बहुत ही मौजू मसाइल आपने उठाया है। शुक्रिया। इस देश की मुश्तरका तहज़ीब का तकाजा है कि हम पहले बेहतर इंसान बने, जिम्मेदार नागरिक बने और फिर अपने दीन की रोशनी में सच्चा इल्म हासिल करें। आलोक अनवर पीपुल्स मीडिया पोस्ट
हम तो मज़हब का ही विरोध करते हैं, अब इसकी कोई सार्थकता नहीं रही। अगर यह रहेगा, तो आसिफ़ भी पैदा होंगे। चाहे जो मज़हब हो, उनका एक छोटा-सा हिस्सा इसको बनाया रखना चाहता है, जिसका मुख्य कारण स्वार्थसिद्धि और अपनी विशिष्टता को बनाए रखना है। देश के वर्तमान् सांप्रदायिक माहौल के ऊपर आपके विचार/प्रश्न सही हैं। भेदभाव धर्मों की प्रकृति है, वे आधुनिक जीवनमूल्यों- स्वतंत्रता, समता- लैंगिक बराबरी, भ्रातृत्व, मानवगरिमा, न्याय- सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक, अभिव्यक्ति का स्वतंत्रता, नहीं जानते; सैकड़ों साल पहले के विचारों में अभी अटके हुए हैं। हमारे संविधान की प्रस्तावना के मंतव्य को नहीं जानते, इसी अशिक्षा का चालाक लोग फ़ायदा उठा रहे हैं। देश-समाज के हित से उनका कोई लेना-देना नहीं है। अच्छी प्रस्तुति!
कट्टरता से नई पीढ़ी को कैसे बचाया जाए, इस पर बहुत जल्दी और कायदे से काम करने की जरूरत है। शहर के मशहूर और दिमागी सोच से परिपक्व लोगों को आगे आने की जरूरत है। बहुत जरूरी मुद्दे पर आपने सवाल उठाया है
Naujawan whether they are Hindu or Muslim being brainwashed big time now. Anyway, we can all unite who have nerve, courage and sometimes even audacity so can call a spade a spade to all nonsense that's been going on.
बहुत ही अहम ,बहुत ही खास ,बहुत ही अच्छा लगा ,शाबाश 🎉
बहुत ही मौजू मसाइल आपने उठाया है। शुक्रिया।
इस देश की मुश्तरका तहज़ीब का तकाजा है कि हम पहले बेहतर इंसान बने, जिम्मेदार नागरिक बने और फिर अपने दीन की रोशनी में सच्चा इल्म हासिल करें।
आलोक अनवर
पीपुल्स मीडिया पोस्ट
ज्यों-ज्यों समय आगे बढ़ रहा है, कट्टरता सभी समुदायों में बढ़ती जा रही है -- सारी दुनिया में !
Very nice
हम तो मज़हब का ही विरोध करते हैं, अब इसकी कोई सार्थकता नहीं रही। अगर यह रहेगा, तो आसिफ़ भी पैदा होंगे। चाहे जो मज़हब हो, उनका एक छोटा-सा हिस्सा इसको बनाया रखना चाहता है, जिसका मुख्य कारण स्वार्थसिद्धि और अपनी विशिष्टता को बनाए रखना है। देश के वर्तमान् सांप्रदायिक माहौल के ऊपर आपके विचार/प्रश्न सही हैं। भेदभाव धर्मों की प्रकृति है, वे आधुनिक जीवनमूल्यों- स्वतंत्रता, समता- लैंगिक बराबरी, भ्रातृत्व, मानवगरिमा, न्याय- सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक, अभिव्यक्ति का स्वतंत्रता, नहीं जानते; सैकड़ों साल पहले के विचारों में अभी अटके हुए हैं। हमारे संविधान की प्रस्तावना के मंतव्य को नहीं जानते, इसी अशिक्षा का चालाक लोग फ़ायदा उठा रहे हैं। देश-समाज के हित से उनका कोई लेना-देना नहीं है। अच्छी प्रस्तुति!
कट्टरता से नई पीढ़ी को कैसे बचाया जाए, इस पर बहुत जल्दी और कायदे से काम करने की जरूरत है। शहर के मशहूर और दिमागी सोच से परिपक्व लोगों को आगे आने की जरूरत है।
बहुत जरूरी मुद्दे पर आपने सवाल उठाया है
Adhura gyan khatarnak hota hai
Aur apne apne group mein share bhi karein.
Naujawan whether they are Hindu or Muslim being brainwashed big time now.
Anyway, we can all unite who have nerve, courage and sometimes even audacity so can call a spade a spade to all nonsense that's been going on.