एक महात्मा की कुटिया में चोर घुस गया | अमृतवाणी दृष्टान्त : Amritvani Drishtant | Swami Adgadanandji
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- Опубліковано 30 тра 2024
- श्रीमद्भगवदगीता यथार्थ गीता
गीता मानव मात्र का धर्मशास्त्र है।
गीता भली प्रकार मनन करके हृदय में धारण करने योग्य है, जो पद्मनाभ भगवान के श्रीमुख से नि:सृत वाणी है; मानव-सृष्टि के आदि में भगवान् श्रीकृष्ण के श्रीमुख से नि:सृत अविनाशी योग अर्थात् श्रीमद्भगवद्गीता, जिसकी विस्तृत व्याख्या वेद और उपनिषद् हैं, विस्मृति आ जाने पर उसी आदिशास्त्र को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के प्रति पुन: प्रकाशित किया, जिसकी यथावत् व्याख्या ‘यथार्थ गीता’ है।
।। ॐ श्री सद्गुरुदेव भगवान् की जय ।।
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