Vilambit bandish: Daiya kahan gaye, brij ke basaiya Drut bandish: Mein Hari son chakra dharau, Bhishma naam kahaun mein. Pandav sainya samet sarthi(Lord Krishna) kshonit(blood) poor bahaun mein, Yagna karu to aan tihari, Kapi dhwaj(Lord hanuman's dhwaj which was there on pandav's chariot) te utarun mein, mein hari.......
Harshit Joshi that is the biggest problem in our country. People(especially youth) are not listening to classical music which is the most advanced and most scientific music in the whole world !
Harshit Joshi जिस पर भगवान की असीम कृपा होती है उसी को यह संगीत सुनने को और गाने बजाने को मिलता है। क्यूँकि वही लोग राग, सवार और ताल की गहराई को समझ सकते है जो की दूसरे लोगों के बस की बात नहीं है। इस लिए भगवान ने चुनिंदा लोगों को ही यह संगीत से परिचय कराया है। प्रणाम 🙏🏼
@@tapaswisatyapanthi9075 बिल्कुल यह दैवीय नाद है। परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। हमे पद्धतियां बदलनी पड़ेगी । लक्छ एक रखना होगा । अर्थात हमे भरतीय शास्त्रीय संगीत को जो सामवेद से निकला हुआ है। इसके सिद्धान्तों को जन जन तक पहुचाना होगा । यह संगीत ही इसलये बनाया जिसे सामान्य लोग सुनकर ओर गाकर अपने आप को स्वस्थ रख सके । मानसिक रोग न घेरे। तो हमे यह बदलना होगा कि यह विशेष लोग ही सुन सकते है। बल्कि इसे जन जन सुन सकता है। ऐसा रखना होगा । यह मेरा अनुभव है। यदि हम विशेष विशेष बोलेंगे । तो एक एक करके हज़ार लोग भी बोलेंगे की विशेष लोग ही सुन सकते है। और एक दिन हम इस वेदों की संस्कृति को भुला चूकेंगे । जैसे कई चीज़े हम भूल चुके है। सर्वप्रथम यह भारतीय शास्त्रीय संगीत जन जन का संगीत है। जो पहले हर हर जन जन लोग गाते सुनते बजाते थे ।जो आज भी सम्भव है। हम सबकी सोच बदलनी होगी। अगर कुछ तपस्वी जी जैसे लोग भी आगे आते है तो यह संगीत अपनी चरम फैलाव की और अग्रसर होगा जो जरूरी ओर महवपूर्ण है आज की जीवन शैली के लिए ।।।
@@tapaswisatyapanthi9075 हमे आगे आना होगा नेतृत्व भाव से । हम इसे लोगो को समझएँगे नही बल्कि स्वयं इसे करेंगे। हम जब अपने जीवन शैली में जो शास्त्रीय संगीत लाएंगे जो पहले था लेकिन इसे मात्र विशेष बनाया गया। यदि कोई भी राग गा नही सकता उसका ओरा creat नही कर सकते तो सुन सकते है। हम जब दैनिक जीवन मे सुनगे । या फिर गाएंगे तो यह अपने आप व्यवहारिक जगत में होगा ।। हमे सोचना होगा कि परेशानी आज के युवाओं में है नही यह वही करेंगे जो इनका आदर्श होगा । । और आज आदर्श बदल चुके है। तो हमे आज कमिया नही मैं क्या कर सकता हु इस संगीत की धारा में । ये लाना होगा । आप और हम मिलकर सोचे कि क्या करसकते है। इस विषय मे । ।।।
@@tapaswisatyapanthi9075 शास्त्रीय संगीत को सुनने के लिए समझ जरूरी नही । जैसे जब लोग rock और पॉप music सुनते है। तो उनको उसमे गाये गए स्वर समझ आते है। क्या? जो लोग सूफी और गजल सुनते है। तो समझ आती है। क्या ? नही आती होगी कि किस तरह से गाते है। बजाते है। स्वर कोंन से लग रहे है। कुछ समझ नही आता फिर भी सुनते है। क्यों ? इसकी पॉप और रॉक की समझ लेते ह क्या । क्या सभी इसकी क्लासेज जाते है। क्या ? समझ बीच मे नही आती है। किसी भी संगीत को सुनने के लिए । विशेष नही आता है। संगीत को सुनने के लिए । और हमे यह तय करना होगा कि संगीत कोन सा है । हम music और संगीत को जोड़ तो नही रहे । म्यूजिक अलग और भरत्तीय संगीत अलग जिसकी सभी को जरूरत है। यदि स्वयं का भला सोचना है। तो इसे अपनाना होगा नही तो पतन निश्चित है। अब आप तय करे की आप अपना भला भारतीय शास्त्रीय संगीत से करना चाह रहे है। या नही
Unbelievably beautiful Alhaiya Bilawal. Only Bade Guruji. 🙏❤️🙏
Melodious voice. ❤😍
Great legend our pandit jasraj ji. Jaisreemannaarayana 🙏
Pandit Jasraj ji is the only Classical Artist whos music is the holy music in the world
गुरुजी को प्रणाम🙏🙏🙏
most difficult part of singing is to find listeners. It is a shame.
Adbhut anubhav as always
🙏🏼🙏🏼
Melodious voice
सोना पहचान ता नही भारतीयों अथबा देर से
❤❤❤
My favorite classical vocalist 🌹💖🤲👑🎹❤️
Jay ho
ThankYou so very much.
🙏🏻
🌺🙏🏻
Good
Please share vachanas Dhasara padha Bhajans Abhangs of Mallikarjuna mansooru Sidharama jambaldhinni panchakshari swamy Mathigatti Gangubai hanagal Basavaraj Rajguru kumar Gandharva Jasraj Bhimsen Joshi Rajan mishra sajan Mishra please share
What are the lyrics of this composition?
Vilambit bandish:
Daiya kahan gaye, brij ke basaiya
Drut bandish:
Mein Hari son chakra dharau, Bhishma naam kahaun mein.
Pandav sainya samet sarthi(Lord Krishna) kshonit(blood) poor bahaun mein,
Yagna karu to aan tihari, Kapi dhwaj(Lord hanuman's dhwaj which was there on pandav's chariot) te utarun mein, mein hari.......
@@tapaswisatyapanthi9075
Pranam🙏
Aum🙏
इतनी अच्छी रिकॉर्डिंग सिर्फ 2000 लोगो ने देखी ।।।
ओर अभद्र बेकार गाने लोग 2 करोड़ लोग सुनते है।।
Harshit Joshi that is the biggest problem in our country. People(especially youth) are not listening to classical music which is the most advanced and most scientific music in the whole world !
Harshit Joshi जिस पर भगवान की असीम कृपा होती है उसी को यह संगीत सुनने को और गाने बजाने को मिलता है। क्यूँकि वही लोग राग, सवार और ताल की गहराई को समझ सकते है जो की दूसरे लोगों के बस की बात नहीं है। इस लिए भगवान ने चुनिंदा लोगों को ही यह संगीत से परिचय कराया है। प्रणाम 🙏🏼
@@tapaswisatyapanthi9075 बिल्कुल यह दैवीय नाद है। परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। हमे पद्धतियां बदलनी पड़ेगी । लक्छ एक रखना होगा । अर्थात हमे भरतीय शास्त्रीय संगीत को जो सामवेद से निकला हुआ है। इसके सिद्धान्तों को जन जन तक पहुचाना होगा । यह संगीत ही इसलये बनाया जिसे सामान्य लोग सुनकर ओर गाकर अपने आप को स्वस्थ रख सके । मानसिक रोग न घेरे।
तो हमे यह बदलना होगा कि यह विशेष लोग ही सुन सकते है। बल्कि इसे जन जन सुन सकता है। ऐसा रखना होगा । यह मेरा अनुभव है।
यदि हम विशेष विशेष बोलेंगे । तो एक एक करके हज़ार लोग भी बोलेंगे की विशेष लोग ही सुन सकते है। और एक दिन हम इस वेदों की संस्कृति को भुला चूकेंगे । जैसे कई चीज़े हम भूल चुके है।
सर्वप्रथम यह भारतीय शास्त्रीय संगीत जन जन का संगीत है। जो पहले हर हर जन जन लोग गाते सुनते बजाते थे ।जो आज भी सम्भव है। हम सबकी सोच बदलनी होगी। अगर कुछ तपस्वी जी जैसे लोग भी आगे आते है
तो यह संगीत अपनी चरम फैलाव की और अग्रसर होगा जो जरूरी ओर महवपूर्ण है आज की जीवन शैली के लिए ।।।
@@tapaswisatyapanthi9075 हमे आगे आना होगा नेतृत्व भाव से ।
हम इसे लोगो को समझएँगे नही बल्कि स्वयं इसे करेंगे। हम जब अपने जीवन शैली में जो शास्त्रीय संगीत लाएंगे जो पहले था लेकिन इसे मात्र विशेष बनाया गया। यदि कोई भी राग गा नही सकता उसका ओरा creat नही कर सकते तो सुन सकते है। हम जब दैनिक जीवन मे सुनगे । या फिर गाएंगे तो यह अपने आप व्यवहारिक जगत में होगा ।। हमे सोचना होगा कि परेशानी आज के युवाओं में है नही यह वही करेंगे जो इनका आदर्श होगा । । और आज आदर्श बदल चुके है। तो हमे आज कमिया नही मैं क्या कर सकता हु इस संगीत की धारा में । ये लाना होगा । आप और हम मिलकर सोचे कि क्या करसकते है। इस विषय मे । ।।।
@@tapaswisatyapanthi9075 शास्त्रीय संगीत को सुनने के लिए समझ जरूरी नही । जैसे जब लोग rock और पॉप music सुनते है। तो उनको उसमे गाये गए स्वर समझ आते है। क्या?
जो लोग सूफी और गजल सुनते है। तो समझ आती है। क्या ?
नही आती होगी कि किस तरह से गाते है। बजाते है। स्वर कोंन से लग रहे है।
कुछ समझ नही आता फिर भी सुनते है। क्यों ? इसकी पॉप और रॉक की समझ लेते ह क्या ।
क्या सभी इसकी क्लासेज जाते है। क्या ?
समझ बीच मे नही आती है। किसी भी संगीत को सुनने के लिए । विशेष नही आता है। संगीत को सुनने के लिए ।
और हमे यह तय करना होगा कि संगीत कोन सा है । हम music और संगीत को जोड़ तो नही रहे । म्यूजिक अलग और भरत्तीय संगीत अलग जिसकी सभी को जरूरत है। यदि स्वयं का भला सोचना है। तो इसे अपनाना होगा नही तो पतन निश्चित है। अब आप तय करे की आप अपना भला भारतीय शास्त्रीय संगीत से करना चाह रहे है। या नही