परम पुज्य बापूजी के चरणों में कोटी कोटी प्रणाम🙏🙏🙏🌹🌹🌹 मुझे गर्व ना और सहारों का🌹बस तेरा सहारा काफी है🌹🌹मझदार में डूबती नैया को🌹ईक तेरा किनारा काफी है🌹🌹🙏🙏🙏
सारे तीर्थ धाम आपके चरणों मे हे गुरु देव प्रणाम आपके चरणो है दिव्य अनमोल सत्संग ज्ञान महिमा गुरु ज्ञान की महिमा महान है पूज्य श्री संत शिरोमणि आशाराम जी बापू की जय हो प्रणाम गुरु देव जी 🌹🌹🌹🌹🕉️🕉️🕉️🕉️🙏🏻🙏🏻
जप, तीर्थ अथवा ईश्वर के साकार दर्शन से भी अधिक महत्त्वपूर्ण ज्ञानवान महापुरूषों के सान्निध्य व ब्रह्मज्ञान के सत्संग की महिमा को उजागर करने वाला पूज्य बापूजी का अत्यंत महत्त्वपूर्ण सत्संग। 🙏🏻🌷
sare teerth dham sadguru sai Bapuji k charno mai🙏🙏🙏🙏🙏प्रसंग {३} श्री अष्टावक्र गीता-- श्री अष्टावक्रजी ने कहा कि तू न पृथ्वी है , न जल है , न अग्नि , न वायु और न ही आकाश है। मुक्ति के लिए स्वयं को इन सबका साक्षी रूप जान। ( यही आत्मज्ञान है जो मुक्ति का कारण है )। भावार्थ - राजा जनक का पहला प्रश्न है , " ज्ञान कैसे प्राप्त होता है। " अष्टावक्र पहले ज्ञान की अनिवार्य शर्त के बारे में बताने के बाद जनक को अपने निज स्वरूप का ज्ञान कराते हैं। वे कहते हैं - मानव मात्र एक शरीर नहीं है , वह एक चैतन्य आत्मा है। आत्मा ही उसका यथार्थ स्वरूप है। वही सम्राट है। यह शरीर , मन , बुद्धि उसके भाग हैं। जो उसके आदेश के अनुसार कार्य कर रहे हैं। ये दिखाई देने वाला है , आत्मा सूक्ष्म है , जिसके ज्ञान न होने के कारण ये शंका होती है कि मैं शरीर हूं। यही अज्ञान है। अष्टावक्र इसी शंका को दूर करने हेतु कहते हैं कि " तू पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु और आकाश इन पांच मूलभूत तत्त्वों से बना हुआ भौतिक शरीर नहीं है। ये पांच तत्त्व भौतिक , अनित्य और समाप्त होने वाले हैं , मृत्यु आ जाने पर ये समाप्त हो जाएंगे। और जीव जीवित रहेगा। मृत्यु के उपरांत भी तू अपनी अगली यात्रा ( अगला जन्म ) धारण कर लेगा। यह शरीर उसी प्रकार परिवर्तित होता रहता है , जिस प्रकार व्यक्ति अपने पुराने वस्त्रों का त्याग कर नए वस्त्रों को धारण कर लेता है। यह शरीर वस्त्र के समान है , परन्तु तू इससे अलग है। ये शरीर भौतिक पदार्थों से बना हुआ है। तू घर नहीं बल्कि उसमें रहने वाला घर का स्वार्थ है। तू उस घर के अन्दर चैतन्य रूप है। सारे भौतिक संसार का आधार यही चैतन्य रूपी आत्मा है। अपने भौतिक शरीर को जन्मों से यह सन्देह हो गया है , उसे समाप्त करके अपने को साक्षी चैतन्य स्वरूप समझ। यही ज्ञान है। यदि तू इस तथ्य को समझकर देख लेगा तो तुझे आत्मज्ञान प्राप्त हो जाएगा। यही एक ऐसा महत्त्वपूर्ण साधन है , जिसको प्राप्त कर लेने पर अन्य कोई साधना आवश्यक नहीं होती। हम कहते हैं कि यह शरीर मेरा है , मन मेरा है , बुद्धि मेरी है , मैं कौन हूं , जिसके ये सभी भाग हैं , अवश्यमेव ही यह मैं से अलग है , तभी हम कहते हैं यह मेरा है , अन्यथा मेरा कैसे कह सकते हैं। जो हमें मैं से प्राप्त हुआ है , उसका हम त्याग कर सकते हैं और जो ' मेरा ' से बच जाता है वही ' मैं ' का यथार्थ रूप है। यही मैं आत्म तत्त्व है जिसको जान लेने पर बाकी सब तुच्छ दिखाई देते हैं। अष्टावक्रजी राजा जनक को आत्म - ज्ञान का बोध कराने के बाद मुक्ति ( मोक्ष ) कैसे प्राप्त होता है जो कि जनक का दूसरा प्रश्न है समजाते है।इसके आगेका प्रसंग पढियेगा कल।🌻🙏🌻
श्रीभगवानुवाच गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा। पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।। मैं ही प्रत्येक लोक में प्रवेश करके अपनी शक्ति से सभी प्राणियों को धारण करता हूँ और मैं ही चन्द्रमा के रूप से वनस्पतियों में जीवन-रस बनकर समस्त प्राणीयों का पोषण करता हूँ।
।। परम् पूज्य सतगुरु चरणें कोटि कोटि वंदन ।। 🙏 💐 🕉️ 🚩 . . . . .
वेदों,पुराणों और उपनिषदो का ज्ञान सहज ही मिल जाता है पूज्य श्री के सत्संग से 🙏🏻🕉️
ऐसे पुरष तीर्थ निर्माता हो जाये है, जिस वस्तु को छूते है वो वस्तु प्रसाद हो जाती है। ॐ श्री सतगुरु परमात्मने नमः 🙏🛐❤️📿
धन्य है बापूजी का ज्ञान,,धन्य है भारत वासी जिसे इतनी आसानी से शास्त्रों का सार मिल जाता है।।
Divine Spiritual Satsang Vachan by Pujya Sant Shri Asharamji Bapu 👌👏🙏
जिनके वचनों से श्री राम जी की भी तपन मिटती है ऐसे महापुरुष को प्रणाम है
पुज्य सद्गुरू देव के चरनो मे कोटी कोटी प्रणाम हरी ॐ.
ब्रह्मज्ञानी महापुरुष जिस भूमि पर कदम रखते हैं वह भूमि तीर्थ बन जाती है,बहुत सुंदर प्रेरक सत्संग पूज्य बापूजी के श्रीमुख से🙏🙏 🌹🌹🌹
बापूजी का सत्संग मतलब वेद पुराण शास्त्रों का सार 🙏
सद्गुरु की दृष्टि और वचनों से ही आत्मतत्त्व में स्थिति होती है, बार बार सुनने योग्य सत्संग 🙏🏻🙏🏻🕉️
परम कल्याणकारी मंगलकारी ज्ञान🙏🙏🙏🙏
ऐसी अद्भुत ग्रंथ, हम सभी को पढ़ना चाहिए।
बापू के पास जो वेदांत का खजाना है वह कहीं नहीं है 🙏🏽
Satya kaha prabhu aapne 🙏 hari om🙏🌏
🙏🏼🌹📿।। *जय सद्गुरू देव भगवान* ।।📿🌹🙏🏼
धन्यवाद आपका गुरू जी 🙏👍🙏 राधे राधे गुरू जी 🙏👍🙏💯💯💯💯
सदगुरुदेव भगवान के चरणों मे कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏🙏🙏🙏
आत्मज्ञान का महत्व और मनुष्य जीवन का महत्व समझाने वाला दिव्य सत्संग है पूज्य गुरुदेव का 🙏🌷
सदगुरु भगवान की जय हो 🙏
अद्भुत सुंदर ,अमृत तुल्य संत्सग 👌🙏🛐
परम् कल्याणकारी सत्संग 🙏🙏
ईश्वर प्राप्ति में सहायक विशिष्ट सतसंग
ऊँचे में ऊँचा तात्विक सत्संग 🙏
सद्गुरू देव कि जय🙏🙏🙏💐💐💐
सतगुरुदेव की जय हो......🙏🙏🙏
Divine Satsang for Spiritual Growth. Which is delivered by Sant Shri Asharamji Bapu 🙏🙏👌
बहुत अच्छा है सत्संग संत श्री आसाराम बापू का
सदगुरुदेव भगवान के श्रीचरणों में कोटि-कोटि बंदन।
Jay Satguru Dev Bhagwan❤❤❤
परम पुज्य बापूजी के चरणों में कोटी कोटी प्रणाम🙏🙏🙏🌹🌹🌹
मुझे गर्व ना और सहारों का🌹बस तेरा सहारा काफी है🌹🌹मझदार में डूबती नैया को🌹ईक तेरा किनारा काफी है🌹🌹🙏🙏🙏
Sant Shri Asharamji Bapuकी दिव्य सत्संग 🙏
सारे तीर्थ धाम आपके चरणों मे हे गुरु देव प्रणाम आपके चरणो है दिव्य अनमोल सत्संग ज्ञान महिमा गुरु ज्ञान की महिमा महान है
पूज्य श्री संत शिरोमणि आशाराम जी बापू की जय हो प्रणाम गुरु देव जी 🌹🌹🌹🌹🕉️🕉️🕉️🕉️🙏🏻🙏🏻
ब्रह्मा ज्ञान सत्संग सुनने मात्र की दिव्य महिमा
Pujya sant Shri asharamji bapu Ji Bhgvan ke charano me Koti koti Vandan 🙏🌏
गुरुदेव हमें सरल शब्दों में शास्त्रों का दुर्लभ ज्ञान देते हैं।
Bahut hi ucha tatvik Satsang 🚩👌
Very Great satsang
હરે રામ હરેરામ🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🌺🌺🌺🌺🌺❤❤❤❤❤🙏
ॐ ॐ ॐ गुरु देवाय नमः 🙏
Divine Vachan by Pujya Satgurudev Sant Shri Asharamji Bapu
जीवन विकास में सहायक सत्संग 🙏🙏
जप, तीर्थ अथवा ईश्वर के साकार दर्शन से भी अधिक महत्त्वपूर्ण ज्ञानवान महापुरूषों के सान्निध्य व ब्रह्मज्ञान के सत्संग की महिमा को उजागर करने वाला पूज्य बापूजी का अत्यंत महत्त्वपूर्ण सत्संग। 🙏🏻🌷
हरि ॐ
Pujya Bapuji has explained the benefits of satsang and its so true, if this satsang is from Brahm Veta like Bapuji it is far more beneficial
दिव्य सत्संग 🙏🏻🌹
ॐ ॐ बापूजी जल्दी आ जाईए
Hari om tat sat Jai satguru guru 🙏🌹♥️
बहुत सुंदर वचन ❤❤❤❤❤
पुज्य बापुजी के श्री मुख से श्रीयोगवशिष्ठ रामायण का दिव्य ज्ञान।🙏🙏🙏
Om Om Hari Om Hari Om Hari Om Hari Om❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤😂😂😂😂
अति उत्तम आत्मज्ञान🙏🙏
🌹🌹हरि ॐ बापुजी 🌹🌹
🌸🌸🙏🙏🙏🙏🙏🌸🌸
Very nice satsang
जय हो, हरि ओम बापूजी 👏👏💐🌸🌼
ब्रह्मज्ञान का महत्व समझाने वाला दिव्य सत्संग 🙏
गुरुचरणों मे कोटि कोटि प्रणाम 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ॐ ॐ ॐ गुरूदेवाय नमः ॐ ॐ ॐ
🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏
सच में ऐसा ज्ञान तो कहीं नहीं मिलता बापूजी के सिवाय जय हो मेरे प्यारे सदगुरू देव भगवान
प्रेरणा दाई एवं मंगलकारी सत्संग ॐॐॐ
Hari om 🙏 Gurudev 🙏
संत श्री आशारामजी बापू का पावन सत्संग।
Hari Om bapu
Excellent 💐
Hari om 🕉
Bahut ucha kalyankari satsang mere Gurudeva 🙏🏼🌹🧘🏽♂️
महापुरुषों के दर्शन बड़े भाग्यशाली को मिलते हैं पूज्य बापूजी सत्संग द्वारा समझा रहे हैं👌🙏💐
विश्वगुरु परम हितैषी संत श्री आशारामजी महाराजश्री का उपदेश अमृत विश्व के कोने कोने मे घर घर तक दिल दिल तक पहुंचे, हम उसमे भागीदार बने🚩🚩🚩🚩🚩
Jai Gurudev 🙏❤️
AUM Shri sachidanand Hari har swarup sadguru parmatmane namah , hariom Param pujya bapuji .
🌹हरी हरी ओम 🙏
श्रीचरणों में कोटि कोटि प्रणाम 👏👏
sare teerth dham sadguru sai Bapuji k charno mai🙏🙏🙏🙏🙏प्रसंग {३} श्री अष्टावक्र गीता--
श्री अष्टावक्रजी ने कहा कि तू न पृथ्वी है , न जल है , न अग्नि , न वायु और न ही आकाश है। मुक्ति के लिए स्वयं को इन सबका साक्षी रूप जान।
( यही आत्मज्ञान है जो मुक्ति का कारण है )। भावार्थ - राजा जनक का पहला प्रश्न है , " ज्ञान कैसे प्राप्त होता है। " अष्टावक्र पहले ज्ञान की अनिवार्य शर्त के बारे में बताने के बाद जनक को अपने निज स्वरूप का ज्ञान कराते हैं। वे कहते हैं - मानव मात्र एक शरीर नहीं है , वह एक चैतन्य आत्मा है। आत्मा ही उसका यथार्थ स्वरूप है। वही सम्राट है। यह शरीर , मन , बुद्धि उसके भाग हैं। जो उसके आदेश के अनुसार कार्य कर रहे हैं। ये दिखाई देने वाला है , आत्मा सूक्ष्म है , जिसके ज्ञान न होने के कारण ये शंका होती है कि मैं शरीर हूं। यही अज्ञान है। अष्टावक्र इसी शंका को दूर करने हेतु कहते हैं कि " तू पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु और आकाश इन पांच मूलभूत तत्त्वों से बना हुआ भौतिक शरीर नहीं है। ये पांच तत्त्व भौतिक , अनित्य और समाप्त होने वाले हैं , मृत्यु आ जाने पर ये समाप्त हो जाएंगे। और जीव जीवित रहेगा। मृत्यु के उपरांत भी तू अपनी अगली यात्रा ( अगला जन्म ) धारण कर लेगा। यह शरीर उसी प्रकार परिवर्तित होता रहता है , जिस प्रकार व्यक्ति अपने पुराने वस्त्रों का त्याग कर नए वस्त्रों को धारण कर लेता है। यह शरीर वस्त्र के समान है , परन्तु तू इससे अलग है। ये शरीर भौतिक पदार्थों से बना हुआ है। तू घर नहीं
बल्कि उसमें रहने वाला घर का स्वार्थ है। तू उस घर के अन्दर चैतन्य रूप है। सारे भौतिक संसार का आधार यही चैतन्य रूपी आत्मा है। अपने भौतिक शरीर को जन्मों से यह सन्देह हो गया है , उसे समाप्त करके अपने को साक्षी चैतन्य स्वरूप समझ। यही ज्ञान है। यदि तू इस तथ्य को समझकर देख लेगा तो तुझे आत्मज्ञान प्राप्त हो जाएगा। यही एक ऐसा महत्त्वपूर्ण साधन है , जिसको प्राप्त कर लेने पर अन्य कोई साधना आवश्यक नहीं होती। हम कहते हैं कि यह शरीर मेरा है , मन मेरा है , बुद्धि मेरी है , मैं कौन हूं , जिसके ये सभी भाग हैं , अवश्यमेव ही यह मैं से अलग है , तभी हम कहते हैं यह मेरा है , अन्यथा मेरा कैसे कह सकते हैं। जो हमें मैं से प्राप्त हुआ है , उसका हम त्याग कर सकते हैं और जो ' मेरा ' से बच जाता है वही ' मैं ' का यथार्थ रूप है। यही मैं आत्म तत्त्व है जिसको जान लेने पर बाकी सब तुच्छ दिखाई देते हैं। अष्टावक्रजी राजा जनक को आत्म - ज्ञान का बोध कराने के बाद मुक्ति ( मोक्ष ) कैसे प्राप्त होता है जो कि जनक का दूसरा प्रश्न है समजाते है।इसके आगेका प्रसंग पढियेगा कल।🌻🙏🌻
વાહ મારા પ્રભુ વાહ
Thanks for sharing hari om g love from New Zealand 🇳🇿
अनमोल सत्संग।🙏🏻🌺🌷🌹💐
Pujya Bapuji ke Sri charno me koti koti pranam 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
Divine blessing 🙏🏻🙏🏻
संत महापुरुषों के वचनों से
संत महापुरुषों के वचनों से लाभ
दिव्य भगवत सत्संग ⛳⛳⛳⛳🙏🙏🙏🙏🙏
योगवशिष्ठ महाराज की जय 🙏🏻
Divya mangalmay satsang 🕉🕉🙏🙏🌹🌹
महापुरुषों का सत्संग और दर्शन बड़ा ही दुर्लभ होता है हमें जरूर लाभ लेना चाहिए।
Divine satsang 🙏
योगवशिष्ठ महारामायण विशेष महान सत्संग
बहुत ही कल्याणकारी व अद्भुत ग्रंथ🌹🌹🌹🙏🙏🙏
दिव्य अद्भुत कल्याणकारी सत्संग।🌹🙏
ॐ श्री सदगुरू परमात्मने नमः
सारे समस्याओं से पार होना है तो, आत्मदेव को जान लो बस# पूज्य बापूजी 🙏
Jai Gurudev. Hari Om
हरि ॐ बापुजी💐💐💐💐💐💐👌
बहुत ऊंची स्थिति प्राप्त करने में सहयोगी श्री योग वशिष्ठ
योगवाशिष्ठ महारामायण का दिव्य ज्ञान 🙏🙏💐💐
राग से फँसो मत, द्वेष से सटो मत, प्रभुप्रेम के नाते सभीसे मिलो-जुलो लेकिन फिर अपने को असंग जानो ।
योग वशिष्ठ रामायण महा पुण्य प्रदान करने वाला महा ग्रंथ हैं ।
जय जय गुरुदेव I Sant Shri Asharamji Bapu I
🙏🏻हरि ॐ तत्सत्🙏🏻
श्रीभगवानुवाच
गामाविश्य च भूतानि धारयाम्यहमोजसा।
पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।
मैं ही प्रत्येक लोक में प्रवेश करके अपनी शक्ति से सभी प्राणियों को धारण करता हूँ और मैं ही चन्द्रमा के रूप से वनस्पतियों में जीवन-रस बनकर समस्त प्राणीयों का पोषण करता हूँ।
Atti tatvik satsang👌🙏
योगवशिष्ठ को पूज्य बापूजी ने सरलता से समझाया है।
Om om om bapuji jaldi bahar aao🙏🙏🙏🙏🙏
दिव्य सत्संग 🙏🌹🌹
तात्विक सत्संग
बहुत ही दिव्य सत्संग 👌👌👌
योगवाशिष्ठ का एक श्लोक भी सुनना बहुत पुण्यदाई है