यज्ञ व हवन में अन्तर क्या है \आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्र \ HARI SHANKAR JI-01 \ARYA SAMAJ MISSION
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- Опубліковано 10 лют 2025
- यज्ञ व हवन में अन्तर क्या है \आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्र \ HARI SHANKAR JI \ARYA SAMAJ MISSION
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●आर्य समाज के नियम/ Principles of Arya Samaj●
1. सब सत्यविद्या और जो पदार्थ विद्या से जाने जाते हैं, उन सबका आदिमूल परमेश्वर है।
2. ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है।
3. वेद सब सत्यविद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परम धर्म है।
4. सत्य के ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।
5. सब काम धर्मानुसार अर्थात सत्य और असत्य को विचार करके करने चाहिए।
6. संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है अर्थात शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना ।
7. सबसे प्रीतिपूर्वक धर्मानुसार यथायोग्य वर्तना चाहिए।
8. अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।
9. प्रत्येक को अपनी ही उन्नति से संतुष्ट न रहना चाहिए किन्तु सबकी उन्नति में ही अपनी उन्नति समझनी चाहिए।
10. सब मनुष्यों को सामाजिक सर्वहितकारी नियम पालने में परतन्त्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतन्त्र रहें।
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आचार्य जी को सत् सत् प्रणाम
निस्संदेह बहुत ही सारगर्भित संदेश! सुनकर आचार्य श्री हरिशंकर अग्निहोत्री जी की विदग्धता को नमन करता हूं! वैदिक विद्वान होते ही प्रणम्य हैं!
सादर प्रणाम आदरणीय आचार्य जी
Om namste guru ji
ॐ नमस्ते जी
Namaste acharya ji bhot hi sundar danyavad
ॐ राम ॥
Om
धन्यवाद पूज्य आचार्य जी🙏🙏🙏
Very good your video 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
सादर नमस्ते जी ✅💥☀️🔥🚩🌺🙏🏼
🙏🏻🙏🏻
Bhut sundhr byakyan
प्रणाम आचार्य जी 🙏🕉️
Ati sundar parv achan . 🙏🙏
बड़ा दुख होता है ऐसे विद्वान आचार्य के व्याखान सुनने केवल बूढ़े बुजुर्ग ही आए है तो सुखे वृक्ष की भांति है जिन्हें ऐसे व्याखान सुनने का भी कोई लाभ नहीं होना इनकी बाते तो इनकी बातों का तो इनके परिवार वालों पर भी प्रभाव नहीं पड़ेगा औरों पर तो पड़ेगा ही क्या एक भी युवा नहीं दुर्भाग्य है आर्य राष्ट्रीय निर्मात्री सभा जय आर्य जय आर्यावर्त
Yathayogya Namaste 🙏 ji
namsteji abhar
Saadar namaste
Acharya ji sadar Naman 🙏🙏
ओ३म नमस्ते जी
OM
आचार्य जी वैदिक रीत से विद्वान किसे कहते हैं
🙏🌷🌷🙏
बहुत ही सुन्दर जानकारी आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏🙏
आचार्य जी की जय हो
यज्ञ, एक कार्य का नाम है, यज्ञ यानी परोपकार के लिए किया गया काम, नाउन है ,और हवन, एक क्रिया है, जिसमें वस्तुओं का त्याग किया जाता है,
आचार्य जी सादर 🙏 बहुत सुंदर संदेश
यज्ञ के विषय में आपकी चर्चा अच्छी रही किन्तु हवन के बारे में आपने कुछ भी नहीं बताया।
अगला भाग आज देख लेना
23:50
बहुत सुंदर आचार्य जी 🙏💐
कर्तव्य भाव से किये जा सकने वाले सभी हवन उस कर्ता के लिए यज्ञ हो जाते हैं किन्तु सभी यज्ञ हवन नहीं होते ।
जो कर्म किसी मानव के लिए कर्तव्य हो सकते हैं
वे सभी कर्म उस मानव के द्वारा कर्तव्य भाव से करने पर यज्ञ हो जाते हैं ।
Nchiketa ka pura byakyan hrishnkar agnhotee ki abaj me aplod kijiye
🙏👌👌
Namaste Guruji jin log Arya Samaj ka Dharm Lete Hain To unko Koi Diksha vagaira lene ki jarurat hoti hai kya
आचार्य जी सादर नमस्ते
अगर विडियो पूरा देखने को मिलता तो ओर भी ज्यादा ज्ञान प्राप्त होता मेरा विनम्र निवेदन है कि कृप्या विडियो पूरा उपलब्ध करवाने का कष्ट करें। आपका बहुत बहुत आभार 🙏🕉️🙏
ua-cam.com/video/e6pfZmK-X7o/v-deo.html
पंच महायज्ञ
अर्थात दैनिक यज्ञ 5 हैं। उन में से हवन को अग्नि होत्र कहते हैं
आचार्य जी उत्तमविचारों के लिए धन्यवाद
आचार्य जी नमस्ते बहुत सुन्दर उदबोधन
यज्ञ 5हैं।हवन अग्नि होत्र है।
I AM NOT HIGHLY EDUCATED IN THE SCRIPTURES BUT I FEEL BY THE PERFORMANCE OF THE AGNIHOTRA IS LIKE MAKING AN URGENT PHONE CALL TO GOD ALMIGHTY.
¥
प्रणाम आचार्य जी🙏🏻🙏🏻