10 कुंवारियों का दृष्टान्त (मत्ती 25:1-13)
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- Опубліковано 5 лют 2025
- 10 कुंवारियों का दृष्टान्त (मत्ती 25:1-13)
1 तब स्वर्ग का राज्य उन दस कुंवारियों के समान होगा जो अपनी मशालें लेकर दूल्हे से भेंट करने को निकलीं।
मत्ती 25:1
2 उन में पांच मूर्ख और पांच समझदार थीं।
मत्ती 25:2
3 मूर्खों ने अपनी मशालें तो लीं, परन्तु अपने साथ तेल नहीं लिया।
मत्ती 25:3
4 परन्तु समझदारों ने अपनी मशालों के साथ अपनी कुप्पियों में तेल भी भर लिया।
मत्ती 25:4
5 जब दुल्हे के आने में देर हुई, तो वे सब ऊंघने लगीं, और सो गई।
मत्ती 25:5
6 आधी रात को धूम मची, कि देखो, दूल्हा आ रहा है, उस से भेंट करने के लिये चलो।
मत्ती 25:6
7 तब वे सब कुंवारियां उठकर अपनी मशालें ठीक करने लगीं।
मत्ती 25:7
8 और मूर्खों ने समझदारों से कहा, अपने तेल में से कुछ हमें भी दो, क्योंकि हमारी मशालें बुझी जाती हैं।
मत्ती 25:8
9 परन्तु समझदारों ने उत्तर दिया कि कदाचित हमारे और तुम्हारे लिये पूरा न हो; भला तो यह है, कि तुम बेचने वालों के पास जाकर अपने लिये मोल ले लो।
मत्ती 25:9
10 जब वे मोल लेने को जा रही थीं, तो दूल्हा आ पहुंचा, और जो तैयार थीं, वे उसके साथ ब्याह के घर में चलीं गई और द्वार बन्द किया गया।
मत्ती 25:10
11 इसके बाद वे दूसरी कुंवारियां भी आकर कहने लगीं, हे स्वामी, हे स्वामी, हमारे लिये द्वार खोल दे।
मत्ती 25:11
12 उस ने उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच कहता हूं, मैं तुम्हें नहीं जानता।
मत्ती 25:12
13 इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को॥
मत्ती 25:13
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