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भक्ति हे पत्थर के मुर्ति जाे जड हे उनसे भि चैतन्य कहे मानवकाे भिख मगाते भिखारि बनाते हे- लक्ष्मी के अागे धन, सरस्वती के सामने बिद्या, दुर्गा के सामने शक्ति, हरेक देवी देवतासे पृथक पृथक हि मागना सिखाते हे चाहे नवधाभक्ति हो या अन्य। जवकि ऐसे चित्र या देहधारि देवीदेवता से मिले पृथक पृथक प्राप्ति जैसे वे अल्पकालिन व नश्वर हे, भक्ति हो भि ऐसे हि नश्वर व विनाशि देहधारि का हि हाेता अा रहा ताे कब बनेगे उद्धार जगतका ? भक्ति हाेना था उस विचित्र अविनाशि व अादि अनादिसे जिससे प्राप्ति भि अविनाशि व अखुट हि मिले। वह भि हर प्राप्ति वेहदका हे। देहधारिसे मिले हर काेइ हदका अौर विनाशि हे जाे खुट्ने से फिर मागते भिखारि बनाए। ऐसा भिख मगवानेवाले भक्ति करने से ताे नकरने वाले नाश्तिक कहलवाना बेहतर अौर कल्याण हेे। हाँ भक्ति उनका जाे अविनाशि अखुट प्राप्ति जाे अधिकार से मिले अर्थात मागना न पडेे यहि भक्ति का सार्थकता हे, नवधा हो या विसवा काेइ अर्थका नहि, जिसका भक्ति करना हो उसिका परिचय नहि हे, यथार्थ पहचाने बिना किय जा रहे भक्ति किन अर्थका ? कमेन्ट नहि चिन्तन हेे, धन्यवाद !!!
@@darkenergy9644 हाँ बडा तो आपको मिला पर बुद्धि व दृष्टिकोण जरुर निष्कृष्ट मिला , बडे से तो बडा मिलना था। लिखे पंक्ति को जरा ध्यान से पढे होते। यहिं कारण गीता १५:१० मे - विमूढा नानु पश्यन्ति पश्यन्ति ज्ञानचक्षुषः। आया; चिन्तन करें भावार्थ क्या हे! हो सके तो साध्वी देवीप्रिया महाशया से हि समझे। कमेन्ट नहि चिन्तन हे। सव्व भवतु मंगलवः! धन्यवाद!!!
हरिओम तत् सत् गुरूजी 🙏 हो
Koti koti pranam Pujya Didiji 💐🙏
दीदी जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन
जय श्री सीता राम जी 👍 गुरुज मा
आपका ज्ञान बहुत ही सुन्दर है।
🕉️🙏आपकी बात हमेशा ही अच्छी लगती हैं। इतना गहरा ज्ञान ,इतने सहज शब्दों में बताने के लिए धन्यवाद।🕉️
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Tii ll kl
ओ३म् नमस्ते जी
बहुत सुन्दर
दीदी आप को प्रणाम कर्ता है
आप जेसी पुण्य आत्मा को बार बार प्रणाम
ओम सादर नमस्ते जी
आप के प्रवचन सुनने से हमारे जीवन में सुधार आ रहा है मां की जय हो
ॐतत सत। 🙏🙏🙏
ॐ नमः शिवाय ॐ दीदी मां को बहुत बहुत शुभ कामनाएं 🙏🙏
ओम
सादर नमन
❤️🙏
ॐ नमो नमः॥
Jai shree site Ram Jai hangman 🕉 🕉 🕉 🙏 🙏 🙏 ❤❤❤🎉🎉🎉
Jai Shree Ram Ji 🙏🌹🙏❤️
Jai Gurudev Pranam.
🙏🏻🕉🙏🏻 दीदी जी श्री चरणो मे कोटिश नमन 🌹🌹
गिरि जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन
गिरी को दीदी पढ़ें
Nameshkar didi apki vani amrit bresta h or aap smjhati bhi bhut terike se h🙏🌷🌷🌷🌷🌷
धन्यवाद आचार्य देवपिया जी
🕉🙏प्रणाम देवी माँ कोटि2नमन आपकी पढ़ाई बहुत अच्छी लगती है आप जैसी बेटी भगवान हर माँ को दें
Om Didi ji
🙏🙏🙏
पूज्या दीदी जी के चरणों में सादर नमन🌷🌷🙏🙏
કોટી કોટી પ્રણામ સાધ્વીજી 🙏🙏🙏
जयगुरुदेव प्रणाम🙏
दीदी मां के चरणों में प्रणाम🙏
ॐ
देवी जी आप द्वारा दिए ज्ञानवर्धक जानकारी से
मुझे बहुत लाभ हुआ
परमपिता आप जैसे महान संत ज्ञानी को लंबी
उम्र प्रदान करे
मैं आप से अति लाभदायक हुआ
Jai sree Ram om ji didi
Om pranam.
ओम दीदी प्रणाम
दिदि ओम आपकी वाणि और आपने दिया हुआ ज्ञान अच्छा लगा 🙏 पूना पूनह हम सुनते रहते हैं
पूज्या दीदी के चरणों में नमन
Guruma aapke ke charno me koti koti pranam🙏🙏🙏aapse kaise judhe?
Om devpriya ji
Jay guru Mata🙏🌺🌺🌺🌼🌼🌼🌼
प्रणाम दीदी आपसे एक प्रश्न पूछना था कि शिव जी के तुलसी चढ़ती है या नहीं
Nahi
Jai shree Ram,Didi
Very nice information.
🙏🌅आपके शब्द सूर्य की प्रकाश जैसे है
ॐ दीदी प्रणाम🙏
सादर चरणस्पर्श पुज्या दीदीजी
Jai shri radhe
धन्यवाद गुरूदेव नमस्ते
ॐ नमस्ते
Please publish your discourses
ઓમ નમઃ શિવાય
ओम बहनजी प्रणाम
Guruma aapse milne ka marg bataiye?🙏🙏🙏
Om Shanti
Om didi ma
OM DIDI JI
Pranam
Thanks,
Thanks you
दीदी हिन्दूसतान का सूत्र मुल्लासतान या पाकिस्तान में नहीं चलेगा जजजजजै भीम जय मीम
DIDI JI NAMASKAR
भक्ति हे पत्थर के मुर्ति जाे जड हे उनसे भि चैतन्य कहे मानवकाे भिख मगाते भिखारि बनाते हे- लक्ष्मी के अागे धन, सरस्वती के सामने बिद्या, दुर्गा के सामने शक्ति, हरेक देवी देवतासे पृथक पृथक हि मागना सिखाते हे चाहे नवधाभक्ति हो या अन्य। जवकि ऐसे चित्र या देहधारि देवीदेवता से मिले पृथक पृथक प्राप्ति जैसे वे अल्पकालिन व नश्वर हे, भक्ति हो भि ऐसे हि नश्वर व विनाशि देहधारि का हि हाेता अा रहा ताे कब बनेगे उद्धार जगतका ? भक्ति हाेना था उस विचित्र अविनाशि व अादि अनादिसे जिससे प्राप्ति भि अविनाशि व अखुट हि मिले। वह भि हर प्राप्ति वेहदका हे। देहधारिसे मिले हर काेइ हदका अौर विनाशि हे जाे खुट्ने से फिर मागते भिखारि बनाए। ऐसा भिख मगवानेवाले भक्ति करने से ताे नकरने वाले नाश्तिक कहलवाना बेहतर अौर कल्याण हेे। हाँ भक्ति उनका जाे अविनाशि अखुट प्राप्ति जाे अधिकार से मिले अर्थात मागना न पडेे यहि भक्ति का सार्थकता हे, नवधा हो या विसवा काेइ अर्थका नहि, जिसका भक्ति करना हो उसिका परिचय नहि हे, यथार्थ पहचाने बिना किय जा रहे भक्ति किन अर्थका ? कमेन्ट नहि चिन्तन हेे, धन्यवाद !!!
ठीक कहा जी आप जैसे तथाकथित कुंठित आर्य बुद्धि से तो नास्तिक ही ठीक है।
छोटा है तुम्हारा निराकार ब्रह्म क्योकि वो सिर्फ निराकार तक सीमित है, बडा है मेरा निराकार साकार ब्रह्म जो दोनों है 🙏🙏🤣🤣
@@darkenergy9644 हाँ बडा तो आपको मिला पर बुद्धि व दृष्टिकोण जरुर निष्कृष्ट मिला , बडे से तो बडा मिलना था। लिखे पंक्ति को जरा ध्यान से पढे होते। यहिं कारण गीता १५:१० मे - विमूढा नानु पश्यन्ति पश्यन्ति ज्ञानचक्षुषः। आया; चिन्तन करें भावार्थ क्या हे! हो सके तो साध्वी देवीप्रिया महाशया से हि समझे। कमेन्ट नहि चिन्तन हे। सव्व भवतु मंगलवः! धन्यवाद!!!
🙏🙏🙏