आज माता के दर्शन हो गए।। मां जगदी की जात का पहला दिन।। Pahadi lifestyle Vlog। Mohitranavlogs UK09

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  • Опубліковано 8 лют 2025
  • आज माता के दर्शन हो गए।। मां जगदी की जात का पहला दिन।। Pahadi lifestyle Vlog। Mohitranavlogs UK09
    केदार खंड मानस खंड के शंकर और विष्णु की इस भूमि मे जितनी कथाये नर्सिंग बीरबद्र और गुरु कैलावीर की है, यहाँ उससे दुगना इतिहास है देवियों के स्वरूपों का! जिनके साक्षात होने बारे मे प्रत्यक्ष प्रमाणो के ढेर से लगे रहते है! और ये उत्तराखंड की भूमि देवी के सर्वोच्च स्वरूप नंदा का मायका है ऐसे मे यहाँ देवी के अनेक स्वरूपों का विद्यमान होना लाजमी है! ऐसे ही साक्षात विद्यमान है उत्तराखंड के सुदूर टिहरी गढ़वाल मे हिन्दो पट्टी की प्रहरी बन कर सबको आशीष देती और गोदी मे बाळ गोपाल खिलाने का वरदान देती श्री जगदी देवी!
    प्राचीन मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण के जन्म के उपरान्त ज़ब वसुदेव उन्हें गोकुल पंहुचा आये और वहां श्रीकृष्ण को यशोदा की कन्या से बदल कर उस कन्या को अपने साथ वापस मथुरा के करागार मे ले आये! जिसे कंस ने देवकी की आठवीं संतान समझा और उसे मारने के लिए पत्थर पर पटका तो वो उसके हाथ से छूट कर अष्टभुजा देवी के रूप मे अवतरित हुई! जिसने कंस को चेतावनी दी कि उसका काल तो कही और जन्म ले चुका है और फिर वह अष्टभुजा देवी अंतरध्यान हो गयी! आगे पढ़िए
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    मान्यता है कि अंतरध्यान होने के पश्चात वही देवी का स्वरूप शिला सौड़ जो कि आज जगदी शिला सौड़ के नाम से जगत विख्यात है वहां प्रकट हुई! तब से महामाया श्री जगदी देवी के नाम से विख्यात देवी स्थानीय जनमानस के सुख दुख की भागीदार बनते हुए ग्यारह गौँ हिन्दो के निवासियों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये हुए है! यही नहीं हर 12 वर्षो के उपरान्त यहाँ होम यज्ञ यात्रा का आयोजन भी होता है जिसमे स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि समूचे उत्तराखंड और भारत से लोग यहाँ पहुंचकर देवी का आशीर्वाद लेते है!
    इसके अलावा श्री जगदी देवी सिद्ध पीठ मे भी संतान प्राप्ति हेतु उसी तरह खड़े दिए की पूजा का प्रावधान है, ठीक जैसे कमलेश्वर महादेव मंदिर श्रीनगर मे संतान प्राप्ति के लिए पूजा की जाती है! बस फर्क इतना है कि जगदी देवी मे होने वाली खड़े दिए की पूजा मे संतान प्राप्ति के लिए आये दम्पति दिए को हाथों मे लेकर खड़े होने के बजाय जौ से भरे बर्तन मे रखकर नीचे बैठ गोद मे रखकर रातभर जगदी देवी का जागरण करते है!
    इसी प्रकार इस वर्ष भी नौज्यूला हिंदाव, अंथवाल गाँव टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में श्री जगदी देवी की वार्षिक जात का आयोजन किया जाता है।
    सड़क मार्ग से घनसाली और उसके आगे की सुदूर टिहरी की वादियों मे स्थानीय जनमानस के साथ कुछ नया देखने के लिए आप भी पधारिये!
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