क्या पूजा ही धर्म हैं? | Is worship religion? | Youth Session | Practical way of Life | Veersagar Ji
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- Опубліковано 1 жов 2024
- वीर विद्या वाणी ● क्या पूजा अर्चना ही धर्म है? ● 03 May 2024 ● निर्यापक श्रमण मुनि श्री 108 वीरसागर जी महाराज
🪷मंगल प्रवचन वीडियो लिंक 🪷
• क्या पूजा ही धर्म हैं?...
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🔆कई बार हमारे मन में प्रश्न उठता है कि क्या मंदिर में दर्शन करना, पूजन, अभिषेक करना, आरती करना यही धर्म है या धर्म इससे कुछ ज्यादा है? मंदिर अक्सर भक्तों से भरे रहते हैं पर क्या यह धर्म सचमुच उनके निजी जीवन में भी साकार हो पाता है?
🔆आज के पढ़े-लिखे युवा वर्ग के मन में प्रश्न उठते रहते हैं कि यदि पढ़ाई और नौकरी की व्यस्तताओं के चलते मंदिर नहीं जा पाए तो क्या वे धार्मिक नहीं है? सच्चाई यह है कि हम धर्म की बहुत संकीर्ण परिभाषा को जानते हैं। कोई कहता है कि पूजा अर्चना धर्म है, कोई कहता है कि दया धर्म है, कोई कहता है कि परोपकार करना धर्म है लेकिन धर्म को अगर एक लाइन में परिभाषित करना हो तो हम कह सकते हैं "जो व्यवहार हम अपने लिए नहीं चाहते, वह हम दूसरों के साथ भी ना करें।" यदि कोई व्यक्ति इस पंक्ति को अपने जीवन में उतार लेता है तो सही मायने में वही धार्मिक है।
🔆कोई अगर नियम से मंदिर आता है, पूजन अभिषेक करता है, व्रत - ध्यान में मन रमाने की कोशिश करता है लेकिन यदि वह दूसरों को दुख और पीड़ा पहुंचाता है तो वह किसी भी अर्थ में धार्मिक नहीं कहा जा सकता।
🔆मंदिर में हम जितना समय देते हैं, उसका तीन गुना समय मंदिर में सीखी गई बातों को व्यवहार में अपनाने को देना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति मंदिर में किए गए पूजा पाठ और शास्त्र अध्ययन को अपने जीवन में नहीं उतारता तो वह धार्मिक नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोगों को देखकर ही दुनिया कहती है कि हमने बहुत लोग देखे हैं पूजन अभिषेक करने वाले पर उनका आचरण तो बहुत ही गिरा हुआ है। सही मायने में धार्मिक बनना चाहते हैं तो मंदिर में किए गए धर्म को आचरण में उतारने की कोशिश करें तभी धर्म सही मायने में सार्थक हो सकेगा।
🔆जिस तरह से हम व्यापार में मूल्यांकन करते हैं, जांच करते हैं उसी तरह से हमें धार्मिक क्रियाकलापों के क्षेत्र में भी अपना मूल्यांकन करना चाहिए और अपने व्यवहार को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। मंदिर जाना तभी सार्थक है जब बदलाव हमारे व्यवहार में भी हो नहीं तो लोग यही कहेंगे कि अगर मंदिर जाने पर भी कोई व्यक्ति ऐसा है तो मंदिर जाने का क्या फायदा? इसीलिए धार्मिक जीवन मूल्यों को सही मायने में जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
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Sacche Guru ki sanidhy mein hi hamen Dharm ki paribhasha aur use grahan karne ki Samarth prapt hoti hai vastvik Dharm vastu swabhav samuh hai jivo Rakha Naam dhanno hai supervised vigyan Dharm
नमोस्तु भगवन नमोस्तु
🙏🙏🙏
नमोस्तु गुरुदेव वीरसारगरजी विशाल सागर जी महाराज जी धवलसागवरजी महाराज जी उत्कृष्ट सागर जी महाराज जी संपूर्ण मुनी संघ वर्षाअशोक रोहित बंड जैन सुस पुणे सुरज स्वाती वर्धन काव्या दुर्गे जैन निरा अपने बंड और दुर्गे परीवार के सभी सदस्य 🎉🎉🎉🎉❤❤😂
जय जिनेंद्र महावीर भगवान की जय 🎉🎉
Namstu gurudav🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Namaste Gurudev aap Jo prashn poochh rahe hain uska Uttar yah hai ki vah Dharm ko abhi vastvik roop mein nahin Jaan Paya
Namaste gurudev 🙏
Namostu gurudev 🙏
Namostu gurudev
Namostu gurudev
namostu gurudev
नमोस्तु गुरुदेव।