिस विषय पर एतराजगि थी क्योंकि आप भी पढ़े-लिखे थे और हमारे समाज से भी पढ़े लिखे थे आपस में बैठकर बातचीत करते तो कोई ना कोई हल तो जरूर निकलता और लोग साथ भी देते क्योंकि युवा वर्ग इतनी पुरानी सोच को ढोता तो नहीं है और ना ही मानता है जब लोग अनजान व्यक्ति का साथ दे सकते हैं तो क्या अपनों का साथ नहीं देते इतना भी भरोसा नहीं था पर यह करना किसी ने उचित नहीं समझा हां समाज को तोड़ने का कार्य किया विधिवत भली-भांति किया गया तो मुबारक हो अब आप अपने हिसाब से लड़ाई लड़िये और अपना हक लीजिए अब इसमें चाहने या ना चाहने वाली क्या बात रह गई क्योंकि नई पीढ़ी जो दूसरे वर्ग की है वह यह सब देख सुनकर के भूल थोड़ी नहीं जाएगी जो उत्पात अभी मचाया जा रहा है जिस विषय को लेकर आप लड़ रहे थे वही विषय आपने दूसरों के लिए भी खड़ा किया है क्योंकि दूसरे वर्ग में सब इतने रईस थोड़ी ना होते हैं ना ही धनवान रही बात आपके प्रश्न बराबरी की तो सबसे पहले प्रश्न तो यही उठता है कि आखिर में हक खाया किसने किसका खाया और किसकी संपत्ति से आपको संपत्ति चाहिए थी आपको उसका नाम पता है या जगह मालूम है वक्त पता है की कब आपसे किसी ने आपकी संपत्ति आके हड़प ली या अंधा ही किसी के ऊपर इल्जाम लगा देना उचित था।
मेरे भाइयों आपकी लगन और बुद्धिमत्ता से मनुवाद बहुत तेजी से समाप्ति की ओर है। आपको बरगलाया जायेगा, भड़काया जायेगा लेकिन आप इसी तरह अपनी बातों पर अडिग रहना। #जय_भीम 💪💪💪
समाप्ती कि और बढ रहा?😂 अबे लल्लू निंद मे है क्या? अब तो मुसलमान भी सनातनी हो रहे है. बुद्ध पुरे हिंदुस्थान मे फैला था वह नष्ट हो चुका है. अब जो बुद्ध है वो नकली है. हिंदुस्थान मे एकभी बुद्ध नही है. किसीका जाती का प्रमाण पत्र दिखा सकते हो क्या? सभी महार है. बुद्ध नही मक्कारो. कितने झुटे हो यार 😜😜😜
SJ sir को तथ्य अधारित भारतीय इतिहास एवं विश्व प्रसिद्ध संस्कृति से रूबरू करने और कपोलकल्पित पाखंड भरी कथा कहानियो की सत्यता/वास्तविकता सामने लाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद I इनको इस के महान कार्य के लिए भारत रत्न मिलना चाहिए I
Aap jo keh rahen hai hindu dharm me bahut se log kahaniyo ko jhooth hi mante hain fir bhi hindu dharm ko mante hain krapya atank na machaye sirf pakhand ko mitaye
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ? @ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा। जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में। एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए। फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया। फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी। सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है। और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ। *बौद्ध = हिन्दू* *राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है। कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
नमो बुद्धाय ,,, क्रांतिकारी जय भीम सर,,,,,, 🙏🇪🇺🙏🇪🇺🙏 सर जी आप ने इस अक्षय ससवत टुन्नी को बोहोत अच्छी तरह से लताड़ा है,,,इसकी असली हकीगत बता दिया आप ने,,,डिबेट सुनकर बोहोत अच्छा लगा,,,,, आप का बोहोत बोहोत धन्यवाद,,,,,,,
❤🎉❤🎉❤🎉❤ भावना और विचार ही तो है जो जो दूर रहकर भी अपनों का एहसास कराता है नहीं तो दोनों आंख के बीच दूरी ही अलग अलग है🎉❤🎉 जय भीम नमो बुद्धाय जय चक्रवर्ती सम्राट जय जोहार जय आदिवासी जय मूलनिवासी जय विज्ञान जय संविधान जयलोकतंत्र🎉❤❤🎉
बहुत ही शानदार SJ Sir. आपको हर बार salute. ये तो तय है। जिन लोगो ने भारत मे ऊंच-नीच जैसी अमानवीय चीज बनाये है। वो वाकई में भयंकर नीच, विछीप्त सोच के लोग रहे होंगे। SJ Sir आपने जो इस देश का सच्चा इतिहास लोगो के सामने लाये हैं। उसके लिए हम सब आपके आभारी हैं।
पंडितो की दुकानें बंद होने वाली है इस लिए ये लोग घबरा रहे हैं जय भीम साथियों जय भीम राव अम्बेडकर साहब जय भारत जय समविधान जय हिंद ऊनमः बुद्ध नमःजय गुरू रावि दास नमः सत्यनाम वाहे गुरू सत्य मेव जयते
एकतरफा तथ्य उजागर कर रहे हैं, @ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा। जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में। एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए। फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया। फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी। सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है। और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ। बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है। कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
@SJ एक भंते ने स्त्री का जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ? @ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा। जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में। एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए। फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया। फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी। सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है। और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ। बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है। कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ? @ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा। जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में। एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए। फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया। फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी। सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है। और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ। *बौद्ध = हिन्दू* *राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है। कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
गोबर गौमूत्र ब्राह्मणों का कुछ होगा उसका नही नही पता लेकिन OBC SC ST इस तरह कोई गोबर मूत्र नही खाता पीता इसकी मैं गारेंटी दे सकता हूं क्योंकि मैने आज तक नही देखा, अपने हिंदू दोस्तों से पूछ लेना सारे लोग बोलेंगे हमने आज तक ऐसा नही खाता पिया l
गोबर गौमूत्र ब्राह्मणों का कुछ होगा उसका नही नही पता लेकिन OBC SC ST इस तरह कोई गोबर मूत्र नही खाता पीता इसकी मैं गारेंटी दे सकता हूं क्योंकि मैने आज तक नही देखा, अपने हिंदू दोस्तों से पूछ लेना सारे लोग बोलेंगे हमने आज तक ऐसा नही खाता पिया l
1891 se Ambedkar Yug shuru ho Gaya hai....... Koyee rok nahi sakta....... Pakhandwad ka Pol khol Yug..... Baki kasar Babu Kanshi Ram ji nikaal di.... Bharat ki sabhi Jatiyon ko jeh sandesh de diya... Jitni kisi ki sankhya Utni uski bhagyadari Jai Bhim
मै किसी का विरोध या प्रशंसा नहीं कर रहा पर लोगों को आप ऐतिहासिक जानकारी देकर आप उन्हें तार्किकवाद की तरफ लेकर जा रहे है जो भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और एक वैज्ञानिक सोच दे रहे है , जो कही न कहीं आगे चलकर एक बड़ा योगदान साबित हो सकता है , बस हम भारत के लोग आपस में इन मुद्दों से अपने व्यक्तिगत रिश्ते खराब न करे , और इतिहास को अच्छे से जाने समझे ,पढ़े।
इसका मतलब यूरोप और अरब मे भी पाखंड था जो यहाँ भी अपना पाखंड फैला दिया था 😂 आज वही लोग आज सरीफ दिखते हैं 😂 अब अंधबक्ति करके ये मत बोलना की ये झूठ है क्योंकि ब्रामं भी विदेश से आये थे 😂
दरअसल एसजे सर इनका हाल और आदत वैसे ही है जैसे पहले थे और ये वही शिक्षा दे गए है अपने धर्म ग्रंथों में कि किसी भी तरीके शासन सत्ता पर बने रहे और संसाधनों पर कब्जा बना रहे। चाहे अकबर को मुकुंद ब्राह्मण बनाना हो या फिर अंग्रेजो की चाटुकारीता करना हो। और यही कारण है कि ये अपने धर्म ग्रंथों को ब्राह्मण के सिवा कोई अन्य वर्ण या जाती को पढ़ने नहीं देते थे क्योंकि इनकी पोल खुल जाती।
@manojoy6913 हो सकता इसमें कोई आश्चर्य नहीं है इनके ऐसे किसी ग्रंथ के लिखा भी आप प्रयास कीजिए।😂😂😂😂😂 अब तो इनकी बकलोली तरस भी आता लेकिन इनकी इस हरकत से इतने मानसिक ग़ुलाम पैदा कर दिए है कि एससी और एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग मानसिक गुलामी से निकल नहीं पा रहे है।
इसका मतलब यूरोप और अरब मे भी पाखंड था जो यहाँ भी अपना पाखंड फैला दिया था 😂 आज वही लोग आज सरीफ दिखते हैं 😂 अब अंधबक्ति करके ये मत बोलना की ये झूठ है क्योंकि ब्रामं भी विदेश से आये थे 😂
कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए प्लास्टिक शब्द का पहली बार प्रयोग जर्मन सर्जन कार्ल फर्डिनेंड वॉन ग्रेफ द्वारा किया गया था, जब उन्होंने राइनोप्लास्टिक नामक अपना प्रमुख कार्य प्रकाशित किया था, जो इतालवी पद्धति का एक संशोधन था।
जय भीम नमो बुधाय जय सम्राट जय साक्य मुनि भगवान तथागत गौतम बुध ❤❤❤ ( विश्वगुरु) जय चक्रवर्ती सम्राट असोक मोरिय महान ❤️❤️❤️❤️❤️ (विश्वविजेता) जय हो बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ❤️❤️❤️❤️❤️(विश्वरत्न)
विगत 50 सालों से इनकी काल्पनिक धर्म गाथा देवी देवताओं भगवानों को मूर्तियों को नहीं मानता हूं। शिक्षा ग्रहण कर लिया इसके बदौलत उम्मीद से अधिक स्तर पर पहुंच गया हूं
@@realityground.4714 tumhara Buddhist Desh Kitna aage Hai Jara yah bhi to Bata,,, bus kuchh Desh ke kuchh hisson mein hi Raha Hai vah bhi khatm ho gaya ab sirf 40 50% Buddhist bache Hain
@harishharishjaat3438 अरे अनपढ़ व्यक्ति तू बिल्कुल ही मूर्ख और मंद बुद्धि लगता है🤪🤪 तू सचमुच वही है जिसे मूर्ख कहा जाता है। एक जापान ही देख ले। लगता है वॉट्सएप gyani है
@@harishharishjaat3438to kya hua .. sabhi chinki age hai .. cambodia bhi India se kahin zyada saaf hai aur scam bhi nahin hota isliye tourism ho raha hai
@AkashPatale-fw8ey 33 karod mein 33 kothi hai,, Bharat ko Hindu v Nepal khud hinduon ka hai Indonesia Hindu Hindu Hindu Hindu Hindu Hai Bhutan hinduon ka hai dakshin koriya hinduon ka hai sab jagah Hindu mil jaenge tere
Sj sir ji jai bhim jai bharat jai samvidhan namo buddhaya 🙏💙 you are great sir ji.aise hi sabhi sc st obc ko jagruk karte rahen.ek din jarur humara bharat desh mahaan hoga
इसका मतलब यूरोप और अरब मे भी पाखंड था जो यहाँ भी अपना पाखंड फैला दिया था 😂 आज वही लोग आज सरीफ दिखते हैं 😂 अब अंधबक्ति करके ये मत बोलना की ये झूठ है क्योंकि ब्रामं भी विदेश से आये थे 😂
I salute to you science journey sir ye manuvadion ko jawab keval aur kewal vahiskar karne ki jarurat bharat ke bahujan mulnivasion ko ye hi ye manuvadion akard ki dhila karne ka aur kuchh karne ki jarurat nahi hai jay bhim jay Sambidhan jay bharat Jay mulnivasi
Superb sir 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻 matlab kya bat kahi hai aapne such me 33 crore devi devta hat me hatiyar lekar bharat me baite rahe aur buddha jinhone kabhi hinsa ki bat nahi ki wo duniya bhar me pahuch gaye..✨👌🏻 salut sir aapko aur aapke kam ko.. Bahut shubhkamnaye aapke sath hai aaise hi sacchai se rubaru karate rahe sir Jay bhim ✨ namo budhay
साइंस जर्नी बड़े भाई जय जोहार आपने ब्राम्हणो को नांग कर दिया है आपके प्रश्नों का ब्राम्हणो के पास कोई जवाब नहीं है
जय भीम, नमो बुध्दाय
एक बहुरुपिए को अच्छा सबक सिखाया सर आपने,, इन बहुरूपियों के कारण ही आज देश शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, अर्थव्यवस्था में पिछड़ गया है,,
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ?
@ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा।
जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में।
एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए।
फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया।
फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी।
सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है।
और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ।
*बौद्ध = हिन्दू*
*राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव
बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
@@munnalalrawat3990 भीम जो लिख गए वो उनका ज्ञान था ... जिनके लिए लिख गए वो सब अग्यानी गधे रह गए ....
परम प्रबुद्ध शुद्ध पथ गामी नमो तथागत बुद्ध नमामि जय संविधान जय विज्ञान जय महान साइंस जर्नी चैनल को डॉन सारी बधाइयां
साइंस जर्नी जी का बोहोत बोहोत धन्यवाद नमो बुधवार जय भीम सब बौधिषट की ओर आकर्षित होने पर ब्राम्हणों की फटती जा रही है
एकतरफा तथ्य उजागर कर रहे हैं,
@ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा।
जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में।
एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए।
फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया।
फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी।
सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है।
और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ।
बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
🙏🙏🙏ਜੈ ਭੀਮ ਜੈ ਭਾਰਤ 🙏🙏🙏
बहुत सुन्दर प्रस्तुति दी है आपने नमो बुद्धाय जय भीम जय संविधान जय विज्ञान जय भारत जय मूलनिवासी
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ?
@ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा।
जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में।
एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए।
फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया।
फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी।
सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है।
और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ।
*बौद्ध = हिन्दू*
*राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव
बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
एसजे रिसर्चर जी आप सभी लोग वास्तविकता, तथ्य के बारे में सभी लोगों को जागरूक करने का उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। बधाई, शुभकामनाएँ। टुन्नी लोगों ने अपने सभी संस्कृत ग्रंथ नहीं पढ़े हैं, जवाब नहीं दे पाते सिर्फ जुमलेबाजी, जलेबी, मुंह से बोला हो गया सबूत,वाकई शर्मनाक है। सुनो, खुद का विश्लेषण करो, किसी के अंधे अनुयायी मत बनो। जय भीम 🙏🙏💐💐
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ?
@ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा।
जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में।
एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए।
फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया।
फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी।
सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है।
और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ।
*बौद्ध = हिन्दू*
*राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव
बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
हमारी लड़ाई सिर्फ इतनी-सी है कि जर जंगल जमीन धन सम्पत्ति शिक्षा नौकरी सब पर बराबर का हक़ अधिकार और बटवारा चाहिए बस sc st. OBC को आप अपने वेद पुराण सारे ग्रन्थ और देवी देवता तुम रख लो ब्राह्मणों जय भीम जय भारत जय संविधान जय मुलनिवासी नमो बुध्दाय
नहीं भाई अब बात इतनी सी नहीं रही अब बात इससे कई गुना आगे बढ़ चुकी है और इसे समाज में आगे बढ़ाने वाले आप लोग हैं यदि बात इतनी सी होती तो उसे पहले से ही सुलझाने के बहुत सारे उपाय थे जिन्हें करना किसी ने उपयुक्त नहीं समझा हां धार्मिक विषय पर गाली देना उचित समझा क्योंकि उन पर किसी एक समाज का ठेका था उसमे तुम्हारा कोई हिस्सा था नहीं तो यह बात भी नहीं कहते अब समय को देखते हुए लगभग तय ही हो चुकी है अब इतनी गालियां देने के बाद और इतने प्रश्न चिन्ह उठाने के बाद वह भी ईश्वर के चरित्र पर हां यदि किसी व्यक्ति विशेष के ऊपर गालियां दे देते या उसके चरित्र पर प्रश्न उठाते तो एक बार बर्दाश्त भी किया जा सकता था उसे समझा भी जा सकता था कि हां इसने गलत किया परंतु अब उस ईश्वर पर तुम्हारा या तुम्हारे समाज से किसी का भाई कोई हिस्सा है ही नहीं ठेका है ही नहीं जो गालियां खा सकता है तो ठेका भी उसी का जिस हक के लिए तुम बात कर रहे हो ना न जाने कितने ऐसे लोग होंगे आपके समाज के जिनके मित्र उच्च वर्ग के समाज से आते हैं और जो कभी उनके साथ भेदभाव नहीं करते किसी भी प्रकार साथ बैठकर खाना पीना रहना तक करते हैं घूमते फिरते हैं परंतु आप लोगों ने अपना एजेंडा सेट करने के लिए जिस हद तक नीचे गिरे फिलहाल कोई बात नहीं उस विषय पर बात भी की जा सकती थी जिस विषय पर एतराजगि थी क्योंकि आप भी पढ़े-लिखे थे और हमारे समाज से भी पढ़े लिखे थे आपस में बैठकर बातचीत करते तो कोई ना कोई हल तो जरूर निकलता और लोग साथ भी देते क्योंकि युवा वर्ग इतनी पुरानी सोच को ढोता तो नहीं है और ना ही मानता है जब लोग अनजान व्यक्ति का साथ दे सकते हैं तो क्या अपनों का साथ नहीं देते इतना भी भरोसा नहीं था पर यह करना किसी ने उचित नहीं समझा हां समाज को तोड़ने का कार्य किया विधिवत भली-भांति किया गया तो मुबारक हो अब आप अपने हिसाब से लड़ाई लड़िये और अपना हक लीजिए अब इसमें चाहने या ना चाहने वाली क्या बात रह गई क्योंकि नई पीढ़ी जो दूसरे वर्ग की है वह यह सब देख सुनकर के भूल थोड़ी नहीं जाएगी जो उत्पात अभी मचाया जा रहा है जिस विषय को लेकर आप लड़ रहे थे वही विषय आपने दूसरों के लिए भी खड़ा किया है क्योंकि दूसरे वर्ग में सब इतने रईस थोड़ी ना होते हैं ना ही धनवान रही बात आपके प्रश्न बराबरी की तो सबसे पहले प्रश्न तो यही उठता है कि आखिर में हक खाया किसने किसका खाया और किसकी संपत्ति से आपको संपत्ति चाहिए थी आपको उसका नाम पता है या जगह मालूम है वक्त पता है की कब आपसे किसी ने आपकी संपत्ति आके हड़प ली या अंधा ही किसी के ऊपर इल्जाम लगा देना उचित था।
भारतीयता बताने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ❤
नमो बुद्धाय जय भीम सर जी मध्य प्रदेश जिला बालाघाट से
आदणीय SJ बडे भाई आप हमारे लिए अनमोल है हमे गर्व हैआप पर
🙏 जयभीम नमो बुद्धाय जय संविधान 🇮🇳
🟦🟨🟥⬜🟧👌🟦🟨🟥⬜🟧
अंध भक्तों को समझना और उनको समझाना बहुत मुश्किल है, सर जी...
अछूत नीच कॅनवरटेड
Ml MUTRA BHAKT 😂😂 भीमतो ki विकृत ढेड औकाती सोच को
सारा हिंदुस्थान परेशान है 😂😂😂
Ekdum shi bola bhai ❤
Rightly said sir
@ HRK
अचुत नीच कॅनवरटेड
👉 ML MUTRA BHAKT 😂😂
अपनी नीच ढेड औकात विकृत सोच के वझसे से समजणे के बाहर है 😂😂
Bahut achhi khal khich li S.J.SIR JI.
Jai Bhim 💐 Jai Bharat 💐 Jai Savidhan
🏵️🌼🌺💐Namo Buddhaya💐🌺🌼🏵️
Namo buddhay 🙏🙏👏👏
मेरे भाइयों आपकी लगन और बुद्धिमत्ता से मनुवाद बहुत तेजी से समाप्ति की ओर है।
आपको बरगलाया जायेगा, भड़काया जायेगा लेकिन आप इसी तरह अपनी बातों पर अडिग रहना।
#जय_भीम 💪💪💪
Jai bheem ki❤
समाप्ती कि और बढ रहा?😂
अबे लल्लू निंद मे है क्या?
अब तो मुसलमान भी सनातनी हो रहे है.
बुद्ध पुरे हिंदुस्थान मे फैला था वह नष्ट हो चुका है.
अब जो बुद्ध है वो नकली है. हिंदुस्थान मे एकभी बुद्ध नही है. किसीका जाती का प्रमाण पत्र दिखा सकते हो क्या?
सभी महार है.
बुद्ध नही मक्कारो.
कितने झुटे हो यार 😜😜😜
Very good Science Journey 💙💙💙 Jai Bhim Jai Johar Jai Mulnivasi
Hame grav he sj sir pe. Jey bhim namo budday❤❤❤
नमो बुद्धया , जय भारत सर जी🙏
SJ sir को तथ्य अधारित भारतीय इतिहास एवं विश्व प्रसिद्ध संस्कृति से रूबरू करने और कपोलकल्पित पाखंड भरी कथा कहानियो की सत्यता/वास्तविकता सामने लाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद I इनको इस के महान कार्य के लिए भारत रत्न मिलना चाहिए I
Aap jo keh rahen hai hindu dharm me bahut se log kahaniyo ko jhooth hi mante hain fir bhi hindu dharm ko mante hain krapya atank na machaye sirf pakhand ko mitaye
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ?
@ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा।
जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में।
एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए।
फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया।
फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी।
सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है।
और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ।
*बौद्ध = हिन्दू*
*राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव
बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
@@SentenceFacts सही कहा हिंदू धर्म की कपोलकल्पित कथा कहानियां अधारित पाखण्डी सामाजिक असमानताएं हटाये
@@OnkarSingh-cj4eh sahi kaha aapne
नमो बुद्धाय ,,, क्रांतिकारी जय भीम सर,,,,,,
🙏🇪🇺🙏🇪🇺🙏
सर जी आप ने इस अक्षय ससवत टुन्नी को बोहोत अच्छी तरह से लताड़ा है,,,इसकी असली हकीगत बता दिया आप ने,,,डिबेट सुनकर बोहोत अच्छा लगा,,,,,
आप का बोहोत बोहोत धन्यवाद,,,,,,,
ये जो तुमने झंडा लगाया है😅 निले कबूतर पहले देख तो लो झंडा किस चिज का है। 😂😅 निले कबूतर
Great Speech❤ SJ Sir Namo Buddhay 🙏 JayBhim 🙏
जब भगवान को चढ़ाया गया "प्रसाद" सबको बांटाजाता है,तो फिर भगवान को चढ़ाया हुआ "पैसा" क्यों नहीं लोगों को बांटा जाता हैं।
नमो: बुद्धाय,जय भीम सर ,,जय मूलनिवासी
❤🎉❤🎉❤🎉❤ भावना और विचार ही तो है जो जो दूर रहकर भी अपनों का एहसास कराता है नहीं तो दोनों आंख के बीच दूरी ही अलग अलग है🎉❤🎉 जय भीम नमो बुद्धाय जय चक्रवर्ती सम्राट जय जोहार जय आदिवासी जय मूलनिवासी जय विज्ञान जय संविधान जयलोकतंत्र🎉❤❤🎉
Excellent counter ❤
साइंस जर्नी जी आपने सारस्वत ब्राह्मण को निशब्द कर दिया। Very nice 👍👏
SABHI DOSTON KO NAMO BUDDA JAI BHIM JAI SAMRAAT🙏🙏 ASOK
बहुत ही शानदार SJ Sir. आपको हर बार salute. ये तो तय है। जिन लोगो ने भारत मे ऊंच-नीच जैसी अमानवीय चीज बनाये है। वो वाकई में भयंकर नीच, विछीप्त सोच के लोग रहे होंगे। SJ Sir आपने जो इस देश का सच्चा इतिहास लोगो के सामने लाये हैं। उसके लिए हम सब आपके आभारी हैं।
पंडितो की दुकानें बंद होने वाली है इस लिए ये लोग घबरा रहे हैं जय भीम साथियों जय भीम राव अम्बेडकर साहब जय भारत जय समविधान जय हिंद ऊनमः बुद्ध नमःजय गुरू रावि दास नमः सत्यनाम वाहे गुरू सत्य मेव जयते
एकतरफा तथ्य उजागर कर रहे हैं,
@ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा।
जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में।
एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए।
फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया।
फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी।
सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है।
और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ।
बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
@SJ
एक भंते ने स्त्री का जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ?
@ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा।
जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में।
एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए।
फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया।
फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी।
सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है।
और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ।
बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
एक भंते ने स्त्री के जांघ का मांस खाया ? भगवान बुद्ध ने क्या बोला उस भंते को ? भगवान बुद्ध के देखने मात्र से सुप्रिया का जांघ ठीक हो गया 😅। पढ़िए विनयपिटक, इसके पीछे की सच्चाई जानिए ? क्या बौद्ध धर्म में मांसाहार की स्वीकृति है। भगवान बुद्ध ने स्वीकृति दी है ?
@ साइंस जर्नी एवं समस्त मेरे दोस्तों, आंखे खोलो अपनी नहीं तो आसमान से गिरा खजूर पे लटका हो जाएगा।
जैसे ब्राह्मणिक ग्रंथों में दुर्गंध छुपा है, वैसे ही कुछ दुर्गंध मुझे बौद्ध धर्म ग्रंथों में भी मिल रहा है, साइंस जर्नी ने ही सलाह दी थी बुद्ध को पढ़ने के लिए कि ओशो एक बूंद है, बुद्ध सागर। मैने अभी स्टार्ट ही किया है पढ़ना,१ % भी न पढ़ा अभी तक और बहुत सारे राज खुल रहे हैं बौद्ध धर्म के भी - त्रिपिटक का विनयपिटक पढ़ रहा था, विषय सूची से कुछ खास पेज डायरेक्ट पढ़ा - उसमें स्त्रियों भिक्षुणियों से भेद भाव भरे नियम है और २३१ - २३५ पेज पर तो मांसाहार का तो उत्कृष्ट विवरण है। बड़ा ही डिटेल में।
एक भंते ने तो आदमी का मांस भी खाया, एक श्रद्धालु औरत सुप्रिया ने खुद के जांघ का मांस खिलाया भंते को, और उसको पता भी न चला स्वाद से। सुप्रिया ने वादा किया था कि वह उसे आज मांस खिलाएगी, पर कही मिला नहीं, तो अपना जंघा ही काटकर खिला दिया, ताकि पुण्य मिले। देखिए शोषण, पुण्य या कुछ अच्छाई की प्राप्ति के लिए।
फिर बुद्ध भगवान खुद आए वहां और डांटा उस भंते को की तूने आदमी का मांस खा लिया। तब उन्होंने एक शानदार उपदेश दिया कि कौन कौन से जीव के मांस नहीं खाना चाहिए । ऐसे महान तथागत बुद्ध के देखने मात्र से ही सुप्रिया का जांघ भी एकदम ठीक हो गया। वाह री गपोड़ी दुनिया।
फिर बुद्ध भगवान अपने भनतों और ५०० जूठे खानेवाले लोगों के साथ,एक दूसरे श्रद्धालु के पास गए जिस बेचारे श्रद्धालु ने सभी के लिए मांस की साढ़े बारह सौ थालियां, सभी भिक्षु के लिए अलग अलग मांस की थाली बनाई थी।
सबसे बड़ी बात जिस जीव का मांस नहीं खाना चाहिए उनमें बाघ, सिंह, सांप, लकड़बग्घा,कुत्ता,आदमी है, पर गाय,बैल, बंदर, घोड़ा आदि नहीं उल्लेख है, इतने विस्तार में जानवरों के नाम है जिनको नहीं खाना, इसका साफ मतलब है कि बाकी सब खा सकते हैं। इसलिए जितने भी बुद्धिस्ट देश हैं वहां मांसाहार पर कोई रोक नहीं है।
और सोचिए ये परजीवी कृषक लोगों पर आश्रित थे, राजा को भी टैक्स दो और इनको भी मुफ्त में खिलाओ।
*बौद्ध = हिन्दू*
*राम और बुद्ध में समानता* - १. वृद्ध पिता का त्याग २. पत्नी का त्याग ३. पुत्र का त्याग(एक ने गर्भ में,दूसरे ने पैदा करके) ३. वनवास ५. रावण से दोनों ही मिले थे ६. मांसाहार पर विचार ७. जिम्मेदारियों का त्याग ८. स्त्रियों से भेद भाव
बस ये ट्रेलर है, फिल्म अभी बाकी है।
कुतर्क एक ऐसा हथियार है जो किसी चीज को गलत और किसी चीज को सही साबित करने की कोशिश करती है, जैसे ब्राह्मण लोग सभी गापोड को विज्ञान साबित कर रहे हैं। वैसे ही कोई बुद्धिस्ट भी कोशिश करेगा।
@@SureshPainter-o3p Abe pandito ne dukan konsi kholi
@darkmatter369_gobar+gomutra wali dukan
Jai science journey sr 🙏 ✨️
ST SC OBC कृपया सुधर जाए हिंदू धर्म को छोड़कर पढ़ाई लिखाई करें, गोबर और गोमूत्र के पीछे ना पड़े जय भीम नमो बुद्धाय।
माफ करना लेकिन मैने किसी हिंदू को आज तक गोबर गौमूत्र खाते पीते नही देखा,हमारे छत्तीसगढ़ में तो बिल्कुल नही l
माफ करना लेकिन मैने किसी हिंदू को आज तक गोबर गौमूत्र खाते पीते नही देखा,हमारे छत्तीसगढ़ में तो बिल्कुल नही l
ग़ज़ब. ✍️👌👌👌🇮🇳🏹
जोहार .🌱🏹
जय टंट्या भील .
गोबर गौमूत्र ब्राह्मणों का कुछ होगा उसका नही नही पता लेकिन OBC SC ST इस तरह कोई गोबर मूत्र नही खाता पीता इसकी मैं गारेंटी दे सकता हूं क्योंकि मैने आज तक नही देखा, अपने हिंदू दोस्तों से पूछ लेना सारे लोग बोलेंगे हमने आज तक ऐसा नही खाता पिया l
गोबर गौमूत्र ब्राह्मणों का कुछ होगा उसका नही नही पता लेकिन OBC SC ST इस तरह कोई गोबर मूत्र नही खाता पीता इसकी मैं गारेंटी दे सकता हूं क्योंकि मैने आज तक नही देखा, अपने हिंदू दोस्तों से पूछ लेना सारे लोग बोलेंगे हमने आज तक ऐसा नही खाता पिया l
Namo Buddhay SJ Sir
1891 se Ambedkar Yug shuru ho Gaya hai.......
Koyee rok nahi sakta.......
Pakhandwad ka Pol khol Yug.....
Baki kasar Babu Kanshi Ram ji
nikaal di....
Bharat ki sabhi Jatiyon ko jeh
sandesh de diya...
Jitni kisi ki sankhya
Utni uski bhagyadari
Jai Bhim
कलम युग की शुरुआत है जय भीम जय संविधान जय भारत ❤❤❤
❤❤namo buddhay jay bheem jay sanvidhan sir ❤❤
जय भीम सर 💙 आपका ज्ञान अपरंपार है।
जय भीम नामों बुद्धाय मध्य प्रदेश डिस्ट्रिक्ट रीवा से ❤❤❤❤❤
मै किसी का विरोध या प्रशंसा नहीं कर रहा पर लोगों को आप ऐतिहासिक जानकारी देकर आप उन्हें तार्किकवाद की तरफ लेकर जा रहे है जो भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और एक वैज्ञानिक सोच दे रहे है , जो कही न कहीं आगे चलकर एक बड़ा योगदान साबित हो सकता है , बस हम भारत के लोग आपस में इन मुद्दों से अपने व्यक्तिगत रिश्ते खराब न करे , और इतिहास को अच्छे से जाने समझे ,पढ़े।
इसका मतलब यूरोप और अरब मे भी पाखंड था जो यहाँ भी अपना पाखंड फैला दिया था 😂 आज वही लोग आज सरीफ दिखते हैं 😂 अब अंधबक्ति करके ये मत बोलना की ये झूठ है क्योंकि ब्रामं भी विदेश से आये थे 😂
Sj sir you are always awesome with cool presence of mind💪💪💪✌️✌️✌️🤟🤟🤟💐💐💐🙏🙏🙏 Jai bheem namo budhay sir🙏🙏🙏
Jay Bheem Namo buddhay sar🙏
I salute you science journey team 👌👌👌👌👌👍👍👍👍👍🙏🙏🙏🙏🙏
Very quickly placing the references by the SJ team. Wonderful.
Jai Bhim...Namo Buddhay...Jai mahan Samrat Asoka...💙☸️🙏
दरअसल एसजे सर इनका हाल और आदत वैसे ही है जैसे पहले थे और ये वही शिक्षा दे गए है अपने धर्म ग्रंथों में कि किसी भी तरीके शासन सत्ता पर बने रहे और संसाधनों पर कब्जा बना रहे। चाहे अकबर को मुकुंद ब्राह्मण बनाना हो या फिर अंग्रेजो की चाटुकारीता करना हो।
और यही कारण है कि ये अपने धर्म ग्रंथों को ब्राह्मण के सिवा कोई अन्य वर्ण या जाती को पढ़ने नहीं देते थे क्योंकि इनकी पोल खुल जाती।
Bharat Mata aur koi nahi queen victora he thi inki.
@manojoy6913 हो सकता इसमें कोई आश्चर्य नहीं है इनके ऐसे किसी ग्रंथ के लिखा भी आप प्रयास कीजिए।😂😂😂😂😂
अब तो इनकी बकलोली तरस भी आता लेकिन इनकी इस हरकत से इतने मानसिक ग़ुलाम पैदा कर दिए है कि एससी और एसटी और ओबीसी वर्ग के लोग मानसिक गुलामी से निकल नहीं पा रहे है।
💙 JAI BHIM 💙 NAMO BUDDHAY 💙
Jaybhim namobudhay from Maharashtra Navi Mumbai ❤❤
Namo❤budhay
Jay Bhim Namo Buddha SJ Sir Ek Bar is Panch Gavya Khane Vale tantani Simkhsha par bhi video banaye aj kal bhot hava mai ud rhah hai voo 💙💙💙
इसका मतलब यूरोप और अरब मे भी पाखंड था जो यहाँ भी अपना पाखंड फैला दिया था 😂 आज वही लोग आज सरीफ दिखते हैं 😂 अब अंधबक्ति करके ये मत बोलना की ये झूठ है क्योंकि ब्रामं भी विदेश से आये थे 😂
भगवान होता ही नहीं है। साइंस जर्नी सर सच बोल रहे हैं।
Bauddh Bodhisattva to hote hai... To Bauddh Mandiron me unki pooja jayaz hai.... Aur Har Hindu Mandir me Bauddh Boddhisatvo ki upasana honi chahiye...
@@shivansh23456lekin Buddha aur bodhisattva ne kabhi Puja Karne ko Nahi Kaha.
कॉस्मेटिक सर्जरी के लिए प्लास्टिक शब्द का पहली बार प्रयोग जर्मन सर्जन कार्ल फर्डिनेंड वॉन ग्रेफ द्वारा किया गया था, जब उन्होंने राइनोप्लास्टिक नामक अपना प्रमुख कार्य प्रकाशित किया था, जो इतालवी पद्धति का एक संशोधन था।
Jay moolnivasi jindabad
नमो बुद्धाय
जयभीम ❤
Namo bhudha
जय बाबा साहब सर जी बुधदा जी के बहूजनो को छल करना नही आता जह लोग ईस काम मे माहिर है
बाबा और बुद्ध का कॉपीराइट है आपके पास
LOVE YOU😎😎 SJ SIR JI💙💙💙
SCIENCE JOURNEY JI😎😎 ZINDABAAD💪💪
Jay Bheem Sir
Namo Buddhaya Jay Science Journey Aap ne to Hamlogka aakh kholdiye hai vai Thank you God Bless you Love from Nepal
Namo buddhay 🙏☸️🖤🖤❤️♥️❤️♥️❤️♥️❤️♥️❤️❤️♥️
Tremendous thoughts. Nice presentation. Unbelievable knowledge
जय भीम नमो बुधाय जय सम्राट
जय साक्य मुनि भगवान तथागत गौतम बुध ❤❤❤ ( विश्वगुरु)
जय चक्रवर्ती सम्राट असोक मोरिय महान ❤️❤️❤️❤️❤️ (विश्वविजेता)
जय हो बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ❤️❤️❤️❤️❤️(विश्वरत्न)
Namo buddhay❤
"Religion is where you follow everything. Science is where you challenge everything."
~A.S Rana
*Jay bheem*
Ek minute.... Wow.... Sir love you from odisha... Jay bhim sir.... We are very happy... When listen your debate
जय भीम नमो बुद्धाय ☸️ सर
😂😂😂😂😂sahi pakde hai🙄🙄😁😁
JAI BHIM sj sir❤❤❤❤❤❤❤
Jai bheem sir
Eagerly waiting
विगत 50 सालों से इनकी काल्पनिक धर्म गाथा देवी देवताओं भगवानों को मूर्तियों को नहीं मानता हूं। शिक्षा ग्रहण कर लिया इसके बदौलत उम्मीद से अधिक स्तर पर पहुंच गया हूं
नमो बुद्धाय जय भीम
Jai ma Mahamaya maa
Thank you sir ji 🙏
बुद्धिष्ट देश बहुत आगे है।
@@realityground.4714 tumhara Buddhist Desh Kitna aage Hai Jara yah bhi to Bata,,, bus kuchh Desh ke kuchh hisson mein hi Raha Hai vah bhi khatm ho gaya ab sirf 40 50% Buddhist bache Hain
@harishharishjaat3438 अरे अनपढ़ व्यक्ति तू बिल्कुल ही मूर्ख और मंद बुद्धि लगता है🤪🤪 तू सचमुच वही है जिसे मूर्ख कहा जाता है। एक जापान ही देख ले। लगता है वॉट्सएप gyani है
@@harishharishjaat3438to kya hua .. sabhi chinki age hai .. cambodia bhi India se kahin zyada saaf hai aur scam bhi nahin hota isliye tourism ho raha hai
@@harishharishjaat3438 Hindu se toh jada hai, itne 33 crore devi devta hoke bhi ek bhi desh hindu ka nhi
@AkashPatale-fw8ey 33 karod mein 33 kothi hai,, Bharat ko Hindu v Nepal khud hinduon ka hai Indonesia Hindu Hindu Hindu Hindu Hindu Hai Bhutan hinduon ka hai dakshin koriya hinduon ka hai sab jagah Hindu mil jaenge tere
Sj sir ji jai bhim jai bharat jai samvidhan namo buddhaya 🙏💙 you are great sir ji.aise hi sabhi sc st obc ko jagruk karte rahen.ek din jarur humara bharat desh mahaan hoga
इसका मतलब यूरोप और अरब मे भी पाखंड था जो यहाँ भी अपना पाखंड फैला दिया था 😂 आज वही लोग आज सरीफ दिखते हैं 😂 अब अंधबक्ति करके ये मत बोलना की ये झूठ है क्योंकि ब्रामं भी विदेश से आये थे 😂
Great salute sj sir🙏🙏🙏
Hum mute 🔇 nhi krte sidha nikal dete haiiii 😎😎😎
Jay bheem sir
Sir
Brahman ko sahi sabak see ka yaa
NamoBuddhay-🙏
जय भीम नमो बुद्धाय ❤
JAY bheem 💙💙🙏🙏💙🙏🙏
Jai Bhim Jai savidhan namo bhudhdhay
Namo buddhay
Revolutionary Jai Bheem Compassionate Namo Buddhay
Jai bhim sir ji ❤😂namo Buddhay ❤😂 Jai savidhan ❤😂❤😂
सायंस जर्नी को मेरा शतशः नमन इसके अलावा मेरे पास शब्द नही है ❤😊❤
बहुजन अपने विचारों को परिवर्तित करने की दया करे
Sabhi Sathiyo Ko 🔥💙🐯Jai Bhim🐯💙🔥 📚Jai Samvidhan📚 ☸️Namo Budhay☸️ 🏹Jai Johar🏹
जय भीम नमो बुद्धाय एस.जे. सर
जय भीम नमो बुद्धाय
ये फंस गया 😂😂😂
I salute to you science journey sir ye manuvadion ko jawab keval aur kewal vahiskar karne ki jarurat bharat ke bahujan mulnivasion ko ye hi ye manuvadion akard ki dhila karne ka aur kuchh karne ki jarurat nahi hai jay bhim jay Sambidhan jay bharat Jay mulnivasi
मुख पुत्र की ओपन धुलाई 😂😂😂😂
Jai bheem pariyaar mahtmaa phule namo buddhaa
क्या बात है एस जे सर हम को भी सिख ने को मिलता है l धन्यवाद हम भी लाईन मे रह रहे है l नमोबुध्दाय जयभीम.
Wonderful Sj Sir Jai Bhim Namoh Buddhay
#science_journey team #rational_world aor aap sabhi dosto ko jai bhem🙏♥️ ਸਤਿ ਸ਼੍ਰੀ ਅਕਾਲ 🙏♥️ sawidhan jindabad💪manvta jindabad💪
जय भीम जय विज्ञान जय संविधान साइंस जर्नी जिंदाबाद जिंदाबाद
Superb sir 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻 matlab kya bat kahi hai aapne such me 33 crore devi devta hat me hatiyar lekar bharat me baite rahe aur buddha jinhone kabhi hinsa ki bat nahi ki wo duniya bhar me pahuch gaye..✨👌🏻 salut sir aapko aur aapke kam ko.. Bahut shubhkamnaye aapke sath hai aaise hi sacchai se rubaru karate rahe sir
Jay bhim ✨ namo budhay
Jai bhim jai Samvidhan sj sir 🙏🙏🙏🙏🙏
एस धम्मो सनतनो बुद्ध ही सनातन है ❤❤❤